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बाथरूम में रेखा दरवाजे की तरफ मुँह करके पटरी पर जन्मजात नंगी बैठी हुई थी, उसका गोरा बदन आँखों के सामने बेपर्दा था। बाल जूड़ा बनाकर सर पर बंधे थे, दोनों पैर खुले हुए थे, चूत बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी, उसका मुँह खुला सा था, अन्दर की लालिमा दिखाई दे रही थी, सारे शरीर पर साबुन और झाग लगा हुआ था, बड़े बड़े स्तन स्वचालित से दायें बायें ऊपर नीचे झूल रहे थे।
इस समय चेहरे पर साबुन लगाकर रेखा अपने चेहरे कान और गर्दन को साफ कर रही थी। कड़क स्तन, सपाट पेट पर नाभि, गोरी गुदाज बाहें, पुष्ट जंघाएँ, योनिक्षेत्र पर छोटे छोटे बाल जैसे एक सप्ताह पहले शेव किये हों, पूरी अजंता की मूरत लग रही थी।
फिर उसके हाथ स्तनों पर फिरने लगे जैसे धुलाई कम मालिश ज्यादा कर रही हो। रेखा ने एक मग्गा पानी भरकर स्तनों पर डाला तो स्तन धुल कर साबुन का पानी नाभि से होता हुआ चूत धोता हुआ नीचे टपकने लगा तो रेखा ने चूत भी रगड़ कर साफ कर ली। फिर मग्गा भर पानी से चेहरा धोया और आँखें खोल दी।
मुझे सामने देख उसका चेहरा ऐसा बिगड़ा, जैसे उसने भूत देख लिया हो फिर एक घुटी चीख उसके मुख से निकल गई।
रेखा ने डोरी पर टंगा तौलिया खींचा और अपने बेपर्दा जिस्म को ढकने लगी। इसी आपा धापी में तौलिये के साथ रखी उसकी ब्रा-पेंटी नीचे गिरकर पानी में भीग गई।
मैं वहीं जड़वत सा खड़ा था, वहाँ से हट जाऊँ मेरे से यह भी न हुआ।
रेखा तौलिया लपेट कर रसोई में भाग गई साथ में पलंग पर रखे अपने कपड़े ले गई। मैं बदहवास सा पलंग पर बैठ गया, आगे क्या करूँ, सोचने लगा। मैं थोड़ा फ्लैशबैक में जाकर उस पर हुई प्रतिक्रियाओं का आकलन करने लगा।
पहली बात तो यह कि कल यह मेरी बातों से उत्तेजित हुई थी तभी तो चड्डी गीली हो गई थी प्रीकम से।
दूसरी यह कि ब्रा पेंटी इसको दिलाई, यह बात गुप्त रखी, फिर यह कहना कि इस पैकेट को अपने साथ ले जाओ, यहाँ मैं क्या करुँगी।
तीसरी कि बारिश का मजा लेते हुए मेरे बदन से चिपकना।
चौथी बात यह कि जानकारी होते हुये कि मकान की एक चाबी मेरे पास है, मैं कभी भी अन्दर आ सकता हूँ, फिर भी बाथरूम का दरवाजा खोलकर बेपर्दा नहाना।
पाँचवीं बात यह कि फिर मेरे द्वारा उसे बेपर्दा देखने पर तुरंत कोई गुस्सा न जताना। हाँ यह सम्भव है कि कपड़े पहनने के बाद आकर गुस्सा करे और अपने घर वापस जाने की धमकी भी दे डाले। यदि उसने कुछ न कहा तो इन बातों को सोचकर यही लगता है कि बात बनने वाली है।
अब तक पन्द्रह मिनट हो गए थे, कहीं से उसकी कोई आवाज नहीं आ रही थी। मतलब गुस्से में होती तो अब तक रौद्र रूप धारण कर मेरी खबर ले रही होती, इसका मतलब कहीं बैठी शर्म से गड़ी जा रही होगी।
मैं उठा, अपने गीले कपड़े जो अब तक पहने था, उन्हें उतार दिया, बनियान चड्डी पहने रहा, फिर एक लुंगी लगाई और रसोई में पहुँचा।
दरवाजे के पास रेखा बैठी जमीन को नाख़ून से कुरेद रही थी।
मैंने कहा- सॉरी भाभी, मैंने समझा कि आप नहा चुकी होंगी और बाथरूम दरवाजा खोलकर कपड़े वगैरह धो रही होंगी। मुझे क्या पता था कि आप इस तरह बेपर्दा होकर… !
जान बूझ कर बात को अधूरा छोड़ दिया।
तब रेखा बोली- फिर आप जानबूझ कर वहाँ क्यों खड़े रहे, आपको वहाँ से हट जाना चाहिए था।
अब मैंने अपना आखिरी पासा फेका, कहा- भाभी आप नाराज मत होना, मैंने आज से पहले कभी ऐसी भरपूर जवानी जिसका अंग अंग सांचे में ढला हो, ऐसी कंचन काया जिसे बड़े बड़े ऋषि मुनि भी बहक जाये जिसका वर्णन शब्दों में नहीं कर सकता, को देख कर अपनी सुध बुध खो दी थी, मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि मैं क्या करूँ, लग रहा था तुम्हें उठा कर उसी वक्त अपने बदन से लिपटा लूँ और लिटा कर… ! पर अच्छा हुआ, जो मेरा शरीर वहीं जड़वत हो गया था और मैंने कोई गलत हरकत नहीं की, मेरी गलती को तुम माफ़ कर दोगी, आपसे यही उम्मीद लेकर आपके पास आया हूँ।
माहौल को हल्का बनाते हुए मैंने कहा- अब उठो, खाना बना लो जैसे कुछ हुआ ही न हो।
तो रेखा बोली- आप दूध लेने गए थे, फिर इतना जल्दी कैसे आ गए थे?
