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प्रेषक : मुकेश कुमार
दोस्तों, अब तक जितनी रंडियों से चुसवाया, वो मारिया के सामने बच्ची थी। मारिया टट्टे चूसती, जबान लौड़े के नीचे से शुरु करते हुए शिखर तक ले गई, फिर क्राउन को मुँह में लेकर चूसा। मारिया पूरी मस्ती से मेरे लौड़े को चूस रही थी और अपने पैर चौड़े कर एक हाथ से पेंटी के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत सहला रही थी।
“मारिया मेरा निकल जायेगा, प्लीज चूत मारने दो डार्लिंग !” मैंने बोला।
“नहीं जान, मेरे बूब्स पर अपना माल निकाल दो, चुदाई सेकंड राउंड में कर लेना।”
इतना कह कर फिर चूसना जारी रखा। मेरे लंड पर थूका और मुठ मारने लगी। मारिया एक प्यासी चुदक्कड़ के जैसे मेरे लंड से खेल रही थी।
तभी मेरी पिचकारी चल गई। थोड़ा वीर्य मारिया के मुँह में गया बाकी उसने बूब्स पर निकलवाया।
फिर एक बार लंड चूस कर साफ किया और मुस्कुराते हुए खड़ी हुई, मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपनी पेंटी पर रख कर बोली, “इसे उतार दो जानू !”
अब अपने म्मो पर गिरे वीर्य को पूरे बूब्स और पेट पर क्रीम की तरह फैला दिया। और मुझे किस करने लगी।
उसका बदन मेरे वीर्य से महक रहा था।
“मैं मूत कर आती हूँ, तब तक पेग बनाओ, डार्लिंग !”
मेरे हाथ में उसकी गीली चड्डी थी, सूंघते हुए बोला- मारिया, रुको !
और मैं नीचे बैठ कर उसकी जांघों पर बहते चूतरस को चाटने लगा, फिर चूत को बरसों के भूखे के जैसे खाने लगा।
उसकी गुलाबी चूत अब स्ट्रॉबेरी के जैसी लाल और फूल गई। मेरी जबान चूत की हर दीवार पर लगे काम रस को चाट रही थी। मारिया वहीं गिर कर बार बार अकड़ रही थी, फिर एक बार झड़ गई, चूत का शहद मेरे मुँह में और चेहरे पर लग गया।
“डार्लिंग, अब नहीं रोक सकती !” कह कर मारिया ने वहीं मूत दिया।
मैंने तत्काल पास रखे गिलास में काफ़ी मूत ले लिया लेकिन फिर भी बहुत सारा मेरे हाथ पर और फर्श पर गिर गया।
“सॉरी जान, रोक नहीं सकी, आए विल क्लीन दिस !” कह कर खड़ी हुई लेकिन पेशाब में पैर पड़ा और फिसल कर गिर गई।
वह मेरे ऊपर गिरी तो उसके साथ में भी गिर गया, साथ रखा गिलास भी उलट गया, हम दोनों पेशाब से गीले हो गए और एक दूसरे को देख कर हंसने लगे।
“लेट्स क्लीन अप दिस मेस !” मारिया बोली।
मैंने कहा- नो दिस इस नोट मेस। यह तो मीठा जूस है !
और मैं मारिया को चाटने लगा। मेरी इस हरकत से मारिया भी उत्तेजित हो गई फिर हम चूमा चाटी करने लगे।
तभी मैं ‘एक मिनट !’ बोल बची हुई व्हिस्की लेने गया और बोतल में ही बर्फ का पानी जो ठंडा था डाल दिया। बोतल लेकर बाहर आया और मारिया को दी।
मारिया ने थैंक्स कहा और बोतल से ही पीने लगी।
“हे सेक्सी, मुझे भी दो !” मैंने कहा तो मारिया मुँह खोल कर इशारा करने लगी कि उसके मुँह से पी लूँ। मैंने अपना मुँह खोल उसमें उलटी करने को कहा। मारिया ने अपने मुंह से मेरे मुँह में उलट दिया।
इस तरह वहीं पेशाब में बैठे हमने दारु ख़त्म करी। मेरे लौड़े ने तब तक भी मारिया की चूत के दर्शन नहीं किए थे तो मैंने कहा- नाऊ माय डिक वांट्स तो फ़क योर ब्लडी कन्ट !
