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पाठकों को मेरा प्रणाम जो इनको पढ़कर मुझे अथाह प्यार देते हैं, अपनी ईमेल के ज़रिये, कुछ याहू मेसेंजेर के ज़रिये और फिर इनमें से वो जो मुझे मिलते हैं और मेरी गांड मारते हैं, अपने लण्ड को मेरे मुँह में देते हैं, मुझे नंगी करके मुझपे सवार होते हैं, मुझे उनके साथ बिस्तर शेयर करके एक लड़की की तरह उनसे चुम्मा-चाटी करके उनसे अपने नर्म नर्म मम्मे दबवा, अपने निप्पल चुसवा बहुत आनन्द प्राप्त होता है।
आज जो चुदाई आपके सामने लेकर आया हूँ वो मुझे मेरी पिछली चुदाई ‘पब्लिक टॉयलेट में गांड मरवाई’ पढ़ने के बाद एक पाठक के साथ है, जिसका नाम में शेयर नहीं करना चाहता इसलिए उनका नाम मिंटू लेकर चलते हैं, मिंटू मेरा बहुत ज़बरदस्त अन्तर्वासना फैन है, पहले पहले तो मैंने उसको आम पाठक की तरह रखा था, लेकिन उसने मुझे मेरी यह चुदाई पढ़ कर एक नहीं पच्चीस ईमेल एक साथ की, जिससे मेरा इनबॉक्स का पहला पेज तो अकेले मिंटू ने भर दिया, इसलिए मेरा ध्यान उस पर गया। वह मेरे शहर से ज्यादा दूर भी नहीं है, वो फगवाड़ा का है यानि मुझसे सिर्फ और सिर्फ तीस किलोमीटर दूर, उसकी उम्र अठतीस साल की है लेकिन अभी भी गबरू जवान है, उसका आठ इंच का लंड बेहद आकर्षक है, सांवले से रंग का लंड किसी लंड के दीवाने को पागल कर दे !
उसके ईमेल में दिए हुए नंबर पर मैंने उसी पल कॉल कर दी, उसने मेरी पिछली चुदाई की तारीफ की और मुझे अपने घर बुलाया। वह शादीशुदा है लेकिन उसके घर कोई बच्चा नहीं हुआ। उसने बताया कि उसकी औरत बहुत नीरस ठंडी स्त्री है जो उसके साथ वो सब नहीं करती जिससे उसको मजा आता है।
मैंने बस पकड़ी और फगवाड़ा पहुँच गया। शाम का समय था, वो अपनी कार लेकर बस स्टैंड से मुझे लेने आया। उसको सामने देख मैं उसके सुडौल शरीर का दीवाना हो गया, उसने भी मुझे प्यासी नज़रों से मुझे पाँव से सर तक देखा और मुस्कुरा कर बोला- क्या मस्त गांडू दीखते हो !
हल्के से मेरी गांड पर थपकी लगाई और बोला- बैठ मेरी जान गाड़ी में !
थोड़ा आगे बढ़ते ही उसने अपनी ज़िप खोल दी और लंड निकाल दिया। सोया हुआ लंड भी काफी बड़ा था तो खड़ा कैसा होगा/
“यह देख ! पकड़ ना ! कैसा लगा?
मैंने उस पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा- बहुत मस्त लंड है !
“हाय रानी, तो फिर एक बार मुँह में भर !”
“अभी, यहाँ? आप ड्राइव कर रहे हो !”
“तुम तो फ्री बैठे हो !” उसने मेरे सर को दबाया और अपना मोटा लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया- चूस-चूस ! जान और चूस !
ऐसे जितनी देर घर के करीब नहीं पहुँच गए, उसने अपने लंड के साथ मुझे खिलाया।
जब घर पहुंचे, तब दरवाज़ा एक औरत ने खोला।
उसने मेरा परिचय अपने एक दोस्त के छोटे भाई के रूप में करवाया।
सच में उसकी बीवी कुछ धार्मिक ख्यालों वाली लगी पर बदन से, छातियों से आकर्षक थी।
मिंटू ने मेरे लिए अपने कमरे के साथ वाला कमरा जिसके बीच एक बाथरूम था जिसका एक दरवाज़ा उनके रूम में दूसरा मेरे रूम खुलता था, दे दिया।
“जाओ फ्रेश हो लो, फिर चाय-वाय पीते हैं !”
