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प्रेषक : विवेक पाटिल
हेलो दोस्तो, मैं विवेक, 24 साल, ग्रेजुएट, 5’5″, दिखने में स्मार्ट हूँ।
मैंने इस साइट पर सारी कहानियाँ पढ़ी हैं, मुझे काफ़ी अच्छी लगी यह अन्तरवासना साइट !
यह कहानी किसी लड़की को चोदने की नहीं है बल्कि मैंने एक आदमी की कैसे गांड मारी, इसके बारे में है। यह कहानी एक साल पहले की है जब मैं एक बैंक में काम करता था, मैं उस गाँव में पहली बार गया था, मेरी जान पहचान किसी से नहीं थी, तब सिर्फ़ अपना काम और उसके बाद अपने कमरे में, यही दिनभर का शेड्यूल था, मेरा टाइम पास कुछ नहीं था मेरे लिए उस समय !
मेरे कमरे के सामने एक मंदिर था, काम के बाद में वहाँ पर जाया करता था तो थोड़े दिनों में मैंने वहाँ कई दोस्त बना लिए। वहीं मेरी पहचान उससे हुई जिसकी मैंने गाण्ड मारी है, उसका नाम संजय था, दिखने में ठीक था पर दोस्तो मैं कोई गे यानि समलिंगी नहीं हूँ जो उसमें रूचि लूँ।
थोड़े दिन ऐसे ही सबके साथ बात करते करते बीत गये। एक दिन मैं उस मंदिर में बैठा था, अकेला था, उस दिन कोई नहीं आया जिन्हें मैं जानता था।
थोड़ी देर में संजय आया, उसने मुझे पूछा- साहब, आज अकेले ही बैठे हो? सारे कहाँ गये?
मैंने कहा- पता नहीं यार ! आज कोई आया नहीं तो ऐसे ही बैठा हूँ।
उसने कहा- चलो मेरे बाइक पर कहीं घूम आते हैं।
मैंने सोचा कि यहाँ बैठने से अच्छा उसके साथ घूम आऊँ। फिर हम दोनों निकल गये। बाइक मैं चला रहा था, तब मैंने सोचा नहीं था कि उसके मन में क्या चल रहा है। उसने अचानक मेरी जांघें सहलाना चालू कर दिया। मैंने उसे अनदेखा कर दिया था, पर उसने मेरी खामोशी को देखकर मेरे लंड पर हाथ रखा। फिर भी मैंने कुछ नहीं कहा पर सोच्ने लगा कि यह ऐसा क्यूँ कर रहा है.
उसने मेरी खामोशी को देखते हुए अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और ज़ोर से पकड़कर हिलाने लगा. मेरे लिए ये सब कुछ नया था, मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसे गाली दूँ या ऐसे ही मज़ा लूँ !
पर मेरे तब तक खड़ा हो चुका था, मैंने थोड़ी दूर जाकर बाइक रोक दी और उसे उतरने को कहा, पूछा- यह क्या कर रहे हो? मुझे ये सब नहीं करना है, तुम्हें यह आदत कब से है?
उसने जवाब में कहा- मैंने जब तुम्हें मंदिर में पहली बार देखा था तो तुम मुझे अच्छे लगे।
तो मैंने उसे कहा- अरे, मैं कोई लड़की हूँ क्या जो तुम्हें अच्छा लगी?
तो उसने कहा- नहीं ऐसा नहीं है, पर मुझे तेरा लंड मुँह में लेना है इसलिए ऐसा किया !
मैंने ये सब कुछ सोचा नहीं था, मुझे अजीब लगा, मैंने उसे कहा- नहीं ! मुझे ऐसा करने में कोई इंटेरेस्ट नहीं है, हम लोग वापस चलते हैं।
मैंने बाइक वापिस ले ली। वो मुझे बहुत समझा रहा था- एक बार ले लेता हूँ मुँह में तो तुम्हें क्या होगा? चलो रोको बाइक !
पर मैं नहीं माना, मैं कमरे में आ गया। उस दिन से उसके साथ 15 दिनों तक बात नहीं की पर उस दिन मुझे एहसास हुआ कि लंड को छूने के बाद कैसा लगता है और यह तो सिर्फ़ मुँह में लेने कह रहा था।
कुछ दिन बाद वो मिला तो फ़िर बोला- चलो कहीं घूमने चलते हैं।
मुझे पता था इसे अभी भी वही चाहिए था।
उसने कहा- तुम बाइक चलाओ, मैं पीछे बैठता हूँ।
हम निकल गये, उसने फिर से वैसा ही किया जैसे पहले किया था।
उसने कहा- यहीं पर बाइक रोक दो !
