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अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार। मैं आपको पायल की चुदाई के बारे में बता रहा था कि मेरी उससे दोस्ती कैसे हुई और कैसे उसे चोदने के लिए मुझे गुजरात जाना पड़ा। वहाँ सूरत के स्टेशन पर मुझे पायल ने ही रिसीव किया। उसके घर में हमारे बीच सैक्स की बात चल ही रही थी कि उसके पति का फोन आ गया कि वह अगले दिन ही आ रहा है।
मैं अपने होटल में शिफ्ट होने की बात करने लगा पर पायल ने कहा कि उस बारे में कोई भी बात हम आज चुदाई को निपटाने के बाद ही करेंगे। इस बीच हमने एक दौर चुदाई का चलाया भी। इसके बाद पायल और मैं दोनों ही नंगे होकर कैट वाक कर रहे थे, तभी मैंने उसके दोनों कूल्हों पर बनने वाले डिंपल को देखा, यह देखकर ही उसे चोदने की बेताबी बढ़ी।
अब उससे आगे की बात…
पायल को पलंग पर गिराने के बाद मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फिराया और उसके बगल में लेटकर उसे अपने ऊपर खींचा व उसके होंठों को चूसने लगा। पायल अब मेरे ऊपर लेट कर चुम्बन में मुझे भी सहयोग दे रही थी। मैं अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया और ऊँगली अंदर न डालकर चूत को बाहर ही सहलाने लगा। वह भी नीचे हुई और मेरे लौड़े को चाटने-चूसने लगी।
अब मैं घूमा और उसकी चूत की ओर बढ़कर उसे चाटने लगा। चूत का ऊपरी भाग चाटने के बाद मैं उसके छेद को जितना हो सका उतना भीतर तक जाकर चाटा और अब अपनी जीभ छेद से और नीचे लाकर उसकी गांड की ओर बढ़ाई। गांड के दोनों ओर के डिंपल को चाटने के बाद मेरे मन में अब उसकी गांड मारने की इच्छा बलवती होने लगी। तो गांड के छेद पर भी जीभ मारकर उसे गीला बनाया।
पायल मेरी इच्छा समझ गई थी इसलिए बोली- जवाहरजी, आप उधर पीछे कहाँ लग गए हैं? इधर मेरी चूत पर आइए ना ! आपके प्यार की इसे जरूरत है।
मैं बोला- पायल, तुम्हारा पूरा शरीर मेरा है इसलिए ही पूरे शरीर को प्यार कर रहा हूँ।
वह बोली- प्यार तक ठीक है जवाहरजी, पर मेरी गांड में लंड डालने का प्लान मत बनाइएगा क्योंकि अब तक तो केवल मेरी चूत ही लौड़े के लिए तरसती रही है, कहीं मेरी गांड को भी आपने अपने लौड़े की आदत डाल दी तो फिर इसकी पूर्ति मैं कहाँ से कर पाऊँगी।
मैं बोला- वह तो ठीक है पायल, पर तुम्हारी गांड ने तुम्हारे लिए मेरी भूख बढ़ा दी है। इतनी सुंदर गांड को सुरेन्द्रजी ने कैसे अनदेखा कर दिया है, समझ नहीं आ रहा हैं।
“उसके बारे में आप ज्यादा मत सोचो, जब मेरी चूत की प्यास उन्हें समझ नहीं आई है, तो वो मेरी गांड को कहाँ से देखते?” यह बोल कर वह अब सीधी हो गई और मेरे चेहरे पर अपने होंठ घुमाने लगी।
मैं बोला- पायल यानि तुम्हारी गांड की सील अभी खुली नहीं हैं, मैं इसमें एक्सपर्ट हूँ। मेरा विश्वास मानो, तुम्हें शुरू में थोड़ी तकलीफ जरूर होगी, पर बाद में बहुत मजा आएगा और इस बहाने ही सही मैं तुम्हें अक्सर याद आया करूँगा।
पायल बोली- याद तो मुझे और मेरी चूत को आप और आपका लंड हमेशा आता रहेगा। अब मेरी गांड को भी आपकी याद सताने लगी, तब तो मैं मर ही जाऊँगी।
मेरा मन अब उसकी गांड पर आ गया था इसलिए मैंने उसके लिए प्रयास किया, पर अभी वो नहीं मानी। आखरी में पायल ने कहा- कल इसमें करवाऊँगी पर अभी तो चूत को ही चोदिए। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !
मैंने कहा- कल तो आपके साहबजी आ रहे हैं, कल अपनी मुलाकात कहाँ हो पाएगी।
वह बोली- अभी आप चूत पर लगिए। यह ट्रिप निपटाकर अपन कल के बारे में बात करते हैं।
यह बोलकर वह मेरे लौड़े को सहलाने लगी। लिहाजा मैंने भी अब उसकी चूत पर ही अपना ध्यान लगाया। हाँ ! उसकी गांड की सुंदरता से मेरा मन नहीं हट पाया था तो उसे बोला- पायल, तुम्हारे कूल्हों में ये डिंपल बनाने के लिए कुछ किया है क्या तुमने?
वह बोली- इन्हें बनाने के लिए मैंने कुछ नहीं किया, ये अपने आप बने हैं।
मैं बोला- मैं एक बार और तुम्हारी गांड को अच्छे से देखना चाहता हूँ, पीछे पलटो ना।
वह बोली- ठीक हैं, पर अपना लंड उसमें घुसाने के फेर में मत रहिएगा ना।
यह बोलकर वह पलट गई। इस गदराई काया को देखकर मैंने मन ही मन कहा- वाह रे ऊपर वाले ! यह बेशकिमती हीरा उसे दे दिया जिसे कांच और हीरे के बीच का अंतर नहीं पता। ऊपर से घर में रखे इस नायाब हीरे को ठुकराकर वह पत्थर के बेजान टुकड़ों का सौदा करने के काम में लगा है, जबकि मैं खुद ऐसे अगिनत लोगों को जानता हूँ जो ऐसे हीरे को सुख देने के लिए दिन और रात एक कर सकते हैं।
यह बोलकर मैं उसके नर्म, गोरे शरीर को देखने लगा।
पायल बोली- देख लिया तो सीधे हो जाऊँ?
मैं बोला- बस दो मिनट और !
ऐसा बोलकर मैं उसकी गांड की ओर सरका और होंठ बढ़ाकर गांड के दोनों ओर बने डिंपल को चूमा। अब मैं उसके ऊपर आ गया और अपने लौड़े को भी दोनों ओर के डिंपल में लगाया।
मेरा लौड़ा अपनी गांड से टिकते ही पायल बोली- देख लिए ना, अब मैं सीधी हो रही हूँ।
मैं बगल हुआ, कहा- चलिए अब जैसा आप चाहें।
पायल वापस कमर के बल लेटी। मैं घुटने के बल उसके उसके चेहरे के पास आ गया था। पायल मेरे लौड़े को पकड़ती हुई बोली- जवाहरजी, आप इसे मुझसे दूर मत करना बस। बाकी मैं तन, मन और धन से सदा आपकी ही हूँ।
यह बोलकर उसने मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया। हालांकि मेरा लंड उसके मुँह में घुस नहीं रहा था, पर वह उसे मुंह के अंदर लेने का पूरा प्रयास कर रही थी। कुछ देर बाद लंड को मुंह में लेने का प्रयास बंद कर वह अपनी जीभ से उसे चाटने लगी। अब मैंने उसके स्तन को पकड़ा और बहुत हल्के हाथों से दबाने लगा। दोनों बूब्स को दबाने के बाद अब मुंह को उसके स्तन पर लाया और निप्पल को चूसने लगा। मैंने महसूस किया कि निप्पल शुरू की तुलना में अब ज्यादा कड़े हो गए हैं। यानि अब पायल भी पूरी तरह से गरमा चुकी है। मैंने अपने हाथों से इसके दोनों बूब्स को जोड़ा और बीच में जीभ मारने लगा।
वह बोली- जल्दी करिए ना।
ऐसा थोड़ी देर करने के बाद मैं थोड़ा नीचे सरका, उसके पेट व नाभि में जीभ डालकर घुमाया, व यहाँ से उसकी चूत के ऊपरी भाग पर जीभ चलाता हुआ, उसकी चूत की तिल्ली फिर छेद के मिलते हिस्से को चूसने के बाद छिद्र में जीभ डालकर आगे पीछे किया। मैंने महसूस किया कि इसकी चूत से रज अब ज्यादा बह रहा है। पायल के मुँह से आवाज भी नहीं आ रही थी। उसकी आँखें बंद थी, पर चेहरा उत्तेजना से लाल होकर कस गया था। उसका चेहरा देखकर मैंने अब बिना रूके चुदाई का निर्णय लिया और सीधे ऊपर उसके चेहरे पर आकर अपने होंठ रख दिए।