मेरा लौड़ा तेरी चूत की भोसड़ी बनाना चाहता है।
मैंने ऐलान किया और मारिया की चूत में दायें हाथ की बीच वाली दो उंगलियाँ घुसा दी और बाएं हाथ से जंगली की तरह उसके चुच्चे मसलने लगा।
मारिया भी मेरे लंड को सहलाने लगी- फ़क मी लाइक ए व्होर !
मुझे रंडी की तरह चोदो !
उसकी इस बात ने मुझे और जानवर बना दिया, मैंने वहीं गीले में उसको लिटाया और बिना कंडोम के ही लंड चूत में पेल दिया। मेरा लंड पेशाब से गीला था और मारिया की चूत मेरे उंगली करने से, तो मेरा लौड़ा आसानी से अन्दर चला गया। उसके सुसू की मादक महक और मारिया की कामुक आवाज़ें मेरे चोदने की गति बढ़ा रही थी।
“आ ऊ या बेबी ओह नो … आ ई आ ऊ ओ गॉड … आ आ ऊओ !”
वह इतना जोर से चिल्ला रही थी कि पड़ोसन को निश्चित ही पता लग गया होगा। पर उस समय मेरे सामने मारिया के मेरे हर धक्के पर हिलते उरोज थे, मैं मारिया को चोदने का आनन्द ले रहा था कभी गति धीमी कर कभी तेज कर।
तभी मारिया थोड़ी मुड़ी और अपने दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली मेरी गांड में पेल दी। उसकी इस हरकत ने मुझे और उत्तेजित कर दिया, मैं और तेजी से अन्दर बाहर करने लगा।
मारिया की मादक चिल्लाहटें जारी थी- …ओह फ़क हार्डर… आ ऊ गॉड… यू फक्कर… आ आह ऊ ओ… ऑय ऍम बिच ! फ़क लाइक डॉग !
“मैं कुतिया हूँ, कुत्ते की तरह चोद मुझे !” मारिया बोली।
मैंने लंड निकाला, वह उठी और कुतिया बनने से पहले फिर लंड चूसने लगी। फिर घुटने और हाथ के बल कुतिया बन गई। उसकी पीठ और चूतड़ पेशाब से गीले थे, मैंने मुँह लगा चूत, गांड और चूतड़ चाटे और एक बार लंड पीछे से चूत में घुसा दिया और चुदम-चुदाई शुरू।
उसके मम्मे ज़ोर से झूल रहे थे, मारिया फिर झड़ गई।
अब मुझे उसकी गांड लुभा रही थी। मैंने चूत से लंड निकाला और गांड में घुसा दिया।
मारिया की चीख निकल गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
“यू सन ऑफ़ अ बिच, बोल कर मार गांडू साले !” मारिया चिल्लाई पर मैंने पेलना जारी रखा।
चूंकि मेरा लौड़ा उसके चूत रस से चिकना था और मारिया की गांड सुसु से।
मैं झुक कर उसके बूब्स मसलने लगा और गांड मारता रहा। थोड़ी चिकनाई कम हुई तो गांड से निकाल चूत में ठोक दिया। फिर कंट्रोल नहीं हुआ और चूत में ही वीर्य निकल गया।
मैं थोड़ा घबराया कि मारिया ग़ुस्सा हो जाएगी, पर वो तो खिलाड़ी थी, मुस्कराई और मेरे छोटे होते लौड़े को चूस कर साफ किया।
“डोंट वरी, पिल ले लूंगी, तुम बहुत अच्छे फकर हो, पर नेक्स्ट टाइम गांड में घुसाने से पहले बोल देना।”
और फिर हम किस करने लगे। एक एक सिगरेट पी, पौंछा लगाया और एग करी पाव खा कर कोने में बैठ गए।
दोनों अब भी नंगे थे, कभी मैं उसके बूब्स दबाता, कभी वो लंड हिला देती।
फिर हम साथ साथ नहाए और बाथरूम में सेक्स किया। इसके बाद एक दूसरे से चिपक कर सो गए।
जब मेरी आँख खुली तो शाम के पांच बज रहे थे। देखा तो मारिया जा चुकी थी और निशानी के लिए अपनी पेंटी मेरे लौड़े पर लगा गई। मैंने पेंटी ली और सूंघने लगा तथा दिन की घटना को सोच कर फिर उत्तेजित हो ही रहा था कि मोबाइल बज गया।
लाइन पर कैरोल थी, बहुत घबराई हुई रोते हुए बोली- मुकेश, क्या तुम यहाँ आ सकते हो अभी, प्लीज?
कहानी के अगले भाग की प्रतीक्षा कीजिए।
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