ऐसे ही बैठे रहे, शाम के सात बजे थे, उसकी बीवी ड्राईवर को मंदिर चलने के लिए कह बाहर गई। मेरी गांड में तबसे खलबली मची थी जबसे उसके लंड को पकड़ा था।
मैं उठकर कमरे में गया, नौकर थे इसलिए वह रूम में गया, बाथरूम के ज़रिये मेरे पास आया, उसने मुझ पर से चादर हटाई, मुझे सिर्फ पैंटी में देख वो पागल हो गया और अपने कपड़े उतार मुझ पर पागलों की तरह सवार हो गया। उसका खड़ा देख मुझसे रुका नहीं गया, मैंने उसको आँख मारी और टांगें चौड़ी कर उठा ली- आओ मेरे सरताज !
उसके लंड को ठिकाने रखा, उसने झटका दिया और आधा लंड घुस गया, जल्दी पूरा लंड गांड में चलने लगा, मुश्किल से तीन चार मिनट में उसने पानी छोड़ दिया।
हम हांफने लगे, कपड़े पहन बाहर लॉबी में बैठ गए। उसकी बीवी आई, रात हुई, खाना लगा, खाकर कुछ देर टीवी देख कमरों में गए। करीब ग्यारह बजे वो मेरे पास आया और हम एक दूसरे की बाँहों में थे, मुझे इतना प्यार करने लगा कि मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मेरी गांड के चस्के में उसने दरवाज़ा बन्द नहीं किया। हम दोनों भौंच्चके रह गये जब उसकी बीवी की बात कानों में पड़ी- वाह वाह ! क्या बेशर्मी है तुम दोनों में !
मुझे बोली- तुझे शर्म नहीं आती? कैसे लड़की की तरह इसके साथ लेटा है !
मैं क्या बोलता ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
“तेरी में लड़की से ज्यादा आग मची थी क्या? चल भाग जा हमारे घर से !”
मिंटू उठा, जाकर जोर से एक थप्पड़ उसकी गाल पे दिया- साली चुप ! खुद किसी काम की होती तो मुझे इसकी ज़रुरत न होती ! यह
“पकड़ और ले अपने मुँह में मेरा लंड, नहीं जाएगा कहीं भी, ले ले मुँह में !”
“छीः ! कैसी बातें करते हो?”
“तो बस चुपचाप निकल जा यहाँ से !”
मैं खड़ा हुआ, गांड हिलाता मिंटू के पास खड़ा हुआ- क्यूँ हमारा मजा किरकिरा करने पर लगी हो? देखो न कितना कड़क और धांसू लंड सामने है !
उसके सामने उसके पति के लंड को पकड़ सहलाया, वहीं बैठ मुँह में डालकर खूब चुप्पे लगाने लगा।
“अह अह ! साली, इसको कहते हैं मर्द खुश करना !”
“बहुत बेशर्म हो दोनों ! बन्द करो सब !”
“साली चली जा यहाँ से !”
“नहीं जाती कहीं भी ! कुछ नहीं करने दूँगी !”
“अब तेरे सामने सब होगा ! साली, तेरे कपड़े पहनकर इसके साथ तेरे सामने सुहागरात मनाऊँगा !” उसने जाकर मुझे उसकी नाईटी दी। मैं बैड पर बैठ गया, वह मेरे पास आया, मुझे बाँहों में लेकर मेरे ऊपर चढ़ होंठ चूसने लगा, फिर मेरे मम्मे दबाने चूसने लगा। यह सब मेरी जिन्दगी में पहली बार था, उसने उठकर कमरे को लॉक करके चाबी अपने पास रखी और मुझे नंगी किया।
मैंने दिल भर कर लंड चूसा, उसकी बीवी देखती रही, सर पकड़ कर बैठी थी।
वो सीधा लेट गया, मैं खुद उसके लंड पर बैठ चुदने लगा।
“इसे कहते हैं सेक्स ! साली, देख और कुछ समझ !”
फिर मैं घोड़ी बन गया, उसने लंड पेल दिया, दस ग्यारह मिनट में उसका पानी निकल गया, उसने लंड खींचा, मैंने मुँह में लेकर लगे पानी को चाट लिया, उसके बाद उसको कमरे से निकाल दिया, दूसरे कमरे में बंद किया।
पूरी रात मिंटू ने मुझे मजा कराया, पूरा पूरा मजा किया, सुबह उठकर वहाँ से आ गया। मेरे संग ऐसा पहली बार हुआ कि किसी औरत के सामने चुद गया पूरा बेशर्म बनकर !
जल्दी अगली हुई चुदाई लिखूँगा ! बाय बाय !
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