अपने हाथ से उसने मेरा चेहरा पकड़ और मेरे होंठों को अपने दांतों के बीच रखकर हल्के से दबाने लगी। उसके प्यार का रंग अब मुझे ज्यादा गहरा दिख रहा था। यह भय भी हुआ कि कहीं वो ज्यादा जोश में आ गई तो मेरे होंठ को ही चबा देगी। इसलिए ऐहतियात के तौर पर मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपने होंठों को उसके दांतों के बीच से निकाला और अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल कर घुमाया व अपने लंड को उसकी चूत के द्वार पर लगाया।
मैं लंड को अंदर करने झटका लगाऊँ, इससे पहले उसने ही नीचे से उछाल भर कर मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर कर लिया। लंड को उसने अंदर किया, यह तो अलग बात है पर इसके साथ ही वह ऐसे झटके लगा रही थी मानो वह ही मुझे चोद रही हो।उसकी यह बेताबी मुझे शर्मिन्दा कर रही थी, पर कुछ देर में ही उसके झटके शांत हो गए। उसके झड़ जाने पर मैंने भी अपनी स्पीड तेज की। लिहाजा जल्दी ही मेरा फव्वारा भी छूट गया।
वहीं पलंग में अगल-बगल लेटे हुए हमने बात शुरू की। मैंने कहा- हाँ, कल का कैसे करेंगे?
पायल बोली- मैं उन्हे आपके बारे में बताऊँगी कि आप मेरे भाई के दोस्त हैं, जो मेरे मायके भचावत से आए हैं और अभी दो दिन और रूकेंगे। यह बोल कर सुरेन्द्र को मना लेंगे, फिर आप सुरेन्द्र से बात शुरु करना। वे बात बहुत ज्यादा करने का आदि हैं, और उन्हें शर्त लगाने की बहुत बुरी आदत है। बात बात में वे शर्त लगा बैठते हैं। हाँ आप शर्त में मुझे जीतने की कंडीशन रख देना और मजा आ जाएगा, जब आप यह शर्त जीत जाओगे।
मैंने उसे तो हाँ कर दिया, पर इसे शर्त में लगाने से कहीं वो नाराज न हो जाएँ, यह सोचने लगा। अब मेरे दिमाग में कल का प्लान घूमने लगा, सो पायल की अभी चुदाई से अलग हटकर उस ओर ही विचार करने लगा।आखिरी में यह तय किया कि कल के बारे में अभी से क्यों सोचूं, कल जो होगा वो देखा जाएगा। और सुरेन्द्र मुझे घर में रहने देता है या नहीं, पहले तो इस बारे में सोचना है कि यदि कल उसने घर में रूकने नहीं दिया तो फिर यहाँ कहाँ रूकूँगा।
मैंने पायल की ओर देखा, वह अब बेसुध सी पड़ी हुई है यानि अब यह भी सोने वाली है। उसकी ओर देखते हुए ही मेरा ध्यान पायल की गांड में पड़ने वाले डिंपल की ओर गया, अब मेरा मन उसकी गांड मारने को मचलने लगा। पर कल क्या होगा यह तो मैं आपको कहानी के अगले भाग में ही बता पाऊँगा, हाँ आपको यह हिंट जरूर दे रहा हूं कि अभी तो हमने सैक्स का असली मजा लूटा। चलिए मिलते हैं पायल की चुदाई के अगले भाग में। कहानी कैसी लगी, कृपया बताएँ। [email protected]
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