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प्रेमशिर्ष भार्गव
10-12 बार ऐसा करने के बाद मैं नीचे झुका और उसकी लेगिंग्स को नीचे सरका कर निकाल दिया। कोमल ने पैंटी नहीं पहनी थी। मैं छत पर घुटनों के बल बैठ गया और उसके योनि को बेतहाशा चूमने चाटने लगा। बारिश के पानी के साथ चूत चूसने में कितना मजा आता है इसका अंदाजा आपको ऐसा करने के बाद ही लग सकता है।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों के दोनों भागों पर दबाव बनाया और अपनी जीभ उसकी योनि के बीच गहराई तक डाल कर घुमाने लगा। बीच-बीच में मैं उसके योनि पृष्ठों को जोर से चूसता जिससे कोमल मेरे बालों को सहलाते हुए अपनी मुठ्ठियों को भींच लेती। जब मैं अपने चेहरे से उसकी योनि पर जोर से दबाव बनाता तो वो उत्तेजना से अपने पैर उचका कर मेरे चेहरे पर दबाव बनाती।
टिप-टिप बारिश के आगोश में हम दोनों प्रेम का परम आनन्द प्राप्त कर रहे थे।
उत्तेजना से सिसकारियाँ भरते हुए कोमल ने कहा- प्रेम अब बस करो ! प्लीज़ खड़े हो जाओ !
और मैं जैसे ही खड़ा हुआ, कोमल अपने घुटनों के बल बैठ गई और तुरन्त मेरे लिंग को अपने मुख में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी।
मेरी उंगलियाँ उसके गीले बालों को सहलाने लगी। अपने मुंह में लिंग को भरकर कोमल आगे पीछे करने लगी। बीच-बीच में वो अपनी जीभ को मेरे लिंग के लाल सुपारे पर फेरती जिससे उत्तेजना को रोकना मुश्किल हो जाता।
मैं बरसात का पूरा मज़ा लेना चाहता था इसलिए केवल 2 मिनट बाद ही मैंने कोमल का चेहरा अपने दोनों हाथों में भरा और उसे खींच कर खड़ा कर दिया।
हम एक बार फिर एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे। मेरा लिंग बुरी तरह से खड़ा था और कोमल की जांघों के बीच रगड़ खा रहा था। कोमल ने मदहोश आवाज में कहा- प्रेम अब और बर्दाश्त नहीं होगा, प्लीज इसे जल्दी से अन्दर डालो।
और वह मेरे लिंग को पकड़ कर अपने योनि के पास ले जाने लगी।
मैंने उसके खड़े पोजीशन में ही उसके दोनों पैरों के बीच में थोड़ी सी दूरी बनाईं और झुक कर अपने कड़क लिंग को उसकी योनि के ऊपर टिकाया पर सही पोजीशन नहीं होने का कारण लिंग सरक गया।
एक दो प्रयासों के बाद मुझे सफलता मिली और इस बार मेरे लिंग का सुपारा उसकी योनि में घुस गया। मैं थोड़ा सा और झुका और दबाव बढ़ाया। चूंकि कोमल की योनि पहले से ही बहुत ज्यादा गीली थी, बिना किसी परेशानी के मेरा लिंग लगातार सरकते हुए कोमल की योनि में जड़ तक घुस गया। मीठे दर्द से कोमल कसमसा गई और उसने मुझे जोर से पकड़ लिया।
उत्तेजना से वह मेरी पीठ पर हाथ फेरती और नाखून भी गड़ा देती थी जिससे मुझे हल्का दर्द होता था पर मजा भी आता था। मैं अपनी कमर झुका कर शॉट लगाने लगा। अपने दोनों हाथों से मैंने कोमल के हिप के दोनों भागों को पकड़ लिया। जब तेजी से मेरा लिंग योनि के जड़ तक जाता तब मैं अपने दोनों हाथों से उसके हिप को अपने लिंग में दबाता जिससे मेरा लिंग पूरी गहराई तक चला जाता।
साथ ही बीच-बीच में हम एक दूसरे के होंठों को भी चूसते। इस पोजीशन का अपना ही मजा है। जिन्होंने इसे आजमाया है वो बेहतर जानते होंगे और जिन्होंने नहीं आजमाया है उनको सलाह देता हूँ कि एक बार जरुर आजमायें, यकीन मानिये, बहुत मजा आएगा।
इस पोजीशन में दोनों पार्टनर अपने पैरों पर खड़े होते हैं इसलिए दोनों के दोनों हाथ खाली होते हैं जिसका प्रयोग एक दूसरे को सहलाने के लिए या अन्य काम-क्रीड़ा के लिए किया जा सकता है। हम दोनों का चेहरा आमने-सामने था जिससे संसर्ग के साथ चुम्बन का भी भरपूर आनन्द आ रहा था। दोनों का सीना भी आपस में मिल रहा था। बारिश में गीले बदन, नर्म-नर्म उरोज जब मेरी छाती से रगड़ खाते, तो अद्भुत आनन्द आता था।
मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। कोमल भी अपनी कमर आगे पीछे कर रही थी जिससे हम लोग जोरदार सेक्स कर रहे थे। हमारे नंगे बदन पर बारिश का पानी था इसलिए जैसे ही दोनों शरीर का मिलन होता फच्च-फच्च की जोरदार आवाज आती जिससे हमारी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती।
5-7 मिनट के बाद मैंने पोजीशन बदलने की सोची।
मैं कोमल को झुका कर घोड़ी के पोजीशन में ले आया और पीछे से अपने लिंग को उसकी योनि में घुसा दिया। मैं तेजी से लिंग को अन्दर बाहर करने लगा। मैंने उसकी कमर को दोनों हाथ से पकड़ा और धक्के के साथ-साथ उसकी कमर को भी अपने तरफ खींचने लगा।
25-30 झटकों के बाद मुझे लगा कि मेरा स्खलन हो जायेगा तो मैं थोड़ा रुक गया। मेरा लिंग उसकी योनि में ही था। कोमल ने जमीन पर अपने दोनों हाथों से सहारा ले रखा था। मैं कोमल के ऊपर झुक गया और उसके स्तनों को सहलाने लगा। मैं उसकी पीठ पर चुम्बन कर रहा था और हल्के से काट भी रहा था। उत्तेजना के कारण कोमल के अंग अकड़ गए और वह झड़ गई।
मैंने अपने लिंग से उसके अन्दर दबाव बनाया हुआ था पर अन्दर बाहर नहीं कर रहा था। चूंकि हम काफी देर से भीग रहे थे कोमल को ठंड लगने लगी थी, उसने कहा- चलो प्रेम, अब बाकी का मजा नीचे बाथरूम में करेंगे।
पर मैंने उसे थोड़ी देर और रुकने को कहा क्योंकि मेरा भी स्खलन अब ज्यादा देर रोकना मुश्किल हो रहा था।
मैंने कोमल को छत की रेलिंग पर बिठा दिया। कोमल का एक पैर नीचे था और दूसरा मैंने रेलिंग पर टिका दिया। पीछे एक पेड़ की डाल थी जिस पर कोमल ने अपनी पीठ टिका ली। मैंने उसकी कमर को अपने हाथ के घेरे में जकड़ा और अपना लिंग उसकी योनि पर टिका कर एक ही बार में अन्दर घुसा दिया।
कोमल ने अपने एक हाथ से सहारा ले रखा था और दूसरे से मेरे हिप को पकड़ कर अन्दर की तरफ जोर से दबाती थी। मैंने रफ्तार बढ़ा दी। हमारी सांसें बहुत तेजी से चलने लगी। मैं अपने लिंग को लगभग पूरा बाहर निकाल देता था और फिर वापस डाल देता था और दबाव ज्यादा बनाने के लिए मैं अपने पैरों के पंजे पर खड़ा हो जाता था। तेजी से फिसलता हुआ लिंग जब योनि की गहराई तक जाता तो कामरस से लबालब योनि और लिंग के घर्षण से ‘क्लिक-क्लिक’ की आवाज निकलती जो यौन सुख के आनन्द को और बढ़ा देती।
कोई 20-25 शॉट मैंने लगाये होंगे और मेरे लिंग की गुदगुदी बढ़ने लगी। मैंने अपनी पूरी ताकत रफ्तार बढ़ाने में लगा दी। मेरी बाहें उसकी कमर पर और जोर से कस गईं। और फिर एक बार जो लिंग तेजी से अन्दर गया, कामरस का फव्वारा योनि में फूट पड़ा। मैं निढाल हो गया और झुक कर कोमल के कंधे पर अपना सिर टिका दिया।
गर्मी निकलने के साथ ही जोर की ठण्ड का एहसास होने लगा। मैं सीधा खड़ा हुआ और सहारा देकर कोमल को भी खड़ा किया। कोमल ने अपनी योनि को हाथ से पोंछा और मैं हमारे कपड़े उठा लाया जो छत पर दूसरी तरफ पड़े थे। हम नंगे ही नीचे आये और बाथरूम में साथ में नहाने का आनन्द लेने लगे, एक दूसरे को प्यार से नहलाने में बहुत मजा आया। हमने एक दूसरे को सुखाया और कपड़े भी पहनाये। फिर साथ में बैठ कर गर्म कॉफ़ी के साथ हमने जिंदगी के कई हसीं ख्वाब देख डाले।
जैसा कि मेरी माँ पड़ोस वाली भाभी को रात को मेरे घर सोने के लिए कह गईं थी, वह रात को करीब 10 बजे हमारे घर आ गईं। वह उम्र में मुझसे 5 साल ही बड़ी होंगी इसलिए मजाक बहुत करती हैं, उन्होंने मजाक में कहा- क्या देवर जी, आप दो जवान लोग घर में अकेले थे, कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं किये?
