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प्रेषक : गुरदीप
मेरा नाम गुरदीप है, मैं लन्दन में रहता हूँ, मेरी उम्र 46 साल की है। मैं एक कम्प्यूटर कंपनी में काम करता हूँ। मैं यहाँ आया तो मुझे पता चला कि यहाँ चूतों की कोई कमी नहीं है। मैं यहाँ पर अच्छी नौकरी पर आया था, मैंने हौंस्लो में अपना घर ले लिया। मुझे काम करने के लिए साउथल्ल जाना होता था।
मुझे पता चला कि हमारे वहाँ कुछ ऐशियन लड़कियाँ काम करती थी जो स्टुडेंट वीसा पर रहती थी। पँजाब की एक लड़की पर मेरा दिल आ गया। उसकी उम्र करीब 27 साल की होगी, उसका नाम परमजीत था। उसके मम्मे बहुत ही शानदार थे, उसके चूतड़ इतने बड़े नहीं थे मगर मोम्मे उसके बहुत शानदार थे। मैं मोम्मे का बहुत बड़ा शौक़ीन हूँ।
मेरी हरकतों से उसे भी पता चल गया था कि मेरी कामुक नजर उस पर है, मैं उसे चोदना चाहता हूँ। दूसरा कोई रिश्ता तो हो ही नहीं सकता था।
मैंने उसे एक शाम उसे डिनर पर बुला ही लिया। उसने भी जरा सी आनाकानी नहीं की ! रात को थोड़ी शराब उसने भी पी ली थी मेरे कहने पर ! मैंने उसे अपने यहाँ रुकने को कहा तो वो मान गई। उसने मुझे बताया कि वो मोगा की रहने वाली है और लुधियाना में नर्स का काम करती थी।
क्योंकि मेरा एक बेडरूम का फ्लैट था इसलिये हम दोनों एक ही कमरे में एक ही बैड पर सो गए।
थोड़ी देर में मैंने अपना हाथ उसके एक मम्मे के ऊपर रख दिया, तो उसने कुछ हरकत नहीं की, कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसके मम्मे को थोड़ा सा दबाया, फिर भी वो सोती रही। मैं उसके बिल्कुल पास आ गया और उसकी कमीज़ के ऊपर से उसके मोम्मों को चूसना शुरू कर दिया।
अब वो गर्म हो चुकी थी, वो भी मेरे साथ सहयोग करने लगी। मैं उसका एक मोम्मा कमीज के ऊपर से चूस रहा था, दूसरा मम्मा दबाना शुरू कर दिया। मैं एक पुराना खिलाड़ी हूँ इसलिए मैंने बिल्कुल जल्दी नहीं की।
जब 20 मिनट मैं उसके जिस्म से खेल चुका था तो मैंने उसकी सलवार पर हाथ रख दिया। मेरे हाथ रखते ही उसका सारा शरीर काँप गया। मैं सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को मसलता रहा। अब वो पूरी गर्म हो चुकी थी फिर भी दोस्तो, औरत औरत ही होती है, उसने मेरा लन नहीं पकड़ा।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लन पर रख दिया तो उसने खेलना शुरू कर दिया। अब मैंने उसका नाड़ा खोल दिया और चूत पर अपना हाथ रख दिया। उसकी चूत बिल्कुल साफ़ थी।
उसने मुझे बाद में बताया था कि वो भी चुदने को बेताब थी इसलिये सफाई करके आई थी।
मैंने अपनी उंगली से उसके दाने को छेड़ना शुरू किया, तो वो एकदम चिल्लाने लगी और मेरे होंठ चूसने लगी। अब मैं भी पूरा गर्म हो चुका था, मैं जल्दी से उठा और उसकी चूत चाटने लगा। मेरे फ्लैट में तो मानो तूफ़ान आ गया था।
वो चिल्लाने लगी- अह्हा मजा आ गया, मेरी फुद्दी पी जाओ, और पी जाओ, मेरे मुँह में अपना दे दो, मुझे मजा दो, और भी चूत दिलवाऊँगी। तुम चूत बहुत अच्छी चाट रहे हो ! मेरी सारी फ़्रेन्ड्स आपको चूत देंगी।
यह बोलती बोलती वो एकदम सारा पानी छोड़ गई और चिल्लाने लगी- जल्दी से मेरे अन्दर डाल अपना लौड़ा डाल दो, मेरी फ़ुद्दी को फ़ाड़ के फ़ुद्दा बना दो !
मैं अभी नहीं डालना चाहता था मगर वो मान ही नहीं रही थी। मैंने भी सोचा कि औरत को खुश करना ही तो मर्द का धर्म है, मैं जल्दी से लेट गया और उसको अपने ऊपर बिठा लिया। वो मेरे लन को अपनी फ़ुद्दी में लेकर उस पर कूदने लगी।
थोड़ी देर में एक बार वो और छूट गई और मदहोश हो कर मेरी तारीफ करने लगी- अहा… अहह… चुदाई का मजा लड़कों के साथ नहीं आता, वो तो चोदने से पहले ही छुट जाते हैं। मजा आ गया मेरे राजा… मजा आ गया, मजा आ गया… आ गया… आ गया… आ गयी मैं आ गई।और बोलने लगी- सुनीता, तुझे भी यह लन दिलवाऊँगी, बड़ा प्यारा लौड़ा है !
वो मदहोश थी, मैं तो सिर्फ उसे खुश करना चाहता था, इस लिए मैंने उसे लौड़ा चूसने को भी नहीं कहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
अब मैंने उसकी दोनों टाँगें ऊपर उठा कर चोदना शुरू कर दिया, वो तो पूरे सातवें आसमान पर थी, मैंने 4-5 मिनट के अन्दर उसकी चूत को अपने रस से भर दिया।
वो बहुत ही खुश थी और उसने मुझे बताया कि वो 6 महीनों से वहाँ रह रही है, इंडिया में वो अपने डॉक्टर से चुदाई कराती थी मगर यहाँ पहली बार चुदी है।
उस रात तीन बार चुदाई के बाद हम सो गए। अगले दिन मैं उसे घुमाने के लिए सी साइड ले गया। मैंने उसे बहुत घुमाया और बहुत शॉपिंग भी करवाई।
दोस्तो, मैंने उसे पूरे प्यार से रखा और कभी भी उसके साथ गलत नहीं किया, गलत फ़ायदा नहीं उठाया उसका, उसने भी मुझे पूरा मज़ा दिया। मैंने उसके वीसा एक्सटेंड करने के समय भी उसकी पूरी मदद की। बाद में उसने मुझे और भी चूतें दिलवाई। मगर इतनी बार चूत मारने के बाद भी पहली चुदाई मैं कभी नहीं भूला।
वो करीब एक साल तक मेरे साथ रही और बाद में मानचेस्टर चली गई।
दोस्तो, कहानी कैसी लगी, जरूर बताएँ ! आज भी मैं अकेला हूँ और हौंस्लो में रहता हूँ और एक और परमजीत की तलाश कर रहा हूँ। मेरी इमेल है
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