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ससुरे की तारीफ़ थी, 50 का हो रहा था लेकिन इतनी गरम मालिश के बाद भी लंड पूरा हथोड़े की तरह तना हुआ था। मालिश करने में अब मेरे ब्लाउज के सारे बटन खुल गए थे और मेरी दोनों चूचियाँ बाहर निकल आइ थीं।
इसके बाद मैं उठकर बोली- पापाजी आपने कच्छा नाभि के बहुत ऊपर बाँध रखा है अगर आप बुरा नहीं मानें तो तो जो थोड़ा पेट बचा है उस पर भी मालिश कर दूँ।
ससुर बोले- जल्दी से कर दे ! बड़ा मज़ा आ रहा है।
मैंने उनके कच्छे का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ थोड़ा सा अंदर घुसा दिया और नाभि के चारों तरफ मालिश शुरू कर दी। बार बार मेरे हाथ उनके टनटन करते लंड के टोपे से टकरा रहा था।
ससुर का धैर्य जवाब दे गया, उसने मेरी चूचियाँ कस कर दबा दीं और बोले- रसीली, अब रहा नहीं जा रहा ! इन संतरों को थोड़ा दबा लेने दो।
मैंने उनका हाथ हटाते हुए कहा- आपका इतना मन कर रहा है तो इन्हें अच्छी तरह दबाएँ और चूसें। आपको मैं नाराज नहीं करुँगी।
और मैंने अपना ब्लाउज उतार कर अपनी रसीली चूचियों पर उनका हाथ रख दिया। मैं उनके ऊपर लेट गई, मेरी चूचियाँ कुछ देर मसलने के बाद उन्होंने जी भर के निप्पल मुँह में डालकर चूचियाँ चूसीं। निप्पल चूसते चूसते मेरा पेटीकोट ऊपर उठा लिया और चूतड़ दबाते हुए बोले- मालिश तो तूने मस्त करी है, थोड़ी लंड की भी मालिश कर दे।
मैं उठकर बेठ गई और बिना देर किए हाथ अंदर डाल कर लंड पकड़ लिया और बोली- पापाजी, कच्छा उतार दीजिए ना ! जब इतना कुछ हो रहा है तो अब इतनी शर्म किस बात की?
ससुर बोले- रसीली, तू ही उतार दे !
मैंने बिना देर किये उनकी चड्डी उतार दी। साले हरामी का क्या मोटा लंड था, देवर और मेरे पति से 20 ही था, मन कर रहा था कि अभी चूत में घुसवा लूँ।
सहलाने में मस्त मज़ा आ गया, तेल से मैंने पूरा लंड नहला दिया और दोनों हाथों के बीच में लेकर उसकी मालिश शुरू कर दी। ससुरजी भी कामुक आहें भर रहे थे, लोहा गर्म था, मैं बोली- पापाजी आप रजनी की शादी के लिए दो लाख रु का इंतजाम कर दीजिए ना ! फिर मैं आपको अपना सब कुछ दे दूँगी।
ससुर मेरी चालाकी समझ रहे थे पर शवाब दिमाग पर हावी था। ससुर ने शर्म हया छोड़कर मुझे लेटा दिया और मेरी पेटीकोट खींच दिया, मेरी चिकनी चूत अब उनकी आँखों के सामने थी। उन्होंने बिना देर किये अपना लंड मेरी चूत में लगा दिया और बोले- दो लाख कौन सी बड़ी बात है, जब से तुझे नंगी नहाते देखा है, यह लंड तो आराम ही नहीं कर पाया है !
मेरे मन में ख़ुशी की घंटियाँ बजने लगीं। ‘आह उह’ करते हुए मैंने लंड अंदर तक घुसवा लिया और चिपकती हुई बोली- प्यार से चोदिये न अपनी बहू को ! अब तो यह आपकी अपनी चूत है।
मेरी चूचियों का रस निकालते हुए ससुर जी ने मुझे चोदना शुरू कर दिया, मुझे चुदाई में बड़ा मज़ा आ रहा था, मैं चिपकते हुए बोली- और चोदिये ! आह, क्या मज़ा दिया है !
