कमाल की हसीना हूँ मैं-36

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“यहाँ कोई नहीं आयेगा और किसे परवाह है? देखा नहीं हॉल में सब नंगे नाच रहे थे।” कहते हुए उन्होंने मेरी स्कर्ट खींच दी और मेरे सैंडलों के अलावा मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया और खुद भी बिल्कुल नंगे हो गये।

सबसे पहले ताहिर अज़ीज़ खान जी पूल में दाखिल हुए। मैं वो हाई-हील के सैंडल पहने नशे में किनारे खड़ी झूम सी रही थी तो उन्होंने मुझे हाथ पकड़ कर अंदर खींच लिया।

मैं खिलखिला कर हँस पड़ी। मैंने अपनी हाथों में पानी भर कर उनके चेहरे पर फ़ेंका। तो वो मुझे पकड़ने के लिये मेरे पीछे तैरने लगे। हम दोनों काफी देर तक चुहलबाजी करते रहे और एक दूसरे के जिस्म से खेलते रहे।

हम दोनों कसके एक दूसरे से लिपट जाते और एक दूसरे के जिस्म को चूमने लगते। ताहिर अज़ीज़ खान जी ने मेरे जिस्म का कोई हिस्सा नहीं छोड़ा जहाँ उनके होंठों ने छुआ ना हुआ हो।

मैंने स्विमिंग पूल के किनारे को पकड़ कर अपने आप को स्थिर किया, ताहिर अज़ीज़ खान जी पीछे से मेरे जिस्म से लिपट कर मेरे गीले मम्मों को मसल रहे थे, मैं अपनी गर्दन पीछे घुमा कर उनके होंठों को अपने दाँतों से काट रही थी। उनका लंड मेरे दोनों चूतड़ों के बीच सटा हुआ था। मैंने अपने एक हाथ से उनके लंड को थाम कर देखा। लंड पूरी तरह तना हुआ था।

“आ जाओ जान ! पानी भी मेरे जिस्म की आग को बुझा नहीं पा रहा है। जब तक तुम मेरे जिस्म को शांत नहीं करोगे, मैं ऐसे ही फुँकती रहूँगी।”

मैंने उनके बालों को अपनी मुठ्ठी में भर कर अपनी तरफ़ मोड़ा और उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया- तुम बहुत ही गर्म हो और शराब पी कर नशे में तुम और भी नशीली हो जाती हो !

उस जगह पर पानी कम था, उन्होंने पानी में खड़े होकर मुझे उठा कर स्विमिंग पूल के ऊपर बिठा दिया। मेरी टाँगें पूल के किनारे पर झूल रही थीं। वो अपने दोनों हाथों से मेरी टाँगों को फैला कर मेरी टाँगों के बीच आ गये।

मैंने अपनी टाँगें उठा कर उनके कंधों पर रख दी। इससे मेरी चूत ऊपर उठकर उनके चेहरे के सामने हो गई। उन्होंने मेरी चूत पर अपने होंठ टिका दिये और अपनी जीभ को चूत के ऊपर फिराने लगे।

“आआऽऽ…हहहऽऽऽ… ममऽऽ…आआआ… ऊँऊँऽऽऽ… आआऽऽ…”

मैंने उनके सिर को अपने एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ को जमीन पर रखते हुए उनके सिर को अपनी चूत पर दबा दिया।

वो अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाल कर उसे आगे पीछे करने लगे। मैंने उत्तेजना में अपने दोनों हाथों से ताहिर अज़ीज़ खान जी को पकड़ लिया और अपनी कमर को उनके मुँह की तरफ़ ठेलने लगी। उन्होंने मेरे दोनों चूतड़ों पर अपनी उँगलियाँ गड़ा दीं और मेरी क्लिटोरिस को अपने दाँतों के बीच दबा कर हल्के-हल्के से कुतरने लगे।

वो इस हालत में पीछे हटे तो मैं उनको पकड़े-पकड़े ही वापस स्विमिंग पूल में उतर गई। मैंने अपनी टाँगों को कैंची की तरह उनके जिस्म को चारों ओर से जकड़ लिया था। फिर उनके सिर को थामे हुए अपनी टाँगों को हल्का सा लूज़ करते हुए उनके जिस्म पर फ़िसलती हुई नीचे की ओर खिसकी।

