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मेरा नाम अनु है, मैं झारखण्ड राज्य का रहने वाला हूँ। मैं 19 साल का हूँ, बी कॉम पार्ट वन में पढ़ता हूँ! यह मेरी पहली कहानी है और एक साल पहले की सच्ची घटना है।
मेरे मोहल्ले में एक बारिक नाम का आदमी रहता है, मैं उन्हें भाईया कहता हूँ। वे शादीशुदा और चार बच्चों के बाप हैं, उन्होंने अपने घर में एक कमरे को एक आंटी को किराये पर दे रखा था उनका नाम शबनम है उनकी उम्र लगभग 30 साल है, फिगर 38-30-38 है, हालांकि वे सांवली हैं फिर भी उनकी रस भरी चूचियों को देखते ही कौन नहीं चोदना चाहेगा! उनकी आधी उघड़ी बड़ी चूचियों को देख कर देखने वालों के मुँह से लार टपकने लगती है, उनकी नशीली आँखें देख कर लोग पागल हो जाते हैं। हम लोग उन्हें आंटी कहते हैं, उनके पति उन्हें छोड़कर चले गए थे, वे अकेली रहती थी।
यह घटना उस दिन की है जब मेरे घर में कोई नहीं था, सभी लोग 2 दिनों के लिए शादी में गए थे!
दोपहर को मैं बिल्कुल तन्हा सो रहा था कि दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। दरवाजा खोलने पर मैंने देखा कि सामने आंटी खड़ी हैं।
मैंने पूछा- क्या बात है आंटी? आंटी ने कहा- अनु, मेरा एक काम करोगे? मैंने बोला- हाँ बोलिए, क्या काम है? तो आंटी ने कहा- मुझे मार्केट जाना है, तुम अपने बाईक से ले जाओगे? मैंने कहा- ठीक है!
आंटी को अंदर बैठा कर अपने कमरे जाकर कपड़े बदलने लगा। मैं नंगा हो चुका था कि अचानक मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी मेरे तो होश ही उड़ गए सामने आंटी खड़ी थी,
अब हम दोनों की नज़रें टकराई तो आंटी मुस्कुरा कर चली गई। फिर मैं कपड़े पहन कर आया तो आंटी मुस्कुरा रही थी, मैं आंटी से नज़र नहीं मिला पा रहा था।
तभी आंटी ने मेरे हाथ पकड़ के अपने सीने पर रख लिया। मेरे तो होश ही उड़ गए, तुरंत मेरा 7 इंच का लंड खड़ा हो गया।
आंटी मेरी पैंट देख रही थी, मेरे खड़े लंड को देख रही थी!
मैं तुरंत आंटी का हाथ हटाकर कहा- चलिये!
आंटी मुस्कुरा दी।
मैं आंटी को बाइक पर बैठा कर ले जा रहा था, ट्रैफिक होने के कारण बार बार ब्रेक मारना पड़ रहा था जिससे आंटी के विशाल उरोज मेरी पीठ से बार बार सट रहे थे, मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया।
किसी तरह से अपने आप को सम्भाला, आंटी ने खरीददारी कर ली और हम घर वापस जाने के लिए निकल रहे थे!
शाम के सात बज रहे थे, आसमान में बादल छा गए, मौसम खराब हो चुका था, हम लोग जा रहे थे। रास्ते में हल्की हल्की बूँदा बांदी होने लगी।हम लोग घर पहुँचने वाले थे कि बारिश होने लगी तो मैंने आंटी से कहा- आज रात मेरे घर पर रुक जाओ ना!
आंटी मान गई।
मैं और आंटी पूरी तरह भीग गए थे, आंटी के वक्ष के पूरे उभार साफ साफ दिख रहे थे। यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।
आंटी मुझे ही देख रही थी।
मैंने आंटी से कहा- क्या देख रही हो ऐसे मुझको?
तभी अचानक आंटी ने मुझको पकड़ कर मेरे होंटों को चूमने लगी।
आंटी के होंट इतना मधुर लगे मुझे कि मैं तो मदहोश हो गया था।
पर तभी मुझे जैसे होश आया, मैं आंटी को हटाकर बोला- यह क्या कर रही हैं आंटी?
शबनम आंटी बोली- अनु, मैं बहुत दिनों से तुमसे मिलना चाहती थी। लेकिन मैं डरती थी कि तुम क्या सोचोगे लेकिन आज तुम्हे ऐसे देखा तो लगा कि आज कुछ भी हो जाए, आज अपनी इच्छा पूरी करके ही रहूँगी। और अब तो तुम्हारे खड़े लंड को भी देख लिया है!
