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सुनकर मम्मी खुश हो गई और बोली- तुम्हारे मालिक बहुत अच्छे है, तुम भी कभी उन्हें शिकायत का मौका नहीं देना और
जैसा वो कहे वैसे ही सब काम करना।
यह सुनकर मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसके ओठों को चूसने लगा।
वो बोली- सर, कोई आ जायेगा।
मैंने दरवाजा अन्दर से लॉक किया और फिर उसे चूमने लगा और उसके बड़े बड़े चूचे दबाने लगा तो वो शरमाकर बोली- सर,
धीरे धीरे ! प्लीज ! दर्द होता है।
थोड़ी देर उसको मसलने के बाद मैंने उसे छोड़ा और कहा- मैं देखना चाहता हूँ कि कल जो ब्रा और पेंटी मैंने दी थी, वो फिट है या नहीं।
उसने कहा- नहीं नहीं सर ! यह नहीं हो सकता, मुझे बहुत डर लगता है।
तो मैंने कहा- ठीक है, फिर तुम जाओ।
वो वहीं खड़ी रही तो मैंने कहा- क्या हुआ? तुम घर क्यों नहीं जा रही?
तो उसकी आँखों में आँसू आ गए और वो मेरे पास आ कर मेरे से लिपट गई और बोली- सर, मैं आपको नाराज करके नहीं जा सकती हूँ, लेकिन मुझे शर्म आती है।
मैं उठ कर उसके पास गया और बोला- ठीक है, अगर तुम्हे शर्म आती है तो तुम अपनी आँखें बंद कर लो।
उसने वैसा ही किया, मैं धीरे से उसके शर्ट के बटन खोलने लगा उसका सारा शरीर कांप रहा था।
जैसे ही मैंने उसके पूरे बटन खोले, मेरी साँस रुक गई, मैंने धीरे से उसका शर्ट उतार दिया।
दोस्तो, क्या नजारा था, दो गोरे चिट्टे कबूतर मेरे सामने तन कर खड़े थे। मैंने अपने हाथ उसकी बगलों के पीछे ले जाकर उसकी नई ब्रा का हुक भी खोल दिया, दोनों कबूतर उड़ने के लिए फड़फड़ाते हुए बाहर आ गए।
मैंने उसकी पूरी ब्रा को उतार दिया। अठारह साल की लड़की के चूचों की तो बात ही अलग होती है, जिसने देखें हो, वही जान सकता है, वी शेप में तनी हुई चूचियों पर एक इंच का गुलाबी एरोला और मटर का दाना !
मैंने एक कबूतर को पकड़ कर दबाया तो क्या बताऊँ दोस्तो, कैसा लगा? छोड़ने पर चूची काफी देर तक थरथराती रही और उसके गोरी त्वचा पर मेरी अंगुलियाँ जैसे छप सी गई।
वो आँखें बंद किये धीरे धीरे कांप रही थी, मुझे तो कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने झट से उसके एक चुचूक को मुँह में लिया और चूसने लगा और हाथ से उसके दूसरे उभार को जोर जोर से दबाने लगा।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- सर धीरे धीरे करिए !
