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प्रेषक : रवीन्द्र इंगले
मैं आज आपको बताऊँगा अपना पहला सेक्स अनुभव ! मेरी उम्र 27 साल है लंड 8 इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा है, दिखने में मैं एकदम हेन्डसम और काफी खुशमिजाज हूँ। मैं शरीर और दिमाग से सेक्स करने का इच्छुक रहता हूँ।
कई साल पहले की बात है, गर्मियों के दिन थे, रात हो चली थी, सभी लोग अपने काम में लगे थे। मैं अपनी छत पर पानी डालने हुआ था ताकि थोड़ी ठण्डक हो जाये। नल चालू किया और लगा पानी छिड़कने ! साथ वाली छत पर हमारी पड़ोस में रहने वाली नीतू भी आ गई पानी छिड़कने ! पिछले कुछ दिनों से मैंने गौर किया कि उसका और मेरा टाइम बिल्कुल एक ही था, नजरें मिल जाती थी, आज उसने स्लीवलेस टॉप और कैप्री पहन रखी थी।
पानी डालते डालते वो भीग गई। मैं मजे ले रहा था और वो भी जानबूझ कर मटक मटक कर पानी डाल रही थी। मैं उसे शरारती नज़रों से देखा रहा था उसे भी पता था। अब हम रोज पानी डालते वक्त नजरों से शरारत करने लगे।
एक दिन मैं पानी डालने गया पर देखा कि नल में पानी नहीं है। मैंने मुँह बनाया तो उसने पूछ लिया- क्या हुआ?
मैं बोला- नल में पानी नहीं है।
वो बोली- कोई बात नहीं, हमारे नल में पाइप लगा कर पानी डाल दो।
मैं तुरंत पाइप लेकर उसकी छत पर चला गया और उसने नल बताया, वो पाइप लगाने में मेरी मदद करने लगी, पाइप का मुँह नल में नहीं आ रहा था। ये सब करते करते हमारा आपस में एक दो बार छूना हो गया। वो एकदम सहज थी। आज वो बहुत सेक्सी लग रही थी। मेरा पूरा ध्यान उसके शरीर पर था इसलिए मुझे पाइप लगाने में देर हो रही थी।
बातों बातों में मैंने पूछा- कोई नहीं दिख रहा है?
तो बोली- सभी लोग मामा के यहाँ गए हैं, कल शाम तक आ जायेंगे।
मैं खुश हुआ, मेरी हिम्मत और बढ़ गई, अब मैं जानबूझ कर उसे छूने की ताक़ में रहा और छू भी रहा था, वो बड़ी खुश लग रही थी। मैंने पाइप का मुँह उसकी तरफ किया और वो गीली हो गई। उसकी ब्रा लाल रंग की थी जो बड़ी मुश्किल से उसके मम्मों को सम्हाले हुई थी। अब तो उसका रूप एकदम गजब का लग रहा था गोरी-गोरी और कोरी-कोरी !
लेकिन आज उसे कोरी-कोरी नहीं रखूँगा, उसे जिन्दगी का मजा दूँगा पूरा पूरा, वो भी याद रखेगी कि कोई था जिसने मुझे पूरा मजा दिया। मेरी हरकतें बढ़ने लगी उससे, वो पूरा साथ दे रही थी। मजाक मजाक में मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके मम्मे दबा दिए ! क्या सोलिड थे, जैसे पहले किसी ने नहीं दबाएँ हो। वो मेरे से चिपक गई मैं अब धीरे धीरे बड़े बड़े मम्मों को सहला रहा था, उसके निप्पल के पास गोल गोल उंगली घुमा घुमा कर छेड़ रहा था। वो कुछ स्तब्ध सी रह गई मगर मजा ले रही थी। उसकी सांसें लम्बी हो रही थी और मेरी भी।
अब मैं मम्मों को थोड़ा जोर से दबाने लगा और साथ ही साथ उसकी गर्दन पर चुम्बन कर दिया, उसके रोंगटे खड़े हो गए।
मैंने उसे चाटते चाटते सामने की ओर घुमा दिया और उसके टॉप और ब्रा उतार दिए। बड़े बड़े मम्मे मेरे सामने खड़े थे और बोल रहे थे- हमको चाटो, चूसो तड़पाओ और धीरे धीरे !! जोर जोर से दबाओ !