कोमल बहुत जोर से शरमा गई पर मैंने मजा लेते हुए कहा- क्या भाभी, अभी तो हम उसी कोशिश में थे कि आप आ गईं…
“अरे.. तो आप लोग अभी भी जो चाहे कर सकते हैं, भाभी से क्या शरमाना ?” भाभी ने हंसते हुए कहा।
कोमल शरमा कर रसोई में चली गई और भाभी के लिए चाय बनाने लगी।
उसके जाने के बाद भाभी ने मेरे करीब आकर धीरे से पूछा- क्या सच में आप दोनों का कोई चक्कर है? अगर है तो बताइए, हम वापस चले जाते हैं।
मैंने सोचा हाँ कर दूँ और पूरी रात मज़े लूँ पर खतरा बहुत था। एक तो भाभी वापस अपने घर जाती तो यह बात खुल सकती थी कि मैं और कोमल दोनों घर में अकेले थे। अगर वो घर पर रुकती तो मैं और कोमल दोनों कमरे में साथ सो सकते थे पर मेरी भाभी पर मुझे भरोसा नहीं था कि वो ये बात किसी को नहीं बतायेंगी।
ममला सिर्फ सेक्स नहीं था, मुझे कोमल से प्यार हो गया था। मैं नहीं चाहता था कि कोई भी बदनामी हो। मैंने भाभी को कहा- नहीं, मैं बस मजाक कर रहा था।
भाभी और कोमल एक कमरे में सो गए और मैं दूसरे में। इतने करीब होकर दूर होना कितना दर्द देता है, मैं महसूस कर रहा था। रात को करीब दो बजे जब भाभी सो रही थी, मैं कोमल को अपने कमरे में बुला लाया। तब एक बार फिर हमने टूट कर एक दूसरे को प्यार किया। फिर आगे दो और दिन में हमने कई बार सेक्स किया और सेक्स में लगभग हर आसन में सम्भोग के मज़े लिए।
बहुत कुछ नया भी किया जिसके बारे में फिर कभी लिखूँगा।
बीते हुए चार दिनों ने हमारी जिंदगी बहुत हसीन कर दी थी। जो भी अचानक से हुआ था वह हम दोनों के लिए बिल्कुल अप्रत्याशित था। ऐसा कुछ हो भी सकता है मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। पर कहते हैं, प्यार के दीवानों के पास खुशियाँ ज्यादा देर नहीं टिकती। किसी शायर ने बहुत उम्दा बात कही है…
‘छत की कड़ियों से उतरते हैं मेरे ख़्वाब मगर, मेरी दीवारों से टकरा के बिखर जाते हैं,
नर्म अल्फ़ाज़, भली बात, मुहज़्ज़ब (शालीन) लहजे, पहली बारिश में ही, ये रंग उतर जाते हैं…!’
कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ। पहली बारिश का यादगार मिलन हमारे दिलों में कैद हो कर रह गया। हमने ऐसी जुदाई झेली जिसके बारे में भी कभी सपने में नहीं सोचा था। पर अगर आपकी मुहब्बत में शिद्दत हो तो उम्मीदें रंग लाती हैं। कई साल बाद हम फिर मिले… पर बहुत कुछ खोने के बाद… और फिर से बिछड़ने के लिए।
सेक्स तो मैंने बहुतों के साथ किये। पर ऐसा प्यार और प्यार वाला सेक्स फिर कभी नहीं हुआ। अब तो हिम्मत नहीं होती किसी से दिल लगाने की, पर सेक्स में बहुत माहिर हो गया हूँ।
कुछ तो है मेरे पास जो किसी को भी मेरा दीवाना बना देता है।
दोस्तो, यह मेरी प्यार की दास्ताँ आपको कैसी लगी मुझे जरूर लिखियेगा। मैं आप सब को जवाब जरूर भेजूँगा, यह मेरा वादा है पर एक निवेदन भी है कि इस कहानी के आगे मेरे और कोमल के बीच क्या–क्या हुआ, यह सवाल मत पूछियेगा। आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में।
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