माया मेम साब-4

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प्रेषिका : स्लिमसीमा कहानी का तीसरा भाग : माया मेम साब-3

अभी मैंने 3-4 धक्के ही लगाए थे कि मेरी पिचकारी फूट गई। मैंने उसे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया। वो तो चाह रही थी मैं जोर जोर से धक्के लगाऊँ पर अब मैं क्या कर सकता था। मैं उसके ऊपर ही पसर गया।

‘ओह… खस्सी परांठे…?’

मैं अभी तक 5-7 लड़कियों और औरतों को चोद चुका था और मधु के साथ तो मेरा 30-35 मिनिट का रिकॉर्ड रहता है। पर अपने जीवन में आज पहली बार मुझे अपने ऊपर शर्मिंदगी का सा अहसास हुआ।

हालांकि कई बार अधिक उत्तेजना में और किसी लड़की के साथ प्रथम सम्भोग में ऐसा हो जाता है पर मैंने तो सपने में भी ऐसा नहीं सोचा था। शायद इसका एक कारण यह भी था कि मैं पिछले 10-12 दिनों से भरा बैठा था और मेरा रस छलकने को उतावला था। मैं उसके ऊपर से हट गया, वो आँखें बंद किये लेटी रही।

थोड़ी देर बाद वो भी उठ कर बैठ गई- ओह… जीजू… तुम तो बहुत जल्दी आउट हो गए… मैं तो सोच रही थी कि सैंकड़ा (धक्कों का शतक) तो जरूर लगाओगे? ‘ओह… सॉरी… माया!’ ‘ओह…मेरे लटूरी दास मैं ते कच्ची भुन्नी ई रह गई ना?’ (मैं तो मजधार में ही रह गई ना) ‘माया… पर कई बार अच्छे अच्छे बैट्स में भी जीरो पर आउट हो जाते हैं?’ ‘यह क्यों नहीं कहते कि मेरी बालिंग शानदार थी?’ उसने हँसते हुए कहा।

‘हाँ… माया वाकई तुम्हारी बालिंग बहुत जानदार थी…’ ‘और पिच?’ ‘तुम्हारी तो दोनों ही पिचें (चूत और गाण्ड) एक दम झकास हैं… पर क्या दूसरी पारी का मौका नहीं मिलेगा?’

‘जाओ जी… पहली पारी विच्च ते कुज कित्ता न इ हूँण दूजी पारी विच्च किहड़ा तीर मार लोवोगे? किते एस वार वी क्लीन बोल्ड ना हो जाना?’ (जाओ जी पहली पारी में तो कुछ किया नहीं अब दूसरी पारी में कौन सा तीर मार लोगे कहीं इस बार भी क्लीन बोल्ड ना हो जाना)

‘चलो लगी शर्त?’ कह कर मैंने उसे फिर से अपनी बाहों में भर लेना चाहा। ‘ओके .. चलो मंजूर है… पर थोड़ी देर रुको मैं बाथरूम हो के आती हूँ।’ कहते हुए वो बाथरूम की ओर चली गई।

बाथरूम की ओर जाते समय पीछे से उसके भारी और गोल मटोल नितम्बों की थिरकन देख कर तो मेरे दिल पर छुर्रियाँ ही चलने लगी। मैं जानता था पंजाबी लड़कियाँ गाण्ड भी बड़े प्यार से मरवा लेती हैं। और वैसे भी आजकल की लड़कियाँ शादी से पहले चूत मरवाने से तो परहेज करती हैं पर गाण्ड मरवाने के लिए अक्सर राज़ी हो जाती हैं।

आप तो जानते ही हैं मैं गाण्ड मारने का कितना शौक़ीन हूँ। बस मधु ही मेरी इस इच्छा को पूरी नहीं करती थी बाकी तो मैंने जितनी भी लड़कियों या औरतों को चोदा है उनकी गाण्ड भी जरुर मारी है। इतनी खूबसूरत सांचे में ढली मांसल गाण्ड तो मैंने आज तक नहीं देखी थी। काश यह भी आज राज़ी हो जाए तो कसम से मैं तो इसकी जिन्दगी भर के लिए गुलामी ही कर लूं।

कोई दस मिनट के बाद वो बाथरूम से बाहर आई। मैं बिस्तर पर अपने पैर नीचे लटकाए बैठा था। वो मेरे पास आकर अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी हो गई। मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया। काली घुंघराली झांटों से लकदक चूत के बीच की गुलाबी फांकें तो ऐसे लग रही थी जैसे किसी बादल की ओट से ईद का चाँद नुमाया हो रहा हो।

