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कोमलप्रीत कौर
नमस्ते दोस्तों, आपने मेरी कहानियाँ पसंद की, उसके लिए मैं आपकी बहुत आभारी हूँ।
आज मैं आपके सामने अपनी चुदाई की नहीं बल्कि अपने दोस्त सोनू का किस्सा लेकर आई हूँ। जो मुझे सोनू ने आप लोगों के सामने रखने के लिए कहा है।
मैं आपको सोनू के बारे में बता दूँ और उसकी थोड़ी सी तारीफ भी अपने मुँह से कर देती हूँ।
सोनू मुझे एक बस में मिला था और हम दोनों दोस्त बन गए। सोनू 21 साल का है और उसका बदन किसी भी लड़की को लुभाने लायक है। सोनू के लंड की तो बात ही क्या है, चूत में जाते ही पता चल जाता है कि किसी मर्द का लौड़ा है। लम्बा, मोटा और इतना सख्त और शक्तिशाली कि मेरी जैसी हल्की-फुल्की औरत तो उस पर झूला झूल सकती है।
सोनू के लंड की तारीफ मैंने इस लिए की, क्योंकि वो मुझे बहुत पसंद आया !
अब आगे सोनू की जुबानी।
मैं (सोनू) जालंधर में अकेला रहता हूँ, और मेरे घर के सामने ही एक बूढ़ा आदमी रहता है।
बहुत पैसे वाला है, मगर उसकी पत्नी शीला करीब 30 साल की होगी और वो बेहद खूबसूरत है। शीला अक्सर घर की छत पर टहलती रहती है। उनका एक नौकर भी है।
मैं भी घर के छत पर जाता हूँ तो अक्सर उसको देखकर उसे चोदने का मन करने लगता है।
वो पड़ोस में थे इस लिए मैं आते-जाते उस बूढ़े से बात कर लिया करता था। हम लोगों की अच्छी पहचान हो गई। वो मुझे अपने घर भी ले जाया करता था।
एक दिन उसने मुझे लंच पर आने को कहा।
मैं तो पहले से ही तैयार था। इसलिए टाइम पर पहुँच गया। उसकी बीवी खाना लगा रही थी। ‘क्या लग रही थी वो।’ दिल कर रहा था टेबल पर ही घोड़ी बना लूँ।
खाना खाते वक़्त मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसकी बीवी मेरी तरफ ही देख रही हो। जब मैं उसकी तरफ देखता तो वो नजरें हटा लेती।
फिर जब मैं वापिस आने लगा तो बूढ़े ने मुझे कहा- अब अपना ही घर समझना इसे, जब दिल करे आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर उसकी बीवी ने भी कहा- आप तो पड़ोस में रहते हैं, चाहें तो रोज आ सकते हैं।
मुझे उसकी बात कुछ अजीब सी लगी। जैसे उसने मुझे सैक्स के लिए कहा हो। मगर उसने कोई भी इशारा देने जैसी हरकत नहीं की। तो मैंने सोचा उसने ऐसे ही बोल दिया होगा।
फिर वो जब भी छत पर मेरी तरफ देखती तो नमस्ते के अलावा कुछ नहीं कहती।
एक हफ्ते के बाद मैं फिर दोपहर को उनके घर गया। घन्टी बजाई तो शीला ने दरवाजा खोला।
मैंने पूछा- क्या शर्मा जी घर पर हैं?
