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कहानी का पिछला भाग : रसीली की रस भरी रातें-1
मेरी हिंदी एडल्ट स्टोरी में आपने अब तक पढ़ा कि सुहागरात को मैं अपने पति के बड़े लण्ड से दर्द का ड्रामा करके चुद गई। मेरा पति बड़े ल्ण्ड के कारण नहीं जान पाया कि उसकी नई नवेली असल में खाई खेली है।
सुबह छः बजे ही दरवाज़े पर खटखट हुई, बाहर से आवाज़ आई- मासी जा रही हैं, बाहर आ जाओ।
मैं और ये नंगे पड़े हुए थे। मैं उठने को हुई तो इन्होंने मुझे रोक लिया और मेरे हाथ को अपने लंड पर रख दिया, ये बोले- जरा इसको रगड़ो ना!
मैंने हाथ में लंड लेकर उसे सहला दिया, थोड़ी देर में ही लंड तन गया। इसके बाद इन्होंने मेरी कमर के नीचे तकिया रखकर मुझे उल्टा कर दिया और मेरी चूत में अपना लंड पीछे से घुसा दिया। “उह!” क्या एक झटके में ही लंड अंदर घुस गया था। मुझे समझ में आ गया कि ये भी एक खेले खाए मर्द हैं।
मुझे पीछे से दबाते हुए ये मेरी चूत मारने लगे। मुझे चुदाई का मस्त मज़ा आ रहा था, मैं तो भूल ही गई थी कि इनका चेहरा जला हुआ है। इन्होंने चोदना जारी रखा और दस मिनट तक मुझे उल्टा लेटा कर मेरी चूत चोदी। इसके बाद उठकर इन्होंने मेरी दोनों नंगी चूचियाँ भोंपू की तरह बजाईं और बोले- अब तो तुम औरत बन गई हो, रोज़ चुदने को तैयार रहना।
इसके बाद ये बाहर निकल गए। मैं भी अपने कपड़े बदलने लगी और मन ही मन सोच रही थी कि लंड तो इनका बड़ा मस्त है, चुदाई का मज़ा तो मस्त मिलेगा।
दोपहर में मुँह दिखाई का कार्यक्रम था, लंबा घूँघट डालकर मुझे बैठा दिया गया। सब औरतें एक एक करके गिफ्ट दे रही थीं। थोड़ी देर बाद सब हंसी मजाक करने लगे। तभी औरतों में से एक बोली- माधुरी, तेरी बहु तो बड़ी चिकनी और रसभरी है।
मेरी बगल में मेरे पति राजू की मौसी बैठी थीं, मेरी चूचियों पर हाथ फिराते हुए मेरी सास से बोलीं- दीदी, रंजना सही कह रही है! बहू की चूचियाँ तो पूरी रसीली हो रही हैं, राजू के तो मज़े आ गए, रोज़ जी भर कर रस पीएगा।
सब हँसने लगे, तभी उनमें से एक बोली- रस पिलाना पड़ेगा, तभी तो रस निकलेगा। मासी बोली- अरे राजू गाँव का गबरू जवान है, पूरी मटकी रस से भर देगा। तू भी कभी ट्राई कर लिओ।
हंसी मजाक जारी था, मेरी सास बोली- मुझे इसका सपना नाम पसंद नहीं है, मैं तो इसे रसीली कह कर बुलाऊँगी! और उन्होंने मेरा नाम रसीली रख दिया। मुझे गाँव में सब लोग रसीली कह कर बुलाने लगे।
कार्यक्रम 4 बजे ख़त्म हो गया। मैं गाँव की भाभी चंपा के साथ ऊपर के कमरे में आ गई। चंपा और मैं कमरा बंद करके बातें करने लगे, मैंने अपनी साड़ी उतार दी थी- चंपा को मैंने बताया कि मेरा बदन दुख रहा है। चंपा ने मेरे गालों पर चुटकी काटी और बोली- रात भर आठ इंची लंड से चूत चुदवाई है, दर्द तो होगा ही!
