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मुझे वहाँ मौजूद हर मर्द पर गुस्सा आ रहा था लेकिन मेरा जिस्म, मेरे दिमाग में चल रही उथल पुथल से बिल्कुल बेखबर अपनी भूख से पागल हो रहा था।
मैं अपना दूसरा गिलास भी लगभग खाली कर चुकी थी लेकिन पता नहीं क्यों, व्हिस्की और बीयर की इतनी स्ट्रॉन्ग कॉकटेल पीने के बावजूद मुझे कुछ खास नशा महसूस नहीं हो रहा था।
रस्तोगी से और नहीं रहा गया तो उसने उठ कर मुझे हाथ पकड़ कर खड़ा किया और मेरे जिस्म पर झूल रही मेरी इकलौती साड़ी को खींच कर अलग कर दिया।
अब तक मेरे जिस हुस्न की साड़ी के बाहर से झलक सी मिल रही थी, वो अब बेपर्दा होकर सामने आ गया। अब मैं सिर्फ वो हाई-हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी उनके सामने अपना ड्रिंक का गिलास पकड़े खड़ी थी। मैं शर्म से दोहरी हो गई।
रस्तोगी ने मेरे जिस्म के पीछे से लिपट कर मुझे अपने गुप्ताँगों को छिपाने से रोका। उसने मेरी बगलों के नीचे से अपने हाथों को डाल कर मेरे दोनों मम्मे थाम लिये और उन्हें अपने हथेलियों से ऊपर उठा कर स्वामी के सामने करके एक भद्दी सी हंसी हंसा।
“स्वामी… देख क्या माल है। साली खूब मजे देगी।” और उसने मेरे दोनों निप्पलों को अपनी चुटकियों में भर कर बुरी तरह उमेठ दिया।
मैं दर्द से “आआआऽऽऽ हहहऽऽऽ” कर उठी।
स्वामी अपनी हथेली से मेरी चूत के ऊपर सहला रहा था। मैं अपनी दोनों टाँगों को सख्ती से एक दूसरे से भींचे खड़ी थी जिससे मेरी चूत उनके सामने छिपी रहे। लेकिन स्वामी ने जबरदस्ती अपनी दो उँगलियाँ मेरी दोनों टाँगों के बीच घुसेड़ दी।
मैंने अपना गिलास एक घूँट में खाली किया तो रस्तोगी ने गिलास मेरे हाथ से लेकर मेज पर रख दिया। दो मिनट पहले तक मुझे कुछ खास नशा महसूस नहीं हो रहा था पर अब अचानक एक ही पल में जोर का नशा मेरे सिर चढ़ कर ताँडव करने लगा और मैं झूमने लगी।
चिन्नास्वामी ने मुझे बाँहों से पकड़ अपनी ओर खींचा तो मैं नशे में झूमती हुई लड़खड़ा कर उसकी गोद में गिर गई। उसने मेरे नंगे जिस्म को अपनी मजबूत बाँहों में भर लिया और मुझे अपने सीने में कस कर दबा दिया। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसके मजबूत सीने पर दब कर चपटी हो रही थी।
चिन्नास्वामी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मुझे उसके इस तरह अपनी जीभ मेरे मुँह में फिराने से घिन आ रही थी लेकिन मैंने अपने जज्बातों को कंट्रोल किया। उसके दोनों हाथों ने मेरी दोनों छातियों को थाम लिया और अब वो उन दोनों को आटे की तरह गूंथ रहे थे। मेरे दोनों गोरे मम्मे उसके मसलने के कारण लाल हो गये थे और दर्द करने लगे थे।
“अबे स्वामी इन तने हुए फ़लों को क्या उखाड़ फ़ेंकने का इरादा है तेरा? जरा प्यार से सहला इन खरबूजों को! तू तो इस तरह हरकत कर रहा है मानो तू इसका जबर चोदन कर रहा हो। ये पूरी रात हमारे साथ रहेगी इसलिये जरा प्यार से…” रस्तोगी ने चिन्नास्वामी को टोका।
रस्तोगी मेरी बगल में बैठ गया और मुझे चिन्नास्वामी की गोद से खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। मैं नशे में झूमती हुई चिन्नास्वामी के जिस्म से अलग हो कर रस्तोगी के जिस्म से लग गई। स्वामी उठकर अपने कपड़ों को अपने जिस्म से अलग कर के वापस सोफ़े पर बैठ गया। वो नंगी हालत में अपने लंड को मेरे जिस्म से सटा कर उसे सहलाने लगा। रस्तोगी मेरे मम्मों को मसलता हुआ मेरे होंठों को चूम रहा था, फिर वो जोर-जोर से मेरी दोनों छातियों को मसलने लगा।
मेरे मुँह से “आआआऽऽऽ हहऽऽऽ, ममऽऽऽ” जैसी आवाजें निकल रही थी। पराये मर्द के हाथ जिस्म पर पड़ते ही एक अजीब सी सनसनाहट होने लगती है। मेरे पूरे जिस्म में सिहरन सी दौड़ रही थी।
