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और क्या हाल हैं जी?
आपकी श्रेया आहूजा एक बार फिर आपके सामने हाज़िर है एक दोस्त की आपबीती लेकर ! यह कथा है मेरे दोस्त संजय कुमार रस्तोगी उर्फ़ राजू की !
अब आगे राजू की ज़ुबानी:
मैं संजय कुमार रस्तोगी हूँ मेरी उम्र अभी तीस साल है और मैं कालीघाट कोलकाता रहने वाला हूँ।
बात कोई दस साल पहले की है मेरे पड़ोस में एक लड़की रहा करती थी ‘सनम’ जिससे मैं बहुत प्यार करता था। वो मुझसे सात साल बड़ी थी, बहुत ही सुन्दर पतली, गोरी सी ! कद में थोड़ी सी नाटी थी करीब 5 फीट 2 इंच, मध्यम आकार के उरोज और जब जीन्स पहन कर चलती थी तब उसके चूतड़ ! हाय हाय ! क्या लगते थे।
उस समय मैं उसके नाम की बहुत मुठ मारा करता था, मेरा कद करीब 5 फीट 6 इंच है, सांवला हूँ और पहले पतला दुबला था,
सोचता था पढ़ लिख कर अफसर बन जाऊँ फिर उसे प्रपोज़ करूँगा। मैं थोड़े गरीब घर से था और सनम बहुत ही अमीर थी !
इसीलिए पढ़ने के लिए मैं बंगलुरु चला गया और जब वापस आया तब पता चला कि सनम की शादी हो गई।
मम्मी ने बताया कि सनम का पति बहुत ही स्मार्ट है और पायलेट है। एक बार उसे कुछ समय पहले मैंने भी देखा, बहुत ही स्मार्ट था
क्यूँ न हो, अमीर लोग होते ही हैं उनको चूत भी मिलती है मस्ती वाली और अपना क्या था?
यह सोचकर मैं बहुत डिप्रेस्ड रहा, फ़ेल हो गया वापस घर आ गया, बेरोज़गार रहा, फिर कहीं जाकर सरकारी टीचर बना। मादरचोद बना भी तो सरकारी टीचर ! खैर दिन गुज़रते गए।
एक दिन मैंने सनम को देखा, मैंने माँ से पूछा- सनम आई हुई है?
माँ ने बताया कि सनम का तलाक हो गया है तो वो वापस आ गई।
मेरे लिए जो भी रिश्ते आ रहे थे, सब बेकार थे, कोई काली, कोई मोटी इससे कहीं अच्छा आज भी सनम लगती है। मेरे अंदर जो शोले भड़क रहे थे, वो बाहर आ गए और मैंने मम्मी को बोल दिया, बहुत मनाने पर मम्मी ने सनम के घर वालों से बात की, सनम और मैं दोनों एक ही बिरादरी के हैं, उसके घर वाले मान गए और वैसे भी कौन करता एक तलाकशुदा से फिर से शादी ! मैंने शादी के समय सनम को बोल ही दिया जो मेरे अंदर बहुत दिनों से था कि मैं उससे प्यार करता हूँ।
सनम खिलखिलाते हुए हंसी- तुमने पहले क्यूँ नहीं बोला?
मैं- अगर बोलता तो क्या तुम मुझसे शादी कर लेती?
सनम- हो सकता था ! ही… ही… !
वो फिर हंसी, उसकी हंसी देख समय ठहर गया इतनी सुन्दर लड़की मेरी बीवी बन रही है। सनम की उम्र रही होगी कोई छत्तीस साल
दुल्हन के जोड़े में एकदम टोटा दिख रही थी।
शादी के बाद सुहागरात थी, सनम मेरा इंतज़ार कर रही थी कमरे में, मैं अपने दोस्तों के साथ दारु पी रहा था।
एक दोस्त ने मुझसे कहा- यार राजू तेरे को और कोई नहीं मिली जो इस बुढ़िया से शादी कर ली?
दूसरे ने कहा- यार, इसकी चूत तो इंडियागेट होगी न जाने इन सात सालो में अपने पति से कितनी बार चुदी होगी।
मैं- मादरचोदो, तुम्हारी भाभी है।
तीसरे ने कहा- अच्छा है भाई, अनुभवी है, तेरे को सिखा भी देगी ! हा… हा…!
मुझे बहुत बुरा लगा, मैंने सबको भगा दिया और अपने कमरे में गया तो देखा सनम बैठी हुई थी दुल्हन के जोड़े में !
बहुत सुन्दर लग रही थी, जो माँगा था मुझे मिल गया था।
मैं उसके पास बैठा घूँघट उतारा, फिर उतावली में ब्लाउज़ के हुक सामने से खोले बिना ब्रा समेत ब्लाऊज़ ऊपर कर दिया, उसके स्तन नीचे लटक गए, उसकी उम्र ढल रही थी, मैं समझ गया था !
