बीवी को गैरों से चुदने का मौका देना पड़ता है-1

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लेखक : राहुल शर्मा

मेरा नाम राहुल है, मैं पच्चीस साल का हूँ, मेरी बीवी तेईस की है, वो बला की खूबसूरत हसीना है, उसका गोरा रंग, मस्त सीना, पतली कमर, उभरे चूतड़, सब मिला कर वो एक ज़बरदस्त चोदने लायक औरत है। यह बात तो 101% है कि वो शादी से पहले कई लड़कों से चुदी होगी। पर मैं एक गाण्डू हूँ, मुझे गाण्ड मरवाना पसंद है, सात आठ साल पहले मुझे यह आदत पड़ गई थी और फिर समय के साथ मुझे ज़बरदस्ती दिया हुआ दर्द, मेरी आदत बन गया, खुद लंड की तलाश में रहने लगा था। बहुत चिकना हूँ मैं, मेरे जिस्म पर अगर छोटी सी लुल्ली ना लगी होती तो मैं गज़ब की औरत होती अपनी बीवी जैसी !

इंटरनेट के ज़रिये मैं कई लोगों से जुड़ा और फिर मिलकर उसको हकीकत में बदला, मेरी छाती लड़कियों जैसी है, पर घर वालों की नज़र में एक सम्पूर्ण लड़का हूँ।मैं किसी ऐसे बन्दे से सम्बन्ध बनता था जो मेरी बिरादरी का ना हो, अगर हो तो बड़ी उम्र का शादीशुदा जिसको मेरी इज्ज़त उड़ाने से पहले अपनी इज्ज़त के बारे सोचना पड़े ! मैं दोहरी जिन्दगी जीने लगा था, लेकिन मैंने कभी किसी लड़की से चक्कर नहीं चलाया, ना ही किसी को प्यार किया, अगर किया तो मर्दों से किया, मैंने एक समय सोच लिया था कि मैं देश छोड़ ऑस्ट्रेलिया पढ़ने के लिए जाऊँ और वहाँ सेटल हो जाऊँ।

मुझे इंटरनेट पर एक मेल डॉक्टर मिला जो सेक्स स्पेशलिस्ट था, वो भारत भी आया और मेरे ही शहर के बड़े फाईव स्टार होटल में रुका। मैं उससे वहीं मिलने गया, उसने मुझे गज़ब का प्यार किया, उसने मुझे मेरे वो अंगों का एहसास करवाया जो एक लड़की के होते हैं, जहाँ से लड़की को सेक्स चढ़ता है, में भी उन्ही जगहों से गर्म हुआ, तब उसे विश्वास हो गया कि मेरे अंदर औरत के हारमोंस ज्यादा हैं, उसने मुझे ऐसे ऐसे तरीकों से चोदा जो मुझे किसी इंडियन ने नहीं किया था।

उसने मुझे कहा कि तुमको वहाँ आना पड़ेगा लेकिन उसके बाद अचानक से माँ की तबियत खराब हो गई, वो दिल छोड़ चुकी थी कि उनकी जिंदगी कम है, मैं बड़ा बेटा हूँ, वो चाहती थी कि मेरा भी घर बस जाए, उनकी आँखों के सामने मेरा घर बस जाए ताकि वो अपने पोते का या पोती का मुँह देख सकें।

माँ ने मौसी से कह कर मेरे लिए लड़की देखना शुरु कर दिया, मेरा लंड खड़ा तो होता है लेकिन उतनी देर नहीं कि मैं किसी औरत को सम्पूर्ण संतुष्ट कर सकता ! मुझे एक लड़की से मिलवाया गया जिसका नाम है गीता, बेहद खूबसूरत है, उसके अंग अंग को भगवान ने सांचे में डाल बनाया है, उससे बात करते वक़्त ही मुझे घबराहट महसूस हो रही थी, उसको देख साफ़ पता चलता था कि वो सील बंद पीस नहीं है, जिस तरह की उसकी नशीली आवाज़ थी और उसकी छाती ! हो ही नहीं सकता था कि उसका कोई आशिक न हो !

मुझे इससे क्या था ! माँ ने रिश्ता पक्का कर दिया, गीता मेरी बीवी बनकर मेरे घर आ गई, पहली रात उससे ज्यादा मैं टेंशन में था, मुझे मेरे आशिक ने एक गोली दी जिसको मैंने खा लिया, उससे मेरा लंड अकड़ने लगा, उसके करीब गया वो मुझसे पहले कमरे में पहुँचा दी गई थी। उसने सेक्सी नाईटी पहनी थी जिसे देख कोई सामान्य मर्द पागल हो जाता।

मैंने उससे कहा- तुम यहाँ आकर खुश तो हो? घर छोड़ कर अजीब लगता होगा?

