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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को संदीप साहू का प्यार भरा नमस्कार।
खुशी से बात ना होने पर होने वाले दर्द को मैंने महसूस किया था और वही दर्द मैं कुसुम को नहीं देना चाहता था, इसलिए मैंने बात करना शुरू किया। मेरी बातों में उमंग की जगह हताशा दिख रही थी, जिस वजह से कुसुम मुझे उदास होने का कारण पूछने लगी।
मैंने उसकी जिद के आगे विवश होकर कहा- यार एक लड़की है जिसका मैं इंतजार कर रहा था, पर उसने धोखा दिया, इसलिए मन उदास है। कुसुम ने पूछा- क्या नाम है? मैंने कहा- नाम नहीं बताऊंगा।
कुसुम- अच्छा बाबा ये तो बता दो कहाँ रहती है? मैंने कहा- मुझे नहीं पता। कुसुम- वो क्या करती है? मैं- मुझे नहीं पता।
कुसुम- तुम्हें कैसे धोखा दिया उसने, तुम दोनों प्यार करते हो क्या? मैंने कहा- नही! प्यार नहीं करते, वो आज विडियो कॉल करने वाली थी, पर नहीं की।
कुसुम- तुम संदीप ही बात कर रहे हो ना? मैंने कहा- हाँ! पर तुमने ये क्यों पूछा? कुसुम- यार तुम खुद ही सोचो तुम पैंतीस साल के अनुभवी इंसान हो, और कल की उस लौडिंया के लिए मरे जा रहे हो जिसके बारे में तुम कुछ जानते भी नहीं।
मैंने कहा- देखो यार, मैं तुमसे सेक्स के दौरान ही गंदी बातें करता हूँ. उसके अलावा तमीज से ही पेश आता हूँ. और तुम मेरी जान को लौंडिया कहकर बुला रही हो. ये मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा। कुसुम- सॉरी यार माफ कर दो! पर तुम इतना अधीर कैसे हो सकते हो! मैंने कहा- कुछ लोग कुछ ना होकर भी बहुत कुछ होते हैं, मेरे लिए वो लड़की क्या मायने रखती है मैं बता नहीं सकता।
इतना कहते हुए मैंने आगे लिखा कि चलो कल बात करते हैं, आज मुझे आराम करने दो। और मैंने मैसेज करना बंद कर दिया. कुसुम का गुड नाइट का मैसेज तो आया पर मैंने उसका भी जवाब नहीं दिया।
अब मैं बिस्तर पर ही छटपटाने लगा नींद तो आ नहीं रही थी, तो फिर मैंने अपनी एक अधूरी कहानी को आगे लिखना शुरू किया और लगभग एक घंटे के बाद हैंगआऊट पर नोटिफिकेशन दिखा. मैं खुशी के मैसेज के अंदेशे से चहक उठा।
तुरंत मैंने हैंगआऊट चेक किया, तो सचमुच ही खुशी का मैसेज था, उसने सिर्फ हाय लिखकर मैसेज किया था। मैंने तुरंत जवाब दिया- हैलो, क्या कर रही हो? खुशी ने कहा- मैं तो सोई हुई थी, नींद खुली तो तुम्हारी याद आई, पर लगता है तुम तो सोये ही नहीं हो, समय देखा है एक बज रहा है।
मैं अपने कारण खुशी को दुखी नहीं करना चाहता था. सच कहूं तो मैं किसी भी कारण से खुशी को दुखी नहीं देख सकता था. और खुशी का मैसेज आते ही मन में उमंग फिर से भर गया था, इसलिए मैंने भी कह दिया- मैं भी सो गया था यार, नोटिफिकेशन की आवाज से नींद खुली।
खुशी ने कहा- यार, मेरा मैसेज जाते ही तुमने जवाब दिया है. और कहते हो कि आवाज से नींद खुली? मुझे तो लगता है कि तुम बीवी के साथ लगे थे. या किसी से बातें कर रहे होगे. या कोई और बात है जो तुम मुझे बताना नहीं चाह रहे हो?
