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दरअसल अन्तर्वासना की वजह से सेक्स, उत्तेजना और कामुकता को पसंद करने वाले लड़के-लड़कियाँ, स्त्री-पुरुष को एक मंच मिल गया है जिसमें इस विषय को पसंद करने वाले लोग आपस में जुड़ रहे हैं और अपने विचारों का आदान-प्रदान कर रहे हैं।
इस क्षेत्र के मेरे जैसे जैसे अनुभवी लोगों का फायदा नए और संकोची लोगों को मिल रहा है।
लड़के-लड़कियाँ अपने जीवन में घटे ऐसे वाकये भी यहाँ साझा कर रहे हैं जो वो किसी दूसरे को नहीं बता सकते और मुझसे सलाह लेकर वो संतुष्ट भी हैं।
मेरा भी शुरू से यह मानना है कि सेक्स, उत्तेजना और कामुकता का भाव आना और उस दौरान की जाने वाली सभी गतिविधियाँ जैसे लड़को-लड़कियों द्वारा किया जाने वाला हस्त-मैथुन एक सामान्य प्रक्रिया है। सेक्स का यह अहसास स्त्री-पुरुष के रूप में ही परिभाषित है, वहाँ न कोई मालिक-नौकर का भेद है, ना अमीर-गरीब का और तो और ना ही यह रिश्ते देखता है, बस हो जाता है।
ऐसा ही एक वाकया मुझे मेरी एक पाठिका ने बताया जिसका नाम शालिनी है। उसका सरनेम और शहर में यहाँ नहीं लिखूँगा।
उसने जो लिखा यह भी एक अजीबोगरीब फेंटेसी, कल्पना का ही हिस्सा है, जो सुनने में अजीब लगती है पर यह सदियों से चली आ रही है और शालिनी इन दिनों लगातार मेरे संपर्क में है, उसके कहने से ही मैं उसके साथ घटे इस वाकये को यहाँ एक कहानी के रूप में लिख रहा हूँ। इसके लिए उसने मुझे अपने कुछ फोटोग्राफ भी मेल किये थे जिनसे मुझे उसके रंग-रूप, अंग-प्रत्यंग और शारीरिक बनावट के बारे में अनुमान लगा, जो इस तरह की उत्तेजक कहानियों का जरूरी हिस्सा भी होता है।
तो यहाँ सबसे पहले मैं आपको शालिनी के बारे या कहें कि उसके रंग-रूप के बारे में उसके शारीरिक गठन के बारे में विस्तार से बता देता हूँ। मैंने उसके विभिन्न तरह के चित्र देख कर अनुमान लगाया कि वह एक बहुत ही ज्यादा गोरी, गदराये हुए बदन वाली थोड़ी तंदुरुस्त लड़की है, जिसके बाल काले घने, नैन-नक्श तीखे तो नहीं पर आकर्षक हैं, वो मेकअप करने की बहुत शौकीन है क्योंकि उसकी स्टाइलिश आई-ब्रो, आई लाइनर और लिपस्टिक सब कुछ लाजवाब दिख रहे थे, जैसे कोई मॉडल हो। उसके सभी चित्र हॉट निक्कर, केप्री और डोरियों वाले विदाउट स्लीव्स टॉप में ही थे, उसका शारीरिक नाप-तोल गजब हैं, वक्ष उसकी उम्र के हिसाब से कुछ ज्यादा ही विकसित प्रतीत हो रहे थे, नेकर और केप्री जिस हिसाब से उसके कूल्हों में फंसे हुए थे, उससे यह भी पक्का था कि उसके चूतड़ या कूल्हे भी कयामत ही होंगे।
मैं अपने पाठकों को उसका सही अनुमान लगाने के लिए एक इशारा देता हूँ, जिससे इस रोमांचक किस्से को पढ़ते समय वे शालिनी की एक छवि अपने दिमाग में बसा सकते हैं, वो काफी कुछ फिल्मों में नई आई हुई एक बहुत खूबसूरत अभिनेत्री ‘हुमा कुरैशी’ से मिलती जुलती सी है। यह तो बात हुई शालिनी की, अब मैं उसकी फेंटेसी की बात करता हूँ जो उसने मुझे सुनाई।
वो एक करोड़पति परिवार से ताल्लुक रखती है, एक आलिशान महलनुमा घर में रहने वाली, पूरे घर में सभी कामों के लिए खूब नौकर चाकर, ड्राइवर और माली रखे हुए थे।