मैंने पूछा- क्यूं? आज भी मुँह में लेने का इरादा है क्या?
उसने तुरंत हाँ कर दी।
मैंने कहा- यहाँ कोई देख लेगा !
मुझे जो चाहिए था, वैसा ही हो रहा था इसलिए मैंने उसे कहा- एक काम करते हैं, हम लोग मेरे कमरे में चलते हैं, में अकेला ही रहता हूँ, वहाँ कोई आएगा नहीं इस वक़्त !
मैंने उसे पूछा- यार तुम तो मेरे चूसोगे? पर उसमें मेरा क्या फ़ायदा? अगर मैं तेरी गाण्ड मारूँ तो चलेगा?
उसने कहा- ठीक है !
मैंने उसे कण्डोम लाने के लिए कहा और मैं रूम में चला गया, थोड़ी देर बाद वो आया, मैं तो पहले से ही सिर्फ़ अण्डरवीयर में बैठा था, मैंने रूम अंदर से लॉक किया और उसके साथ बात करता रहा। उसे उकसाने के लिए मैंने अपने मोबाइल पर ब्लू फिल्म लगा दी, थोड़ी देर में उसका हाथ मेरे अण्डरवीयर पर घूमने लगा।
मैंने उसे कहा- शुरू कर ना जल्दी ! अब रहा नहीं जाता !
तो उसने मेरा अण्डरवीयर उतार दिया और मेरा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगा।
दोस्तो क्या लगा रहा था उस वक़्त ! मानो कोई लड़की ही हाथ लगा रही हो !
फिर मैंने उसे कहा- अब बस मुँह में ले लो !
तो उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया, मुझे पहली बार कुछ अच्छा लग रहा था, इतना मज़ा आ रहा था कि पूछो मत !
उसने करीब 15 मिनट तक चूसा मेरा लंड ! मेरा पहली बार था इसलिए मेरा पानी आने वाला था, मैंने उसे कहा- मेरा निकलने वाला है। तो उसने मुँह से निकाला और हिलाने लगा।
मेरा सारा पानी बाहर आ गया। हम थोड़ी देर ऐसे ही नंगे बैठे रहे, थोड़ी देर बाद उसने मेरे लंड को फिर से हिलाना शुरू किया, मेरा फिर से खड़ा हो गया, मैंने उसे कहा- फिर से चूस मेरा ! अब मैं तेरी गाण्ड मारूँगा !
उसने चूसना शुरू किया, थोड़ी देर बाद मैंने उसे कहा- घोड़ी बन जा !
उसने मुझे कण्डोम पहनाया और घोड़ी बन गया। उसने कहा- मैं पहली बार अपनी गाण्ड मरवा रहा हूँ।
मैंने समझ लिया कि यह तो नया है अभी ! उसकी तंग गाण्ड देख कर मैंने अपना लंड रख दिया और घिसने लगा। वो अपनी गाण्ड आगे पीछे करने लगा।
फिर मैंने देर ना करते हुए उसके छेद दबाव दिया, पहली बार था इसलिए लंड ठीक से अंदर गया नहीं और उसे दर्द भी होने लगा।
उसने कहा- तुम्हारा मोटा है, ज़रा धीरे करो !
मैंने फिर से घुसाने की कोशिश की तो लंड आधा अंदर गया, वो चिल्लाने लगा- आराम से करो !
पर अब मैं रुकने की हालत में नहीं था, ऐसा लग रहा था की किसी लड़की की मार रहा हूँ। थोड़ी देर रुकने बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और लंड उसकी गांड में आगे पीछे होने लगा। मैंने करीब उसे 15 मिनट तक चोदा फिर मैंने उसके गांद में ही अपना पानी निकल दिया। मुझे पहली बार चुदाई का अनुभव हुआ। मैंने उसे कहा- अब जब भी मैं बुलाऊँ तो तुम्हें आना पड़ेगा !
तो उसने कहा- मुझे सिर्फ़ फ़ोन करो, मैं आ जाऊँगा।
फिर वो अपने कपड़े पहन कर वहाँ से चला गया।
उसके बाद मैंने कई बार उसको बुला कर मेरा लंड चुसवाया है और उसकी गांद भी मारी है। अब मैं कोई लड़की ढूंढ रहा हूँ जिसे मैं चोद सकूँ।
दोस्तो यह थी मेरी पहली कहानी ! आशा है आपको पसंद आएगी !
और एक बात कि मैं समलिंगी या गे नहीं हूँ !
आप मुझे मेल करना !
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