ससुर ने चोदना जारी रखा, 10 मिनट बाद उन्होंने वीर्य मेरी चूत में छोड़ दिया, हम दोनों दस मिनट तक चिपक रहे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
ससुर बोले- एक लाख कल दे दूँगा, एक ने उधार ले रखा है, आज शाम को वापस करेगा। पटना अगले हफ्ते जाऊँगा, एक तब दे दूँगा। मैं ससुर से चिपकती हुई बोली- आपने आज मुझे बहुत मज़ा दिया है, कल मैं आपके साथ नहाऊँगी और आज से भी ज्यादा मज़ा दूँगी, अब मैं उठती हूँ।
मैं कमरे से बाहर निकल गई। अगले दिन मुझे एक लाख रुपए मिल गए। इसके बाद मैं और ससुर जी एक साथ नहाए। नहाने के बाद मैंने ससुर जी का लंड मुँह में चूसा। कामवासना से उत्तेजित ससुर ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरी चूत मारने लगे। चुदाई के बीच में चंपा ने दरवाज़ा खटका दिया, चीनी मांगने आई थी, एक घंटा रुकी मज़ा आधा ही रह गया।
उसके जाने के बाद तय हुआ कि जब पापाजी पटना जाएँगे तो मैं अपनी मौसी के यहाँ मिलूँगी और पूरी औरत बनकर ससुर जी को मज़ा दूँगी।
शाम को मम्मीजी वापस आ गईं।
ससुर जी के पटना जाने से तीन दिन पहले मैं अपने मायके चली गई और एक दिन बाद बहाना बनाकर पटना मौसी के यहाँ आ गई। मौसी मेरी सहेली थीं। मौसी को जब मैंने बताया कि ससुरजी मुझे चोदना चाहते हैं और वो दो हज़ार रुपए मौसी को देंगे, अगर उन्होंने अपना घर एक रात को चोदने के लिए दिया।
दो हज़ार रुपए सुनकर मौसी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने चाल चलकर मौसा जी को तीन दिन के लिए कोलकाता भेज दिया। बच्चे उनके बाहर पढ़ते थे। योजना के मुताबिक वो घड़ी आ गई, सिर्फ घर में मैं और मौसी थीं।
एक बजे ससुर जी बताये पते पर मौसी के यहाँ आ धमके और उन्होंने मुझे एक लाख रुपए दे दिये। नाश्ता और खाना होने के बाद मौसी बोली- पापाजी को ऊपर ले जा, मैं थोड़ी देर में आती हूँ !
बाहर से ताला लगाकर मौसी चली गई। हम दोनों अकेले थे, जवान लण्ड वाले बूढ़े ससुर से अब उसकी पुत्रवधू यानि मुझे अपनी चूत चुदवानी थी।
ऊपर कमरे में पहुँचते ही सुसर ने मुझे अपनी बाँहों में खींच लिया और मेरे ब्लाउज में हाथ घुसा कर मेरी चूचियाँ दबा दीं और चहकते हुए बोले- आज तो कोई डर नहीं है, मज़ा आ जाएगा।
मुझे भी अब यह भूलना था की हमारा कोई रिश्ता है। मैंने चुदने के लिए पैसे लिए थे, मुझे उन्हें पूरा मज़ा देना था। अब हम दोनों एक औरत और आदमी थे ससुर ने मेरे होटों में होंट डाल दिए और बोले- आह आज तो रसीली, तेरा रस पीने का पूरा मज़ा आएगा।
मैंने उन्हें हटाते हुए कहा- पापाजी, कपड़े तो उतार लेने दो।
ससुर ने अपनी धोती और कुरता उतार दिया था, वो अब सिर्फ चड्डी में थे। मैंने भी उनके सामने अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया। पूरा बदन कल ही ब्यूटी पार्लर से चिकना और खुशबूदार कराया था, चूचियाँ तनी हुई थीं, चूत जाँघों के बीच में से झलक दिखला रही थी। ससुर ने मुझे खींच कर मेरी चूचियाँ मसलीं और मुझे बिस्तर पर लेटा दिया, मेरी जांघें फेला दीं और चिकनी चूत पर हाथ फिराते हुए बोले- वाह, क्या माल है तेरा, मज़ा आ गया।
अपना पूरा मुँह मेरी बुर की फांकों पर लगा दिया और एक कुत्ते की तरह मेरी चूत को चाटने लगे। मेरे दाने को होंटों के बीच दबाकर मेरी चूत गर्म कर दी, पूरी चूत काम ज्वाला से पानी पानी हो रही थी। थोड़ी देर बाद उठकर उन्होंने मेरी जाँघों में अपनी जांघें लिपटा कर मेरी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और निप्पल पर काटना शुरू कर दिया।
मैं पूरी गर्म हो रही थी चूत में लंड लेने की जबरदस्त चूल उठ रही थी। मेरे बदन का मर्दन करने के बाद वो उठे और उन्होंने अपनी अंडी उतार दी। लम्बा और मोटा लंड हवा में लहलहा उठा। मुझसे रहा नहीं गया मैंने बिस्तर से उठकर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी, बड़ा मज़ा आ रहा था। लग ही नहीं रहा था कि 50 साल के बूढ़े के लंड से खेल रही हूँ।
मैं लंड चूसती जा रही थी जो लगातार लम्बा और कड़क होता जा रहा था और अब पूरा मुँह में घुस भी नहीं पा रहा था। रस भरे टोपे को चाटने से तो मेरी बुर एक बार झड़ ही गई थी।
हरामी ने मेरी चूत में उंगली घुसाई और बोला- अब तेरी मुन्नी से खेल लिया जाए।
उंगली चूत में घुमाते हुए बोला- प्यार से लेट कर चुदोगी या घोड़ी बना कर चोदूँ?