‘दूध इसलिए नहीं ला पाया कि पानी बहुत तेज बरस रहा था इसलिए वापस आ गया।’
फिर उसका हाथ पकड़कर उठा दिया और रसोई प्लेटफार्म के पास ले जाकर छोड़ दिया, वो कच्ची सब्जी धोने लगी।
मैं बाथरूम से उसकी वो पेंटी ब्रा उठा लाया जो धोके से गिरकर गीले हो गए थे, मैंने कहा- भाभी, आपके ये कपड़े गीले हो गए, फिर आप अन्दर कुछ नहीं पहनें होंगी, कल जो नए वाले थे उन्हें पहन लो न !
बोली- मैं वो नहीं ले सकती जीजाजी ! आप जिद मत करो और जीजाजी आपसे विनती है, वादा करो जो आपने बाथरूम में देखा उसका जिक्र कभी किसी से नहीं करोगे !
मैं समझ गया कि अब यह फंस गई, मैंने कहा- एक शर्त है, यदि तुम ये नई पेंटी ब्रा पहन लोगी तो मैं अपना वादा पूरी तरह निभाऊँगा।रेखा बोली- इतनी अच्छी ब्रा पेंटी देख कभी दीदी या आपके साले को पता चला तो वो क्या सोचेंगे?
‘उसके लिए मेरे पास प्लान है, तुम्हारी दीदी पूछे तो कहना आपके पति ने दिलाई थी, पति पूछे तो कहना बारिश में गीले हो जाने के कारण दीदी के ले लिए थे, और ये दोनों भाई बहन आपस में कभी एक दूसरे से इस बारे में पूछ नहीं सकते।’
अब रेखा हंसने लगी।
मैंने उसको बेपर्दा देखा और उसको इस बात की जानकारी थी ही, तो इसका फ़ायदा यह हुआ कि अब मेरे मजाक तो छोटी मोटी बात थी, उसके लिए और हमें भरपूर मौका मिल रहा था अपनी बात कहने का !
मैंने कहा- हंसो मत, मेज पर रखे हैं उठाकर बाथरूम जाओ और पहन लो, हाँ, दरवाजा लगा लेना नहीं तो मैं फिर आ जाऊँगा।
इस बार जोर से हंसी थी, वो फिर पैकेट से ब्रा पेंटी निकालकर बाथरूम में घुस गई, अन्दर बल्ब पहले से जल रहा था, दरवाजा अन्दर से लगा लिया। मैं तुरंत दरवाजे की झिरी से देखने लगा, रेखा ने पेंटी तो साड़ी और साया को ऊपर उठा कर फट से पहन ली, फिर पल्लू को गिरा कर भाभी ब्लाउज़ उतारने लगी, ब्लाउज़ उतार कर डोरी पर टांग दिया, फिर स्तनों को जोर से भींचते हुए सहलाया, लगता था अब यह गरमी पर आ गई है, फिर ब्रा पहन कर मम्मों को एक बार फिर दबाया, चारों तरफ़ से दबा कर मुआयना किया, फिर ब्लाउज पहनने लगी।
मैं वहाँ से हट गया।
बाहर आकर रेखा रसोई में जाने लगी तो मैंने कहा- पहन ली? फिटिंग सही आई या नहीं?बोली- सही आई।
मैंने कहा- आपके इतने बड़े बड़े देखने के बाद मुझे लग रहा था आपका नम्बर 36 होगा।
शरमा कर बोली- जीजाजी, ज्यादा मजाक मत करो, 11 बज गए है और काम बहुत है।
‘भाभी, एक आखिरी बात कहना चाहता हूँ, उम्मीद है कि आप मना नहीं करोगी।
बोली- क्या?
मैंने कहा- गुस्सा ना होना, मना मत करना, तभी बताऊँगा।
बोली- गुस्सा नहीं होऊँगी, कहो !
मैंने कहा- एक बार तुम्हें दिलाये सेट को पहने हुए तुम्हें देखना चाहता हूँ !
बोली- यह तो आप बेशर्मी कर रहे हो !
मैंने कहा- क्यों?
तो बोली- किसी पराई स्त्री के लिए तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?
मैंने कहा- भाभी, पहले तो आप पराई नहीं मेरी सलहज हो, फिर मैं आपको जिस रूप में देख चुका, उससे तो यह रूप काफी अच्छा होगा। मैं देखना चाहता कि तुम्हारे नायाब, उन्नत ठोस भरे हुए और विशाल स्तनों पर यह ब्रा कितनी सुन्दर लगती है।अब वो चुप हो गई और अपनी तारीफ सुन वासना से परिपूर्ण होती जा रही थी।
मैंने कहा- प्लीज भाभी ! कंधे पर हाथ रखकर कंधे को दबा दिया फिर अपने हाथ से उसका पल्लू खींच दिया।
कहानी जारी रहेगी। 2994
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