इस पर मैं बोला- मैं भी आपको चोदना चाहता था लेकिन डरता था! आपके मुँह से सुन कर मेरा सपना पूरा हो गया।
मैं आंटी को अपनी बाहों में दबोचा और बाथरुम में लेकर नहाने गया। हम दोनों एक दूसरे के गीले कपड़े उतारने लगे।
मैं आंटी की चुच्चियाँ दबाने लगा, ओह, चुच्ची नहीं चुच्चे!
आंटी के खरबूजे जैसे विशाल स्तन कड़क हो चुके थे, ये इतने बड़े-बड़े थे कि एक हाथ से दबा नहीं पा रहा था, दोनों हाथों से एक को दबाना पड़ रहा था!
आंटी का हाथ मेरे कच्छे पर आया तो मैंने तुरंत अपना कच्छा खोल कर लौड़ा बाहर निकाला। आंटी मेरे लंड को देख कर हैरान हो गई,
आंटी बोली- इतना लम्बा और मोटा लंड कभी नहीं देखा मैंने!
आंटी तुरंत मेरा लंड अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। हम लोग 69 की अवस्था में आकर मजे करने लगे।
आंटी की फ़ुद्दी से नमकीन रस निकल रहा था, मैं अपनी जीभ से शबनम की चूत चोद रहा था।
आंटी ने कहा- अब रहा नहीं जाता, चोद दे मुझे!
तुरंत मैं आंटी को बेडरूम में लाया उन्हें बिस्तर पर लिटा कर अपना लंड आंटी की योनि के लबों पर रखा, और एक झटका मारा। आंटी के मुँह से चीख निकल गई, कहने लगी- धीरे धीरे घुसा ना! बहुत दिन से इसने लौड़ा नहीं लिया है।
आंटी की चूत एकदम कसी थी काफी दिनों से चुदी नहीं थी। मैं अपना लण्ड हल्का हल्का अन्दर धकेलने लगा। फ़िर एक झटका मारा तो 3 इंच तक लंड अंदर चला गया। आंटी तड़प कर उछल गई। मैंने सोचा एक बार में ही पूरा अन्दर कर देता हूँ, जोर से एक झटका और मारा, पूरा लंड एक ही बार में अंदर चला गया।
आंटी की आँखों से आँसू निकलने लगे, आंटी चिल्ला रही थी, कह रही थी- मुझे छोड़ दे! मुझे नहीं चुदना तेरे से!
मैं दो मिनट के लिए वैसा ही पड़ा रहा, फिर मैं लंड अंदर-बाहर करने लगा। दर्द कम हो जाने के कारण आंटी को मजा आने लगा। मैं चोद रहा था तो आंटी की सिसकारियाँ निकलने लगी। अब मैं जोर जोर से चोद रहा था, पूरा कमरा पलंग की हिच हिच की आवाज से गूंज रहा था।
आंटी आह… आह… आह… ई… ऊ… ऊ… ई… कर रही थी, मैं जन्नत की सैर कर रहा था।
15 मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था, हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर जकड़ लिया और साथ साथ झड़ने लगे।
दो मिनट हम दोनों तक वैसे ही रुके रहे, फ़िर कुछ आखिरी झटके धीरे धीरे लगाए।
चुदाई के दौरान आंटी एक बार बीच में झड़ चुकी थी।
फिर हम लोग कुछ देर बाद नहाने गए। नहा कर कपड़े पहन कर आंटी ने रसोई में जाकर खाना बनाया।
हम लोग खाना कर टीवी देखने लगे। रात के दस बज रहे थे, अचानक आंटी बोली- चलो चोदा-चोदी करते हैं।
मैंने टीवी बंद किया, आंटी को बेड पर लिटाकर को चूमने लगा।
आंटी ने कहा- मेरी चूत में ऊँगली डाल कर मुझे गर्म कर!
मैं तुरंत शबनम की चूत में ऊँगली करने लगा, आंटी अकड़ने लगी, मैं समझ गया कि वो तैयार हो रही हैं, इधर आंटी ने मेरा लौड़ा भी सहला कर तैयार कर लिया था।
मैंने चूत पर लंड रखा एक ही झटके में पूरा लंड अंदर कर दिया और रात भर आंटी को इतना चोदा कि सुबह वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
अब जब भी मौका मिलता है, हम चुदाई करते हैं।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें! [email protected]
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