मैंने उसकी सभी संभावनाओं को नकार दिया और कहा- ऐसा कुछ भी नहीं है, बस नींद नहीं आ रही थी तो जाग रहा था। उसने पूछा- क्या मैं नींद ना आने का कारण जान सकती हूँ? मैंने कहा- कारण कुछ नहीं है यार. बस नींद नहीं आ रही थी तो नहीं आ रही थी।
खुशी ने कहा- तुम्हें मेरी कसम है अगर कुछ छुपाया तो! मैंने चिढ़ते हुए कहा- यार, हर बात पर कसम देना अच्छी बात नहीं होती, बस तुमने आज विडियो कॉल नहीं किया इसलिए बेचैन था।
खुशी ने कहा- सॉरी यार, पर तुम इतनी सी बात को लेकर इतने परेशान हो जाओगे मैंने सोचा भी नहीं था। मैंने कहा- कोई बात नहीं मैं परेशान नहीं हूँ, तुम्हारा मैसेज आते ही बेचैनी काफूर हो गई। खुशी ने कहा- तुम मुझसे नाराज हो?
उसका इतना पूछना मेरे दिल को असीम सुकून दे गया. मैंने कहा- तुमसे और नाराज? ये तो कभी सपने में भी नहीं हो सकता। खुशी ने कहा- वोहह सो स्वीट. संदीप आई लव यू संदीप आई लव यू. तुम बहुत अच्छे हो।
उसकी बातों से मैं बहुत ज्यादा खुश हुआ पर मैंने खुद को संभालते हुए कहा- ओ खुशी मैडम, जरा ख्वाबों की दुनिया से बाहर निकलो. मैं पैंतीस साल का शादीशुदा इंसान हूँ, और पता नहीं तुम कितनी उम्र की हो. तुम अभी ‘आई लव यू’ कहकर प्रेमी बना रही हो. और बाद में इल्जाम लगा दोगी कि मैंने तुम्हें बहकाया है।
इस पर खुशी का संयमित जवाब आया- वैसे तो प्यार की कोई उम्र नहीं होती. पर आई लव यू का मतलब प्रेमी बनाना ही नहीं होता. तुम मेरे अच्छे दोस्त हो. इस नाते भी मैं तुम्हें ‘आई लव यू’ कह सकती हूँ. और रही बात मेरी उम्र की … तो मेरी उम्र 24 साल है।
मैंने कहा- वोहह तो तुम सिर्फ 24 की हो? इस पर खुशी का जवाब आया- सिर्फ से क्या मतलब है तुम्हारा, क्या तुम मुझे 34, 44 या 54 साल की समझ रहे थे? मैंने कहा- नहीं ऐसा नहीं है, मैंने भी तुम्हारी उम्र का अंदाजा ऐसा ही लगाया था।
उसने कहा- चलो छोड़ो इन बातों को! ये बताओ कि क्या तुम मुझे देखने के लिए बेचैन हो? या फिर मुझे देखे बिना मुझ पर यकीन नहीं कर पा रहे हो? मैंने कहा- बस तुम्हें एक नजर देख कर आँखों में बसाने की चाहत है. और रही बात यकीन की … तो ईश्वर जानता है कि खुद से ज्यादा यकीन मुझे तुम पर है।
खुशी ने थैंक्स कहा और आगे लिखा- संदीप, मैं भी तुम्हारी चाहत पूरा करना चाहती हूँ,.पर मेरे मंगेतर से जब मैंने तुमसे बात करने की परमिशन ली थी, तब उसने मुझे एक कसम दी थी कि मैं तुम्हें अपनी फोटो ना भेजूं. और पहली बार विडियो चैट भी उसके साथ रहते ही करूँ। अब तुम ही बताओ संदीप कि एक मंगेतर अपनी होने वाली बीवी को इतनी आजादी दे रहा है तो उसकी बातों को मानना जरूरी है या नहीं?
अब मैंने सॉरी कहते हुए मैसेज किया- यार, मैं तुम्हें धर्म संकट में नहीं डालना चाहता. तुम्हें जब ठीक लगे, तब विडियो चैट कर लेना. अब मैं दुबारा इस बात के लिए नहीं कहूंगा। खुशी ने थैंक्स कहा.
