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उषा मस्तानी रसीली की रसभरी रातें के आगे पढ़िए !
घर में 3-4 दिन हंसी मजाक में निकल गए। चार दिन बाद चूत खुजलाने लगी, छठे दिन तो रात को ऐसा लगने लगा कि अभी कोई लौड़ा घुसा दे ! उंगली कर कर के थक गई लेकिन काम पिपासा शांत ही नहीं हो रही थी।
मैं रसोई में गई, एक पतला चिकना सा बैंगन निकाल कर लाई और उसे चूत में घुसाया तब थोड़ी सी शांति मिली। लेकिन लंड जैसा मज़ा नहीं आया।
अगले दिन कुसुम मौसी मेरे घर 3-4 दिन रहने आईं। मौसी मेरी अच्छी सहेली थीं, उनकी उम्र 40 साल के करीब थी। रात में मेरे साथ सोई, हम दोनों बातें करने लगे, मेरे उनके बीच कोई पर्दा नहीं था। मैंने उन्हें बता दिया कि कैसे मेरी चूत और गांड इन्होंने अपने मोटे लंड से पेल दी और यह भी बता दिया कि मेरी चूत आजकल पूरी गर्म भट्टी हो रही है। रात को 69 में होकर हम दोनों ने एक दूसरे की चूत चूसी, इसके बाद उन्होंने एक मोटी मूली मेरी चूत में अंदर तक पेली तब रात में मुझे थोड़ी शांति मिली।
मैंने मौसी को अपने पास ही रोक लिया। दो दिन बाद मेरी चचेरी बुआ का लड़का अतुल मुझसे मिलने आया।
मौसी बोली- आज रात मैं अतुल और तू साथ साथ सोएँगे, बड़ा मज़ा आएगा।
उन्होंने मेरे कान में भी कुछ फुसफुसाया रात को चूत का खेल खेलना था।
अतुल 22 साल का लड़का था, हम लोग आपस में खूब हंसी मजाक करते थे, आजकल वो दिल्ली में नौकरी कर रहा था। उसने मेरा हाथ दबाया और पूछा- सपना दीदी शादी करके कैसा लग रहा है?
मैंने हाथ दबाते हुए कहा- बड़ा मज़ा आ रहा है।
रात को खाने के बाद मौसी अतुल को मेरे कमरे में ले आईं। गयारह बज रहे थे, ऊपर छत पर सिर्फ एक कमरा था। अतुल जाने को हुआ तो मौसी बोलीं- यहीं सो जाओ, अब नीचे क्या जाओगे? कपड़े उतार लो, इससे क्या शर्माना, इसकी तो अब शादी हो गई है।
डबलबेड पर मौसी ने अतुल को बीच में सुला दिया। कमरे में अँधेरा था, अतुल पेंट पहने था, मैं अतुल से बात कर रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ रखा था। चूत भट्टी हो रही थी।
मैंने अतुल से कहा- गर्मी बहुत हो रही है, मैं साड़ी उतार देती हूँ !
मैंने अपनी साड़ी उतार दी अब मैं पेटीकोट और ब्लाउज में थी। मैंने अतुल से कहा- बाहर तक आ जाओ, मुझे बाथरूम जाना है !
बाहर चांदनी रात थी, बाहर आकर मैंने नाली पर अपना पेटीकोट पूरा ऊपर तक उठाकर पेशाब किआ तो मेरी नंगी गांड पीछे से पूरी दिख रही थी, अतुल चोर नज़रों से मेरी गांड देख रहा था।
कमरे में आकर मैंने अपने ब्लाउज के 2 बटन खोल लिए और अतुल से धीरे से बोली- तुम भी अपनी पेंट-शर्ट उतार दो, आराम से लेटो !
