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प्रेषक : पीयूष त्रिपाठी
मैंने उसे गोद में उठाकर मेज पर लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा। अब तक की चुम्मा-चाटी से उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी और उसकी नमकीन चूत के दोनों होंठों को मैं अपनी जीभ से निकालकर चाटने लगा। वो अपने चूतड़ उठाकर मेरे मुँह में अपनी पूरी चूत भर रही थी और उसके कूल्हों के झटके और चूत की खुशबू से मेरा लंड और तनता जा रहा था।
अब मैं उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ घुमाने लगा। वो आह्ह्ह्ह ह्ह ह्ह्ह्ह्ह्… करके जोर से चीखी और अपनी ठोढ़ी पर मेरा लंड रखकर मेरे दोनों ट्टटे चूसने लगी। अब वो धीरे धीरे बेकाबू होने लगी और उसने मुझे खड़ा कर दिया और एक लंबी साँस भरकर मेरा पूरा लन्ड मुँह के अन्दर भर लिया, उसके चेहरे पर खुशी दिख रही थी, उसके हर झटके पर मेर लंड और अंदर घुसता जा था।
थोड़ी देर ऐसे ही चूसने के बाद वो बोली- मैं उसी फ़िल्म वाली लड़की की तरह कर रही हूँ ना?
तो मैंने उसे चूमते हुए कहा- तुम तो उससे भी अच्छा कर रही हो… मुझे तो जन्न्त जैसा लग रहा है।
इतना कहकर मैंने उसके बाल पकड़े और उसके मुँह में झटके मारने लगा और वो अपनी चूत रगड़ने लगी। करीब आधे घंटे तक ऐसे ही हम एक दूसरे के हर अंग से खेलते रहे और मजे लेते रहे। वो बीच में एक बार छूट चुकी थी और अब हम दोनों छूटने वाले थे।
मैंने उससे कहा- मैं छुटने वाला हूँ !
उसने कहा- मैं भी !
और हम दोनों 69 में हो गये और एक दूसरे के मुँह में झटके देने लगे।
10-15 झटकों के बाद मेरे लंड ने एक जोर का झटका मारा और उसके मुँह में मैं छूटने लगा और वो भी छूटने लगी और मेरे सड़के (वीर्य) से जब उसका पूरा मुँह भर गया तो उसने लंड बाहर निकाल कर अपनी चूचियों पर रख दिया और उसका पूरा शरीर मेरे वीर्य से भीग गया।
मैं झुक कर उसकी चूत चाटने लगा और उसका पूरा पानी पी गया और फ़िर बेड पर लेटकर उसकी चूत में उंगली करने लगा।
वो उठी और मेरे होठों पर एक बड़ा सा स्मूच किया और फ़िर मेरे सामने खड़ी हो गई और अपने शरीर पर के वीर्य को पूरे शरीर पर रगड़ने लगी। वो सच में फ़िल्म की हीरोइन से अच्छा कर रही थी। उसके इस तरह करने से मेरा लंड फ़िर से खड़ा होने लगा और मैं उसे पकड़ कर रगड़ने लगा। मुझे ऐसा करता देखकर वो भी सोफ़े पर बैठ गई और अपनी चूत पर हाथ फ़िराने लगी। एक दूसरे को मुठ मारते देखकर हम दोबारा गर्म होने लगे, वो उठ कर मेरे पास आई, मेरे पेट पर बैठ गई और अपनी चूत मेरे लंड के ऊपर वाले हिस्से और झाटों पर रगड़ने लगी और अपने दोनों चूचे पकड़कर मेरे गालों और होठों से रगड़ने लगी।
उसकी गीली चूत मेरे लंड के ठीक ऊपर रगड़ रही थी और मेरे लंड का सुपाड़ा गीला होता जा रहा था। उसके दोनों चूचे मैंने पकड़ लिये और जोर जोर से दबाने लगा। मैं अपना लंड उसके दाने पर रख कर रगड़ने लगा। वो बहुत गर्म हो रही थी और अब मेरे चुचूकों को काटने लगी थी।
मेरा लंड अब उसकी चूत की गर्मी को महसूस कर सकता था। मैंने अपना सुपाड़ा धीरे से उसकी चूत के छेद पर रखा, एक हल्का सा झटका दिया और आधा सुपाड़ा अंदर चला गया। वो आह्ह्ह्…कह कर उछली और मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और धीरे धीरे चूमने लगा।