जैसे ही मैंने अपने जिस्म पर उनके लंड की रगड़ महसूस की तो अपने हाथों से उनके लंड को अपनी चूत पर सेट करके वापस अपने जिस्म को कुछ नीचे गिराया। उनका लंड मेरी चूत के दरवाजे को खोलता हुआ अंदर घुसता चला गया।

उन्होंने मेरी पीठ को स्विमिंग पूल के किनारे से सटा दिया मैंने अपने हाथों से पीछे की ओर स्विमिंग पूल के किनारे का सहारा लेकर अपने जिस्म को सहारा दिया।

वैसे मुझे सहारे की ज्यादा जरूरत नहीं थी क्योंकि मेरी टाँगों ने उनके जिस्म को इस तरह जकड़ रखा था कि वो मेरी इच्छा के बिना हिल भी नहीं पा रहे थे। उन्होंने जोर-जोर से धक्के देना शुरू किया।

“आआऽऽ…हहऽऽऽ आआऽऽहह…ऽऽऽ ताहिर… ताऽऽहिर… हाँआँऽऽऽऽ हाँआँऽऽ और जोर सेऽऽऽ… ममऽऽऽ मज़ाऽऽऽ… आ गयाऽऽऽ ऊऊफफऽऽऽ… जोरों सेऽऽऽ ऊँऊँऽऽआआऽऽऽ…”

मैंने अपनी बाँहों का हार उनके गले में डाल दिया और उनके होंठों से अपने होंठ चिपका दिये। मैं उनके होंठों को कुतर रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

“ले ! ले ले ! अंदर ले ले अंदर ! पूरा… आआऽऽहहऽऽऽ क्याऽऽऽ चीज़ है ऊँऽऽ !” कहते हुए उन्होंने मुझे सख्ती से अपनी बाँहों में जकड़ लिया और अपने रस की धार मेरी चूत में बहाना शुरू किया।

मैंने इस मामले में भी उनसे हार नहीं मानी। मेरा रस भी उनके रस से मिलने निकल पड़ा। हम दोनों अपने जिस्म को दूसरे के जिस्म में समा देने के लिये जी तोड़ कोशिश करने लगे।

दोनों एक दूसरे से इस तरह लिपट रहे थे कि पानी से भांप उठना ही बाकी रह गया था। हम दोनों झड़ कर स्विमिंग पूल में कुछ देर तक मछलियों की तरह अठखेलियाँ करते रहे।

उसके बाद हमने पानी से निकल कर एक-दूसरे के जिस्म को साथ के बाथरूम में जाकर पोंछा और फिर हम अपने कमरे में वापस लौट गये।

खाना कमरे में ही मंगा कर खाया। ताहिर अज़ीज़ खान जी कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे थे। उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठा कर अपने हाथों से खिलाया।

अगले दिन हैमिल्टन और साशा पीछे ही पड़ गये और हम दोनों को अलग नहीं छोड़ा। हमने उनके साथ ही ग्रुप सैक्स का मज़ा लिया।

हम जितने भी दिन वहाँ ठहरे, हमने खूब एन्जॉय किया। ससुर जी से छिपा कर अगर मौका मिलता तो मैं कॉनफ्रेंस में मौजूद दूसरे मर्दों से चुदवाने से नहीं चूकती थी। मैं भी क्या करती। माहौल ही ऐसा था। दिन भर शराब और हर तरफ नंगापन और चुदाई… मैं खुद को रोक नहीं पाती थी।

अलग- अलग देशों के मर्दों के तरह-तरह के छोटे, लंबे, मोटे लंड, हर तरफ दिखाई देते थे।

ऐसे ही एक शाम मैं नशे में स्टेज पर डाँस कर रही थी। बहुत ही उत्तेजक और तेज़ म्यूज़िक चल रहा था और स्टेज नाचने वाले लोगों से खचाखच भरा हुआ था। सभी नंग-धड़ंग हालत में झूम रहे थे और बहुत से तो पूरे नंगे थे और कई जोड़े चुदाई में भी लगे थे।