उसकी चूत ठीक मेरे मुँह के सामने थी। एक मादक महक मेरी नाक में समां गई। लगता था उसने कोई सुगन्धित क्रीम या तेल लगाया था। मैंने उसकी चूत को पहले तो सूंघ और फिर होले से अपनी जीभ फिराने लगा। उसने मेरा सिर पकड़ लिया और मीठी सीत्कार करने लगी। जैसे जैसे मैं उसकी चूत पर अपनी जीभ फिरता वो अपने नितम्बों को हिलाने लगी और आह… ऊँह… उईइ… करने लगी।

हालांकि उसकी चूत की लीबिया (भीतरी कलिकाएँ) बहुत छोटी थी पर मैंने उन्हें अपने दांतों के बीच दबा लिया तो उत्तेजना के मारे उसकी तो चीख ही निकलते निकलते बची। उसने मेरा सिर पकड़ कर अपना एक पैर ऊपर उठाया और अपनी जांघ मेरे कंधे पर रख दी। इससे उसकी चूत की दरार और नितम्बों की खाई और ज्यादा खुल गई।

मैं अब फर्श पर अपने पंजों के बल बैठ गया। मैंने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ ली और दूसरा हाथ उसके नितम्बों की खाई में फिराने लगा। मुझे उसकी गाण्ड के छेड़ पर कुछ चिकनाई सी महसूस हुई। शायद उसने वहाँ भी कोई क्रीम जरुर लगाई थी। मेरा लण्ड तो इसी ख्याल से फिर से अकड़ने लगा। उसने मेरा सिर अपने हाथों में पकड़ कर बिस्तर के किनारे से लगा दिया और फिर पता नहीं उसे क्या सूझा, उसने अपना दूसरा पैर और दोनों हाथ बिस्तर पर रख लिए और फिर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।

‘ईईईईईई ईईईईईइ…’ उसकी कामुक किलकारी पूरे कमरे में गूँज गई।

और उसके साथ ही मेरे मुँह में शहद की कुछ बूँदें टपक पड़ी। मैं उसकी चूत को एक बार फिर से मुँह में भर लेना चाहता था पर इससे पहले कि मैं कुछ करता वो बिस्तर पर लुढ़क गई और अपने पेट के बल लेट कर जोर जोर से हाँफने लगी।

अब मैं उठकर बिस्तर पर आ गया और उसके ऊपर आते हुए उसे कस कर अपनी बाहों में भर लिया। मेरा खूंटे की तरह खड़ा लण्ड उसके नितम्बों के बीच जा टकराया। मैंने अपने हाथ नीचे किये और उसके उरोजों को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया। साथ में उसकी गर्दन और कानों के पास चुम्बन भी लेने लगा।

कुंवारी गाण्ड की खुशबू पाते ही मेरा लण्ड तो उसमें जाने के लिए उछलने ही लगा था। मैंने अंदाज़े से एक धक्का लगा दिया पर लण्ड थोड़ा सा ऊपर की ओर फिसल गया। उसने अपने नितम्ब थोड़े से ऊपर उठा दिए और जांघें भी चौड़ी कर दी। मैंने एक धक्का और लगाया पर इस बार लण्ड नीचे की ओर फिसल कर चूत में प्रवेश कर गया।

मैंने अपने घुटनों को थोड़ा सा मोड़ लिया और फिर 4-5 धक्के और लगा दिए। माया तो आह… ऊँह… या रब्बा.. करती ही रह गई। जैसे ही मैं धक्का लगाने को होता वो अपने नितम्बों को थोडा सा और ऊपर उठा देती और फिच्च की आवाज के साथ लण्ड उसकी चूत में जड़ तक समां जाता। हम दोनों को मज़ा तो आ रहा था पर मुझे लगा उसे कुछ असुविधा सी हो रही है। ‘जीजू… ऐसे नहीं..!’

‘ओह… माया बड़ा मज़ा आ रहा है…!’ ‘एक मिनट रुको तो सही.. मैं घुटनों के बल हो जाती हूँ।’

और फिर वो अपने घुटनों के बल हो गई। हमने यह ध्यान जरुर रखा कि लण्ड चूत से बाहर ना निकले। अब मैंने उसकी कमर पकड़ ली और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। हर धक्के के साथ उसके नितम्ब थिरक जाते और उसकी मीठी सीत्कार निकलती।

अब तो वह भी मेरे हर धक्के के साथ अपने नितम्बों को पीछे करने लगी थी। मैं कभी उसके नितम्बों पर थप्पड़ लगता कभी अपना एक हाथ नीचे करके उसकी चूत के अनार दाने को रगदने लगता तो वो जोर जोर आह… याआअ… उईईईईईईइ… रब्बा करने लगती।

