उतावली सोनम-2

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कहानी का पिछ्ला भाग: उतावली सोनम-1

सोनम ने मेरे लंड का सुपारा अच्छे से चाटा, फिर उसके मुंह में जितना अंदर हो सका उतना अंदर कर मेरे लंड को शांत करने के जुगाड़ में लगी।

उसकी यह मेहनत कुछ ही देर में रंग लाई, मेरे लंड से भी माल छूट पड़ा। अब मेरा लंड मुंह से निकालकर उसने माल को बाहर किया फिर लंड को अच्छे से चाटकर उसे फिर से तैयार करने के मूड में दिखी।

तभी नंदन बोला- जानू, पहले हमें खाना तो खिला दो ! यह तो अब रात भर चलेगा।

सोनम ने नंदन फिर मेरा चेहरा देखा, फिर बोली- ठीक है, खाना ही पहले खा लेते हैं।

सोनम अपने कपड़े उठाकर पहनने की तैयारी करने लगी, नंदन ने कहा- नहीं यार, मैंने दरवाजा बंद कर दिया है, कपड़े पहनने की क्या जरूरत है? अपन सब ऐसे नंगे ही रहते हैं ना, क्यूं जवाहर जी?

मुझे क्या एतराज हो सकता था।

मैं और नंदन अपने पहने हुए बचे कपड़े उतारकर वहीं पलंग में डाले।

अब सबसे आगे नंदन, उसके पीछे सोनम और आखिर में मैं, हम तीनों बिल्कुल नंगे। मैं सोनम के पीछे चलते हुए उसकी पूर्ण नग्न काया को निहार रहा था।

सोनम ने खाना पहले से बना कर रखा था। नंदन मुझे डायनिंग टेबल तक लेकर गया, मुझे बैठाकर खुद भी बैठा।

मेज पर प्लेटें पहले ही सजी हुई थी, सोनम ने खाना लाकर मेज पर रखा, थाली लगाने लगी कि नंदन ने कहा- अब तुम भी बैठ जाओ। हमें जो चाहिए, हम ले लेंगे।

इस तरह हम लोंगो ने खाना खाया। सोनम ने खाना बनाने में भी तारीफ का काम किया, खाना बहुत लज़ीज़ बना था। यह खाना मैं जिंदगी भर नहीं भूलने वाला था। स्वादिष्ट खाना तो अलग बात है पर यहां मौजूद तीनों का नंगे होना काफी मजेदार रहा।

झूलते हुए बड़े आकार के दूध व चूत देखकर मेरा फिर से मूड बन गया था। सोनम कुछ लेने रसोई की ओर जाती तो उसके फूले हुए मस्त गदराए कूल्हे देखकर मुझे उसकी गांड मारने की इच्छा भी होने लगी।

मैंने नंदन से कहा- यार, मैंने तो अपनी सुहागरात को ही अपनी बीवी की गांड मार ली थी, तुम मार चुके हो या नहीं?

नंदन बोला- नहीं, यह गांड मारने नहीं देती पर आज कोशिश करके देखते हैं।

अब सोनम रसोई सम्भाल कर आई तो नंदन उसे गोद में उठाकर बेडरूम की ओर बढ़ा। पलंग पर उसे डालकर नंदन अब उसकी चूत चाटने में लीन हो गया। मेरा लौड़ा अपने पूर्ण आकार में आ चुका था, मैंने उसके पयोधरों को दबाया फिर चुचूक चूसने लगा।

सोनम मेरा लंड पकड़ कर उसे अपने मुख की ओर खींचने लगी। मैंने उसे उसके लबों के बीच में लेने दिया।

अब नंदन उठा, बोला- जानू, जवाहरजी ने अपनी सुहागरात में बीवी की गांड मारी थी, तो ये बोल रहे थे कि आज तुम्हारे साथ सुहागरात मनाएंगे।

सोनम बोली- नहीं, मेरी गांड में तुमने एक बार जब अपना लंड डाला था तब यह बहुत दुखी थी, इसलिए ऐसा कोई काम मत करो कि किसी को भी तकलीफ हो, चूत चोदो न ! मैं ले रही हूं आपका लंड, पर गांड में नहीं डालने दूंगी।

लिहाजा गांड मारने के आनंद से दूर हो हम उनकी चूत और मुंह में ही अपना झड़ाने की तैयारी करने लगे।

सोनम बोली- जवाहरजी, चलिए मुझे घोड़ी बना कर चोदिए।

यह बोलकर वह घुटने के बल खड़ी हो गई, मैं पीछे आया और उसकी चूत पर अपना लंड टिकाकर झटका दिया।

उधर नंदन ने सोनम के मुंह में अपना लंड डाल दिया। सोनम भी मस्त मूड में मजा ले रही थी।

कुछ देर में मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो सोनम को बोला- मैं गिरने वाला हूँ, बाहर निकाल रहा हूँ !

तो सोनम बोली- बाहर मत निकालना, लौड़े को और अंदर डालकर गिरा दो।

मैंने और अंदर करने झटका दिया, वहीं सोनम भी पीछे जोर मार रही थी। अब उसने नंदन के लंड से अपना मुंह से निकाल दिया और पीछे होने के फेर में मुझे नीचे गिराकर मेरे ऊपर बैठ गई।

मेरा माल गिरा, इसके साथ वह भी ठण्डी पड़ गई। वह यूँ ही मेरी गोद में ही बैठी रही और नंदन का लंड खींचकर उसे अपने पास लाई और मुंह में ले लिया। नंदन भी थोड़ी देर में झड़ गया।

अब हम तीनों नंगे ही बिस्तर पर लेट गए।

सोनम का हाथ मेरे मुरझाए हुए लंड को फिर खड़ा करने की तैयारी करने लगा। मैं भी सोनम के होंठों को चूस कर मजा लेने लगा।

अब उसे पीठ के बल लेटाकर मैं उसके ऊपर आ गया। नंदन भी उठा व बगल से उसका निप्पल चूसने लगा, नंदन के हाथ उसकी चूत भी सहला रहे थे। मेरा चुम्बन लंबा हो रहा था। अब सोनम ने मुझे किनारे की और मुझे नीचे कर खुद मेरे ऊपर आ गई।

मैं नीचे था और वह मेरे ऊपर। हम दोनों के होंठ आपस में चिपके हुए थे, उसने नीचे हाथ बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत से लगा लिया, मेरे और उसके झटके से लौड़ा भीतर घुसा, अब वह मुझे चोदने लगी।

नंदन ने भी खड़े होकर उसके मुँह में अपना लंड दे दिया। मैं नीचे से उसकी चूत व नंदन ऊपर से उसके मुँह को चोद रहा था। ऐसा कुछ देर चला।

पहले सोनम ही उछाल मारकर झड़ी, इसके बाद मैं व आखिर में नंदन।

अब हम लोग सोए तो सुबह काफी देर से उठे।

सोनम चाय लाई, हम लोग फ्रेश हुए। मुझे यहाँ से नाश्ता करके ही जाने मिला।

फिर आने का वायदा करके मैं सोनम और नंदन से विदा तो हुआ, पर नंदन का सौम्य व्यवहार और सोनम की अदम्य सैक्स चाह ने मुझे इस परिवार का कर्जदार बना दिया।

उनसे अब भी फोन पर मेरी बात होती रहती है।

यह कहानी आपको कैसी लगी, कृपया बताएँ।

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