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हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी और हम बेचैन थे, कब हम एक-दूसरे की बाँहो में खो जाएँ। इसलिए हमने दरवाजे को धक्का दे कर खोला और अपने बैग और किताबों को एक तरफ फेंक कर, जूतों को खोल कर सीधा एक-दूसरे की बाँहों में समा गए।
दरवाज़ा हालाँकि हमने बंद कर दिया था पर हम दोनों में से किसी को उसको लॉक करने का ध्यान नहीं रहा। वासना की आग ने हमारे सोचने की शक्ति शायद खत्म कर दी थी।
मैंने ज़ोर से अपनी बहन को अपनी बाहों में कस लिया और उसके पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी।
उसने भी मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया था और उसकी कठोर चूचियाँ मेरी चौड़ी छाती में दब रही थीं। उसकी चूचियों के खड़े चूचुकों की चुभन को मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था।
उसकी कमर और जाँघें मेरी जाँघों से सटी हुई थीं और मेरा खड़ा लंड मेरी पैन्ट के अंदर से उसकी स्कर्ट पर ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था।
मेरी प्यारी सोनू अपनी बुर को मेरे खड़े लण्ड पर पैन्ट के ऊपर से रगड़ रही थी। हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे और मैं अपनी बहन के पतले रसीले होंठों का चूसते हुए चूम रहा था।
उसके होंठों को चूसते और काटते हुए मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में ठेल दिया, उसके मुँह के अंदर जीभ को चारों तरफ घुमाते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को चूसते हुए दोनों भाई-बहन एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे।
उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए मेरी चूतड़ों और कमर को दबाते हुए अपनी तरफ खींच रहे थे और मैं भी उसके चूतड़ों को दबाते हुए उसकी गांड की दरार में स्कर्ट के ऊपर से अपनी उंगली चला रहा था।
कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया और वो बिस्तर पर चली गई। उसने अपने घुटनों को बेड के किनारे पर जमा दिया और इस तरह से झुक गई जैसे कि वो बेड की दूसरी तरफ कोई चीज़ खोज़ रही हो। अपने घुटनों को बेड पर जमाने के बाद मेरी प्यारी बहन ने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को ऊपर उठा दिया।
इस प्रकार उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़ जो कि नाइलॉन की एक जालीदार कसी हुई पेंटी के अंदर क़ैद थे, दिखने लगे। उसकी बुर के उभार के ऊपर उसकी पेंटी एकदम कसी हुई थी और मैं देख रहा था कि बुर के ऊपर पेंटी का जो भाग था पूरी तरह से भीगा हुआ था।
मैं दौड़ कर उसके पास पहुँच गया और अपने चेहरे को उसकी पेंटी से ढकी हुई बुर और गांड के बीच में घुसा दिया। उसके बदन की खुशबू और उसकी बुर के पानी और पसीने की महक ने मेरा दिमाग़ घुमा दिया और मैंने बुर के रस से भीगी हुई उसकी पेंटी को चाट लिया।
वो आनन्द से सिसकारियाँ ले रही थी और उसने मुझे पेंटी को निकाल देने का आग्रह किया।
मैंने उसकी बुर और गांड को कस कर चूमा और उसके मांसल चूतड़ों को अपने दांतों से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लंबी सांस लेकर अपने फेफड़ों में भर लिया।
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मैंने अपने पैंट और अंडरवीयर को खोल कर इसे आज़ादी दे दी।
बहना की मांसल कदली जाँघों को अपने हाथों से कस कर पकड़ते हुए मैं उसकी पेंटी के ऊपर से उसकी बुर चाटने लगा। पेंटी से रिस-रिस कर बुर का पानी निकल रहा था। और मैं पेंटी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुँह में भरते हुए चूस चूस कर चाटने लगा।
पेंटी का बीच वाला भाग सिमट कर उसकी बुर और गांड की दरार में फंस गया था और मैं बुर चाटते हुए उसकी गांड पर भी अपना मुँह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ़ गई थी और वो अपने कूल्हों को मटकाते हुए अपनी बुर और चूतड़ों को मेरे चेहरे पर रगड़ रही थी।
मैंने धीरे से अपनी बहन की पेंटी को उतार दिया। उसके खूबसूरत चिकने चूतड़ों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा।
उसके मैदे जैसी गोरे चूतड़ों की बीच की खाई में भूरे रंग की अनछुई गांड थी। एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी, जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर (जैसा कि सोनू ने प्रॉमिस किया था) मारने का मौका मुझे मिलने वाला था।
उसकी गांड के नीचे गुलाबी पंखुरियों वाली उसकी चिकनी बुर थी। सोनिया की बुर के होंठ फड़फड़ा रहे थे और भीगे हुए थे।
मैंने अपने हाथों को धीरे से उसके चूतड़ों और गांड की दरार में फिराया। फिर धीरे से हाथों को सरका कर उसकी बिना झांटों वाली बुर के छेद को अपनी ऊँगलियों से कुरेदते हुए सहलाने लगा।
मेरी ऊँगलियों पर उसकी बुर से निकला उसका रस लग गया था और मैंने उसे अपने नाक के पास ले जा कर सूँघा और फिर जीभ निकाल कर चाट लिया।
मेरी प्यारी बहन के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं और उसने मुझसे कहा- भाई तुमने जी भर कर मेरे चूतड़ों और बुर को देख लिया है। इसलिए तुम अपना काम शुरू करो न!