मैं अभी भी मम्मों से खेलने में था। मैंने उसके गाल पर किस किया तो वो शरमा गई। आज तो मेरे को मजा आ गया !
मैं लगा रहा, उसके बड़े बड़े होंठ चूसने और हाथों से बड़े बड़े मम्मों को दबाने।
एकदम से उसने मुझे पीछे धकेला और भाग गई कमरे में, मैं भी उसके पीछे गया और फिर पकड़ लिया।
अब तो जगह भी सेट हो गई, वो नाटक कर रही थी कि कोई देखा लेगा, मैंने उसे बोला- देखे तो देखे, मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला !
और जोर से मम्मों को दबा दिया।
वो चिल्लाई, अब मैंने उसकी कैप्री का बटन खोल कर अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चूत पर रख दिया। उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी।
मेरे हाथ लगते ही वो और उछल गई। उसे बहुत मजा आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो गई थी।
उसकी कैपरी नीचे सरक गई, मेरी उंगली उसकी चूत पर फ़िर रही थी। मैंने पीछे पीछे उसे सरकाया और बेड पर बिठा दिया और अब उसके ऊपर झुक कर उसे चाटने लगा। उसका पूरा बदन चाटते चाटते मैं खुद बहुत ही ज्यादा उत्तेजित महसूस कर रहा था।
अब मैं उसके होंठों को चूसने के बाद उसके बड़े बड़े मम्मों को चूसने लगा वो मेरे से चिपकी जा रही थी।
मैं नीचे की ओर आया, उसके पेट और नाभि को चाटते हुए उसकी चूत के आस-पास जीभ रगड़ने लगा। वो उछलती जा रही थी, उसके उछलते उछलते बड़े बड़े मम्मों को दबा देता था।
वो पागल हो रही थी।
अब मेरा नाक उसके चूत के दाने को रगड़ रहा था और जीभ चूत के अंदर बाहर हो रही थी।
उसका पानी लगातार बह रहा था, उसकी खुशबू मुझे और दीवाना बना रही थी। चूत चाटते चाटते वो झड़ गई और एकदम मेरा सर पकड़ कर ऐंठ गई। मैं चूत चाट चाट कर पूरा पानी पी गया, वो निढाल सी हो गई। मैं उसके बाजू में जाकर चिपककर लेट गया और उसके होठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद वो उठी और मेरे लण्ड को छेड़ने लगी, उसका मुँह मेरे लण्ड पर लिपट गया। वो बहुत तसल्ली से मेरा लण्ड चूस रही थी और अब मेरा होने में था। मैंने सोचा ‘अभी इसके मुँह में गिरा देता हूँ, बाद में रात को फुरसत से इसकी चूत की चुदाई करुँगा’ और मेरा पानी गिरने को है, मैं बड़बड़ाया। उसने मेरे लण्ड को मुँह में से निकाला और हाथ से हिलाने लगी।
शायद उसे पता नहीं था कि मेरे लण्ड का पानी बहुत ही टेस्टी है। मेरा काम हो गया, मैं लुढ़क कर लेट गया।
वो बगैर कुछ बोले बाथरूम में गई, बाथरूम से आकर मेरे बाजू में लेट गई।
मैंने कहा- देर हो रही है, रात को सबके सोने के बाद मिलते हैं।
उसने हाँ में सर हलाया और मैं उसके घर से निकल गया।
प्रेम पूजारियो ! यह मेरी पहली कहानी है, आशा है कि आप मेरे प्रयत्न को प्रोत्साहन देंगे।
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