वो हमेशा शाही शान और शौकत से रहने वाली, बड़ी बड़ी पार्टियों, रिसोर्ट और क्लब में शिरकत करने वाली, हमेशा रईस और दिखावे वाले लोगों से घिरी रहती थी। पर उसे इन सब से बहुत चिढ़ होती थी, उसकी ‘यौन तृष्णा’ यानि सेक्सुअल फेंटेसी उन लोगों से बिल्कुल ही उलट, गरीब, साधरण शक्ल-सूरत वाले, काले-कलूटे, पसीने से भीगे बदन वाले मजदूर या नौकर को देख कर हुआ करती थी, यहाँ तक कि उसने बताया कि इंटरनेट पर भी वो हमेशा अफ्रीकन पुरुषों के नंगे बदन वाले फोटो को बैठ कर घंटों निहारती रहती थी और अभी हाल में ही संपन्न हुए इलाहबाद कुम्भ में नंगे जटाधारी साधुओं को देखने में भी कामुक उत्तेजना महसूस करती थी।
तो चलिए अब हम उसके किस्से की तरफ आते हैं जो उसने मुझे सुनाया और अब मैं उसे यहाँ एक कहानी के रूप में आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
उसके साथ यह घटना देहरादून में घटी, जहाँ उनका एक आलिशान बंगला है, उसके पापा वहाँ अपने काम के सिलसिले में जा रहे थे तो वो भी उनके साथ जिद करके वहाँ स्टडी करने के लिए चली गई। शालिनी के पापा काम के सिलसिले में बहुत व्यस्त रहा करते थे और वो अकेली बंगले में रह सकती थी क्योंकि वहाँ नौकर-चाकर, चौकीदार वगैरा सब रहते हैं।
उसका कमरा सबसे ऊपर था और उसके पीछे की तरफ एक बड़ी सी बालकनी थी जहाँ से दूर दूर तक उनके बंगले का घना और पेड़ों से घिरा हुआ बगीचा दिखाई देता था।
उस दिन सुबह दस बजे के करीब वो अपने सारे कपड़े उतार पूरी नंगी होकर नहाने के लिए बाथ रूम में घुसी, वहाँ लगे बड़े से शीशे में अपने निर्वस्त्र नग्न बदन को निहारा और फिर शावर चला कर उसके नीचे खड़ी हो गई। उसने अपने बालों में महंगा शैम्पू लगा कर खूब झाग बनाए, पूरे बदन पर खूब सारा बॉडी शैम्पू मल कर वो ऊपर से नीचे तक झाग ही झाग से सराबोर हो गई।
तभी उसे बाहर से जोर जोर से ठक-ठक, ठक-ठक की आवाजें लगातार आने लगी।
उसे समझ नहीं आया कि पीछे बगीचे में कौन है और ये ठक-ठक की आवाजें किस वजह से आ रही हैं, उसने बाथरूम की खिड़की से देखने का प्रयास किया तो वहाँ उसे कोई आदमी दिखाई दिया। वहाँ एक काला कलूटा सा आदमी या कहें कि लड़का था जो उघड़े बदन था। उसने नीचे की तरफ सिर्फ एक धोती लपेट रखी थी और वो पसीने से तरबतर था।
वो कुल्हाड़ी लेकर पीछे के बेतरतीब बढ़ चुके पेड़ों की शाखाओं को काट रहा था।
उसका बदन बहुत ही कसरती था, छाती पर बाल थे और जब वो पूरी तरह से कुल्हाड़ी ऊपर उठा कर पेड़ की डाल पर मार रहा था तो देखा कि उसके बाहों के नीचे बगलों में भी घने बालों का गुच्छा था।
और यही सब बातें शालिनी को बहुत ज्यादा उत्तेजित भी करती थी और वो इस समय बिल्कुल निर्वस्त्र और भीगी हुई खड़ी थी वो एक टक उसे निहारने लगी और उसके हाथ बरबस अपने वक्ष पर कसने लगे, उसे बहुत अच्छा लग रहा था, ऐसे ही रफ टफ, खुरदुरे और मजदूर जैसे लोग उसे ना जाने क्यों बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करते थे, वो अपना नहाना भूल गई और एक टक उसे देखे जा रही थी और अब उसने बाथरूम की खिड़की बहुत अच्छे से खोल ली, अब वो उसे ज्यादा अच्छे से देख पा रही थी और वो इस बात से बिल्कुल निश्चिन्त थी कि वो मजदूर युवक उसे नहीं देख पा रहा था।
और तब उसने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत की तरफ सरकाना शुरू किया, पूरा बदन वैसे ही साबुन की वजह से चिकना हो रहा था,
और अब तो चूत के अंदर तक भी उसे कुछ चिकना सा द्रव निकलता सा प्रतीत हुआ।