मैं बिस्तर पर टांगें चौड़ी करके लेट गई और बोली- मेरी चूत के राजा, अब इस भोंसड़ी में जल्दी से घुसा दो !
सुसरे ने लंड का टोपा मेरी चूत के ऊपर रख दिया और अपने हाथ से उस पर फिराने लगा। आह क्या गर्म कर दिया था कुत्ते ने !
टोपा जब उसने मेरी चूत के दाने पर रगड़ा तो मुझसे रहा नहीं गया, मैं चिल्ला उठी- हरामी कुत्ते, अंदर घुसा मादरचोद ! और कितना तड़पाएगा भोंसड़ी के? जल्दी डाल।
मेरी दोनों चुचूकों की घुन्डियाँ कस कर घुमाते हुए हरामी बोला- यह हुई न बात ! मेरी बकरी रानी लो लंड खाओ !
और एक झटके में लंड मेरी चूत के अंदर था। तेज ‘आह उह’ से कमरा गूंज उठा, करारे झटके चूत पर पड़ने लगे, 5-6 धक्कों में ही मैं झड़ गई पर सुसरे का चोदना जारी था।
बीच में उसने लंड बाहर निकाल कर मुझे तिरछा करके दुबारा चूत में घुसा दिया। उह उह पूरी बकरी बना दिया था, बड़ा मजा आ रहा था लंड खाली होने का नाम नहीं ले रहा था, चोदने में मेरे पति से दो कदम आगे ही थे।
‘आह उह !’ दोबारा चूत रस बहने लगा था और वो घड़ी भी आई जब मेरी चूत का रस तीसरी बार और उनका वीर्य पहली बार चूत में गिरा।
मैं पलट कर उनसे एक दासी की तरह लिपट गई। चिपकती भी क्यों नहीं उसने एक औरत को चुदाई का पूर्ण सुख जो दिया था।
15 मिनट बाद हरामी ने मेरा हाथ उठाकर अपने लंड पर दुबारा रख दिया और मुझसे अपना लंड सहलवाने लगा। लंड फिर लंबा होने लगा था। मेरे चूतडों पर हाथ फिराते हुए बोला- तेरी गांड तो बहुत मस्त है ! राजू ने तो कई बार चोदी होगी मैंने ही उसे गांड मारना सिखाया है। एक बार तू भी मुझसे ठुकवा ले, बीस हज़ार और दे दूँगा।
मेरी आँखों में चमक आ गई, मैं उनसे चिपकती हुई बोली- ऊहं ! मैं तो आज रात आप की कुतिया हूँ, आपको मना कैसे कर सकती हूँ। लेकिन प्यार से चोदिएगा, गांड चुदने के बाद बड़ी दुखती है।
ससुरजी जी चूचियाँ दबाते हुए बोले- रात को तेरी गांड रानी का महल देखेंगे। मैंने दुबारा टनक गए ससुर के लंड को पकड़ कर अपनी चूत में घुसवा लिया और लंड अंदर डलवाते हुए बोली- आप पर इतना पैसा है, 50 हज़ार और दे दीजिए ना?
