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प्रेषिका : अंकिता यादव
मैं अंकिता संतनगर, दिल्ली में रहती हूँ। वैसे मेरा होमटाउन उत्तराखंड में है परन्तु पढ़ाई की वजह से मैं पिछले दो साल से दिल्ली में ही रह रही हूँ। यहाँ मैं अपने दीदी और जीजाजी के साथ रहती हूँ। मैं डिजाइनिंग और मटेरियल का डिप्लोमा कर रही हूँ।
लगभग तीन महीने पहले मुझे मेरी एक दोस्त ने अन्तर्वासना के बारे में बताया। मैंने यहाँ पर बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी तब मुझे भी लगा कि मुझे अपनी कहानी भी यहाँ पर लिखनी चाहिए। मैं यह कहानी काल्पनिक नहीं है बल्कि यह मेरे साथ घटी सच्ची घटना है।
जब दो साल पहले मैं नई नई दिल्ली में आई थी तब मैं पहाड़ की एक सीधी साधी लड़की थी। मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था। बारहवीं मैंने गर्ल्स कॉलेज से किया था अतः बॉयफ्रेंड वगैरह से कुछ लेना देना नहीं था।
मेरे जीजाजी बहुत अच्छे इन्सान हैं उन्होंने मेरे पापा से कहा कि वे मुझे डिप्लोमा करवा देंगे और मुझे शिपा इंस्टिट्यूट में एडमिशन दिलवा दिया।
इंस्टिट्यूट में लड़कियाँ ही पढ़ती थी। कुछ ही दिनों में मेरी एक अच्छी सहेली बन गई। उसका नाम सुमन था। सुमन बहुत फ्रैंक लड़की थी। वह सेशनल के लिए टीचर्स को पटाये रखती थी।
इंस्टिट्यूट में हमारे एक सर थे पाल सर। सुमन की उनसे बहुत अच्छी बनती थी, वे भी सुमन को अपनी बेस्ट स्टूडेंट मानते थे। वैसे सुमन पढ़ने में भी बहुत तेज थी। मैंने और लड़कियों से सुना था की सुमन का पाल सर से चक्कर चल रहा है। परन्तु मुझे इस बात से कोई लेना देना नहीं था। सुमन मेरी बहुत मदद किया करती थी कभी पढ़ाई तो कभी पैसों के मामले में।
दिसम्बर में हमारे सेशनल एग्जाम थे, सुमन ने मुझसे कहा- पाल सर से बना कर रखो तो सेशनल में अच्छे ग्रेड मिलेंगे। पाल सर की उम्र लगभग 40 साल होगी। दिखने के भी ठीक ठाक हैं।
मुझे अच्छे नंबर से पास होना था इसलिए मैंने तय कर लिया था कि मैं पाल सर की बेस्ट स्टूडेंट बन कर दिखाऊँगी।
सेशनल एग्जाम को लगभग एक महीना बाकी था। मैं शाम को पाल सर के घर गई। मैंने दरवाजा खटखटाया पाल सर ने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर आने को कहा मैं अंदर चली गई।
पाल सर अकेले रहा करते थे, उनका परिवार यू पी में था, छुट्टियों में वे घर जाया करते थे, ऐसा मुझे सुमन ने बताया था।
पाल सर मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे, मैं देखकर थोड़ा शरमा गई। उन्होंने मुझे चाय के लिए पूछा मैंने मना कर दिया।
मैंने सर से एक्स्ट्रा क्लास के लिए पूछा तो उन्होंने हाँ कर दी।
मैं बस यही पूछने आई थी, मैं आने लगी तो अचानक सर ने पीछे से मेरा हाथ पकड़ लिया, मैं चोंक गई।
सर ने मुझे अपनी और खींचा और अपनी गोद में खींच लिया। झटके से हम दोनों बेड पर गिर गये। मैं बुरी तरह घबरा गई। मैं हल्की सी आवाज में बोली- सर प्लीज मुझे जाने दो।
पर सर मेरे कंधों पर किस करने लगे। मुझे अच्छा लग रहा था परन्तु शर्म भी आ रही थी क्यूंकि वे मेरे सर थे।
मैं छूटने की कोशिश करने लगी परन्तु सर ने मुझे पीछे से जकड़ रखा था।
अचानक उनका हाथ मुझे अपनी टांगों के बीच महसूस हुआ, सर मेरी योनि को मसल रहे थे, अच्छा लग रहा था परन्तु थोड़ा अजीब भी क्यूंकि यह सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था।
