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दिल के आँगन में चाँद का दीदार हो गया,
हम उन्हें देखते ही रह गए,
वो बादलों में खो गया,
हमने बादलों के हटने का इन्तजार किया,
जब सामने आया तो वो किसी और का हो गया।
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हैलो दोस्तो, कैसे हो आप लोग? उम्मीद करता हूँ कि आप सब ठीक होंगे। आप लोगों के मेल से मुझे और कहानियाँ लिखने की प्रेरणा मिलती है। मगर कुछ लोग मेल में लिखते है कि हमें भी दिलवा दो, मिलवा दो या फिर बात करवा दो। उसके लिए मैं उसके लिए असमर्थ हूँ।
जिसके साथ वादा किया जाए उसे तोड़ना नहीं चाहिए और किसी की इज्जत को सरेआम नीलाम नहीं करना करना चाहिए। मतलब आप समझ गए होंगे। तो दोस्तों आता हूँ अपनी कहानी पर।
काफी समय पहले मेरी कहानी को पढ़ कर एक लड़की ने मुझे मेल किया था, तब से लेकर अब तक वो मेरी दोस्त हैं। वो दो बहनें थीं। बड़ी का नाम श्वेता था, छोटी का नाम पारुल था। श्वेता द्वितीय साल (सेकंड इयर) में है और पारुल 11वीं के पेपर देकर 12वीं में गई है, मेरे ही शहर की थीं। श्वेता तो फर्स्ट-ईयर में ही अपनी जवानी लुटवा चुकी थी। अब वो भी अकेली थी और पारुल तो अभी कुंवारी थी। श्वेता एकदम गोरी थी और पारुल थोड़ी साँवली थी। दोनों एक दूसरे से खुली हुई थीं इतना कि एक दूसरे के सामने उंगली करके अपना पानी निकालती थीं। दोनों ही मुझ से बात भी करती थीं।
अभी तक सिर्फ हमने एक दूसरे की तस्वीर ही देखी थी और कभी-कभी फोन पर बात हो जाती थी। सामान्य बात भी और फोन सैक्स भी दोनों तरह की बात, पर मुझे समझ में नहीं आता था कि फोन सैक्स के समय मैं किसे महसूस करूँ? क्योंकि दोनों एक साथ करती थीं, खैर जाने दो।
एक दिन बात करते-करते पारुल ने कहा- मुझे लंड देखना है कि कैसा होता है?
मैंने कहा- जैसा ब्लू फिल्म में होता है, वैसा ही है। बस आकार में अलग होता है।
पारुल जिद करने लगी तो श्वेता ने कहा- वीर दिखा दो, इसी बहाने मैं भी देख लूँगी।
मैंने तस्वीर लेकर उनको भेज दी।
उन्होंने कहा- नहीं, हमें इसका वीडियो देखना है, फोटो में मजा नहीं आ रहा।
मैंने कहा- नहीं ऑनलाइन आ जाओ, मैं तुम दोनों को कैमरे से दिखा दूँगा पर तुम दोनों को भी आना पड़ेगा।
उन्होंने कहा- अच्छा चलो एक घण्टा रुको, हम अभी तुमसे बात करती हैं।
“दीदी क्या करोगी एक घंटे में?”
श्वेता ने कहा- पूनम (श्वेता की चाची की लड़की) के घर चलेंगे।
पारुल- पूनम दीदी के घर क्यों?
श्वेता- क्योंकि उसके पास लैपटॉप हैं और लैपटॉप में कैमरा।
पारुल- तो पूनम दीदी कैसे मानेंगी?
श्वेता- अरे पारो, तू क्या जाने पूनम के बारे में, 5-6 बन्दे उसके ऊपर भी चढ़ चुके हैं।
पारुल का मुँह खुला का खुला रह गया। दोनों ने स्कूटी उठाई और पूनम के घर की ओर चल दी जो इसी शहर में किराये से रहती थी और नौकरी करती थी।
किसी बात की दिक्कत नहीं थी क्योंकि जहाँ पूनम रहती थी, वहाँ दो कमरे हैं और दोनों ही पूनम ने ले रखे हैं, और कोई नहीं रहता है। मकान-मालिक उसके सामने वाले घर में रहता है।
श्वेता- पारुल, तूने कभी बियर पी है?
पारुल- दीदी अगर पी होती तो आपको नहीं बताती?