तो वो बोली- हाँ घर पर ही हैं। अन्दर सो रहे हैं। कुछ तबीयत ठीक नहीं उनकी।
मैंने कहा- अच्छा तो मैं बाद में आ जाऊँगा।
तो उसने कहा- तुम आ जाओ, वो उठने ही वाले हैं।
मैं अन्दर गया और सोफे पर बैठ गया और हल्की सी नजर उनके बैडरूम में भी डाली। सच में बूढ़ा सो रहा था।
फिर शीला ने अन्दर जाकर उसको आवाज भी लगाई मगर वो बोला- तुम जाओ, मैं आता हूँ।
शीला ने अपने नौकर को चाय लाने के लिए बोला और खुद मेरे पास बैठ गई। मगर कोई बात नहीं की।
फिर चाय आ गई और उसने नौकर को बोला- जाओ, साहब को बुला कर लाओ।
वो अन्दर गया और वापिस आकर बोला- साहिब बोल रहे हैं, उनकी तबीयत ठीक नहीं है, उनको आराम करने दो।
फिर शीला ने नौकर को कहा- तुम जाओ बाजार से सब्जी वगैरह ले आओ।
और वो चला गया।
शीला मेरे सामने बैठी थी, मेरा ध्यान उसकी चूचियों पर था। उसके काले बाल और गोरी गर्दन, क्या लग रही थी वो !
जब हमने चाय पी चुके तो शीला मुझसे कप लेने के लिए मेरी तरफ झुक गई।
अब तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने शीला के हाथ को पकड़ लिया।
वो झट से पीछे हट गई और गुस्से से मेरी ओर देखने लगी।
फिर उनसे एक नजर बैडरूम की तरफ देखा और मुझे बोली- शर्म नहीं आती तुमको।
मैं बहुत डर गया और कुछ बोले बिना ही बैठा रहा।
फिर वो बैडरूम की तरफ गई और दरवाजे में से देख कर वापिस आ गई और बोली- अगर मैं इनको बता दूँ तो तुम्हारा बहुत बुरा हाल होगा, इसलिए यहाँ से चुपचाप चले जाओ।
वो धीरे धीरे बात कर रही थी ताकि उसके पति को भी इस बात का पता ना चले।
मैं बाहर की तरफ चल पड़ा और जाते-जाते कहा- सॉरी, आपने उस दिन मेरे साथ कुछ इसे बात की तो.. तो मुझे कुछ ग़लतफहमी हो गई थी।
मैं बाहर के दरवाजे के पास आया ही था कि वो पीछे से आई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- इधर आओ।
और फिर वो मुझे पीछे दूसरे कमरे में ले गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
अन्दर जाते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
मैं हैरान हो गया और उसकी तरफ बेचैन निगाहों से देखने लगा।
फिर वो बोली- तुमको कोई ग़लतफहमी नहीं हुई थी।
मैंने कहा- सच.. तो तुम क्या मुझे बुद्धू बना रही थीं।
वो मुस्कुरा कर बोली- यह तो मेरी पुरानी आदत है, लोगों को बेवकूफ बनाना।
मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया और उसके होंठ चूसने लगा, वहाँ पड़े बैड पर मैंने उसे गिरा दिया और उसके ऊपर आ गया। साड़ी के ऊपर से ही मैं उसके वक्ष-उभारों को मसलने लगा। उसका सारा बदन मैंने साड़ी के ऊपर से चूम लिया था।
उसके बाल भी खोल दिए। सच में उस दिन मैं उसके ऐसे मसल रहा था, जैसे कोई जानवर अपने शिकार को मसल कर रख देता है।
फिर मैंने उसको पूछा- आज सब कुछ मिलेगा या इतना ही?