ससुर ने मेरी जाँघों पर हाथ फिराते हुए कहा- ठीक है, लेकिन तू अपनी मौसी की और दिलवा दे।
50 हज़ार सुनकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैंने ससुर के मुँह में अपना मुँह डाल दिया और बोली- मौसी से बात करती हूँ।
ससुर दुबारा मुझे चोदने लगे थे।
चुदने के बाद कपड़े पहन कर मैं बाहर आ गई। मौसी घर पर थीं। मैंने मौसी को बताया कि ससुर जी उनकी जवानी पर फ़िदा हैं और 5 हज़ार रुपए देकर उन्हें चोदना चाहते हैं।
मौसी तो मुझसे भी बड़ी घरेलू रांड थीं, 5 हज़ार सुनते ही हाल चुदने को तैयार हो गईं, चहकते हुए बोलीं- आह, बड़ा मज़ा आएगा। उन्होंने मुझसे वादा लिया कि मैं भी उनके सामने ससुर से चुदुंगी।
खाना खाकर दस बजे मैं अंदर आई और ससुर से झूठ बोली- मौसी राजी तो हैं, लेकिन 20 हज़ार रुपए पहले मांग रहीं हैं। आप मेरे 50 हज़ार दे दें, उसमें से उन्हें 20 हज़ार दे दूंगी।
पापाजी ने 50 हज़ार रुपए दे दिए। मैंने जाकर मासी को 5 हज़ार रुपए दे दिए और बचे हुए अपने पर्स में डाल लिए। मैंने और मौसी ने अपनी चूत और गांड में क्रीम और तेल लगा लिया। इसके बाद अंदर आकर मैंने और मौसी ने जमीन पर बिस्तर लगा लिए।
मैं बाहर आ गई और दरवाज़े के छेद से झांककर देखने लगी मौसी पेटीकोट और ब्लाउज में थीं, ससुर सिर्फ लुंगी पहने हुए थे। ससुर ने मौसी को अपने पास लेटा लिया। मौसी ने ससुर के सीने पर सर रख दिया, उनका एक हाथ अपनी चूचियों पर रखवा लिया और बोली- शेर सिंह जी, मैं तो आपकी बकरी हूँ, आपका मस्त बदन देखकर तो मेरा भी मन मचल रहा था। इस निगोड़ी कुतिया के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी।
ससुर ने मौसी का ब्लाउज खोल दिया मौसी की गोल गोल मोटी चूचियाँ बाहर निकल आईं। मेरे सुसरे ने दोनों हाथों से चूचियाँ दबाते हुए मौसी की पप्पी ली और बोले- मैंने तो घर में घुसते ही सोच लिया था आज तेरी भी चूत बजा कर जाऊँगा।
मौसी का पेटीकोट भी थोड़ी देर में ससुर ने खोल दिया और चूत की फांकों पर उंगली घुमाते हुए बोला- लगता है तेरा खसम चोदता नहीं है, सूखी पड़ी है।
हरामी अपनी उंगली से मौसी की चूत की मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद सुसरे ने लुंगी हटा दी मौसी सुसरे का लंड आँखें फाड़ फाड़ कर देखने लगीं और बोली- शेर सिंह, तुम्हारा लंड तो बब्बर शेर है, मैंने भी अब तक 6-7 लंडों से चुदवाया है लेकिन ऐसा बब्बर शेर पहले नहीं देखा।
हरामी ने मौसी की चूचियाँ दबाते हुए कहा- मुँह में डाल ले, तेरा पालतू हो जाएगा।
मौसी ने मुँह लंड में लगा दिया और उसे चूसने लगी। यह सब देखकर मैं गर्म हो गई थी और अब अंदर आ गई थी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और वहीं पास बैठकर अपनी चूत में उंगली करने लगी। मौसी लपलप लंड चूस रही थीं।
ससुर ने लंड बाहर निकाल लिया और मौसी की चूत में लंड घुसा दिया तो मौसी तो मज़े के मारे जोरों से चिल्ला उठीं- आह उह उह मज़ा आ गया ! और करो, क्या चोदा है ! उह ऊहू उह ! चोदो मेरे बब्बर शेर ! बड़ा मज़ा आ रहा है।
मौसी की चूत का पानी जाँघों तक आ रहा था। मैं भी यह सब देखकर आहें भर रही थी। ससुर का लंड मेरे सामने दनादन मौसी को चोद रहा था। मौसी को चोदने के बाद ससुर मेरी चूचियाँ दबाते हुए मौसी से बोले- इस रसीली की गांड बहुत सुन्दर है।
मौसी आँख मारते हुए बोली- तुम लोग मस्ती करो, मैं जूस लेकर आती हूँ !
