This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
प्रेषिका : कमलेश
मेरा नाम कमलेश है, मैं राजस्थान के एक बहुत छोटे से गाँव की रहने वाली हूँ। हमारे यहाँ छोटे-छोटे कच्चे-पक्के घर होते हैं और जमीन के नाम पर पत्थरों के पहाड़ और रेगिस्तान हैं। हम किसान हैं और किसानी के नाम पर पत्थरों के पहाड़ और रेगिस्तान में कुछ कांटे और बबूल उगाते हैं।
मेरी उम्र 18 की है लेकिन हमारी तरफ औरत और आदमी की कद-काठी बहुत अच्छी होती है, तो मैं 21-22 साल की जवान नमकीन लौंडिया लगती हूँ। गाँव के बहुत से लौंडे मुझे याद करके मुठ मारते हैं। उन लौंडों को आहें भरते देख कर मुझे भी अपने मन कुछ हेनू-हेनू सा होता था लेकिन मैं सिर्फ अपने काम से काम रखती हूँ।
जब कभी भी मैं अकेले में होती हूँ तो अपनी संतरियों को अपने हाथों से मसल कर अपना मन बहला लेती हूँ।
मेरे घर में अच्छा-बड़ा आँगन है और एक कोठरी है। मैं और मेरा छोटा भाई आँगन में सोते हैं और माँ, बापू कोठरी में।
काफ़ी साल पहले एक दिन काफी रेतीला तूफ़ान आ रहा था और बाहर सोना थोड़ा मुश्किल था तो माँ ने हम दोनों को कोठरी में बुला लिया और एक कोने में हम सो गए।
मेरा बापू शराबी था और शराब पीकर काफी हंगामा करता था, फिर भी माँ उस पर जान देती थीं।
मैंने अक्सर महसूस किया था कि बापू माँ के मम्मों पर या चूतड़ों पर या कमर पर चुटकी काट लेता था, तो वो हल्के से मुस्कुरा देती थीं।
रात को सोते समय कोठरी में हल्की सी रोशनी के लिए एक दीपक जलता था, उसकी रोशनी ज्यादा तो नहीं, लेकिन देखने के लिए काफी थी।
खाना खाने के बाद हम सब सो गये। आधी रात को अचानक से मुझे किसी के बात करने की आवाज़ सुनाई दी। मैंने लेटे-लेटे ही देखने के कोशिश की, तो पाया, माँ-बापू हल्के-हल्के बात कर रहे हैं और बापू ने माँ को अपने ऊपर ले रखा है।
आवाजें काफी मद्धिम स्वर में थीं तो सुनाई तो कुछ नहीं दिया लेकिन मैं सब कुछ देख सकती थी। माँ-बापू के ऊपर थीं और मुँह से मुँह मिला कर कुछ कर रहे थे।
तब तक मुझे कुछ मालूम नहीं था। बाद में जब मुझे सेक्स के बारे में पता चला तो सब समझ आ गया। माँ बापू के ऊपर थीं और वो एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।
माँ हल्के-हल्के सिसकारियाँ भर रही थीं, बापू ने माँ को जोर से पकड़ा हुआ था और कमर पर कुछ कर रहे थे।
माँ ने हमारी तरह देखा और हमें सोता देखकर खड़ी होकर अपनी साड़ी उतारने लगीं।
जब माँ पूरी नंगी हो गईं, तो देखा माँ कितनी सुंदर थीं। माँ के चूचे बड़े-बड़े और कसे हुए थे और मस्त शरीर था। उनकी चूत पर बाल थे लेकिन कमर बिल्कुल कसी हुई थी। उनकी चूचियाँ सामने को तनी हुई थीं। चूचियों के ऊपर उनके निप्पल बहुत ही कड़े थे।
उसके आगे मुझे कुछ समझ नहीं आया क्योंकि माँ को इस तरह देख कर, मेरे मम्मों ने खड़ा होना शुरू कर दिया था।
बापू अभी भी लेटे थे, माँ ने उनकी टांगों पर से कुछ हटाया और उस पर बैठ गईं।
माँ के बैठते ही, माँ की हल्की सी चीख निकल गई।
माँ सिसकियाँ लेते हुए अपने आप को ऊपर-नीचे करने लगीं और बापू भी हिलने लगे। बापू ने माँ के निप्पलों को अपने मुँह में दबा कर चचोरना शुरू कर दिया था।
माँ भी अपने थन पकड़ कर उनसे चुसवा रही थीं। अपनी चूची चुसवाने के साथ अपनी कमर को उठा उठा कर उचक रही थीं। उनके मुँह से सिसकारी निकल रही थी- आअहा..जरा.रा ..धीरे रे रे चूस न ना !
बापू भी उनकी कमर पकड़ कर नीचे से उठ-उठ का माँ को ऊपर की ओर ठेल रहे थे। थोड़ी देर में माँ एक झटके के साथ बापू के ऊपर गिर गईं और उन दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया।
मैं ये सारा कुछ देख रही थी, मुझे कुछ ज्यादा समझ तो नहीं आया, लेकिन मेरे संतरे खड़े थे और चूत से पानी निकल रहा था। मैं अपने संतरों को अपने हाथों से मींजने लगी।
इस समय मुझे बहुत ही मीठा लग रहा था। एक हाथ से मैंने अपनी उंगली अपनी चूत में डाल ली।
ये एक प्राकृतिक कमाल था कि मुझे उस समय चुदाई का कोई ज्ञान नहीं था लेकिन मेरी भावनाएँ कामुक हो गई थीं।
इस बात को यदि सीधे शब्दों में लिखूँ तो आप भी इस बात को समझ सकते हैं कि प्रजनन के लिए मैथुन में रूचि बनी रहे इसके लिए प्रकृति ने कामुक रसों का निर्माण किया है।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000