मुस्कान को चुदाई की चाहत

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प्रेषक : समीर

दोस्तो, अन्तर्वासना पर अपनी पहली कहानी आप सबकी खिदमत में पेश कर रहा हूँ। मेरा नाम समीर है, मैं 22 साल का एक सुन्दर नौजवान हूँ। आज तक मैं काफ़ी लड़कियाँ पटा चुका हूँ, काफ़ी की फाड़ भी चुका हूँ।

यह कहानी मुस्कान की है, जो बहुत ही मस्त माल है। मुस्कान मेरे पड़ोस में रहने वाली बहुत ही खूबसूरत माल है। गोरा गुलाबी रंग, उभरी हुई पिछाड़ी, गोलमटोल गुलाबी बोबे, शक्ल-सूरत से एकदम हीरोइन लगती है। मोहल्ले के हर लड़के की नज़र उस पर ही टिकी रहती है। जब वो अपनी कमर मटका कर चलती है तो बुड्ढों के लण्ड भी सलामी देने लगते हैं।

अब अपनी कहानी पर आता हूँ। सब लड़कों की तरह मैं भी मुस्कान को चोदने के ख्वाब देखता था। पड़ोसी होने के कारण हम लोगों का एक-दूसरे के घर में आना-जाना है। कई बार उसके घर पर आते-जाते उसके मम्मों पर जाने अंजाने में हाथ लगता था। पर कभी इससे आगे बढ़ने का मौका नहीं मिला।

मुस्कान को भी किसी सख़्त लौड़े की ज़रूरत महसूस होती थी, यह उसके चेहरे की उदासी देख कर हर कोई बता सकता था। वो मुझे काफ़ी आशा की नज़र से देखती थी। पर कभी मैंने इतना आगे तक नहीं सोचा था। डरता था, कहीं घर वालों को पता चलेगा तो बदनामी हो जाएगी, पड़ोस का मामला जो ठहरा।

एक दिन मेरे घर वाले बुआ के लड़के की शादी के लिए गाँव गए हुए थे। घर की देखभाल के लिए मुझे घर पर ही छोड़ कर चले गए, जाते वक़्त मुस्कान की मम्मी से मेरी मम्मी ने कहा- बहन जी, समीर घर पर अकेला है। तीन दिनों के लिए उसका ख्याल रखना।

आंटी ने मुझसे कहा- बेटा किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो घर आ जाना।

मम्मी के जाने के बाद मैं घर पर आकर टीवी देखने लगा। थोड़ी देर बाद डोर-बेल बजी, मैंने गेट खोला तो सामने मुस्कान खड़ी थी।

वो बोली- मम्मी ने तुम्हें खाना खाने के लिए घर बुलाया है।

मैंने कहा- मुस्कान मैंने सब्जी बना ली है, सिर्फ़ रोटी बनाना बाकी है, अभी तो मैं घर पर ही खाना खा लूँगा। हाँ अगर तुम्हें रोटी बनानी आती है तो प्लीज़ तुम बना दो।

वो बोली- ठीक है, मैं मम्मी को बोल कर आती हूँ।

थोड़ी देर बाद मुस्कान आई और बोली- अभी तो मैं बना देती हूँ, पर मम्मी ने कहा है कि शाम को तुम हमारे घर आकर खाना खा लेना।

मैंने कहा- ओके, अभी तो तुम बना दो।

मुस्कान के अंदर आते ही मैंने गेट बंद कर लिया। वो मेरे लिए रोटी बनाने की तैयारी करने लगी। मैं उसके पास बैठ कर उससे बातें करने लगा। वो हमेशा की तरह मुझे आशा भारी नज़रों से देख रही थी। मेरे लण्ड पर बिजलियाँ सी गिर रही थीं।

उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड है क्या?

यह सुनते ही मुझे उम्मीद की किरण नज़र आने लगी, मैंने कहा- अभी तो नहीं है पर पहले थी।

उसने पूछा- तुमने किसी के साथ प्यार किया है क्या?

मैंने कहा- कैसा प्यार?

उसने कहा- वो ही जो लड़का-लड़की करते हैं।

यह सुनते ही मेरे लण्ड ने मेरे पजामे को तंबू बना दिया। मुस्कान उसे चोर नजरों से देख रही थी। मैंने सोचा यही मौका अच्छा है, लगता है आज मुस्कान को पटाने का मौका मिलेगा।

मैंने कह दिया, “हाँ, किया है दो लड़कियों के साथ !”

उसने आगे बढ़ कर पूछ लिया- समीर कैसे करते हैं? बताओ ना?

यह सुनते ही मैं मुस्कान के एकदम करीब पहुँच गया और उसका हाथ पकड़ कर बोला- बता तो दूँगा पर तुम किसी को कहोगी तो नहीं?

उसने कहा- किसी को नहीं कहूँगी समीर ! बताओ ना?