“हाँ, लेकिन थक गई हूँ गहने, भारी लहंगा पहन पहन कर !”

मैंने बेड लाईट जलाई दूसरी बंद उसके बराबर लेट गया, वो मेरे करीब आने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ा ही था कि वो मुझसे लिपट गई। मैंने भी उसका थोड़ा साथ दिया। कसम से इससे पहले मैंने औरत को कभी इस तरह नहीं देखा था, न छूआ था।

उसने अपनी छाती को मेरी छाती से लगा कर दबाया, घिसने लगी, उसने मेरी कमीज़ उतार दी, मेरी चिकनी छाती वो भी नर्म नर्म सी, उसको हैरानी हुई लेकिन कुछ नहीं बोली। उसने खुद को सिर्फ ब्रा पैंटी में ही रहने दिया, बाकी कपड़े उतार दिए।

उसकी गाण्ड बहुत ज़बरदस्त थी, मेरा लंड इतना बड़ा नहीं है। उसने अपनी चूची को पकड़ा, मेरे होंठों से रगड़ने लगी। मैंने मुँह खोला तो उसने निप्पल मेरे मुंह में घुसा दिया, मुझे चूसना पड़ा, मैंने खूब दबाये, चूसे !

मैं बेचारा लंड चूसने वाला कहाँ औरत के जाल में फंसा बैठा था, जो चीज़ में एक मर्द से खुद पर करवाता था आज वो उस पर करना पड़ रहा था, मेरा खड़ा तो हो गया, मुझे लग रहा था कि अगर वो ज्यादा चिपकी तो कहीं मेरा वैसे ही निकल ना जाए ! बहुत गर्म किस्म की औरत है मेरी बीवी !

वो बोली- आपकी छाती इतनी नर्म क्यूँ है?

फ़िर उसने कहा- कपड़े उतारो ना सारे ! मैं खुद नंगी हुई !

मुझे नंगा करवा कर मानी वो ! मेरी गोल चिकनी गाण्ड थी, गोरा जिस्म, नाज़ुक जांघें, कहीं बाल नहीं था।

“सब कुछ आज कर डालोगी? पूरी जिंदगी बितानी है !”

“आज सुहागरात है, मान्यता प्राप्त रात है, कोई डर नहीं !”

उसकी इस बात से समझ गया कि वो पक्का चुद चुकी है, गुस्सा सा भी आया लेकिन फिर सोचा कि राहुल, यह जवानी की आग है ही ऐसी, तू खुद अच्छा लंड देख वहीं मर मिटता है, यह तो औरत है, इसके दो छेद हैं।

वो मेरा लंड चूसने लगी।

“बस करो, हो जाएगा ! इतना मत चूसो !”

“इतनी जल्दी कैसे हो जाएगा?”

“तुम चूस ही ऐसे रही हो !”

उसने जांघे फैला दी, बोली- मेरी चाटो !

मैंने उसकी चूत को खूब चूमा चाटा।

“उंगली घुसा दे और हिला हिला कर चूस-चाट मेरी जान !” वो हवस के नशे में जा जाने क्या बके जा रही थी।

जब उसका होने के करीब था, बोली- घुसा दो राजा, अब रहा नहीं जाता !

‘साली छिनाल’ किस तरह मुझे नचा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने घुसा दिया- हाय, दर्द हो रहा है, धीरे से घुसाओ !

वो यह झूठ कह रही थी, मेरी लुल्ली कैसे उसको दर्द दे सकती थी?

एक मिनट मैं उस पर गिर हांफने लगा।

“बस? मेरी प्यास अभी कहाँ बुझी है?”

“कल रात बुझा दूँगा !”

“मुँह से कर दो तो मुझे भी मंजिल मिय जायेगी राजा !”

मैंने उसकी बात मानी।

खैर अगली रात भी वैसे निकली, थोड़ा समय ज्यादा निकला, वो मुझसे खुश नहीं थी लेकिन कुछ नहीं बोली, इतने बड़े घर में जो आ गई थी। कहाँ एक मध्यमवर्गीय परिवार से एक बड़े घर की बड़ी बहू जो बनी थी।

कहानी जारी रहेगी।

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