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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को संजय का नमस्कार ! दोस्तो, मेरी कहानियों को आपने इतना पसंद किया उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
आपके प्रोत्साहन से प्रेरित हो के मैं आपके सामने अपनी एक और आप बीती सुनाने आया हूँ, आशा है आपको पसंद आएगी। कृपया अपने मेल से मुझको जरुर बताएँ कि कहानी कैसी लगी।
यह कहानी है मेरी और मेरी चचेरी बहन की जिसका नाम रीना है। हम लोग बचपन से ही साथ साथ रहे। वो मुझसे सात साल छोटी है पर हम लोगों की खूब बनती थी।
बाद में मैं अपनी पढ़ाई और फिर जॉब के कारण वो शहर छोड़ के दूसरी जगह आ गया पर जब भी अपने घर जाता मैं और रीना बहुत बातें करते।
बात तब की है जब रीना जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी।
जैसा कि आप लोगों को पता है कि मैं कितना बड़ा चोदू हूँ तो मेरी नज़र से रीना के शरीर में होने वाले बदलाव मेरी नज़र से कैसे बचते। मुझको पता चल रहा था कि कब उसके चपटे सीने में से तीखे उभार निकलने लगे थे, उसके चूतड़ उभर रहे थे।
और वैसे भी चूंकि मैं बाहर रहता था तो उसके जिस्म में होने वाले बदलाव मुझको और आसानी से पता चल रहे थे। उसके जिस्म से एक अलग से खुशबू आने लगी थी जो उसकी जवानी को और मादक बना रही थी।
जब भी वो मेरे पास आती थी तो उसके जिस्म की खुशबू मुझको पागल कर देती थी। हमेशा की तरह हम लोग पास बैठ कर बहुत बातें करते थे।
वो मेरे बहुत करीब चिपक कर बैठती थी, वो अपनी बातो में मस्त रहती थी और मैं उसके जिस्म की खुशबू के मज़े लेता रहता था। बातें करते वक़्त वो कई बार मेरे गले लग जाती थी और उस वक़्त उसके मम्मे मेरे बदन से चिपक जाते थे जो मुझको मस्त कर देते थे।
अब बस इंतजार था तो बस उसके मेरे बिस्तर पर आने का। जब से मैंने उसको जवानी की दहलीज में देखा था बस एक ही बात मेरे दिमाग में रहती थी कि वो कब मेरे बिस्तर में नंगी होकर लेटेगी, कब मेरे लंड को उसकी चूत की गुफा में घुसने का मौका मिलेगा। सपनों में कई बार मैं उसके मम्मो को मसल कर उसकी चूत मर चुका था अब इंतजार सिर्फ उसके हकीकत में बिस्तर पर लेटने का था।
एक दिन मेरे चाचा-चाची और रीना हमारे घर आये।
सब लोग बातों में मस्त थे और मैं और रीना हर बार की तरह अपनी बातों में मस्त थे।
वो मेरे साथ बच्चों की तरह मस्ती कर रही थी। वो मेरे गुदगुदी करने लगी जवाब में मैंने भी जब गुदगुदी की तो वो भागने लगी।
मैंने उसको पकड़ के अपनी तरफ खींच लिया, वो तैयार नहीं थी और झटके से मेरी गोद में आ गिरी।
मैं पलंग पर पजामा पहने बैठा था और इतनी देर की मस्ती में मेरा लंड खड़ा हुआ था और वो आचानक लगे इस झटके से मेरी गोद में मेरे लंड पर आकर गिर गई।
मेरा लंड उसके चूतड़ों की दरार में अटक सा गया।
थोड़ी देर वो ऐसे ही रही और जब उसको ध्यान आया तो वो उठने लगी पर मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुए उसके पेट पे थे सो वो उठ नहीं पाई।
उसके उठने और मेरे पकड़े रहने की इन कोशिशों में मेरा लंड उसकी गांड में घिस रहा था और इस कारण मेरा लंड और खड़ा हो के मोटा हो गया था जो उसकी गांड की दरार में लगा हुआ था।
मैंने उसके पेट पर थोडा और जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी दरार में बिल्कुल फिट हो गया। मैंने नीचे बैठा अपने चूतड़ हिला कर लंड आगे पीछे करने लगा।
वो थोड़ी थोड़ी कोशिश कर रही थी उठने की पर मैंने उसको उठने नहीं दिया। थोड़ी देर में उसने अपनी कोशिश छोड़ दी।
मैंने अपनी कमर हिलाना शुरु कर दिया। मैं समझ गया कि रीना भी मेरे लंड पर अपनी गांड घिस रही है।
वहाँ सब लोग थे तो मैं वो नहीं कर पा रहा था जो चाहता था, मैंने रीना के कान में ऊपर बने कमरे में आने को कहा और यह कह कर मैं उसको छोड़ के ऊपर चला गया।
थोड़ी देर में रीना भी वहाँ आ गई। मेरा ऊपर वाले कमरे में किसी के आने या देखने का डर नहीं था।
रीना थोड़ी शर्माते हुए कमरे में घुसी। उसने पजामा और टॉप पहना हुआ था।
मैंने जल्दी से उसको पकड़ लिया और अपने साथ पलंग पर ले गया।
मैं पलंग पर बैठ गया और अपना लंड पजामे के अंदर सीधा करके रख लिया और रीना को अपने लंड पे बैठा दिया। मेरा लंड दुबारा से उसकी गांड की दरार में घुस गया।
मैं अपने चूतड़ हिला कर लण्ड आगे पीछे करने लगा और उसकी कमर को पकड़ कर भी हिलाने लगा। वो अभी भी शरमा रही थी।
मैंने उसके कंधों पर किस किया तभी अचानक वो बोली- भईया, यह गलत है ना !