यह सुनते ही मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए और बिना रुके होंठों का रसपान करने लगा। मुस्कान भी मेरे होंठों को चूस कर मेरा साथ दे रही थी। धीरे-धीरे मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसके सीने पर ले आया और स्तन दबाने लगा।

मुस्कान मेरे गले से लिपट गई और ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी मटकती हुई पिछाड़ी पर फेरना शुरू कर दिया। मुस्कान ने झट से मेरा लौड़ा अपने हाथों में थमा लिया।

मैंने मुस्कान को पूरी नंगी कर दिया और कपड़े उतरते ही वो ऐसे लग रही थी जैसे चाँद पर से किसी ने परदा हटा दिया हो। गोल-गोल गुलाबी संतरे, भरा और कसा हुआ बदन।

एकदम ब्लू-फिल्म की हीरोइन की तरह उसकी भरी-भरी जाँघों के बीच में जब मेरी नज़र पड़ी तो मेरा कलेजा हलक में आ गया। हल्के-हल्के रेशमी झांटों वाली गुलाबी चूत के दर्शन हो गए।

मैंने उसकी टाँगें फैलाकर उसकी चूत पर अपनी उंगली फेरी। एक हाथ से अपना पजामा नीचे कर दिया। मेरा लण्ड आज़ाद होकर हवा में लहराने लगा। मुस्कान ने उसे हाथ में पकड़ लिया और आगे-पीछे करने लगी। इससे मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी। मेरा लण्ड तन कर 7 इंच का हो गया।

मुस्कान ने मेरे लण्ड को हिलाने की अपनी गति बढ़ा दी। मैंने उसकी चूत में उंगली डालने की नाकाम कोशिश की। एकदम कसी हुई चूत, सील अभी तक पूरी तरह से पैक थी।

मेरी ख़ुशियों का कोई ठिकाना नहीं रहा, मेरे लण्ड ने जोरदार फुहार मुस्कान के हाथों में ही छोड़ दी। मुस्कान उसे अपने हाथों से मसलने लगी और मैं उसकी चूत को लगातार सहला रहा था।

मैंने मुस्कान को लिटा कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। मुस्कान पागल सी होने लगी। ज़ोर-ज़ोर से चूत उठा-उठा कर मेरे मुँह पर मारने लगी।

मैं समझ गया कि अब लौंडिया पूरी तरह से गर्म हो गई है, उसके हाथ में अपना लण्ड पकड़ा कर कहा- मुस्कान, इसे भी चूस ले।

पहले उसने मना कर दिया पर चूत की आग ऐसी भड़की कि थोड़ी देर में अपने आप ही मेरा लण्ड पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और मेरा लण्ड तन कर फिर साँप की तरह लहराने लगा।

मुस्कान ज़ोर-ज़ोर से सिसकारने लगी और बोली- समीर अब रहा नहीं जाता, इसे मेरी में डाल दे।

यह सुनते ही मुझे और जोश आ गया और मैंने अपना लन्ड पकड़ कर मुस्कान की चूत पर रख दिया। मुस्कान के मुँह से निकल कर लन्ड पूरी तरह से गीला था, मुस्कान भी पूरी तरह से मेरा लौड़ा खाने के लिए तैयार थी।

मैंने लण्ड मुस्कान की चूत पर रख कर एक धक्का लगा दिया और मेरा एक्सपर्ट लण्ड सील को तोड़ता हुआ आधे से ज़्यादा चूत में समा गया।

मुस्कान ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी और बोली- समीर निकाल इसे, मैं मर जाऊँगी।

मैंने उसे समझाया कि थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा और तुझे बहुत मज़ा आएगा। पर वो मानने को बिल्कुल तैयार नहीं थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूचियों और उसके गालों पर चुम्मे लेना शुरू कर दिया। उसे अब कुछ दर्द में राहत सी लगने लगी और वो कुछ शांत हुई। फिर मैंने एक झटके में सारा लण्ड अंदर पेल दिया।

मुस्कान की आँखें बंद हो गईं, उसकी आँखों से पानी और चूत से खून बह निकला। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए और वो चाह कर भी नहीं चिल्ला पाई।

थोड़ी देर मैं सब कुछ ठीक हो गया, मैंने धीरे-धीरे मुस्कान की चुदाई शुरू कर दी। अब मुस्कान को मज़ा आने लगा और वो खुद की कमर को ऊपर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।

थोड़ी देर बाद उसने मुझे कस कर पकड़ा और ढीली होते-होते मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने अपने लण्ड की रफ़्तार बढ़ा दी और अब मेरा लण्ड चूत की फाँकों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर-बाहर जा रहा था।

थोड़ी देर में मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया और मुस्कान की चूत को लबालब कर दिया मुस्कान की आँखें अपने आप बंद हो गईं ! उसे सबसे बड़े सुख की अनुभूति हो रही थी।

थोड़ी देर बाद हम एक दूसरे से अलग हुए और कपड़े पहने।

मैंने मुस्कान से कहा- मुस्कान मैंने तुमको प्यार करना सिखाया है, पर तू किसी को इस बारे में कहना मत।

मुस्कान बोली- समीर आज तक मैं सिर्फ़ नाम की मुस्कान थी, पर आज तुमने मुझे असली मुस्कान दी है। मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगी। अब तुम ही मेरा सच्चा प्यार हो और मेरी जान हो।

उसके बाद मैंने मुस्कान के साथ कई बार ज़बरदस्त चुदाईयाँ की। उसके साथ-साथ उसकी कई सहेलियों को भी प्यार करना सिखाया।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी? अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर भेजें। उसके बाद एक-एक कर और भी कई कहानियाँ आपके लिए लिखूँगा।

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