श्वेता- चल आज लेकर चलते हैं, बियर पीकर मजे करेंगे।
पारुल- ठीक है ले चलो।
दोनों ही पूनम के घर पहुँच जाती हैं। पूनम दरवाजा खोलती है।
पूनम- अरे क्या बात है? श्वेता और पारुल दोनों एक साथ क्या बात है?
श्वेता- अरे अंदर तो आने दे पहले, सब बताती हूँ।
सब बात बताने के बाद, पूनम श्वेता से पारुल की ओर इशारा करके पूछती है।
श्वेता बोली- अरे पारुल को ही तो देखना है, मैंने और तुमने तो देखा हुआ है।
पूनम भी राजी हो जाती है और ऑनलाइन आकर मुझे अपने फ्रेंड लिस्ट में सम्मिलित कर लिया।
श्वेता ने मुझे फोन करके ऑनलाइन आने को कहा तो मैं भी ऑनलाइन आ गया। पूनम को अपनी फ्रेंड लिस्ट में स्वीकार कर लिया। उस टाइम ये अच्छा था कि मैं भी घर में अकेला ही था।
फिर हमने कैमरा चालू किया। श्वेता कोई 20 साल की और फिगर 32-28-36, पारुल 18 साल की और फिगर 30-26-32 और पूनम 22 साल की पर थोड़ी मोटी थी 36-32-40 !
पारुल ने कहा- चलो, अब तो दिखा दो।
मैंने कहा- नहीं पहले तुम तीनों कपड़े उतारोगी, उसके बाद मैं उतारूँगा।
थोड़ी देर बाद वो तीनों ही मान गईं, सबसे पहले पूनम आई, उसने नाईट सूट पहना हुआ था। पूनम ने पहले अपना ऊपर का टॉप उतारा, फिर पायजामा भी उतार फेंका और सिर्फ काले रंग की पैन्टी में मेरे सामने अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूचियाँ हिला रही थी।
पीछे से श्वेता आई और पूनम की दोनों मोटी-मोटी चूचियों को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगी। श्वेता पूनम के निप्पल मसलने लगी। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद श्वेता आगे आई और पूनम को बिस्तर पर बिठा दिया और उसकी बगल में बैठ कर खुद उसके निप्पल को मुँह में ले चूसे जा रही थी। पूनम श्वेता का सर सहलाये जा रही थी।
पूनम ने कहा- अरे पारुल तू क्यों चुप बैठी है, आ जा, मेरी दूसरी चूची खाली है।
इतना सुनते ही पारुल आगे आई और पूनम की दूसरी चूची को मुँह में ले लिया।
श्वेता ने अपना हाथ पूनम की पैन्टी में डाल दिया। पूनम सिसकारियाँ लेने लगी।
श्वेता ने पूनम की पैन्टी भी उतार दी और हल्के बालों के बीच में पूनम की हल्के पानी से गीली चूत चमक मार रही थी।
पूनम खड़ी हो गई और श्वेता को नीचे बैठ जाने को कहा और अपना एक पैर पलंग पर रख दिया।
श्वेता समझ गई कि क्या करना है? उसने अपने होंठ पूनम की चूत पर लगा दिए। पारुल भी खड़ी होकर पूनम की एक चूची चूस रही थी और दूसरी दबा रही थी।
पूनम ने पारुल को थोड़ा अलग किया और उसका टॉप उतार दिया उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, जिसे पूनम ने देर न करते हुए अलग कर दिया।
पूनम की इस हरकत से पारुल थोड़ा शरमा गई और अपने हाथों से अपने चूचे ढक लिए। अब पता नहीं शरमा किस से रही थी, पूनम से या मुझ से? शायद मुझ से ही शरमा रही थी।
श्वेता ने भी ताल में ताल मिलते हुए पारुल का स्कर्ट खोल दिया और बेचारी पारुल सिमट सी गई और बिस्तर पर जाकर पैर को मोड़ कर बैठ गई।
पूनम उसके पास गई और उसके हाथ अलग किये और उसके होंठों पर होंठ रख दिए। मौका देख कर श्वेता ने पारुल की पैन्टी भी उतार दी, श्वेता ने पारुल की टाँगे चौड़ी कीं।
मुझे हल्की सी झलक दिखाई दी, एकदम चिकनी और कसी हुई कुंवारी चूत थी। जिस पर श्वेता ने अपने होंठ रख दिए। पारुल लेटी हुई थी और श्वेता उसकी चूत चाट रही थी। पूनम उसकी चूचियाँ चूस रही थी।