हम सब जानते हैं कि चूत के इस तरह से गीला होने का क्या मतलब होता है, उसका गीला बदन भी अब वासना की आग में जलने लगा था, अब वो और जोर जोर से और दबा कर अपनी चूत को सहलाने और मसलने लगी।
तभी उस मजदूर ने अपनी कुल्हाड़ी एक तरफ रखी और पास ही पड़े एक टूटे से जग को उठा कर पानी पिया। टूटे होने की वजह से जग का कुछ पानी उसके मुँह, गर्दन, छाती और पेट से होकर बहता हुआ नीचे आ रहा था, जो उसे और भी ज्यादा उत्तेजक बना रहा था।
पानी पीने के बाद उसने अपनी धोती खोलने का उपक्रम किया और बालकनी के नीचे वाले कोने की तरफ बढ़ने लगा।
शालिनी फट से समझ गई कि वह उस जगह पेशाब करने जा रहा है। और वो कोना उसे अपने बाथरूम से दिखाई नहीं देता था। शालिनी वासना की आग में बुरी तरह से तप चुकी थी और उसके लंड को देखने का मौका गंवाना नहीं चाहती थी, इसलिए बिना सोचे समझे, सारी लाज-शर्म भूल कर वैसे ही नग्नावस्था में बाथरूम से बाहर निकल कर बालकनी की ओर भागी। पूरे बदन पर, बालों पए साबुन के झाग थे, पर वो बेपरवाह भाग कर बालकनी में जा पहुँची उसकी उत्तेजना और उत्सुकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके पूरी तरह से धोती खोल कर चड्डी उतारने से पहले ही वो वहाँ पहुँच चुकी थी उसके लंड के दीदार करने के लिए ! बालकनी तक भी खूब घने घने पेड़ और शाखाएँ थी वो उनकी आड़ में जा छुपी और अब अपने एक पैर को फैला के अपनी एक उंगली को चूत के अन्दर तक घुसा कर उसके चड्डी से बहर आते हुए लंड को देखने लगी।
और जब लंड बाहर आया तो…
उसकी तो जैसे साँसें ही तूफ़ान बन गई, दिल जोर जोर से धड़कने लगा, वो खुद जितना काला था उससे भी कहीं ज्यादा काला उसका लंड था जो सामान्य सुप्त अवस्था में ही काफी बड़ा दिख रहा था, ना जाने उसने कब से अपना पेशाब रोका हुआ था, क्योंकि एकदम से तेज़ धार छूटी और उसने चैन की सांस ली। पेशाब करने के दौरान वो अपनी घनी, गंदी और उलझी झांटों के बाल नौचता रहा और टूटे हुए जो बाल उसके हाथ में आये, उन्हें फूंक मार के हवा में उड़ाता रहा।
और उधर ऊपर नंगी पुंगी खड़ी शालिनी उस गंदे इंसान के लंड को देख कर पगला ही गई और जब तक उसने मूतने के बाद लंड को वापिस कच्छे के अंदर नहीं घुसा लिया, वो देखती रही।
अब वो हस्तमैथुन करने लगी थी, वो वहीं बालकनी में फ़र्श पर पसर गई अपने पैरों को चौड़ा करके !
तभी तेज़ बादल गरजे, देहरादून में उन दिनों बारिश का मौसम था, और पानी की बौछारें उसके नंगे बदन पर गिरने लगी और उसके जिस्म से साबुन और झाग बह बह के जाने लगे और उसका दूधिया नंगा बदन खिलने लगा। उसके हाथ अब तेज़ी से उसकी योनि पर चल रहे थे और दिमाग यह सोच रहा था कि अब इस काले मजदूर को कैसे अपना गुलाम बनाया जाए, उससे अपना बदन मसलवाया जाए !
और फिर धीरे धीरे उसके दिमाग में एक योजना बनने लगी, उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई, और फिर उसने बालकनी के उस खुरदुरे फर्श पर अपने मांसल कूल्हे उछाल उछाल कर और एक पेड़ की शाखा को अपनी चूत से रगड़ रगड़ कर हस्तमैथुन संपन्न किया और देर तक यूहीं बालकनी में नंग धडंग पड़ी रही, भीगती रही।
तो दोस्तो, क्या थी शालिनी की योजना, और उसने उसे कैसे अंजाम दिया, यह इस कहानी के अगले भागों में जरूर पढ़ना।
और हाँ, कृपया तुरंत ही मुझे मेल करके अपनी राय भी जरूर जरूर बताना !
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