और मैंने फिर खुशी से पूछ लिया- तुम्हारे मंगेतर ने तुम्हें मुझसे बात करने की परमीशन कैसे दी? इस पर खुशी ने कहा- पूरी कहानी विस्तार से बाद में बताऊंगी. अभी बस इतना जान लो कि हम बहुत ओपन सोसायटी में रहते हैं. मेरे मंगेतर वैभव के साथ मेरे अभी से ही शारीरिक संबंध हो चुके हैं. बड़े घरों में शादी व्याह बिजनेस के दृष्टिकोण से तय होते हैं और लड़की को ही सबसे ज्यादा नुकसान होता है।
मैंने कहा- मतलब तुम खुश नहीं हो! मेरे प्रश्न पर शायद खुशी ने अपना दर्द छुपाते हुए कहा- अरे नहीं यार, ऐसा नहीं है, मैं बहुत खुश हूँ. मुझे तो मन पसंद जीवन साथी मिला है. और मुझे आजादी तो इतनी है कि हमने एक बार स्वैपिंग भी की थी।
मैंने कहा- स्वैपिंग? सच में? खुशी का जवाब था- क्या ये जानकर तुम मुझसे प्रेम नहीं करोगे? मैं- नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है. हमारे रिश्ते में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
खुशी ने थैंक्स कहा और कहा- उस एक बार के स्वैपिंग ने मुझे आनन्द कम और दर्द ज्यादा दिया है. और उस कुर्बानी की भी एक खास वजह थी. जो मैं तुम्हें नहीं बता सकती. और तुम्हें मेरी कसम है जो इस बात को कभी दुबारा पूछा।
मैंने भी ना पूछने का वादा किया. फिर रात ज्यादा होने की बात कहकर उसने विदा ली.
मैं समझ नहीं पा रहा था, खुशी खुश थी या दुखी? उसकी बहुत सी बातें आपस में मेल नहीं खा रही थी. उन्हीं बातों में मैं तार जोड़ने की कोशिश करने लगा. और नींद आ गई।
दूसरे दिन कुसुम से बात हुई तो उसे मेरी बातों में उमंग नजर आई तो उसने कहा- मतलब उस लड़की से बात हो गई तुम्हारी? मैंने हाँ कहा और बताया- कुछ गलतफहमियां थी जिसकी वजह से मैं दुखी था.
कुसुम ने कहा- चलो अच्छा है. अब जल्दी से मेरे पास आकर लिपट जाओ. आज बहुत मन कर रहा है। और हम सेक्स चैट में डूब गये.
कुसुम ने अपनी उम्र 28 बताई थी. वो शादीशुदा महिला थी और बच्चे अभी नहीं थे. कारण पूछ कर मैं उसे चोट नहीं पहुंचाना चाहता था. तो मैं इतनी जानकारी में ही बातचीत करता रहा।
अगले एक महीने खुशी से बात नहीं हुई. मैं उसे याद करता और अपने दूसरे कामों में लगा रहता.
फिर एक दिन दोपहर को खुशी का मैसेज आया- हेलो अभी कहाँ हो? फ्री हो क्या? विडियो कॉल पर बात कर सकोगे? मैसेज मैंने पांच मिनट देर से देखा. मैंने हड़बड़ा कर तुरंत जवाब दिया- हाँ मैं फ्री हूँ. मुझे विडियो कॉल पर आने में कोई दिक्कत नहीं है।
मैंने फोन को बेसब्री से थाम रखा था. डर इस बात का भी था कहीं मैंने मौका गंवा तो नहीं दिया? पर भगवान का शुक्र है कि खुशी ने मेरा मैसेज देखा और रिप्लाई में ओके लिखा।
फिर दो मिनट में विडियो कॉल हुआ. और मैं खुशी को देखकर बहुत खुश हुआ. पर उसके साथ में वैभव था इसलिए मैं सामान्य बर्ताव कर रहा था.
वैभव और खुशी से हाय हलो होने के बाद वैभव ने कहा- हमारी शादी में जरूर आना. तुम हमारे सबसे खास मेहमान होगे. शादी 3 फरवरी को तय हुई है. तुम पैकिंग करना शुरू कर दो. मैंने हाँ जरूर! कहा और धन्यवाद दिया.
कुछ देर के विडियो चैट में मैंने खुशी को जी भर के देखना चाहा. और वैभव को भी समझने का पूरा प्रयत्न किया. मैं खुश था बहुत खुश।
संक्षिप्त वार्तालाप के बाद हम लोगों ने विदा ली.