रस्तोगी ने आईस बॉक्स से कुछ आईस क्यूब्स निकाल कर अपने गिलास में डाले और एक आईस क्यूब निकाल कर मेरे निप्पल के चारों ओर फिराने लगा। उसकी इस हरकत से मेरा पूरा जिस्म गनगना उठा। मेरा मुँह खुल गया और जुबान सूखने लगी। ना चाहते हुए भी नशे में मुँह से उत्तेजना की अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगी। मेरा निप्पल जितना फूल सकता था उतना फूल चुका था। वो फूल कर ऐसा कड़ा हो गया था मानो वो किसी पत्थर से बना हो। मेरे निप्पल के चारों ओर गोल काले चकत्ते में रोंये खड़े हो गये थे और छोटे-छोटे दाने जैसे निकल आये थे। बर्फ़ ठंडी थी और निप्पल गरम। दोनों के मिलन से बर्फ़ में आग सी लग गई थी।
फिर रस्तोगी ने उस बर्फ़ को अपने मुँह में डाल लिया और अपने दाँतों से उसे पकड़ कर दोबारा मेरे निप्पल के ऊपर फिराने लगा।
मैं सिहरन से काँप रही थी। मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने मम्मे के ऊपर दबा दिया। उसकी साँसें घुट गई थीं। मैंने सामने देखा कि जावेद मुझे इस तरह हरकत करता देख मंद-मंद मुस्कुरा रहा है। मैंने बेबसी से अपने दाँत से अपना निचला होंठ काट लिया।
मेरा जिस्म गर्म होता जा रहा था। नशे की वजह से बार-बार मैं उनकी हरकतों से खिलखिला कर हंस पड़ती थी। मैं नशे में इतनी धुत्त थी और अब उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी कि अगर मैं सब लोक लाज छोड़ कर रंडियों जैसी हरकतें भी करने लगती तो किसी को ताज्जुब नहीं होता। तभी स्वामी बचाव के लिये आगे आ गया।
“अइयो रस्तोगी… तुम कितना देर करेगा। सारी रात ऐसा ही करता रहेगा क्या। मैं तो पागल हो जायेगा। अब आगे बढ़ो अन्ना।” स्वामी ने मुझे अपनी ओर खींचा।
मैं गिरते हुए उसके काले रीछ की तरह बालों वाले सीने से लग गई। उसने मुझे अपनी बाँहों में लेकर ऐसे दबाया कि मेरी साँस ही रुकने लगी। मुझे लगा कि शायद आज एक दो हड्डियाँ तो टूट ही जायेंगी। मेरी जाँघों के बीच उसका लंड धक्के मार रहा था।
मैंने अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ा तो मेरी आँखें फ़टी की फ़टी रह गईं। उसका लंड किसी बेस बाल के बल्ले की तरह मोटा था। इतना मोटा लंड तो मैंने बस ब्लू फ़िल्म में ही देखा था। उसका लंड ज्यादा लंबा नहीं था लेकिन इतना मोटा था कि मेरी चूत को चीर कर रख देता। उसके लंड की मोटाई मेरी कलाई के बराबर थी। मैं उसे अपनी मुठ्ठी में पूरी तरह से नहीं ले पा रही थी।
मेरी आँखें घबराहट से बड़ी-बड़ी हो गई। स्वामी की नजरें मेरे चेहरे पर ही थी। शायद वो अपने लंड के बारे में मुझसे तारीफ़ सुनना चाहता था जो कि उसे मेरे चेहरे के जज्बातों से ही मिल गई। वो मुझे डरते देख मुस्कुरा उठा। अभी तो उसका लंड पूरा खड़ा भी नहीं हुआ था।
“घबराओ मत… पहले तुम्हारी कंट को रस्तोगी चौड़ा कर देगा फिर मैं उसमें डालेगा।” कहते हुए उसने मुझे वापस अपने सीने में दबा दिया और अपना लंड मेरी जाँघों के बीच रगड़ने लगा।
रस्तोगी मेरे नितंबों से लिपट गया। उसका लंड मेरे नितंबों के बीच रगड़ खा रहा था। रस्तोगी ने मेज के ऊपर से एक बीयर की बोतल उठाई और जावेद को इशारा किया उसे खोलने के लिये। जावेद ने ओपनर ले कर उसके ढक्कन को खोला। रस्तोगी ने उस बोतल से बीयर मेरे एक मम्मे के ऊपर उड़ेलनी शुरू की।
“स्वामी ! ले पी ऐसी नशीली बीयर साले गेंडे तूने ज़िंदगी में नहीं पी होगी !” रस्तोगी ने कहा।
स्वामी ने मेरे पूरे निप्पल को अपने मुँह में ले रखा था इसलिये मेरे मम्मे के ऊपर से होती हुई बीयर की धार मेरे निप्पल के ऊपर से स्वामी के मुँह में जा रही थी। वो खूब चटखारे ले ले कर पी रहा था।
मेरे पूरे जिस्म में सिहरन हो रही थी। मेरा निप्पल तो इतना लंबा और कड़ा हो गया था कि मुझे उसके साइज़ पर खुद ताज्जुब हो रहा था। बीयर की बोतल खत्म होने पर स्वामी ने भी वही दोहराया। इस बार स्वामी बीयर उड़ेल रहा था और दूसरे निप्पल के ऊपर से बीयर चूसने वाला रस्तोगी था। दोनों ने इस तरह से बीयर खत्म की।
मेरी चूत से इन सब हरकतों के कारण इतना रस निकल रहा था कि मेरी जाँघें भी गीली हो गई थीं। मैं उत्तेजना में अपनी दोनों जाँघों को एक दूसरे से रगड़ रही थी और अपने दोनों हाथों से उन दोनों के तने हुए लौड़ों को अपनी मुट्ठी में लेकर सहला रही थी।
कहानी जारी रहेगी।
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