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रात को 8 बजे उसने मुझे उठाया, मैंने उसे अपनी ओर खींचते हुए चूम लिया।
और तभी:
कमरे का दरवाजा खुला और जो लेडी मेरे सामने आई उसे देख मेरे होश उड़ गए। वो लेडी और कोई नहीं जहाज में मुझे घूर कर देखने वाली औरत थी।
मेरी बॉस ने इंट्रोडक्शन करवाया- ये मेनका हैं !
मेरे मुँह से निकल गया- और कौन हो सकती है इतनी खूबसूरत !
दोनों हंस पड़ी और मेरी बॉस मेनका को अपने साथ हॉल में ले गई और कुछ बात करने लगी।
फिर हमने खाना मंगवाया और खाने के बाद मेरी बॉस ने कहा- सुनो, मेनका का बर्थडे है कल, तो रात को बारह बजे तुम उसके तोहफे हो मेरी तरफ से। ऐसी खातिरदारी करना कि वो बस तुम्हारी हो जाये ! उसकी चूत तुम्हारे लण्ड की ही पूजा करे !
मैंने कहा- जो हुकुम मेरी आका !
उसके जाने के बाद मेनका ने मुझे अपनी ओर खींचा और गले लगाने लगी, बोली- मुझे आज प्यार के पल जीने हैं, जीने दोगे न?
मैंने उसे आँखों ही आँखों में ‘हाँ’ कह दिया और उसको कस कर गले लगा लिया- मेनका, आज तुम बस मेरा साथ देना।
मैं उसके होंठों को किस करने लगा, वो मुझे और कस कर अपनी ओर खींचने लगी, उसके हाथ मेरी कमर पर घूम रहे थे। उसके उरोज़ हिल रहे थे, जिसका अहसास मुझे मेरे सीने पर हो रहा था।
मैंने भी उसके नितम्बों को कस कर दबाना शुरू किया और ऐसा हम लोग 10 मिनट तक करते रहे।
फिर उसने मुझे बेड पर धक्का दे दिया और कहा- एन्जॉय द मूमेंट्स !
फिर धीरे-धीरे उसने अपने नीले कुर्ते को उतार कर साइड में फेंक दिया।
उसकी अगली हरकत ने तो मुझे पागल ही कर दिया। उसका नाड़ा नहीं खुल रहा था, तो उसने पास ही में रखी फ़्रूट ट्रे से चाकू लेकर नाड़ा काट कर अपने पजामे को भी अपने से अलग कर दिया।
उसकी उत्तेजना चरम पर पहुँचने लगी थी। वो ब्लू और ब्लैक मिक्स कलर की ब्रा और पैन्टी में थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेनका मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगी। उसकी चूत ऊपर से ही मेरी जीन्स पर रगड़ खा रही थी। उसका नशीली काया किसी नागिन की तरह मुझ पर घूम रही थी और उसने मेरे शर्ट को मुझसे अलग कर दिया।
मेरे सीने की तारीफ करते हुए कहा, “एक औरत को ऐसी ही जगह चाहिए, अपनी शर्म को छुपाने के लिए।”
मैं उसके ऊपर पलटी खाते हुए उसके ऊपर आ गया और उसको चूमते हुए कभी गर्दन पर, कभी कान पर, कभी उसकी नाभि पर अपनी जीभ घुमा कर, उसकी वासना के ज्वालामुखी को उकसा रहा था।
उसके मुँह से लगातार सीत्कारें निकल रही थीं, “आआ… आह… हाँ ऐसे हीई… ईईए…, हायई…ईईई… कितना मज़ा आ रहा है, करते रहो मेरे शेर…”
फिर मैंने उसके उरोज़ भी दबाने शुरू कर दिए जिससे वो और तड़पने लगी। अगला निशाना उसके बचे-खुचे कपड़े थे, सो झटके से उसकी ब्रा अलग कर दी और फिर उसकी उरोजों में जीभ घुमा कर उसकी हरकतों को बढ़ावा दे रहा था।