मौसी जब जूस लेकर आईं तब ससुर मेरी गोद में लेट कर मेरी चूचियाँ चूस रहे थे और मैं उनका लंड सहला रही थी। मौसी ने हम लोगों को जूस हाथ में थमा दिया। हरामी जूस पीते पीते मेरी गांड में उंगली घुमाने लगा। मौसी यह देख कर अपनी चूत सहला रहीं थीं। मेरी तरफ इशारा करते हुए बोलीं- इस कुतिया की भी चोद दे।
ससुर ने खड़े होकर मुझे घोड़ी बना दिया, मौसी के चूत रस से नहाया लंड मेरी मचलती चूत में घुस गया। ससुरा पीछे से मेरी चूत फाड़ने लगा, चुदाई के आनन्द में नहाते हुए मैं चुदवाने लगी, बड़ा मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद ससुर ने मुझे नीचे तकिये के ऊपर लेटा दिया और लंड निकाल कर मेरी गांड के दरवाज़े पर रख दिया।
‘हाय, कितनी गुदगुदी हो रही थी !’ थोड़ा सा लंड को छेद पर गुदगुदाते हुए लंड मेरी गांड के अंदर घुस गया और हरामी मेरी गांड में नौ इंची लंड पेलने लगा।
मेरी चीख निकलने लगी, लंड पूरा अंदर तक घुसाया था, टट्टे चूतड़ों से टकरा कर तबला बजा रहे थे। उसके बाद मेरी गांड चुदाई शुरू हो गई थी।
मौसी मुँह पर हाथ रख कर बोली- उई रे ! यह तो पूरा अंदर घुस गया?
ससुर गांड चोदने में बेरहम हो रहे थे और हैवान की तरह चोद रहे थे। मैं उह आह के साथ चिल्ला रही थी।
बहुत ठोका उन्होंने मुझे ! इसके बाद लंड बाहर निकाल लिया, लंड पूरा तन रहा था। मौसी की तरफ इशारा करके बोले- कैसा लगा?
मौसी बोली- मान गए आप को !
पहलवान ससुर उठे, मौसी को गोद में उठाया और मेरी जगह पर तकियों के ऊपर लेटा दिया और बोले- अब तुम्हारी बारी है।
इसके बाद उन्होंने मासी की गांड में उंगली फिराई तेल से मौसी की गांड चिकनी हो रही थी। ससुर बोले- वाह रानी, माल को पूरा तैयार कर रखा है !
और उन्होंने अपने लंड का सुपारा गाण्ड में लगा दिया। क्या चीख थी मौसी की। आज पहली बार उसकी गांड खोली जा रही थी, सीधे साधे मौसा जी तो चूत में भी पैर छूकर ही घुस पाते होंगे, आज शेर से पाला पड़ा था। मौसी छूटना चाह रही थीं, पर अब कोई फायदा नहीं था। लंड गांड फाड़ता ही जा रहा था, मौसी की चीखें निकल रही थीं, वो पल भी आ गया जब पूरा लंड गांड में घुस चुका था और अब मौसी की गांड चुदनी शुरू हो गई थी।
‘कमीने छोड़ ! मर गई ! बस कर !’ की आहों से गूंज रह था। मासी की हालत पतली हो रही थी, 10-15 धक्कों के बाद ससुर ने ढेर सा वीर्य मासी की गांड में छोड़ दिया, तब उनकी सांस में सांस आई।
रात के चार बज़ रहे थे, हम लोग सो गए। सुबह आठ बजे ससुर जी चले गए।
दो दिन मैं मासी के यहाँ रुकी, इसके बाद मैं अपनी माँ के घर वापस आ गई।
20 दिन बाद रजनी की शादी होनी थी। अब मेरे पास दो लाख से ज्यादा रुपए थे। बहन की शादी का सारा इंतजाम मैंने खुद देखा। शादी अच्छी तरह से हो गई। सास खुश थी, सबसे कहती फिर रही थी- मेरी दोनों बहुएँ सावित्री आई हैं।
मेरे ससुर को ऐसा लगता है कि वो इतने स्वस्थ इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने चुदाई का मज़ा हमेशा लिया है और अब भी लेते है। मेरी चूत का भोपूं मेरे देवर मौका मिलने पर अब भी बजा देते हैं। अब मेरे लड़के 18-19 साल के हो गए हैं, भगवान् की रोज़ पूजा करती हूँ और दुआ मांगती हूँ कि बेटों की शादी के बाद मेरी जैसी घरेलू रांड बहु न आए। चोर को अपने घर में चोरी कहाँ पसंद होती है।
कहानी काल्पनिक है किसी वास्तविक घटना से न जोड़ें। कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए है इसका वास्तविक जीवन में अनुसरण मानसिक और शारीरिक कष्ट दे सकता है।
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