और मैं इस वार्तालाप के जरिये कुछ नतीजों पर पहुंचा, जैसे वो दोनों बहुत अमीर घरानों से थे, क्योंकि उनके पहनावे ही ऐसे थे कि इस बात को जाना जा सकता था।
उन लोगों ने जहाँ बैठकर मुझसे बातें की, वह कमरा भी शानदार था. शायद ये वैभव का कमरा रहा होगा क्योंकि पीछे की दीवार पर वैभव की ही पेंटिग टंगी नजर आई. वो लोग बिस्तर के किनारे बैठे नजर आ रहे थे. कैमरा दूर था. मेरे पूछने पर बताया की वो लैपटॉप पर चैट कर रहे हैं।
मैंने दोनों के गले में मोटी सी सोने की चैन भी देखी. और खुशी के हाथों में हीरे की खूबसूरत अंगूठी भी नजर आई.
अब मुझे जितनी भी चीजें नजर आई, उससे साफ जाहिर था कि वो ऊंचे घराने से ही हैं. वैभव बहुत हैंडसम और स्टाइलिश था. उसने फीके हरे रंग का ब्लेजर पहन रखा था. मुझे उससे जलन भी हो रही थी।
पर मैं तो इन सब बातों को छोड़कर खुशी की यादों में ही मंत्रमुग्ध था. उसके चेहरे का आकर्षण मेरे मानस पटल पर सदा के लिए अंकित हो चुका था. खुशी बहुत गोरी बहुत सुंदर लग रही थी. मुझे तो लगा जैसे मैं स्वप्न में खोकर परी से बात कर रहा हूँ।
वो खुशमिजाज थी जिसके कारण उसके गालों पर लालिम उभार थे. होंठ लाल गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थोड़े बाहर निकल कर थिरक रहे थे, उसके मोती जैसे दांतों के बीच एक दांत दोहरा था, जैसा मौसमी चटर्जी का था।
लंबा चेहरा, सुराही दार गर्दन, उड़ते सिल्की बाल, माथे पर छोटी सी बिंदिया और दुनिया को बांध लेने की क्षमता वाली काली आँखों ने मुझे भी बाँध लिया।
खुशी ने हल्के नीले रंग की एंकल फिट जिंस पहन रखी थी. वह एक पैर मोड़कर बिस्तर पर थोड़ा सामने झुकते हुए बैठी थी. उसने सफेद शर्ट पहनी थी, जिसके सारे बटन खुले थे, और अंदर पिंक कलर की डीप नेक टाप पहनी थी, जिसमें उसके उभार गजब के लग रहे थे।
आज पहली बार खुशी मेरे लिए प्यारी लड़की के अलावा भी कुछ लगी थी. मेरे मन के किसी कोने में छिपी हसरत ने सर उठाना शुरू कर दिया, मैं अब खुशी से प्यार के साथ ही जिस्मानी संबंध भी चाहने लगा।
वहाँ पर बैठे होने की वजह से मैं उसकी हाइट का अनुमान नहीं लगा सका. पर छरहरे बदन की मल्लिका खुशी हर तरह से पढ़ने वाली किशोरी ही लग रही थी. उसकी शादी हो रही है, ऐसा उसे देखकर कह पाना मुश्किल था।
इन सबके बावजूद जब मैंने गहराई से सोचा तो खुशी के साथ मेरी प्यार वाली फीलिंग का पलड़ा भारी मिला। उनसे बातचीत के बाद मैं खुद ही हंसता और खुश होता, एक तरह से मैं बावला हो गया था।
उस दिन मैं इंतजार करता रहा पर रात को खुशी का कोई मैसेज नहीं आया. मैंने कुसुम को मैसेज किया तो वो भी चैट पर नहीं आई.
फिर मैंने ख्वाबों में ही खुशी के लब चूमे और उसे अपने सीने से लगाकर बहुत प्यार दिया।
दूसरे दिन से ही मैं शादी में जाने की तैयारी में लग गया. ये पहनूंगा, ये बेल्ट, ये पर्स, ये जूते … सब कुछ मैं ऐसे कर रहा था जैसे मुझे कल ही जाना हो. फिर मुझे लगा कि घर वाले मेरी हरकत से कुछ समझ जायेंगे तो फिर मैंने खुद को थोड़ा संयमित किया।
अब रात को मैं फिर खुशी के मैसेज का इंतजार करने लगा. पर मैसेज आया कुसुम का!