वो भी अपने इस कारनामे में आनन्द उठा रही थी। फिर धीरे से जैसे ही मैंने उसकी पैन्टी को अलग किया। उसकी चिकनी चूत मेरी आँखों के सामने थी।
जैसे ही मैंने उसको छुआ वो उछल पड़ी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
उसकी आँखें मुझसे मिली जिसमें संतुष्टि के भाव थे। वो उठी और मेरी जीन्स को और मेरी अंडरवियर को एक साथ उतार दिया।
मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और सुपाड़े को, कभी लौड़े की जड़ को चचोर रही थी। पूरे लंड को कभी अंदर लेना उसकी कामुक हरकतों में शामिल था।
मेरे मुँह से, “अयय…ययय… ह्म्म्म्म…म्म्माआ… अह…हह…हा” निकल रहा था।
10 मिनट बाद मैंने लावा उगल दिया। फिर थोड़ी देर हम एक-दूसरे के अंगो से खेलते रहे।
मेरे लंड ने फिर से उभार लेना शुरू कर दिया। जिससे वो खुश हो गई।
मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी और उसको चूसने लगा उसकी आवाजें पागल बना रही थी, “खा जाओ मुझे, इसकी प्यास ख़त्म कर दो, मैं तुम्हारी ग़ुलाम हूँ, करते रहो, चोद डालो।”
उसकी तड़प को देख कर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया।
वो बोली- प्लीज जल्दी डाल दो अंदर, मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी।
मैंने टोपे को सीधा रख कर एक ज़ोर का झटका दिया और टोपा अंदर चला गया और वो ज़ोर से चीख पड़ी, “मादरचोददद हट जजजा, मुझे नहीं चुदवाना।”
मैंने उसे पकड़ कर रखा और थोड़ी देर बाद एक और धक्का देकर पूरा लंड अंदर ठूँस दिया।
वो और जोर से चीखी, “बहुत दर्द हो रहा है, हट कुत्ते, मार डालूंगी तुम्हें, फिर तू देखना।”
मैं जानता था कि साली क्यों चिचिया रही है। उसकी सील जो टूटी थी। उसकी इस पीढ़ा को खत्म करने के लिए मैं थोड़ी देर तक उसके अंगो से खेलता रहा।
कुछ ही पलों में वो भी कमर उचकाने लगी। मुझे लगा अब वो रेडी है, उसको मैं धक्के मारने लगा।
उसके मुँह से, “हाआ…आअ करते जाओऊऊऊ…ओ, हाँ….हा… मादरचोद… चोद… डाल…आआ…आअ, मर… गईईई…”
उसका लावा निकल गया। फिर भी मुझे अपनी आग को भी शांत करना था। 2 मिनट बाद वो फिर से मेरा साथ देने लगी।
पूरे कमरे में ‘फच-फच’ की आवाज़ के साथ गालियाँ भी निकल रही थीं।
वो बोली- चोदता रह, माँ के लौड़े..सारी रात, हाआ…आ…आअ आई…सीईईईए… ईईईहा…आआआ उम्म्म… मदाआ… आअर्चोद करता रह, मैं तेरी गुलआआआअम।
मैं भी अंट-शंट- बक रहा था, “हाआ… आआ… आज तो तू मेरी गुलाम है, और ज़िन्दगी भर मुझसे ही चुदवाएगी, रांड बनाऊँगा अपनी, तेरे पति के साथ चोदूँगा तुझे, साली छिनाल।”
15 मिनट में वो 3 बार झड़ी और फिर अंतिम बार हम दोनों साथ में झड़े। उस रात हमने 3 बार चुदाई की।
वो मैंने नहीं लिए और कहा- पार्टनर से पैसे नहीं विश्वास जीतना चाहिए।
वो ट्रिप बहुत प्यार और सेक्स से भरपूर था। मेनका और मेरी बॉस ने उस ट्रिप पर खूब मजे किये।
आगे की कहानियाँ मेरे नए आर्मी के मेंबर्स की होगीं।
आपकी मद भरी टिप्पणियों का स्वागत है।
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