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सन्ता और बन्ता पड़ोसी थे। सन्ता कुंवारा था पर बन्ता की पत्नी जीतो से उसका टांका भिड़ा हुआ था।
एक बार बन्ता टूअर पर गया हुआ था तो सन्ता जीतो मल्लिका शेरावत और इमरान हाशमी की मर्डर फ़िल्म दिखाने ले गया।
दोनों देर रात को फ़िल्म देख कर घर लौट रहे थे, दोनों की अन्तर्वासना चरम सीमा पर थी फ़िल्म के गर्मागर्म चुदाई दृश्य देख कर !
दोनों चोदम चोदी के लिए तड़प रहे थे, उनसे घर पहुँचने तक रुका ना गया और एक जगह अन्धेरा देख कर सन्ता ने जीतो को एक घर की बॉउंड्री की दीवार से टिकाया और लगा उसकी जोरदार चुदाई करने।
दीवार कच्ची थी तो उनकी चुदाई के धक्कों से दीवार गिर गई और वे दोनों भी पीछे बने बगीचे में गिर पड़े।
आवाज सुन कर घर का मालिक आया तो वह सन्ता और जीतो की हालत देख सब माजरा समझ गया और उनसे बोला- तुम्हे दीवार का हरजाना भरना पड़ेगा।
सन्ता ने जीतो से कहा- चलो हम दोनों आधा आधा हरजाना भर देते हैं।
जीतो तपाक से बोली- मैं क्यों भरूँ हरजाना? मैं तो दूसरी तरफ़ धक्का लग रही थी।
एक बहुमंजिला इमारत में नीचे सन्ता रहता था, उनके ठीक ऊपर बन्ता-जीतो रहते थे।
जीतो सुबह को अपनी साड़ी धोकर गैलरी में ग्रिल पर फ़ैलाती तो वो लटक कर सन्ता के घर तक पहुँच जाती और सन्ता अपना कच्छा धोकर साड़ी से बांध देता।
हमेशा सन्ता अपना कच्छा जीतो के साड़ी उठाने से पहले खोल लेता।
पर एक दिन सन्ता कच्छा खोलना भूल गया। जब जीतो साड़ी लेने आई तो उसने देखा कि साड़ी के साथ कच्छा बंधा हुआ है।
वो ऊपर से ही बोली- सन्ता जी, तुस्सी अपना कच्छा खोलो, मैं साड़ी उतारने लगी हूँ।
सन्ता जीतो के पड़ोस में रहता था। एक दिन हिम्मत करके उसके साथ बाहर जाने का प्रोग्राम बना डाला, फिर तो सिलसिला चलता ही रहा और एक दिन…. सन्ता- जीतो डार्लिंग, हमको ऐसे ही घूमते-फ़िरते हुए काफी दिन हो गये हैं अब हमें कुछ आगे भी बढ़ना चाहिए ! जीतो- क्या मतलब?? सन्ता- अगर तुम्हें कोई ऐतराज ना हो तो मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ। जीतो- यह तो मैंने आज तक किसी से भी नहीं किया। सन्ता(खुश होकर)- अच्छा ! तो क्या तुम अभी तक कुंवारी हो?? जीतो- नहीं ! मेरा मतलब था कि मैंने आज तक किसी को ऐतराज नहीं जताया।
पप्पू स्कूल से घर लौट रहा था, अचानक उसने देखा कि उसके पापा की गाड़ी उसके सामने से जंगल की तरफ जा रही है। उत्सुकतावश वह भी गाड़ी के पीछे भागने लगा थोड़ा दूर भागने के बाद उसने देखा कि गाड़ी जंगल में एक तरफ को खड़ी है। पप्पू चुपके से गया और गाड़ी के अन्दर देखा तो उसके पापा संता, प्रीतो के साथ बुरी तरह चिपके हुए थे।
वो वहाँ से भागा, सीधे घर पहुँचा और सारी बात अपनी माँ से कहने लगा- माँ, मैं स्कूल से घर आ रहा था, तभी पापा की गाड़ी जंगल की तरफ गई। मैं भी पीछे भागा तो देखा कि गाड़ी जंगल में खड़ी थी मैंने देखा कि पापा प्रीतो आंटी के साथ चिपके हुए थे और उन्हें चूम रहे थे और फिर उनके कपड़े उतारने लगे और फिर वो भी पापा के कपड़े उतारने लगी !
जीतो ने उसे इसे बात पर रोक दिया और कहा- पप्पू, यह तो अच्छा हुआ कि तुमने अपने पापा को देख लिया ! अब यही कहानी तुम शाम को डिनर करते हुए सुनाना, मैं तुम्हारे पापा की सूरत देखना चाहती हूँ जब वो ये सब सुनेंगे !
शाम को डिनर करते हुए जीतो ने कहा- पप्पू, जो तुमने दिन में देखा, जरा वो सुनाओ !
पप्पू दिन वाली कहानी सुनाने लगा- पापा की गाड़ी जंगल में गई, पापा और आंटी ने कपड़े उतारे फिर प्रीतो आंटी पिछली सीट पर नीचे लेट गई, फिर वो और पापा वही करने लगे जो माँ और बंता अंकल तब कर रहे थे जब पापा ऑफिस टूअर से बाहर गए थे।
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