ताहिर अज़ीज़ खान जी पहले तो वहीं मौजूद मेरे पास ही डाँस रहे थे पर जब डाँस खत्म हुआ तो वो कहीं दिखाई नहीं दिये। हर तरफ कितने ही जोड़े नंगे होकर चुदाई में मसरूफ थे।

साशा और हैमिल्टन भी चुदाई का मज़ा ले रहे थे और मेरी चूत भट्ठी की तरह जल रही थी। मेरे जिस्म पर सिर्फ छोटी सी स्कर्ट थी और मेरे मम्मे पूरे नंगे थे क्योंकि डाँस करते वक्त मेरे जिस्म से भी किसी ने मेरा टॉप खींच दिया था और अब उस टॉप के मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी।

डी-जे ने नया म्यूज़िक चालू किया तो मैं नशे में लड़खड़ाती हुई स्टेज से उतरी और उन नंगे लोगों की भीड़ में ससुर जी को खोजने लगी और अचानक हाई-हील सैंडल में मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं गिरने लगी तो किसी के मजबूत हाथ ने मुझे थाम लिया और गिरने से रोका।

मैंने देखा एक हट्टा-कट्टा अफ्रीकी काला आदमी मेरे पीछे से मुझे थामे मुस्कुरा रहा था। मुझे अपने चूतड़ों के बीच कुछ ठोस चीज़ चुभती हुई महसूस हुई पर अगले ही पल मुझे एहसास हुआ कि वो और कुछ नहीं बल्कि उसका हलब्बी लंड था।

“थैंक यू सो मच !” मैंने संभलते हुए उसकी तरफ मुड़कर कहा।

“मॉय प्लेज़र… ” वो मुस्कुराता हुआ बोला।

मैं अभी भी उसकी मजबूत बाँह की गिरफ़्त में थी और उसके इतनी करीब थी कि उसका लंड मेरी नाभि के ऊपर चुभ रहा था।

मेरी नज़र उसके काले लंड पर पड़ी तो मेरी आँखें फटी रह गईं और मन-ही-मन में मैं सिसक उठी। इतना बड़ा लंड तो मैंने ज़िंदगी में नहीं देखा था। ऐसा लग रहा था किसी घोड़े का लंड हो और वो आदमी स्वयं भी बहुत ही ताकतवर और हट्टाकट्टा था।

वो इतना लंबा था कि मेरे साढ़े-चार-पाँच इंच ऊँची हील के सैंडलों के बावजूद उसका लंड मेरी नाभि के ऊपर था।

वो शायद मेरी हालत समझ गया ओर बोला, “इट सीम्स यू लाइक मॉय टूल… हाऊ अबाऊट ए ड्रिंक विद मी एंड देन यू कैन ट्राय… ”

उसकी बात पुरी होने के पहले ही मैं बोल पड़ी, “ऊँहह ! आय… एक्चुअली आय एम लुकिंग फॉर मॉय बॉस…!”

लेकिन मैंने उससे दूर होने की कोशिश नहीं की। मेरा हाथ खुद-ब-खुद ही उसके हलब्बी लंड की तरफ बढ़ गया। पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मुझे तो जैसे उसके लंड ने हिप्नोटाइज़ कर लिया था।

“कम ऑन ब्यूटीफुल… योर बॉस मस्ट बी फकिंग सम कंट सम व्हेयर… यू शुड एंजॉय टू… ” ये कहते हुए उसने अपने लंड पर रखे मेरे हाथ को और दबा दिया।

मेरी हथेली में उसके लंड की मोटाई समा नहीं रही थी। इतना मोटा घोड़े जैसा लंड अपनी चूत में लेने के ख्याल से मैं सिहर उठी और मेरी चूत का पानी तो जैसे चूत की गर्मी से भाप बन कर निकलने लगा।

वो मुझे सहारा दे कर बार के करीब ले गया और दो ड्रिंक्स ऑर्डर किये। फिर उसने मुझे कमर से पकड़ कर उछालते हुए ऊँचे बार-स्टूल पर इस तरह बिठा दिया जैसे मैं कोई रबड़ की गुड़िया होऊँ।

कहानी जारी रहेगी।

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