मैंने उनको छुआ, बहुत मुलायम थे।
सनम- आज कुछ नहीं करें तो चलेगा? कल बहुत काम हैं।
मैं- एक चुम्बन भी नहीं?
सनम मुस्कुराते हुए- ओके सिर्फ एक !
मैंने सनम को करीब किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
मैंने उन्हें चूसा, बहुत मुलायम थे, मीठे से ! बाद में सनम मुझसे लिपट कर सो रही थी।
मैं रात भर सोचता रहा- क्या मैं इतना फुद्दू हूँ? कुछ बन न पाया, टीचर बना, मादरचोद न शक्ल न सूरत, और लड़की मिली तलाकशुदा ! बहनचोद किसी और की सात साल तक चुदी हुई मुझसे सात साल बड़ी ! जब प्यार किया तब मुझसे करती नहीं और जब उसकी शादी टूट गई, तब मुझसे शादी कर ली।
फिर मैंने सोचा कि मैं तो इससे प्यार करता था और फिर इसमें इसकी क्या गलती? मैं बहुत ही निराशावादी व्यक्ति हूँ, न कुछ बन पाया, न ज्यादा कमा पाया।
अगले दिन मैं घर से बाहर चला गया और ठेके के बाहर खड़ा मैं देसी दारु पी रहा था, उस ठेके में रिक्शावाले भी दारु पीते हैं, मैं उसी लेवल का आदमी भी बन गया था।
गरीब तो था ही, मेरी सोच भी नीची हो गई थी। बहुत दारु पी, फिर सोचा आज जी भर के चोदते हैं। यह कहानी आप अन्त र्वासना डॉट कॉम में पढ़ रहे हैं और इसी में सनम की चुदाई भी पढ़ेंगे कि कैसी मेरे जैसा आदमी एक अमीर लड़की की चुदाई करता है।
मैं घर आया, दारु के नशे में धुत्त था। सनम इकलौती बेटी थी अमीर माँ बाप की, माँ बाप बहुत ही बूढ़े हो गए थे और सनम का कोई था नहीं !
मैंने देखा सनम छोटी सी नाईटी पहन कर कमरे में घूम रही थी और बाल सूखा रही थी।
मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया, बोला- तुम औरतें ऐसी क्यूँ होती हो? एक शादी टूटे कुछ दिन हुए और फिर से चुदाई के लिए तैयार हो?
सनम- यह कैसी बातें कर रहे हो राजू?
मैं- तमीज से बात कर ! मैं तेरा पति हूँ। चल कपड़े खोल !
उसने नहीं खोले तो मैंने ही नाईटी खोल दी, अंदर वो ब्राइडल ब्रा पैंटी लाल रंग की पहने हुई थी। उसने अपने उरोजों को हाथों से छुपा लिया।
मैं- कुतिया, शर्मा क्यूँ रही है? पहले नहीं चुसवाया है?
सनम- यह क्या बोल रहे हो? प्लीज़ मत बोलो ऐसे !
मैं- चुप रह !
मैंने उसकी ब्रा खोली, उसकी चूचियाँ दबाई, बहुत नर्म- मुलायम थी, फिर निप्पल निचोड़ दी।
सनम- आह, बस !
मैं- बस अभी तो शुरुआत है।
बहुत अच्छी भीनी भीनी खुश्बू आ रही थी उसके शरीर से ! फिर मैंने कच्छा उतारा और अपना लंड चूसने को बोला। वो चूसने लगी।
‘अहह !’ बहुत मजा आ रहा था लेकिन अभी उसको सजा देना बाकी था, उसने समय रहते मुझसे शादी नहीं की थी ना !
मैंने जी भर लंड चुसवाया फिर उसकी एक जबर्दस्त पप्पी ली।
मैं- क्या हुआ? बुरा लगा?
सनम ने कुछ नहीं कहा।
मैं- क्यूँ तेरे पहले वाले का लंड इससे भी बड़ा था क्या? उसको नहीं चूसती थी?
सनम अब भी खामोश रही।
मैं- तेरा पति हूँ ! समझी, रोज चुसवाऊँगा।
मैंने उसकी पैंटी खोल दी- तेरी चूत तो फटी हुई होगी। इतने साल चुदी जो है।
सनम- ऐसे क्यूँ बोल रहे हो? आज हमारी पहली रात है।
मेरे अंदर बहुत निराशा थी, जिंदगी में कुछ न बन पाने की ! सोचा सारी निराशा इसकी गांड में निकाल दूँ।
मैंने एक उंगली उसकी बुर में डाली, पूरी गीली थी।
मैं- ओह्ह चूत तैयार है ! मेरे दोस्तों ने ठीक कहा था, बहुत तजुर्बेकार बीवी मिली है मुझे ! लेकिन मैं तेरी चूत नहीं गांड मारूँगा।
सनम डर गई और मुझसे विनती करने लगी- अजय (पहला पति) ने कभी वहाँ नहीं डाला, मुझे बहुत दर्द होगा।
मैं- हरामजादी, आज भी उससे नहीं भूली? अभी बताता हूँ !