तो वो बोली- तुमको रोका किसने है? मेरे पति से मत डरो। वो उधर ही सोता रहेगा।
फिर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसने मेरे कपड़े उतार दिए। हम दोनों नंगे हो गए, एक-दूसरे से लिपटते रहे। फिर मैंने उसको अपना लंड चूसने को बोला और उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
उसने मेरा लंड अपनी गुलाबी होंठों से मसल कर रख दिया और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया।
फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा। उसको इतना मजा आ रहा था कि वो अपनी चूत उठा-उठा कर मेरे चेहरे पर दबा रही थी।
मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था।
मैंने उसको बैड पर लिटाया और उसकी चूत के ऊपर अपना लण्ड रख दिया और एक ही धक्के में आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।
उसको दर्द हुआ मगर थोड़ी देर में ही वो लंड को अपनी चूत में सैट करने लगी और फिर मैंने पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
मैंने उसकी जोर-जोर से चुदाई की और फिर वो झड़ गई। वो मेरे नीचे पड़ी-पड़ी आहें भरने लगी।
फिर मैं उसके ऊपर से उठ गया और उसको घोड़ी बनने के लिए कहा, वो घोड़ी बन गई और मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसेड़ने लगा। उसकी गांड बहुत कसी थी।
उसने मुझे सिर्फ चूत में ही डालने को कहा, मगर मैंने कहा- मैं गांड मारे बिना नहीं जाऊँगा।
तो उसने मुझे दराज में से तेल निकाल कर दिया, मैंने उसकी गांड में तेल लगाया और अपने लंड के ऊपर भी तेल लगा कर अपना लंड फिर उसकी गांड के छेद पर रख दिया और जोर से अन्दर धकेला। पहले तो तेल के कारण लंड साइड को फिसल जाता, मगर एक झटका ऐसा लगा कि लंड सीधा उसकी गांड में घुस गया।
शीला की तो चीख निकल गई।
वो तड़प उठी और उसकी गांड हिलने से लंड बाहर आने लगा, मगर मैंने कस के उसकी गांड को पकड़े रखा और लंड बाहर नहीं निकलने दिया।
फिर वो भी शांत हो गई और धीरे-धीरे से मैं लंड को अन्दर धकेलने लगा।
उसको जब भी ज्यादा दर्द होता तो मैं तेल गांड के ऊपर से टपका देता और तेल उसकी गांड में घुस जाता जिस से गांड की चमड़ी थोड़ी सी तरल हो जाती और फिर अहिस्ता-अहिस्ता सारा लंड उसकी गांड में घुसा दिया।
अब इतनी मुश्किल से लंड अन्दर गया था। इसलिए मैं इतनी जल्दी लंड बाहर नहीं निकालना चाहता था।
मैंने उसको अपने लंड के ऊपर ही बिठा लिया और उस से बातें करने लगा और कभी कभी धक्का भी लगा देता।
वो भी अपनी गांड में लंड लिए मजे ले रही थी।
मगर उसी दौरान शीला के पति के आवाज आई- शीला, शीला… कहाँ हो तुम?
मैं तो घबरा गया।
मगर शीला ने अन्दर से ही आवाज दी- क्या है? मैं अन्दर सो रही हूँ!
शीला के पति ने दरवाजा खोलने की कोशिश की मगर दरवाजा अन्दर से बंद था।
तो उसने कहा- दरवाजा तो खोलो।
शीला ने फिर से आवाज दी- अरे जानू, मैंने आपको कोई परेशान किया था?… अब मुझे तो सोने दो !!
उसने कहा- ठीक है, मगर मुझसे मिलने कौन आया था?
तो शीला ने कहा- अरे वोही, अपने पड़ोस वाला सोनू आया था, आप बाहर नहीं आए तो वो चला गया। अब आप भी सो जाओ।
बूढ़ा फिर वापिस चला गया।
मैंने फिर से शीला को अपने लंड के साथ ही उठाया और बैड के ऊपर घोड़ी बना लिया।
मैंने लंड पर और तेल लगाया और जोरदार गांड की चुदाई शुरू कर दी।
शीला भी पूरी गर्म थी। कम से कम आधा घंटा उसकी गांड में लंड पेला मैंने और फिर उसकी गांड में ही छूट गया। वो भी छूट चुकी थी।
फिर मैं चोरी से अपने घर चला गया और बाद में मैंने शीला को कई बार चोदा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।
तो दोस्तों आप जरूर सोच रहे होंगे कि कोमल भाभी अगर सोनू के बारे में इतना कुछ जानती हैं, तो फिर सोनू से चुदी क्यों नहीं? और अपनी चुदाई के बारे में क्यों नहीं बताया?
तो इसका जवाब आपको मेरी अगली आने वाली कहानी में मिल जाएगा।
और हाँ अपनी प्यारी कोमलप्रीत को भी जरूर मेल करना मत भूलना।
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