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पूनम बंसल
5-6 दिनों बाद मुझे अंसारी सर ने फिर अपने घर बुलाया। उस दिन शनिवार था आधे दिन बाद छुट्टी हो जाती थी।
एक पीरिएड बंक मार कर मैं उनके घर पहुँच गई, उस दिन मैं जीन्स और शर्ट में थी जिसमें मेरे कूल्हे बहुत उभरे हुए थे।
घर पहुँची तो अंसारी सर चाय बना रहे थे। मैंने उनको हटा कर खुद रसोई में लग गई। वो मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरने लगे।
मैं जानबूझ कर अपनी गाण्ड को और उभार देती, उन्होंने दूसरे हाथ से मेरी जीन्स की जिप खोल के आगे से पैंटी में हाथ डाल दिए।
मैं अपने दोनों अंगों पर उनके मज़बूत मरदाना हाथों के स्पर्श से आनन्दित हो रही थी। मैंने भी उनको पूरा आनन्द देने के लिए उनके लोअर में हाथ डाल कर उनके लौड़े को पकड़ लिया।
वो पहले ही अंगड़ाई ले रहा था, मेरा हाथ लगते ही फनफना गया। इसी पोजीशन में मैंने चाय बनाई और पी।
फिर वो मुझे गोद में उठा कर बेडरूम में ले गए और मेरी जीन्स और शर्ट निकाल दिए। मैं पिंक ब्रा-पैंटी में आ गई। उन्होंने भी अपना लोअर और शर्ट निकाल दिए।
मैं हैरान थी कि उन्होंने अंडरवियर पहना ही नहीं था। उनका शेर 90 डिग्री पर खड़ा था। मैंने उसको हल्के से चपत मारी, तो वो फुफकारने लगा।
फिर मैंने उसे चुम्बन किया और चाटने लगी। मेरी जीभ का स्पर्श पाकर वो और विकराल रूप लेता गया।
सर का हाथ मेरी चूचियों और चूतड़ को सहला और मसल रहे थे मैं गाण्ड सिकोड़ कर उनको उत्तेजित करती थी।
मेरी पैंटी कब मेरे चूतड़ों का साथ छोड़ गई, मुझे पता ही नहीं चला। मेरी चूत के रस को हाथ से गाण्ड पर लगा कर, मेरी गाण्ड में सर का अंगूठा उतरने लगा।
जैसे-जैसे उनका अँगूठा अंदर घुसता, मेरी गाण्ड फ़ैल कर उसे जगह देती जाती। सच कहूँ दोस्तो, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था उनका अंगूठा गाण्ड में लेने में ! मैं चूतड़ फैला कर पूरा अंगूठा निगल गई। जैसे-जैसे अंगूठा अंदर घुसता गाण्ड फैलती और कसती जाती थी।
सर मेरे पीछे आकर चूत चाटने लगे। मैं मस्ताई हुई, अपने पैर फैला कर चूत चटवा रही थी। अचानक सर की जीभ मेरी गाण्ड के छेद पर घूमने लगी।
दोस्तों गाण्ड चटवाने में मुझे गज़ब का आनन्द आ रहा था। सर को लड़कियों के सारे मादक और उत्तेज़क अंगों का भरपूर ज्ञान था।
शायद बहुत सी लड़कियों और औरतों को भोग चुके होंगे तभी मुझे इतना आनन्द दे रहे थे।
फिर सर मेरी गाण्ड चाटना छोड़ कर कपबोर्ड से क्रीम की बोतल निकाल लाए, जिसका अगला सिरा कोन जैसा था।
और मेरी गाण्ड में बोतल का कोन घुसा कर बोतल को दबा दिया, ढेर सारी क्रीम मेरी गाण्ड में चली गई।
अब मैं समझी कि आज सर मेरी गाण्ड चोदेंगे। खैर डर तो लगा लेकिन मैं वासना की आग में जल रही थी। सब कुछ मंजूर था। यह कहानी आप अन्त र्वासना डाट काम पर पढ़ रहे हैं।
मैं घोड़ी बनी हुई थी। सर ने मेरी कमर पकड़ कर गाण्ड के छेद पर अपना कटा हुआ सुपारा लगाया और जोर डाला तो गाण्ड ने ‘गप’ से सुपारा निगल लिया।
मैं कराहने लगी और बेड पर पसर गई। गाण्ड से सर के लण्ड का सुपारा निकल गया। सर मेरे ऊपर लेट गए और मेरी पीठ गर्दन पर किस करते हुए मेरे कानों के लटकन को चाटने लगे।
उनकी गर्म साँसें मुझे मदहोश कर रहीं थी। लण्ड मेरे चूतड़ों पर था।
सर ने एंगल बना कर फिर जोर लगाया इस बार सुपारा दोनों चूतड़ों को फैलाता हुआ आगे बढ़ा, चूतड़ों की कसावट उसे रोक रही थी, परन्तु कहाँ वो कठोर लण्ड और कहाँ मेरे नरम चूतड़ !!
‘जल्द ही गाण्ड को फ़ाड़ कर ही रुकेगा, मज़ा मिलेगा’ यह सोच कर शायद गाण्ड में सनसनाहट होने लगी थी।
मैंने चूतड़ों को ढीला ही रखा ताकि लण्ड को विरोध का सामना न करना पड़े क्योंकि विरोध पा कर शायद लण्ड को ज्यादा क्रोध आता और उसका क्रोध गाण्ड को झेलना पड़ता।
सर का इशारा पाकर लण्ड आगे बढ़ा। गाण्ड ने फ़ैल कर उसका स्वागत किया लेकिन यह स्वागत तब बेकार हो गया, जब गाण्ड के फैलने की सीमा समाप्त हो गई।
अब मैं कराहने लगी।
सर ने दिलासा दिया, “जान थोड़ा सा सह लो !”