और फ़िर थोड़ा सा दम लगाकर एक बड़ा झटका दिया और लगभग आधा लंड उसकी चूत की दीवारों से रगड़ता हुआ अंदर घुस गया। उसने मेरे होंठ काट लिये और अपनी चूत सिकोड़ ली और उम्म्म्म्… कर उसने मेरे हाथ अपने कूल्हों पर रख दिये। मैंने फ़िर से एक दमदार झटका मारा और मेरा लगभग पूरा लंड उसके अन्दर पहुँच गया। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा, देखा तो खून नहीं आ रहा था। मैंने उसकी दोनों टाँगों को फ़ैलाया और उसकी गाण्ड अपनी जाँघ पर रखी और उसका चेहरा अपने हाथ में लेकर पूछा- तुम वर्जिन नहीं हो?उसने मेरे गले में हाथ डालकर कहा- एक बार बास्केटबाल खेलते वक्त मेरी चूत से खून आया था शायद तब सील टूट गई थी।
और इतना कहकर उसने अपनी चूत को हल्का सा टेढ़ा करके मेरे लंड पर एक झटका दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मैं धीरे धीरे झटके मारने लगा और उसकी और आहें निकलने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
अब पूरे कमरे में मेरे धक्कों और उसकी आहें सुनाई दे रही थी। 10 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके बगल में लेटकर अपना लंड उसकी चूत के होठों पर रगड़ने लगा।
वो मुड़ी और कहा- ऐसे ना तड़पाओ !
उसकी आँखों के नशे को देखकर मेरा लंड और तन गया और मैंने उसकी चूत में जोर से अपना लंड पेल दिया। इस बार मेरे हर झटके पर उसकी चूत मुझे और फ़ैलती हुई लग रही थी और वो सेक्सी सेक्सी बातें करे मुझे और उकसा रही थी- जान ! हा… आह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह… उम्म्म्म्म् म्म्म्म्…ओह्ह्ह्…आह्ह्ह्ह्… ऐसे ही हाँ और अंदर पेलो। आहा… मेरी चूत तो भर गई है जान ! आहा… जान ! और तेज़ आह्ह्… और अंदर आह्ह्ह्… ओह्ह्ह्… जान ! मेरी चूत तुम्हारे लंड की गुलाम है। मुझे पनी रांड बना लो। आह्ह… मैं तुम्हें अपनी चूत की गहराई में महसूस करना चाहती हूँ… आअह्ह्ह्ह्… चलो अब मुझे शीशे के सामने खड़ा करके चोदो, मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत को फ़ाड़ते हुए देखना है !
इतना कहकर वो उठ खड़ी हुई और उसके मटकते हुए चूतड़ देखकर मैं उसके पीछे पहुँच गया और उसकी एक टाँग उठाकर अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। वो अपना दाना रगड़ने लगी और अपनी चूत में मेरा लंड जाते हुए शीशे में देखने लगी। मैंने अपने झटके और तेज कर दिये और वो भी गांड हिलाकर साथ देने लगी। शीशे में उसकी हिलती हुई गांड और चूचियाँ देखकर मेरा जोश बढ़ता जा रहा था और मैंने अपने झटके और तेज कर दिये।
वो बस झड़ने वाली थी और मेरा अभी झड़ने में समय था। मैंने कुर्सी पर बैठ कर उसे गोद में बिठा लिया और उसकी दोनों टाँगें फ़ैलाकर उसकी बुर को चोदने लगा। वो उत्तेजना से चिल्लाने लगी और फ़िर एकदम से उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मुझसे चिपक गई।
मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और उसकी गांड पर थोड़ा सा तेल लगा दिया।
उसने कहा- क्या ये भी चाहिये?
मैं बोला- जान ! इसी ने तो मुझे पागल बना रखा है !