अतुल ने अपनी पेंट शर्ट उतार दी, अब वो चड्डी बनियान में था।
एक दूसरे की तरफ मुँह करके हम दोनों लड़कियों की बातें कर रहे थे, मेरी चूत की चुलबुलाहट मुझे परेशान कर रही थी, साथ ही साथ मुझे यह भी लग रहा था कि अतुल का लंड भी झटके खा रहा है।
मैंने जब अतुल से पूछा कि उसने किसी की चूचियाँ दबाई हैं तो गर्मी से भरे अतुल ने अपना हाथ मेरे नंगे पेट पर रख दिया। मेरी चूत गीली हो रही थी, मैंने उसका हाथ उठाकर अपने ब्लाउज में घुसवा लिया, उसने मेरी चूचियाँ कस कर दबा ली और मुझसे चिपक गया। मैंने अपना ब्लाउज उतार दिया और चुचूक उसके मुँह में लगा दिए, अतुल के लंड पर मेरा एक हाथ चला गया, उसका लंड मेरे पति से छोटा और पतला था लेकिन इस समय मैं लंड की भूखी औरत थी। यह सब मौसी की सहमति से हो रहा था, मुझे कमरे में किसी का डर नहीं था।
मैंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया, अब मैं पूरी नंगी थी, अतुल के कान में कहा- कपड़े उतार लो और और सेक्स के मज़े लो ! मौसी से मत डरो मौसी गोली खाकर सोती हैं, अब सुबह ही उठेंगी।
अतुल ने कपड़े उतार लिए, छः इंची अतुल का लंड मैंने हाथ से पकड़ अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया, अतुल ने एक धक्का धीरे से मेरी चूत पर मारा, मैंने नीचे होते हुए पूरा लंड चूत में घुसवा लिया और अतुल के कान में फुसफुसाई- अब चोदो ना !
अतुल ने चोदना शुरू किया लेकिन दो-तीन झटकों में ही वो झड़ गया, मैं समझ गई कि यह इसका पहला अनुभव है। अतुल को मैंने अपने नंगे बदन से 10 मिनट तक चिपकाए रखा। जवान लड़का था, लंड 10 मिनट बाद दुबारा तैयार था। इस बार चूत में अच्छी तरह से अंदर गया और मेरी चुदाई का खेल शुरू हो गया। चूत लंड से चुद कर ख़ुशी महसूस कर रही थी, अतुल धीरे धीरे चोद रहा था, उसे पता नहीं था कि मौसी के सहयोग से आज मेरी चूत में उसका लौड़ा घुस रहा था। अतुल का लौड़ा पतला 6 इंची लम्बा था लेकिन लंड से चुदने का मज़ा तो अलग ही होता है गाज़र मूली डालने में वो मज़ा कहाँ आता है।
अतुल भी मुझे पेल कर ख़ुशी का अनुभव कर रहा था। अतुल ने रात में दो बार मुझे चोदा इसके बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए।
अगले दिन सुबह बड़ा अच्छा लग रहा था, चूत की कुलबुलाहट शांत हो गई थी। अतुल घर में दो दिन रुका, रात को मौसी के सहयोग से हम दोनों ने चुदाई के मस्त मज़े लिए। उसके जाने के बाद मौसी ने मेरी चुटकी काटी और बोलीं- मज़ा आ गया ना?
मैं बोली- मौसी, बड़ा मज़ा आया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मौसी बोलीं- चूत की खिलाड़िन बन ! सारे सुख मिल जाएँगे।
इसके बाद माँ आ गईं, बोलीं- मुन्नी बीस की हो गई है, अच्छे लड़के को दहेज़ में 10-15 लाख देने पड़ेंगे, इतना पैसा कहाँ से आएगा, हमारे पास तो एक लाख भी देने के लिए नहीं हैं। तू कुछ अपने देवर से इसकी शादी का चक्कर चला !
मौसी मेरे कान में बोलीं- भाभी है, कुछ चूत का खेल खेल ! दोनों बहनें एक ही घर में रहेंगी तो अच्छा रहेगा, पूरी दौलत की मालकिन हो जाएगी।
मुझे मौसी का इशारा समझ में आ गया। कुछ दिन घर में रहने के बाद मैं ससुराल चली गई।
मेरा देवर विनोद 22 साल का शरीफ लड़का था, बैंक और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। वह एक शर्मीला युवक था। मेरे पति और ससुर की तरह वो रंगीला और औरतबाज आदमी नहीं था। वापस आने के बाद मैंने सोच लिया था कि देवर को अपना दोस्त बनाना है।
कहानी जारी रहेगी !
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