उसने तेल की शीशी उठाई और मुझसे बोली- चल नंगी हो! तेरी तेल मालिश कर देती हूँ। मैंने अपने ब्लाउज को उतारते हुए पूछा- तुझे कैसे पता कि इनका लंड आठ इंची लंबा है। चंपा ने मेरी मेरी नंगी चूचियाँ हॉर्न की तरह बजाईं और हँसते हुए बोली- ओह महारानी मुझ पर ही शक कर रही हैं। चंपा बोली- मेरे पति के लंगोटिया यार हैं, मुझे ओर भी बातें पता हैं, सब बता दूंगी!
और उसने मुझे नंगी कर दिया, मेरी मालिश करने लगी, मालिश में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मेरी मालिश करते हुए चंपा ने बताया कि मेरे ससुर असली ससुर नहीं हैं, वो हैं राजू के चाचा हैं। राजू के पिताजी की मृत्यु राजू के जन्म के तीन साल बाद हो गई थी। राजू के चाचा रंगीन किस्म के आदमी हैं, अवैध संबंधों के चलते मेरी सास की शादी देवर से हो गई थी। उनसे मेरी एक ननद और एक देवर मनु है। ननद की शादी हो चुकी है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
चंपा और मेरी बातें जारी थीं। चंपा अब मेरे चूतड़ों की मालिश कर रही थी मेरी मालिश करते हुए बोली पहली- सुहागरात में तो दर्द कम हुआ है दूसरी में असली दर्द होगा। मैंने चौंकते हुए पूछा- दूसरी मतलब? चंपा ने हँसते हुए मेरी गांड में उंगली डाल दी और बोली- दूसरी का मतलब गांड की चुदाई। चूत तो तेरी कल बज़ गई लेकिन गांड रानी अभी बजनी बाकी है। दर्द क्या होता है, ये तो जब गांड चुदती है तब पता चलता है। इन गाँव के मर्दों का पता नहीं कब गांड पेल दें सब साले शादी से पहले एक दूसरे की गांड चोद चोद कर गांड चोदने में पक्के हो जाते हैं। इन्होंने तो दो दिन बाद ही मेरी गांड मार ली थी। मैं तो बेहोश हो गई थी बहुत दर्द हुआ, सास ने जब 3 दिन गांड की सिकाई करी तब दर्द कुछ कम हुआ। चंपा बोली- मेरे पास एक क्रीम है, जब तक तेरी गांड की सुहागरात नहीं मानती, तब तक रोज़ मालिश कर दूंगी। देख लेना तेरे पति 2-4 दिन मैं ही तेरी गांड फाड़ देंगे।
इसके बाद चंपा ने मेरी गांड मैं क्रीम डाल कर अपने हाथों से अच्छी मालिश कर दी। चंपा की बातों से मुझे पता चल गया था कि मेरे पति और ससुर औरतबाज आदमी हैं और उन्होंने कई औरतों और लड़कियों को चोद रखा है।
पाँच बजे हम दोनों सो गए। रात को 8 बजे दरवाज़े पर आवाज़ हुई तब हम दोनों उठे। चम्पा उठ कर अपने घर चली गई और मैं कपड़े पहन कर नीचे आ गई।
अगली दो रातें बड़ी रसभरी थीं। इन्होंने मुझे कई आसनों में लिटा और बैठा कर मेरी चूत का मर्दन किया। बड़ा मस्त मज़ा दिया इन्होंने चुदाई का! मैं तो इनके लौड़े की गुलाम हो गई।
तीसरी रात इन्होंने मुझे नंगी करके अपनी जाँघों पर बेठा कर अपना मोटा लंड मेरे हाथ मैं पकड़ाया तो मैं दंग रह गई, लौड़ा पूरा तेल से नहा रहा था। चिकना लौड़ा अपने हाथ से सहलाते हुए बोली- आज कालू राम का ज्यादा शैतानी का मन कर रहा है। राजू ने मेरी एक चूची मसलते हुए और दूसरी से मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए कहा- रसीली, तुम्हारी जवानी ने तो मुझे पागल कर दिया है।
इसके बाद मैं इनकी गोद में चिपक कर बैठ गई, मेरे स्तन इनके सीने से दब रहे थे और होंट इनके होंट चूस रहे थे। मेरे चूतड़ दबाते हुए राजू ने अपनी एक उंगली मेरी गांड में घुसा दी और बोले- बड़ी कसी गांड है कुतिया तेरी तो?