मैंने कुसम से कहा- यार, आज मैं बहुत खुश हूं. और जब उसने खुश रहने का कारण पूछा तो मैंने उसे खुशी वाली बात बता दी. साथ ही उसने बधाई प्रेषित की।
लेकिन मेरे मन में कुछ बातों की दुविधा थी जिसे मैं खुशी के सामने भी नहीं कह सकता था. और कुसुम खुशी को नहीं जानती थी. सिर्फ मेरी बताई बातों तक सीमित थी. इसलिए कुसुम के पास अपने दिल को हल्का कर लेना मुझे अच्छा लगता था।
मैंने इस बार भी वही किया. मैंने कुसुम से कहा- यार, ये बताओ कि वो लड़की मुझे बुला रही है तो क्या मुझसे सेक्स संबंध भी बनायेगी? या ऐसे ही दोस्त समझकर बुलाकर रही है? अगर सेक्स संबंध बनाना होता तो अभी शादी के समय क्यों बुलाती? वो भी अपने घर पर! और उसका मंगेतर भी बुला रहा है. क्या खुद नई दुल्हन से मजा करने के बजाय मुझे सौंपेगा? या कुछ और ही बात है?
कुसुम ने कहा- यार, ये सब मैं क्या जानूं? ये सब तुम उस लड़की से ही पूछना. और तुम इतना सोच ही क्यों रहे हो, जब कोई किसी को शादी में बुलाता है तो सेक्स संबंध ही बनाता है क्या? सामान्य दोस्ती और जानपहचान वाले भी तो शादी में शरीक होते हैं. लेकिन तुम एक काम कर सकते हो. अगर वहाँ मौका मिले तो तुम किसी दूसरी लड़की को पटा कर बिस्तर तक ले जा सकते हो।
मैंने कहा- नहीं यार, ये मैं कैसे कर सकता हूँ? मेरा दिल तो उस लड़की के अलावा और किसी के लिए नहीं धड़कता. मुझे वो लड़की जैसा कहेगी मैं वैसा ही करूंगा. मैं उसका अच्छा दोस्त बनकर शादी में शामिल होऊंगा।
कुसुम ने कहा- उस लड़की के अलावा किसी के लिए नहीं? मेरे लिए भी तुम्हारा दिल नहीं धड़कता?
मैं अपनी ही बातों में फंस गया. मैंने कहा- ऐसा नहीं है कुसुम डार्लिंग. तुम तो मेरी जान हो. लेकिन तुममें मुझे कामदेवी नजर आती है तो उस लड़की में मासूमियत. तुम मेरी सांसें हो और वो मेरी धड़कन।
कुसुम ने कहा- तुम्हें इतना झूठ बोलने की जरूरत नहीं है. मैं तो बस इतना चाहती हूँ कि जब-जब तुम मेरा नाम सुनो या मुझे महसूस करो तुम्हारा लिंग तन जाये, बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मैंने कहा- हाँ जान, ऐसा ही होता है. मैं तुम्हें चाहता भी हूँ. पर पता नहीं क्यूं उस लड़की की ओर मैं खिंचा चला जाता हूँ।
कुसुम ने कहा- कोई बात नहीं, ऐसा होता है. जब दिल के तार दिल से जुड़ने लगते हैं, तब ऐसा होता है. अच्छा छोड़ो इस बात को! ये बताओ कि कब तक उस लड़की को लड़की, लड़की कहते रहोगे? उसका असली नाम नहीं बता सकते तो उसका नामकरण तुम खुद ही कर दो. ताकि हमें बात करने में सुविधा हो. जैसे अंजलि, नेहा, सोनम, प्रेरणा, खुशबू, कामिनी कुछ भी रख दो।
मुझे उसकी बात सही लगी. पर मैंने सोचा कि कुसुम तो खुशी का असली नाम जानती ही नहीं है. तो क्यों ना असली नाम को ही नकली बता दिया जाये. इससे मुझे बात करने में दिक्कत नहीं होगी और फीलिंग भी वही रहेगी।
तो मैंने कहा- ठीक है. तो फिर मैं तुम्हारी बात मानकर आज उस लड़की का नाम खुशी रखता हूँ. तुम्हें ये नाम ठीक लग रहा है ना? या कुछ और रखूं? जवाब आया- ये नाम तो बहुत ही अच्छा है. तुम्हें कैसे सूझा। मैंने जवाब में कहा- मैंने सोचा कि जो मुझे खुशी दे उसे खुशी कहना ठीक होगा।
खुशी संदीप की प्रेम कहानी और कुसुम के साथ डिजिटल सेक्स की कहानी जारी रहेगी. यह मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी, आप अपनी राय इस पते पर देकर अगली कड़ी के लिए मेरा हौसला बढ़ायें। [email protected]
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