मैं भी अब अधिक देर नहीं करना चाहता था और झुक कर मैंने उसकी बुर के होंठों पर अपने होंठों को जमाते हुए जीभ निकाल कर उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया।
उसकी बुर का रस नमकीन सा था और मैंने उसकी बुर के काँपते हुए होंठों को अपनी ऊँगलियों से खोल दिया और अपनी जीभ को कड़ा और नुकीला बना कर बुर की सुरंग में घुसा कर उसके भगनासा को कुरेदने लगा।
उसके छोटे से भगनासे को अपनी जुबान से सहलाने से ही सोनिया की बुर मचलने लगी। मैंने उसे अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ से उसको चचोरने लगा।
बहना आनन्द और मज़े से सिसकारियाँ भरते हुए अपनी गांड को मटकाते हुए एक बहुत ज़ोर का धक्का अपनी बुर से मेरे मुँह की ओर मारा।
ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ को वो अपनी बुर में से निकाल देना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुँच चुकी थी।
मैं उसकी भगनासा को अपने अपने होंठों के बीच दबा कर चूसते हुए अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया और मैंने अपनी दो ऊँगलियों की सहायता से उसकी पेशाब करने वाली छेद को थोड़ा फैला कर अपनी जीभ को उसमे तेज़ी से नचाने लगा।
मुझे ऐसा करने में मजा आ रहा था और सोनू भी अपनी पिछाड़ी को मटकाते हुए सिसकारियाँ ले रही थी- ओह भाई, तुम बहुत सता रहे हो डार्लिंग ब्रदर! इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटते रहो चूसो। मुझे बहुत मजा आ रहा है और मेरी बुर पानी छोड़ने ही वाली है। ओह भाई तुम कितना मजा दे रहे हो, ओहहह… चाटो… मेरी जान मेरे कुत्ते मेरे हरामी बालम!’
उसके मुँह से अनाप-शनाप बड़बड़ाना यह साबित कर रहा था कि मेरी चिकनी बहन अब अपनी चुदाई लीला की रौ में बहने लगी थी।
मैं अभी तक उसके भगनासे को अपने होंठों में दबाकर चूस रहा था। पर जब सोनिया की बेचैनी उसके मुँह से निकलने वाली आवाजों से सुनी तो मैंने सोचा कि आज इसको और तड़फ़ाते हैं।
उससे मैंने कहा- आज तू मुझको जब तक गन्दी-गन्दी गालियाँ न बकने लगे तब तक तेरी बुर को चचोरता रहूँगा साली। मेरी रंडी बहनिया, मेरी कुतिया और ऐसा कहते हुए मैंने अपनी जीभ उसकी बुर में ठेल दी।
जब सोनिया ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।’
वो अब बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी।
‘मेरी जान तुम मुझे पागल बना रहे हो…! ओह मेरे चोदू सनम हाँ ऐसे… ही ऐसे ही चूसो मेरी बुर को…मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ा दो साली बहुत पानी छोड़ रही है… इसकी पुत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो मेरे राजा…!! ओह डियर बहुत अच्छा कर रहे हो तुम…! मेरी बुर के छेद में अपने जीभ को पेलो और अपने मुँह से चोद दो मुझे…!’
कहानी जारी रहेगी।
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