मैंने वही उंगली उसकी गांड में डाली, वो कसमसा गई, गांड सिकोड़ ली।
मैंने अपना लंड का टोपा उसकी गांड में घुसाया- गांड ढीली छोड़ वर्ना छिल जाएगी, सूज जाएगी, सुबह टट्टी भी नहीं निकल पाएगी।
सनम- राजू, जाने दो मुझे ! मुझे यह पसंद नहीं।
मैं- तेरी पसंद न पसंद से मुझे क्या? मैंने शादी की है, अब मैं मन मर्जी करूँगा।
सनम ने फिर और गांड सिकोड़ दी।
मैं- तू ऐसे नहीं मानेगी !
मैंने पूरा जोर लगा दिया और उसकी गांड के अंदर मेरा लंड सरकता चला गया।
सनम- आह… अह्ह्ह… आउच… ओह… गॉड !
मैं- साली, तुम अमीरो के सिसकियाँ भी मज़ेदार होती हैं अंग्रेजी में ! यही कोई गाँव वाली होती तो ‘अम्मा मर गई अम्मा !’ बोलती।
मैं चुटकी लिए जा रहा था और सनम की गाण्ड चोद रहा था।
बहुत ही संकीर्ण छेद था उसकी गाण्ड का ! मैं मम्मे दबा रहा था और उसे पीछे लेटा गांड चुदाई में लगा था।
मैं- सच में तेरी गांड कभी नहीं मारी गई होगी ! ‘अहह…’ मज़ा आ रहा है।
सनम- बस करो ! बहुत दर्द हो रहा है।
मैं- होगा ही ! तेरी चूत की सील नहीं तोड़ी, कम से कम तेरी गांड की तो तोड़ी।
थोड़ी देर धक्के के बाद मैं उसकी गांड में स्खलित हो गया। लंड ढीला पड़ा और बाहर आ गया।
मैं उसके गोरे गोरे कूल्हों के बीच के छेद से अपना वीर्य बहते देखता रहा, फ़िर मुझे नींद आ गई।
बीच रात मेरी नींद फिर टूटी और उसके ऊपर चढ़ गया- तेरे को कौन सी पोजीशन पसंद है?
सनम- कुछ नहीं ! मुझे तुमसे नहीं बात करनी।
मैं- बात कौन करेगा? मैं तो चुदाई करूँगा।
मैंने ऊपर चढ़कर उसकी चूत में लंड डाल दिया।
सनम- आह… ! बस !
मैं- क्यूँ बस? मेरी जान ये ले !
मैं पूरे ज़ोर धक्के मार रहा था और मुझे लगा उसकी सिसकारियाँ बंद हो गई थी।
मैं- क्यूँ फटी हुई चूत नीचे से घस्से मार ! सिखा न सेक्स करना मुझे?
सनम- ‘अहह…’ मत कहो ऐसे !
मैं- वो क्या कहते हो तुम अमीर लोग? ‘डॉगी स्टाइल’ उसमें चुदोगी??
मैं घस्से मारता रहा, साली लाल हो गई, मैं समझ गया कि उसका पानी छूटने वाला है। मैंने लंड बाहर खींच लिया, सनम ने अपनी जांघें सिकोड़ ली।
सनम- राजू मत छोड़ो बीच में…! डालो न…! अहह…!
मैं- नहीं डालूंगा अब पता चलेगा जब मैं अकेला मुठ मारता था जब तू रातों में चुदती होगी !
सनम अपने फ़ुद्दी में उंगली अंदर-बाहर करने लगी।
सनम- आह… अह… अह… अहह… फ़क मी… फ़क मी… फ़क मी…
मैं बिस्तर पर खड़ा हुआ और लंड उसके मुँह में डाला और सारा माल छोड़ दिया उसकी भी योनि ने माल छोड़ दिया। फिर हम दोनों एक दूसरे को जकड़ कर सो गए।
यह औरत जात चुदने के लिए ही बनी है। मैं अभी भी रोज़ रात दारु पीकर चोदता हूँ सनम को !
एडहॉक टीचर होने के चलते मेरे नौकरी भी चली गई, मैं बहुत फस्ट्रेटेड रहने लगा हूँ, अधिकतर समय घर पर रहता हूँ और पूरा दिन खाने पीने और चुदाई में बीत रहा है।
वैसे नौकरी मैं ढूंढ रहा हूँ पर जब अमीर खानदान में शादी की है तो फायदा भी उठा रहा हूँ। सनम अपने घर से पैसे लाकर मेरे घर का और दरू का खर्च उठा रही है।
सनम मुझे छोड़ने से रही क्यूंकि तीसरी बार कौन शादी करेगा? कोई विकल्प नहीं !
मैंने आज भी छक कर दारु पी है और अपने घर सनम को चोदने जा रहा हूँ।
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