तो मैंने कहा- अगर तुम चाहती हो कि मैं धीरे करूँ तो तुम्हें आँखें खोल कर रखनी पड़ेगी।
उसने आँखें नहीं खोली तो मैं और जोर से उसके स्तनों को मसलने लगा। आखिर उसने आँखें खोल दी लेकिन मेरी तरफ देख नहीं रही थी।
मैंने धीरे से उसके घाघरे का नाड़ा पकड़ा तो उसने फिर मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने दूसरे हाथ से उसका वो हाथ हटाया और नाड़े को खीँच कर खोल दिया। नाड़ा खींचते ही उसका पेटीकोट नीचे उसके पैरों में गिर गया वो झट से नीचे बैठ गई।
मैं भी उसके साथ कालीन पर बैठ गया, फिर धीरे से उसको वहीं लिटा के मैं भी उसके पास लेट गया और उसका एक उरोज मुँह में लिया और एक हाथ उसकी पेंटी के ऊपर फ़िराने लगा।
उसने अपनी दोनों टाँगें आपस में भींच ली तो मैंने कहा- देखो, तुम इस तरह करोगी तो मैं चला जाऊँगा।
वो कुछ नहीं बोली लेकिन अपनी टांगें जरूर ढीली कर ली। मैंने उसकी चड्डी में हाथ डाल दिया। मैं उसके रोयें जैसे मुलायम छोटे छोटे बालों में हाथ फ़िराने लगा।
जैसे ही मैंने उसकी चूत के दाने को छुआ, वो मेरी तरफ करवट लेकर मुझसे लिपट गई। मैंने उसकी चड्डी उतार दी और मेरे कपड़े भी निकाल दिए। मैंने उसका हाथ पकड़ा और मेरे पूरे तने हुए गर्म लण्ड को उसके हाथ में दे दिया।
उसने मेरा लंड पकड़ तो लिया लेकिन कुछ कर नहीं रही थी, मेरा लंड उसके हाथों में झटके खा रहा था। मैंने उसे सीधा किया और उसकी चूत को सहलाने लगा, कभी उसके दाने को सहलाता कभी उसको चुटकी में दबाता। अब उसकी चूत पानी छोड़ने लगी, साथ ही उसका हाथ मेरे लंड को दबाने लगा। मैं उसकी गीली चूत को उंगली से सहलाता रहा और उसकी चूत के छेद का आकार देखने लगा। उसकी लाल लाल चूत के नीचे की तरफ़ मटर के दाने जितना छेद दिख रहा था जिसमें से सफ़ेद गाढ़ा पानी निकल रहा था।
मैंने एक उंगली उसके छेद में डाली तो पहली बार वो थोड़ा मचली और उसके मुँह से आ…उह करके आवाज निकली, और वो बोली- दुखता है सर !
फिर मैंने उसे उठाया और कुर्सी पर बिठाया और मैं मेज पर उसके दोनों तरफ पैर फैला कर बैठ गया, धीरे से उसके सिर को पकड़ कर मेरा लंड उसके होठों पर फिराया। उसने मेरी तरफ देखा, मैंने मुँह खोलने का इशारा किया और अपने लंड का टोपा उसके मुंह में दे दिया ।वो उसे चाटने लगी और मैं हाथ नीचे करके उसके दोनों उभारों को दबाने लगा। उसने दोनों हाथो से मेरा लंड पकड़ लिया और टोपा मुँह में लेकर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी। मेरा लंड छूटने के पहले ही मैंने उसके मुंह से निकाला और उसके दोनों चूचों को मलाई से नहलाने लगा।
वो अचरज से यह देख रही थी, फिर उसने पूछा- यह क्या है?
मैंने उसे बताया- यह रस जब लड़की की चूत में जाता है तो बच्चा पैदा होता है।
उसने ‘धत्त’ कहा और कहा- ऐसे थोड़ी न होता है।
मैंने कहा- धीरे धीरे तुम्हें सब पता चल जायेगा !