सर ने मुझे मुँह के बल बेड पर लिटा लिया और मेरे ऊपर लेट कर मेरी पीठ पर चुम्बन करने लगे, मैं चुपचाप सिसकारियाँ भर रही थी।
सर ने मेरे उभार मसलने शुरू कर दिए। मेरे पीछे उभारों पर मुझे उनके लिंग का दबाव साफ़ महसूस हो रहा था। नीचे मेरी योनि में कुलबुलाहट सी होने लगी थी, योनि को और साथ में भगांकुर को मसलने को मन कर रहा था।
फिर सर ने मेरी चूड़ीदार पजामी नीचे खिसका दी और मेरी काले रंग की चड्डी की एक झटके में नीचे खिसका लिया। मुझे शर्म सी महसूस हो रही थी परन्तु आनन्द भरी सनसनाहट में लिपटी मैं चुपचाप लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी। लग रहा था कि मेरी योनि कुछ रीतापन है उसे भरने के लिय मैं कुछ अन्दर लेने को मचल रही थी।
सर ने मुझे सीधे लिटा दिया अब सर का मुँह मेरे सामने था, उनका चेहरा लाल हो चुका था। वो मेरे चेहरे की तरफ देख भी नहीं रहे थे। उन्होंने अपनी इन्नर को उठाया, लोअर नीचे सरका के अपने लिंग को बाहर निकाला।
उस वक्त तो मुझे पता नहीं था पर अब मैं अन्तर्वास ना की कहानियों में पढ़ कर कह सकती हूँ कि उनका यौनांग कुछ छोटा था लगभग 5 इंच।
मुझे थोड़ा अजीब जरूर लग रहा था पर कामोत्तेजना बहुत हो रही थी। सर ने मेरी टांगें फैला दी और खुद टांगों के बीचों बीच आ गये। उन्होंने लिंग पर थूक लगाया और योनिद्वार के ठीक बीचों बीच मुझे उनका लिंग महसूस हुआ। उन्होंने मेरे दोनों घुटनों को अपने हाथों से थामा और जोर का एक धक्का लगाया।
आआआ… ईईई आश्स्श्श्श… मम्मी ! मेरी तो जैसे जान ही निकल गई, मैं छुटने के लिए तड़पने लगी। नीचे योनि में जलन सी हो रही थी।
सर मेरे वक्ष-उभार मसलने लगे और मुझे चूमने लगे।
लगभग 5 मिनट में मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो अच्छा लगने लगा और मैं कमर हिलाने लगी और कूल्हे उठाने लगी। सर ने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए और लगभग दो मिनट में उनकी रफ्तार बहुत तेज हो गई। अब मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।
मेरी योनि में मीठी सी चुभन मुझे आनन्द भरी टीस दे रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
लगभग 7-8 मिनट तक धक्के लगाने के बाद मुझे चरमोत्कर्ष प्राप्त होने लगा और मुझे योनि के अंदर संकुचन सा महसूस हुआ। मुझे योनि के अंदर कुछ रिसता हुआ सा महसूस हुआ। सर ने लिंग झटके से बाहर निकाला और सारा वीर्य मेरे योनि मुख और मेरे पेट पर गिरा दिया, मेरे ऊपर गिर गये और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगे।
मुझे योनि में दर्द महसूस हो रहा था पर हल्का हल्का और मीठा मीठा !
सर मेरे कूल्हों को मसलने लगे और फिर मेरी चड्डी को कमर तक खिसका दिया। मैं आँखे बंद करके चुपचाप लेटी हुई थी।
सर ने लोअर पहनी और बाथरूम में घुस गये। मैं चुपचाप हल्की सी आँख खोलकर उनको देख रही थी। जैसे ही वो अंदर घुसे, मैंने जल्दी जल्दी पजामी ऊपर खींची, कपड़े और बाल ठीकठाक किये और जल्दी से वहाँ से बाहर निकल आई क्यूंकि मेरा मन सर से नजर मिलाने को नहीं हो रहा था।
मेरे ख्याल से इस सारे प्रकरण में सर का कोई दोष नहीं था, सुमन की बातों से मुझे पहले से ही शायद पता था कि सर के घर में क्या हो सकता है लेकिन पहले ही दिन यह सब हो जाएगा, मैं नहीं जानती थी।
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