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प्रेषक : जॉन
मेरा नाम पीयूष है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरे लण्ड का आकार 8″ है और मेरा शरीर ठीकठाक है मगर मेरी सेक्स तकनीक बहुत अच्छी है… मुझे नये लोगों से दोस्ती करना बहुत पसंद है।
यह कहानी आज से करीब चार साल पुरानी है जब मैं मुम्बई में रहता था। वैसे तो मुम्बई मेरा आना जाना होता रहता था पर उस बार मैं वहाँ अपना काम सेट करने गया हुआ था।
मैं मुम्बई में सीरियल्स के लिए कास्टिंग करता था और मैं काफ़ी खूबसूरत हूँ तो मुझे काफी लड़कियाँ मिलती थी। इसी दौरान मुझे निशा नाम की लड़की मिली, उसके बारे में क्या बताऊँ, बला की खूबसूरत थी वो, ऐसा लगता था मानो भगवान् ने बहुत तसल्ली से तराशा था उसका एक-एक अंग…
अब आगे की कहानी…
निशा- हेलो सर, क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ?
मैं- हेलो निशा, आइए ! मुझे सर मत कहो !
निशा- मुझे सीरियल में काम करना है।
मैं- ओके, मैं तुम्हारी हर तरह से मदद करूँगा।
निशा- थैंक यू पीयूष !
मैं- इट्स ओके !
मैंने उसकी डिटेल्स लेकर उसे जाने को कह दिया, वो शायद बहुत अकेली थी क्योंकि उसके चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी, कुछ दिन में हम बहुत अच्छे दोस्त बन गए और हमारी हर रोज़ बातें होती थी, वो मुझे पसंद आने लगी थी और शायद मैं भी उसे पसंद आने लगा था।
एक दिन सुबह मेरे पास उसके लिए सीरियल का ऑफर आया, मैंने उसे फ़ोन किया।
मैं- हेलो निशा !
निशा- हेलो पीयूष !
मैं- क्या तुम ऑफिस आ सकती हो? तुम्हारे लिए एक ऑफ़र है।
निशा- सॉरी यार पीयूष, मेरे पैर में थोड़ी चोट लगी है, क्या तुम आ सकते हो?
मैं- ओके, मैं घंटे भर में आता हूँ।
निशा- थैन्क्स पीयूष !
मैंने उसका पता उसके बायोडाटा से लिया और उसके घर पहुँच गया। मैंने घण्टी बजाई, निशा ने दरवाज़ा खोला, मैं उसे देखकर दंग रह गया, उसने एक छोटी सी पोशाक पहनी थी और वो किसी संगमरमर की मूरत से कम खूबसूरत नहीं लग रही थी, उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और शायद उसने महसूस कर लिया था।
वो मुझे देखकर मुस्कुराई और कहा- सॉरी पीयूष, मैंने तुम से झूठ बोला पर मैं तुमसे अकेले में मिलना चाह रही थी।
मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था।
जैसे ही मैं उसके घर में घुसा, उसने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर लिया और मुझसे जोर से चिपक गई और मुझसे कहा-आई लव यू !
मैंने भी समय बर्बाद न करते हुए उसे ‘आई लव यू टू !’ कह दिया। यह कहानी आप अन्तरवासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गई और मैंने उसके कमरे में जाते ही उसके अधरों का रस पान करना शुरू कर दिया। ऐसा करते करते मेरे हाथ उसके कोमल रुई जैसे स्तनों पर चले गए और मैं उन्हें दबाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी स्कर्ट को निकाल दिया और जो मैंने देखा उसे मैं बयां नहीं कर सकता, उसने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी।
इतने में उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और हम दोनों अब एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे और 69 की अवस्था में आकर एक दूसरे को मज़ा देने लगे। इस दौरान वो दो और मैं एक बार झड़ चुके थे पर उसने मेरा लंड चूसकर दोबारा तैयार कर दिया और अपनी चूत चाटने के लिए कहा।
मैंने वैसा ही किया, उसकी चूत में एक अजीब सी खुशबू थी जो मुझे मदहोश बना रही थी। वो मुझसे कहने लगी- पीयूष, डाल दो अपना लंड इस निगोड़ी चूत में ! बहुत परेशान करती है, फाड़ डालो इसे आज !
तो मैंने अपना लण्ड पकड़ा और चूत के छेद पर रख कर एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया, इसी के साथ उसकी चीख निकल गई और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
उसकी सील टूटी हुई थी, उसके बावजूद बहुत कसी हुई थी, मैंने उसके होंठों को चूमना चालू किया और हाथों से उसके स्तन सहलाने लगा। जब उसका दर्द कम हुआ, तब मैंने अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। अब उसे भी मज़ा आने लगा था या यों कहें कि हम दोनों ही आनन्द के सागर में गोते लगा रहे थे। चुदाई करते करते हमें समय का ख्याल ही नहीं आया पर मज़ा बहुत आ रहा था और कमरे में सिर्फ फच फच फ़चाआअ फच की आवाज़ें आ रही थी और हम जम कर चुदाई कर रहे थे।
वो बड़े ही जोश में चुदवा रही थी और कह रही थी- चोद दे पीयूष, आज से मैं तेरी रखैल ! अब जब भी मन हो, मुझे चोद लियो ! फाड़ दे मेरी चूत को, बाजा बजा दे इसका !
इस दौरान वो तीन बार और झड़ गई मगर अभी मेरा नहीं हुआ था तो मैं जोर से उसे चोदे जा रहा था।
जब मेरा निकलने को हुआ तो मैंने उससे पूछा- अन्दर निकालूँ या बाहर?
तो उसने कहा- मेरे मुँह में !
मैंने जल्दी से अपना लंड निकाला और उसके मुँह में 10-12 धक्कों के बाद पिचकारी छोड़ दी और वो मेरा सारा रस गटक गई।
और चाट कर मेरे सुपारे को साफ़ कर दिया।
फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ वहीं थोड़ी देर चिपक कर सो गए और जब उठे तो साथ-साथ नहाये और बाथरूम में एक बार और चुदाई का मज़ा लिया।
फिर मैं घर जाने लगा तो उसने मुझे छः दिन अपने पास रहने को बोला क्योंकि उसके घरवाले हफ्ते भर के लिए बाहर गए थे। तो इन छः दिनों में हमने तसल्ली से मज़े किये और मैंने उसकी गांड भी मारी।
पर यह अगली कहानी में आपके ईमेल मिलने के बाद…
तो कैसी लगी मेरी कहानी, मुझे ज़रूर बतायें…
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