मैंने उसके दोनों स्तनों पर अपना कामरस मल दिया और अपना लंड फिर उसके मुंह में दे दिया। मेरा लंड फिर खड़ा होकर तन गया।
मैं उठा मेज के दराज से जेली की ट्यूब निकाली जो मेरे पास हमेशा रहती है क्योंकि मुझे नई नई सील तोड़ने में बहुत मजा आता है, और मेरा बिजनेस भी ऐसा है कि मुझे नई नई सील तोड़ने को मिलती रहती है, अब तो मैं सील तोड़ने का एक्सपर्ट हो चुका हूँ।
खैर मैंने उसे लिटाया और उसके साथ लेट गया जेली हाथ में लेकर उसकी चूत में अच्छे से लगाने लगा, धीरे धीरे एक उंगली जेली में भर कर उसके मटर के दाने जितने सुराख़ में डालने लगा।
वो पहले तो थोड़ा कसमसाई फिर एक उंगली उसकी चूत में आराम से जाने लगी, फिर मैंने अपने अंगूठे पर जेली लगा कर धीरे से उसकी चूत में पेल दिया।
उसने धीरे से ‘उइं… मम्मी’ कहा तो मैंने कहा- हो गया, अब दर्द नहीं होगा।
एक मिनट अंगूठे से चोदने के बाद उसकी चूत में से गाढ़ा गाढ़ा पानी निकलने लगा। अब में उसके पैरों के बीच आकर बैठ गया, उसके पैरों को ऊपर उठाया तो देखा कि अब उसका छेद मेरी उंगली जितना हो गया था।
मैंने अपने लंड पर जेली लगाई और अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत पर सेट करके धीरे से उसके ऊपर लेट गया, दोनों हाथों से उसके दोनों चूचे मसलने लगा और अपने मुँह में उसके होटों को लेकर चूसने लगा। उसके दोनों हाथ अपनी पीठ पर लगाने के लिए कहा फिर धीरे से अपने लंड का दबाव उसकी चूत लगाया।
जेली लगी होने से लंड का सुपारा फच से उसकी चूत में घुस गया उसके मुँह से गूं गूं की आवाज आने लगी और वो अपना सिर इधर उधर मारने लगी।
मैंने उसका मुँह छोड़ा तो वो रोने लगी और बोली- सर, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- अब तो हो गया है, अभी दर्द कम हो जायेगा, क्या तुम मेरे लिए इतना दर्द भी सहन नहीं कर सकती?
वो कुछ नहीं बोली, उसकी चूत की चमड़ी मेरे टोपे और लंड के बीच कस गई। मैं उसके उभार मसलता रहा, उसको सहलाता रहा।
अब वो सामान्य हो रही थी। फिर अचानक मैंने उसके कंधे पकड़ कर एक करारा शाट मारा और मेरा सात इंच का लंड उसकी झिल्ली फाड़ता हुआ पूरा अन्दर घुस गया। वो जोर से चिल्लाई- उई मम्मी मर गई…
मैं उसके होठों को चूमने लगा और उसका सिर सहलाने लगा। उसका पूरा शरीर पसीने में भीग गया था। मैं थोड़ी देर रुका रहा, फिर जब उसकी धड़कन सामान्य हुई तो उसको सांत्वना देते हुए कहा- अब तो पूरा चला गया है, चाहो तो छूकर देख लो !
फिर मैंने धीरे धीरे अपना लंड बाहर निकालना शुरू किया वो भी लंड के साथ ऊपर उठने लगी। मैंने उसकी जाँघों को दबा कर टोपे तक अपना लंड बाहर निकाला और फिर एक साथ पेल दिया।
वो ‘उई मम्मी ! उई मम्मी !’ करने लगी। धीरे धीरे मेरा लंड आराम से अन्दर बाहर होने लगा, वो भी अब हर झटके के साथ सिर्फ ओह ओह कर रही थी। मैंने उसके कंधे पकड़ कर अपनी स्पीड बढ़ाई, अब मेरा पिस्टन आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था।
दस मिनट बाद उसकी बाहें मेरी पीठ पर कसने लगी, अब वो छूट रही थी, उसने मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए, मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और दो मिनट बाद में उसकी चूत में ही झड़ गया।
उसकी चूत को अपने रस से लबालब भरने के बाद जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला उसकी चूत से मेरे और उसके रस के साथ उसकी सील टूटने का खून भी बाहर आने लगा। मैंने जल्दी से उसकी चूत के नीचे टावेल लगाया उसकी चूत फूल कर पाव रोटी हो गई थी और उसके मटर जितना छेद अब ऐसा लग रहा था जैसे लाल अंजीर को बीच में से काट कर रख दिया हो। फिर मैंने उसे उठाया और पेंटी पहना कर कुर्सी पर बिठाया।
अचानक वो उठी और मुझसे लिपट गई और बोली- मुझे कभी छोड़ना मत !
तो मैंने कहा- मैं तो तुम्हें निकालूँगा नहीं, तुम अपनी मर्जी से जाना चाहो तब ही जाना !
तो दोस्तो, यह थी मेरी एक और कहानी !
दोस्तो, फिर मिलेंगे, किसी को मुझसे राय चाहिए तो कृपया मेल करें !
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