मैंने पहले निक्कर और अंडरवियर पहना हुआ था। निक्कर उतार दिया और सिर्फ अंडरवियर में था। जिसमें मेरा खड़ा हुआ लंड उन तीनों को साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था।
मैंने पारुल से कहा- देखो श्वेता ने तुम्हारे कपड़े उतारे हैं, तुम भी उसको नंगा कर दो।
पारुल ने कहा- अकेले में तो बहुत बार किया हैं, पर अब किसी लड़के के सामने कर रही हूँ। मुझे भी पहली बार किसी के सामने नंगी होने में शर्म आ रही है।
इतना कहकर पारुल ने श्वेता का टॉप उतार दिया और जीन्स भी उतार भी श्वेता ने सफ़ेद रंग की ब्रा-पैन्टी पहनी हुई थी, जिसे पूनम ने देर न करते हुए उतार दिया।
अब तीनों मेरे सामने नंगी थीं। तीनों एक दूसरे के बगल में बैठ कर अपनी अपनी चूत सहला रही थीं।
श्वेता ने कहा- अब हम तीनों ने तो अपने कपड़े उतार दिए। अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो।
मैंने कहा- मैंने कपड़े पहने ही कहाँ हैं?
उस पर पारुल ने कहा- जिसे देखने के लिए हमने इतनी मेहनत की, अब उसे दिखा तो दो।
मैंने भी पारुल की बात सुन कर अपना अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड तो पहले से खड़ा था और अंडरवियर उतारने के बाद एकदम तन गया, जिसे पारुल बड़े ध्यान से देख रही थी और चेहरे पर कोइ हावभाव भी नहीं, बस एकटक देखे जा रही थी।
पूनम और श्वेता मेरे लंड को देख कर मुस्कुरा रही थीं और अपनी चूत मसल रही थीं। मैं अपने लंड को सहलाये जा रहा था।
पारुल ने कहा- थोड़ा पास करो न? मैंने कैमरा ज़ूम करके उसे पास से अपना लंड दिखाया। फिर हमने एक दूसरे को देख कर उस दिन पानी निकाला।
2-3 दिन बाद पारुल का फोन आया और कहा- कल मेरा जन्मदिन है।
मैंने उसे बधाई दी तो उसने कहा- बधाई से काम नहीं चलेगा और कुछ भी देना होगा।
मैंने कहा- बोलो क्या तोहफा चाहिए?
उसने कहा- मैं चाहती हूँ कि इस बार मेरे जन्मदिन पर अपना कुँवारापन तुम्हारे साथ सम्भोग करके खो दूँ।
मैंने कहा- नहीं यार, मैं ऐसे किसी के साथ सैक्स नहीं करता। मौज-मस्ती अगल चीज है और ये सब अलग चीज है। हो सकता है, तुम ये जवानी के जोश में बोल रही हो, इसलिए जरा ठीक से सोच लो इस बारे में।
फोन श्वेता ने ले लिया- नहीं वीर, इसमें हमारी भी मर्जी है और पूनम भी यही चाहती है। हम तीनों एक साथ होंगे।
“तीन फ़ुद्दियों के बीच में तो मेरी हालत ख़राब हो जाएगी यार !”
पूनम ने फोन लेते हुए बोला- नहीं यार सैक्स सिर्फ पारुल से करना, हम सिर्फ देखेंगे। हम अपने बारे में बाद में सोचेंगे। बस उस पार्टी में 4 लोग होंगे। कल शाम को मेरे घर पर ठीक है। हम तुम्हारा इन्तजार करेंगे और थोड़ा जल्दी आ जाना 6-7 बजे तक, ठीक है?
मैंने कहा- मैं सोच कर बताऊँगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
पूनम ने कहा- देखो वीर आ जाना इसके लिए हम तुम्हें पैसे भी दे देंगे।
मैंने कहा- नहीं यार, पैसे की बात नहीं है। जो चीज दिल से की जाए वो पैसे से नहीं हो पाती।
अरे अब क्या पढ़ रहे हो? अब आगे की कहानी अगले भाग में ! मेरा भी तो लिखते-लिखते खड़ा हो गया है, उसे भी तो शांत करना है। तब तक आप भी कीजिये !
कहानी जारी रहेगी।
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