मैंने उसके कंधों पर हाथ रखा और कहा- गलत तो तब होगा ना जब किसी को पता चलेगा और ना तो मैं ना ही तू किसी को यह सब बतायेंगे और हम लोग सिर्फ मज़े ही तो कर रहे हैं। तू चिंता मत कर कुछ नहीं होगा, सिर्फ इससे मिलने वाले मज़े पे ध्यान दे !
अब मैं अपना लंड उसकी दरार में जोर जोर से रगड़ रहा था और वो भी कमर हिला हिला के मेरा साथ दे रही थी। मेरे लंड उत्तेजना से फूल कर मोटा हो गया था।
थोड़ी देर में मैंने उसको पूछा- और मज़ा लेना है?
तो वो कुछ बोली नहीं।
मैंने कहा- बहना, अपने भाई से क्या शरमाना, बता कुछ और मज़ा लें?
तो वो बोली- कोई आ जायेगा।
मैंने कहा- तू चिंता मत कर, ऐसा कुछ नहीं करूँगा जिससे कोई कुछ पकड़ सके।
उसने हाँ में सर हिला दिया तो मैंने उसको उठाया और अपना पजामा घुटनों तक उतार दिया फिर उसका पजामा भी घुटनों तक उतार दिया।
उसने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली। उसने काले रंग की पेंटी पहनी हुई थी जो इतनी देर मेरे लंड घिसने के कारण उसकी गांड में घुस गई थी। उसके गोल गोरे चूतड़ मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने अपने हाथों से उसके चूतड़ों को सहलाया, वो एकदम से कांप गयी। शायद पहली बार उसने किसी आदमी का हाथ अपने उस जगह महसूस किया था।
मैंने चूतड़ों को सहला कर एक बार दबा दिया और उसकी कमर से खींच के फिर से अपने लंड पर बैठा दिया।
अबकी बार वो भी अपनी कमर हिला रही थी। मैंने अपने हाथ उसकी नंगी जांघों पर रख दिए और उसकी जाँघें सहलाने लगा।
एकदम चिकनी जाँघें थी उसकी मक्खन जैसी।
मेरे हाथ उसकी जाँघों पर चल रहे थे और धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी पेंटी के किनारों से होते हुए उसकी दोनों जांघों के अंदर वाले भाग जहाँ पेंटी के किनारे होते हैं, वहाँ चलने लगे पर मैंने अभी तक उसकी चूत को नहीं छुआ था क्योंकि मैं जल्दी कुछ नहीं करना चाहता था।
वो आँखें बंद किये हुए अपनी कमर हिलाने में मस्त थी। थोड़ी देर बाद मैंने बस एक बार उसकी चूत के ऊपर हाथ फेरा जिससे वो आंखें खोल कर एकदम से खड़ी हो गई। उसकी आंखों में अपने गुप्तांग को छूने की शर्म दिख रही थी।
मैंने अब और आगे बढ़ने की सोची और अपनी चड्डी उतार दी।
वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी। मैंने एकदम से उसकी पेंटी को पकड़ा और घुटनों तक खींच दी । उसकी नंगी गांड मेरी आँखों के सामने थी।
वो एकदम हुई इस हरकत के लिए तैयार नहीं थी। उसने अपने हाथो से अपनी गांड छुपाने की कोशिश की तो मैंने उसके हाथ हटा दिए और उसको फिर से अपनी और खींच लिया।
मैंने एक हाथ से अपने लंड को सेट किया और दूसरे से उसको फिर से अपनी गोद में पटक लिया।
पहली बार मेरे लंड का स्पर्श उसकी नंगी गाण्ड से हुआ था। एक अजीब सा अहसास था वो। मैंने अपने हाथों से उसके चूतड़ों को चोड़ा किया और लंड को सेट किया। मैंने उसकी चूत की तरफ हाथ बढ़ाये और उसकी नंगी चूत पर हाथ फेरा।
वो सी सी कर रही थी।
मैंने उसकी चूत के दोनों होंठों को सहलाया। अब मेरे हाथ उसकी जाँघों और चूत को पूरी तेज़ी से सहला रहे थे। गांड में मेरा लंड घिस रहा था।
थोड़ी देर में मैंने अपने हाथ उसके मम्मो की ओर बढ़ा दिए। मैंने टॉप के ऊपर से उसके मम्मे पकड़ लिए और मसल दिए। अब मैं उसके मम्मों को दबा रहा था और मेरे होंठ उसके कंधों पे, पीठ पे किस कर रहे थे।
अब मैंने उसका मुँह अपनी और किया और उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए। मैं उसके होंठों को चूसने लगा, कभी उपर वाले होंठ को चूसता तो कभी नीचे वाले को।
वो मेरा साथ देने की कोशिश कर रही थी पर अभी उसको इतना अच्छे से आता नहीं था। वक़्त देखते हुए मैंने ज्यादा आगे ना बढ़ने का विचार किया और उसको पजामा और अपने कपड़े सही करने को कहा।
वो उठी और अपना पजामा चढ़ाने लगी। मैंने उसको रोका और उसके चूतड़ों पर चूम लिया और पजामा ऊपर कर दिया और अपने कपड़े भी सही कर लिए।
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
तो वो मुस्कुराने लगी।
मैंने एक बार और उसको किस किया और हम नीचे आ गये।
अब मुझको इंतजार था अगले सही मौके का जब मैं अपनी परी को अपने बिस्तर के रानी बना सकूँ।
कहानी जारी रहेगी। 2855
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