अब मेरा ध्यान उसके गाण्ड के छेद पर गया। उस पर चिकनाई सी लगी थी और वो कभी खुलता कभी बंद होता ऐसे लग रहा था जैसे मेरी ओर आँख मार कर मुझे निमंत्रण दे रहा हो। मैंने अपने अंगूठे पर थूक लगाया और फिर उस खुलते बंद होते छेद पर मसलने लगा। मैंने दूसरे हाथ से नीचे उसकी चूत का अनारदाना भी मसलना चालू रखा। वो जोर जोर से अपने नितम्बों को हिलाने लगी थी। मुझे लगा वो फिर झड़ने वाली है। मैंने अपना अंगूठा उसकी गाण्ड के नर्म छेद में डाल दिया।

छेद तो पहले से ही चिकना था और उत्तेजना के मारे ढीला सा हो गया था मेरा आधा अंगूठा अन्दर चला गया उस के साथ ही माया की किलकारी गूँज गई- ऊईईईईईईई… माँ… ओये… ओह… रुको…!’

उसने मेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ हटाने की कोशिश की पर मैंने अपने अंगूठे को दो तीन बार अन्दर बाहर कर ही दिया साथ में उसके दाने को भी मसलता रहा। और उसके साथ ही मुझे लगा मेरे लण्ड के चारों ओर चिकना लिसलिसा सा द्रव्य लग गया है। एक सित्कार के साथ माया धड़ाम से नीचे गिर पड़ी और मैं भी उसके ऊपर ही गिर पड़ा।

उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थी और उसका शरीर कुछ झटके से खा रहा था। मैं कुछ देर उसके ऊपर ही लेता रहा। मेरा पानी अभी नहीं निकला था। मैंने फिर से एक धक्का लगाया।

‘ओह… जीजू… अब बस करो… आह… और नहीं… बस…!’ ‘मेरी जान अभी तो अर्ध शतक भी नहीं हुआ?’

‘ओह… गोली मारो शतकाँ नूँ मेरी ते हालत खराब हो गई । आह…!’ वो कसमसाने सी लगी। ऐसा करने से मेरा लण्ड फिसल कर बाहर आ गया और फिर वो पलट कर सीधी हो गई। ‘इस बार तुमने मुझे कच्चा भुना छोड़ दिया…?’ मैंने उलाहना देते हुए कहा। ‘नहीं जीजू बस अब और नहीं… मैं बहुत थक गई हूँ… तुमने तो मेरी हड्डियाँ ही चटका दी हैं।’

‘पर मैं इसका क्या करूँ? यह तो ऐसे मानेगा नहीं?’ मैंने अपने तन्नाये (खड़े) लण्ड की ओर इशारा करते हुए कहा। ‘ओह… कोई गल्ल नइ मैं इन्नु मना लेन्नी हाँ..?’ उसने मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भींच लिया और उसे ऊपर नीचे करने लगी।

‘माया ऐसे नहीं इसे मुँह में लेकर चूसो ना प्लीज?’ ‘ओये होए मैं सदके जावां… मेरे गिरधारी लाल…?’

और फिर उसने मेरे लण्ड का टोपा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। क्या कमाल का लण्ड चूसती है साली पूरी लण्डखोर लगती है? उसके मुँह की लज्जत तो उसकी चूत से भी ज्यादा मजेदार थी।

मेरा तो मन करने लगा इसका सर पकड़ कर पूरा अन्दर गले तक ठोक कर अपना सारा माल इसके मुँह में ही ऊँडेल दूं पर मैंने अपना इरादा बदल लिया।

आप शायद हैरान हो रहे होंगे? ओह… दर असल मैं एक बार लगते हाथों उसकी गाण्ड भी मारना चाहता था। उसने कोई 4-5 मिनट ही मेरे लण्ड को चूसा होगा और फिर उसने मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकाल दिया। ‘जिज्जू मेरा तो गला भी दुखने लगा है!’

‘पर तुमने तो शर्त लगाई थी?’ ‘केहड़ी शर्त?’ (कौन सी शर्त) ‘कि इस बार मुझे अपनी शानदार बोवलिंग से फिर आउट कर दोगी?’ ‘ओह मेरी तो फुद्दी और गला दोनों दुखने लगे हैं?’

‘पर भगवान् ने लड़की को एक और छेद भी तो दिया है?’ ‘कि मतलब?’ ‘अरे मेरी चंपाकलि तुम्हारी गाण्ड का छेद भी तो एकदम पटाका है?’ ‘तुस्सी पागल ते नइ होए?’

कहानी जारी रहेगी! आपका प्रेम गुरु [email protected] [email protected]

कहानी का पांचवा व अन्तिम भाग : माया मेम साब-5

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