इसके बाद इन्होंने मेरी चूत में लंड घुसा दिया और मेरे चूतड़ दबाते हुए कहा- आज तुम्हें एक चीज़ दिखता हूँ। इन्होंने पास रखी एक मोटी मोमबत्ती पर कॉन्डोम लगाकर मेरी गांड के मुँह पर छुला दिया, मैं समझ गई कि आज मेरी गांड की शामत आने वाली है। मैं बोली- ये क्या कर रहे हैं? इन्होंने मोमबत्ती मेरी गांड पर लगा कर थोड़ी सी अंदर घुसा दी और बोले- घबरा क्यों रही हो? बड़ा मज़ा आएगा! और ये उसे अंदर घुसाने लगे।
कसी हुई गांड को मोमबत्ती अंदर तक फाड़े जा रही थी, मैं चिल्लाने लगी- उइ! उह! उह! मर गई! बाहर निकालो! लेकिन अब ये कहाँ सुनने वाले थे। इन्होंने 6 इंची लंबी और एक इंची मोटी मोमबत्ती मेरी गांड में ठूंस दी और गंवारों की तरह हँसते हुए बोले- सीधे सीधे लंड डाल दूंगा तो बेहोश हो जाएगी। मोमबत्ती से ये मेरी गांड चोदने लगे। मेरी चूत इनके लंड से फटी पड़ी थी और गांड मोमबत्ती से!
मेरी आँखों से आंसू बहने लगे। थोड़ी देर बाद इन्होंने तरस खाते हुए मेरी चूत और गांड को आजाद कर दिया। मैं कराहते हुए बोली- बड़ा दर्द हो रहा है! ये हँसते हुए बोले- थोड़ा तेल डाल देता हूँ! इन्होंने मेरे पेट के नीचे दो तकिये रखकर मेरी गांड में अंदर तक तेल भर दिया। इसके बाद मेरे चूतड़ सहलाते हुए मेरे चूतड़ों के ऊपर लेट गए।
कुछ देर बाद इन्होंने अपना लौड़ा मेरी गांड के मुँह पर लगा दिया जब तक मैं समझती तब तक सुपाड़ा गांड में घुस चुका था। मैं दर्द से चिल्ला उठी- उई मर गई! हरामजादे बाहर निकाल! उई मर गई! मर गई, राजू छोड़ो! बहुत दर्द हो रहा है! बहुत दर्द हो रहा है!
लेकिन अब ये मेरी गांड के ड्राईवर थे, चिल्लाने का कोई फायदा नहीं हुआ लंड अपने सफ़र पर चल रहा था। ऐसा लग रहा था कि मेरे दोनों चूतड़ फट जाएँगे।
मेरी गांड का गुदना जारी था, थोड़ी देर मैं इनका लंड पूरा अंदर घुस गया था। मैं तो मर सी गई थी। इन्होंने मेरी कमर कस कर पकड़ ली और मेरी गांड चोदनी शुरू कर दी। शुरू के झटकों ने तो मेरी जान ही निकाल ली। जब लंड अच्छी तरह से गांड में दौड़ने लगा तो इन्होंने मेरे चुचे पकड़ लिए और मसलते हुए बोले- रानी, प्यार से मार रहा हूँ! मज़े लो! अतुल ने तो चंपा की गांड जब मारी थी, वो तो बेहोश हो गई थी।
मेरी चूचियों की मसलाई हो रही थी और मेरे चीखने चिल्लाने से बेखबर होकर ये मेरी गांड मारने का मज़ा ले रहे थे। जब इनका लंड गांड में झड़ा तब तक तो मैं अधमरी सी हो गई। गांड फाड़ने के बाद इन्होंने मुझे सीधा किया मेरे आंसू चूचियों तक आ रहे थे।
बेपरवाह होते हुए ये बोले- अब सो जा! शुरू में तो सब के दर्द होता है।
मेरे को इनका व्यवहार देखकर एक झटका लगा, मुझे अंदर एक चोट लगी, मुझे लगा कि ये मेरे पति जरूर हैं लेकिन इनका भी मन बस मुझे भोगने तक है।
हिंदी एडल्ट स्टोरी जारी रहेगी। [email protected]
एडल्ट स्टोरी का तीसरा भाग : रसीली की रस भरी रातें-3
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