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शंकर आचार्य
मेरा नाम शंकर है, मैं अभी उडुपी (कर्नाटक) में एक कमरा किराये पर लेकर रह रहा हूँ, मैं आज आपको एक कहानी बता रहा हूँ, यह कहानी मेरे और मकान मालिक की बेटी की है। मकान मालिक की बेटी का नाम शाहाना है, वो 23 साल की है। रंग गोरा, देखने में बहुत ही सेक्सी है, उसकी चूचियाँ बिल्कुल नारंगी जैसी हैं। शाहाना की स्लिम बॉडी है बिल्कुल उर्मिला मातोंडकर की तरह।
अब मैं कहानी पर आता हूँ।
शाहाना एक डॉक्टर है, उसका अपना क्लिनिक है। एक दिन मेरे पेट में बहुत दर्द था। मैं उस दिन ऑफिस नहीं गया। शाहाना जब क्लिनिक जाने के लिए घर से निकली तो मेरा गाड़ी बाहर ही देख कर मुझे आवाज दी।
“शंकर, आज ऑफिस नहीं गए?”
“नहीं दीदी, आज मेरे पेट में दर्द है।”
“ओह, तो मुझे क्यों नहीं कहा?”
“मैंने सोचा कि जल्दी ठीक हो जायेगा, इसलिए नहीं बोला।”
“ओके ठीक है, मैं आकर अभी देखती हूँ।”
मैं हमेशा शाहाना को चोदना चाहता था, आज मुझे लगा जैसे मौका है, आज शाहाना को चोद सकता हूँ।
शाहाना मेरे पास आते हुए बोली- हां बोलो, कहाँ पर है दर्द?
“यहाँ मेरे पेड़ू के पास !”
शाहाना ने मेरा शर्ट ऊपर किया और मेरी पैंट को नीचे कर, अपने मुलायम हाथों से मेरा पेड़ू चेक करने लगी.. उसकी हाथों का स्पर्श पाकर मेरी आँखें बंद होने लगी। शाहाना का हाथ मेरे झांटों को छू रहा था। उसने मेरी पैंट और नीचे कर दी और मेरे कान में धीरे से बोली- नीचे भी दर्द है क्या?
“हाँ, बहुत ज्यादा हो रहा है !”
“मैं अभी चेक करती हूँ !”
शाहाना ने मेरी पूरी पैंट खोल दी, मेरा लंड बाहर आ गया। शाहाना अपने हाथों से मेरे लंड के साथ खेलने लगी।
मैंने भी अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया और धीरे-धीरे दबाने लगा। शाहाना ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को चूमने लगे। शाहाना नीचे झुकी और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
कभी मेरे अंडकोष तो कभी मेरे लंड को चूमती और चूसती थी।
शाहाना उठी और मेरे शर्ट को खोल दिया, मैं भी शाहाना को नंगा करने लगा। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे।
मैंने उसकी चूची और चूत देखा तो बिल्कुल पागल हो गया। मैं नीचे झुका और उसकी चूत को चूमने लगा। उसने मेरा सर पकड़ा और अपनी कमर हिलाने लगी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा और एक उंगली उसकी चूत में डाल कर हिलाने लगा।
“बहुत अच्छा चूसते हो आह… और जोर से चूसो ! आह… सी..!”
शाहाना बिलकुल मस्त हो चुकी थी। हम दोनों बेड पर लेट गए और एक दूसरे का लंड और चूत चूसने लगे। मैं उसके मुँह में ही अपना लंड हिलाने लगा और जोर-जोर से उसकी चूत को चूमने लगा।
“आह.. शंकर ! मेरा काम तो हो गया ह..आह…”
“मैं भी…”
और हम एक दूसरे के मुँह में झर गए। हम दोनों बेड पर सीधे हुए और एक दूसरे को चूमने लगे। मैं उसकी चूची को दबाने लगा और चूसने लगा। शाहाना तो फिर से तैयार थी पर मुझे अभी देर लगनी थी,
पर कुछ देर बाद मेरा लंड भी तन गया था, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और कमर हिलाने लगा। मेरा लंड उसकी चूत में प्यार से जाने लगा। मैंने अपने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी, शाहाना भी नीचे से कमर हिलाने लगी।
“आह… बहुत मज़ा आ रहा है ! और तेज़ चोदो मुझे आह…”
मैंने शाहाना की चूत में लंड की रफ़्तार और भी तेज़ कर दी।
“आह मैं झरने वाली हूँ ! और तेज़ आह… आह..!”
और शाहाना की चूत का रस निकलने लगा, मैं भी अब झरने वाला था अपना लंड निकला और शाहाना के मुँह में दाल दिया। शाहाना बड़े प्यार से मेरा सारा वीर्य फिर से पी गई और मेरे लंड के रस को अपने जीभ से साफ करने लगी।
तो दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी जरुर बतायें…
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