उसे घोड़ी बना दिया, मैंने उसकी चूत से अपना लंड भिगा लिया और फ़िर उसकी गांड़ पर अपना सुपाड़ा रखकर सहलाने लगा।
उसने कहा- धीरे धीरे करना…
मैंने एक हल्का दवाब दिया और सुपाड़ा अन्दर डाल दिया। वो ऊँह्ह्ह्ह्ह्…कहकर उछ्ली और मैंने उसके गोलों को दबाते हुए एक जोर का झटका दिया और लगभग आधा से ज्यादा लंड उसकी गांड में समा गया। उसने अपने दोनों हाथ अपनी गांड पर रखे और उसे फ़ैलाने लगी। मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख्कर दूसरा हाथ उसकी गांड पर रखकर पूरे दम से पेल दिया और मेरा पूरा लंड उसकी गाण्ड में घुस गया। फ़िर थोड़ी देर के लिये ऐसे ही लेटा रहकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और कमर चाटने लगा। फ़िर उसने अपने कूल्हों को झटका दिया और मेरा लंड और अन्दर समा गया।
मैं उसका इशारा समझ गया और उठ कर एक छोटा धक्का मारा। उसने जवाब में अपनी गांड उठा दी और मेरा लन्ड अन्दर ले लिया। फ़िर मैंने अपने झटके तेज कर दिये और मेरे हर झटके पर वो अपनी गांड और उछालती जा रही थी।
अब मैं झड़ने वाला था, मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना रस भरने वाला हूँ।
इस पर उसने अपनी अंगुलियों से गांड का छेद फ़ैलाया और बोली- भर दो मेरी गांड !
मैं अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा और मेरा लंड उसकी गांड का छेद चौड़ा करने लगा और मेरे टट्टे उसकी उंगलियों पर लगने लगे। करीब 20-25 झटकों के बाद उसकी गांड में पूरा लण्ड घुसाकर मैंने अपनी धार छोड़ दी और उसके ऊपर ही लेट गया।
उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद हम उठे और एक दूसरे को बाहों में भर लिया। फ़िर मैं उसे किस करते हुए बाथरूम में ले गया और उसे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और शावर चला दिया। वो और मैं पूरा भीग गये और उसके भीगे बदन से गिरती बूँदों ने मेरे लंड में एक बार फ़िर तनाव बढ़ा दिया। इसे देखकर वो बोली- आज तो आप कुछ ज़्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो !
मैंने कहा- तुम हो ही इतनी सेक्सी…
और मैंने उसे नीचे बैठा दिया और वो भी पूरे मन से मुझे फ़िर से चूसने लगी।
उसने कहा- क्या मैं इसका पूरा रस पी सकती हूँ?
मैंने कहा- मैं भी यही चाहता हूँ।
और उसने मेरा लंड अन्दर बाहर करना शुरु किया। उसने अपने दोनों हाथों से मेरा लंड रगड़ना और चूसना चालू किया, वो उसे चूसती रही, कभी लंड चाटती, कभी टट्टे चाटती और कभी गांड में उंगली करने लगी। मेरा लंड रस से भरा जा रहा था और फ़िर उसने मेरे टट्टे दबाना चालू किया और मेरे टट्टे की लाईन को चाटने लगी।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसे इशारा किया और उसने मेरे लंड को तेजी से अन्दर बाहर करना चालू किया और मेरे टट्टों को जोर जोर से दबाने लगी। थोड़ी देर में मेरा गरम गरम वीर्य उसके मुँह में छूटने लगा और उसने एक एक बूंद पी ली।
उसने मेरे लंड को अपनी चूचियों पर रगड़ा और उन्हें भी भिगा लिया। फ़िर हम दोनों नहाए और मैंने एक बार और उसे चाट कर शांत किया। हम दोनों बाहर आये और हमने शीशे के सामने एक दूसरे की शरीर की मसाज़ की और मैंने उसे ब्रा-पैंटी पहनाई और उसने भी मेरे लंड की मालिश करके मुझे कपड़े पहनाये।
फ़िर वो जाने लगी तो मैंने उसे एक लम्बा स्मूच किया और चूतड़ दबाए और उसने भी मुझे स्मूच किया और मेरा लंड सहलाया। फ़िर हम गले मिले और वो चली गई।
इसके बाद मैंने उसे कई बार उसके घर पर चोदा और उसकी सुहागरात के एक दिन पहले भी चोदा। फ़िर उसकी शादी के बाद भी उसको बच्चा पैदा कराने में मदद की। वो सब अगली कहानियों में।
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