और मेरी गर्दन और पीठ पर किस करने लगे। दर्द कुछ कम हुआ तो गाण्ड थोड़ी सी और फैली और अब सुपारा घुस गया।
मैं फिर कराहने लगी। सर ने फिर वही मेरी गर्दन पीठ और कानों को किस करने का तरीका अपनाया। थोड़ी देर में मेरी गाण्ड फिर नार्मल हो गई।
मैंने गाण्ड को और ढीली छोड़ दी, फिर उन्होंने लण्ड थोड़ा सा और घुसा दिया।
इस तरह 5-7 मिनट के प्रयास के बाद सर के तजुर्बे से उनकी मेहनत सफल हुई और पूरा लण्ड मेरी गाण्ड निगल चुकी थी।
सर ने मेरे चूतड़ थपथपा कर उन्हें शाबाशी दी फिर धीरे-धीरे आगे-पीछे करके चुदाई शुरू की। ऐसा लगा कि मेरी गाण्ड लण्ड के साथ आगे-पीछे खिंची जा रही है। लेकिन 6-7 मिनट बाद गाण्ड कुछ ढीली हो गई और मेरा दर्द कम हो गया।
मैं अब आराम से गाण्ड मराने लगी, थोड़ा मजा भी आने लगा। फिर सर ने मुझे घोड़ी बना दिया और लगे गपागप पेलने। एक हाथ से मेरा कन्धा पकड़े हुए थे और दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को मसल रहे थे।
जब सर झटका मारते तो लन्ड जड़ तक घुस जाता और उनके अन्डकोष मेरी चूत से टकराते तो मुझे स्वर्ग दिखाई देने लगता।
मैंने गाण्ड को ढीली करके रखा था। अब मेरी गाण्ड आराम से सर के आठ इन्च लम्बे और मोटे लन्ड से सटासट चुद रही थी।
सर ने करीब 20 मिनट गाण्ड मारने के बाद लण्ड निकाल लिया और मुझे सीधी करके लिटा कर मेरी चूचियों को चूसने, मसलने लगे।
मैंने उनका लण्ड पकड़ लिया। थोड़ी ही देर में मैं एक प्यासी औरत की तरह उनको अपने ऊपर खींचने लगी।
सर मुस्कराए और उनने मेरे चूतड़ों के नीचे दो तकिया लगा दिए। अब मेरी चूत छत को देख रही थी और गाण्ड लन्ड को।
सर ने मेरी टाँगें दोनों हाथों से पकड़ कर फ़ैला दीं, जिससे चूत और गाण्ड दोनों के छिद्र खुल गए। उन्होंने मेरी गाण्ड के छेद पर सुपारा रखा और छेद को रगड़ने लगे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं गाण्ड उठा कर मज़ा लेने लगी थी, तभी उनने बेदर्दी से एक जोरदार शाट मारा और पूरा 8 इन्च का लन्ड ‘गप’ से घुस गया।
मेरे मुँह से कराह निकाल गई। लेकिन सर रुके नहीं लगातार ‘घचाघच..गपागप’ चोदते रहे।
थोड़ी देर बाद ही गाण्ड उनके लन्ड की अभ्यस्त हो गई और मज़ा लेने लगी।
उनकी झांटें मेरी चूत के लबों को रगड़ रही थीं, तो मुझे जन्नत का अहसास हो रहा था। मैं एक अभिसारिका की तरह सर को चुम्बन कर रही थी और लबों को काट रही थी।
सर के चूचुक मेरी चूचियों से रगड़ खा रहे थे। मेरे मुँह से ‘आह्ह आअह्ह ऊउफ़्फ़्फ़ उफ़्फ़’ की आवाज निकल रही थी।
मैं इतनी कामातुर थी कि सर के पीठ पर नाखून चुभा रही थी। दोस्तों मुझे पता भी नहीं था कि गाण्ड मरवाने में इतना मज़ा आता है।
15 मिनट की चुदाई के बाद मैं आउट होने लगी। जोर-जोर से चिल्लाते हुए मैं आउट हो गई। करीब इसी वक्त सर के लण्ड ने भी लावा उगल दिया। मेरी पूरी गाण्ड उनके माल से भर गई।
वे 4-5 मिनट मेरे ऊपर पसरे रहे। जब गाण्ड से उनका लण्ड नर्म हो कर निकल गया, तो मेरे ऊपर से हट गए। मैं पस्त सी पड़ी रही और पता नहीं कब सो गई।
करीब एक घंटा बाद मैं जगी तो देखा कि मेरी गाण्ड से माल निकल कर बह रहा था। मैंने बाथरूम में जाकर अपनी गाण्ड और चूत साफ़ की और लंगड़ाती हुई घर चली गई।
दोस्तों सर की अगली चुदाई को लेकर जल्दी ही आऊँगी, तब तक के लिए आप सब के लण्डों को मेरी चूत का चुम्मा, ‘म्म्म्म्मूऊआआआ ह्ह्ह्ह्ह्ह’
आप सबकी पूनम
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