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प्रेषिका : सोनाली
हैलो दोस्तो, मेरा नाम सोनाली है।
मेरी उमर 18 साल है। 18 साल की उमर में मेरे पपीते औरतों से भी बड़े हो गये थे। मुझ पर जवानी असर करने लगी थी। स्कूल में सब मेरे मम्मे को ही देखते थे।
मैं जब चलती थी, मेरे पपीते हिलते थे। मैं उन्हें सम्भाल नहीं पाती थी। मेरे पपीते 36 से भी ज्यादा बड़े थे। मेरा मन करता था कोई इन का सारा रस हिला कर चूस ले।
मेरी चूत भी अब जवान हो गई थी। अब मेरा बहुत मन करता था कि अपनी चिकनी चूत में लंबा लौड़ा डलवा लूँ।
मेरे घर में मेरी माँ और पापा और मैं रहती थी। बगल के हिस्से बाले कमरे में एक आदमी किेराये से रहता था जो 40 साल का होगा, वो पहलवानी करता था। उसने शादी नहीं की थी।
वो मेरे बड़े-बड़े मम्मों को बहुत घूरता था, मैं भी जानबूझ कर उसे अपने पपीते दिखाती, उसके सामने निकलती तो मेरे पपीते उछलते। मैं उसका खड़ा लौड़ा उसके पजामे में महसूस करती, मेरा बहुत मन कर रहा था, उसका लौड़ा लेने का।
एक दिन सुबह के समय हम खड़े थे, जब आँखें मिलीं तो मैं मुस्करा दी। थोड़ा दूर पहुँच कर जब मैंने वापस देखा तो वह मेरी ओर देख रहा था। मैं फिर मुस्करा दी। मेरा संदेश उस तक पहुँच चुका था। अब तो जवाब की बारी थी।
हाय !!! मेरी चूत में खुजली मचने लगी। मैंने भी चारा डालने का मन बना लिया। आज जब वो आये तो मैंने अपनी ब्रा टाइट की और कुर्ते का ऊपर का एक बटन खोल लिया।
इस कुरते में जरा सा झुकते ही मेरी जवानी बाहर झलकने लगती थी। मैं रोमांचित हो रही थी। मन कर रहा था कि अभी जा कर उसकी गोद में बैठ जाऊँ। पर इन्तजार तो करना ही था।
आज मैंने टी-शर्ट पहनी थी जिसमें से मेरे स्तन बाहर निकले पड़ रहे थे। उसके घर आज चार दोस्त आये हुए थे, वो भी पहलवान से थे, सब मुझे देखने लगे।
वे सब अपने कमरे में चले गये। आज मॉम-पापा बाहर गये थे। घर पर मैं अकेली थी। मैंने सोचा इससे बढ़िया मौका फिर नहीं मिलेगा। मैंने कुछ सामान लेने के बहाने कमरे में जाने का सोचा।
मैं रूम की ओर आगे बढ़ी तो मैंने कुछ सुना। वो आपस में मेरी ही बात कर रहे थे। बोल रहे थे ‘अकेली है, साली की चूत फ़ाड़ देते हैं।’
एक बोला- साली के पपीते दबा-दबा के ढीले कर देते हैं।
मुझे मजा आ गया ये सब सुन कर। मु्झे बड़े-बड़े लण्ड अपनी चूत में आते दिख रहे थे। मैंने भी पूरी तैयारी से अन्दर जाने का सोचा। मैंने अपनी बड़ी वाली टी-शर्ट पहनी, जिसमें में से मेरे आधे पपीते दिख रहे थे।
मैं जैसे ही अन्दर गई वे सब मुझे देखने लगे। तभी एक ने फाटक बन्द कर दिया, सभी मुझ पर टूट पड़े। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं यही तो चाहती थी। मैं कुछ देर चिल्लाई, फिर उन्होंने मुझे नंगी कर दिया। दो लोग मेरे बड़े-बड़े मम्मों को मुँह में लेकर चूस रहे थे, मुझे मजा आ रहा था, मैंने आँखें बन्द कर लीं।
पाँचों के लण्ड 8-9 इंच से भी बड़े होंगे, मेरा मन कर रहा था, अभी चूस लूँ। मैं पागल हो गई। मैंने अपनी चूत पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया। तभी एक ने आकर अपना मुँह मेरी चूत में लगा दिया, मैं उसके बालों में हाथ फ़ेर रही थी।
अब वो समझ गये कि मुझे मजा आ रहा है, मुझे नीचे डाल दिया उन लोगों ने, एक ने अपना लौड़ा मेरी चूत की दरार पर लगाया, जोर से झटका मारा।
मेरी जान निकल गई पहलवान का लौड़ा लेकर। पहली बार मेरी चूत में इतना लम्बा लौड़ा घुसा था।
मैं बोली- कमीनों फ़ाड़ कर मानोगे क्या मेरी चूत को? मैं चुदने को राजी तो हूँ, मुझे मजा लेकर चोदो न कुत्तों।
मैंने एक का लौड़ा मुँह में ले लिया। एक का चूत में और एक पीछे ले लिया। मैं कुतिया बन गई। दो लोग नीचे मेरे बड़े मम्मे को हिला-हिला कर चूस रहे थे। एक आगे से मेरे मुँह में लौड़ा घुसेड़ रहा था।
इस तरह पोजीशन लेने के बाद घमासान चुदाई चालू हो गई। मेरी गांड और चूत में एक साथ लंड अन्दर-बाहर हो रहे थे। मुझे जम कर मज़ा आ रहा था।
मैं बीच-बीच में अपने मुंह से लंड निकाल कर सिस्कारियां लेने लगी “आआआ… और जोर से…स्स ..द… ओऊऊ… फाड़ डालो ऊऊऊओ… मेरी चूत…. बहनचोदों एक भी छेद मत छोड़ना… सब जगह डाल दोऊऊऊओ… फाड़ डाल मेरी गांड… वर… और जोर से … अन्दर तक डाल अपना हथियार… यार… आर आर अअअ आ आ आ….मज़ा आ गया !”
उस दिन सारा दिन मैंने उनके मूसलों को अपनी चूत में लिया।
अब मैं रोजाना उनके साथ खेलती हूँ। मेरी चूत का भोसड़ा बन गया है। मेरे पपीते और बड़े हो गये हैं। अब मैं रोज नया लौड़ा लेने लगी हूँ।
आप भी अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दो। मेरी स्वपन कथा कैसी लगी मुझे मेल कीजिये।
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