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मेरा नाम चन्द्रशेखर है, मैं बिलासपुर में इन्जिनीयरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ। यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है।
मेरी उम्र 21 साल है, मैं बचपन से ही पढ़ाई में काफ़ी होशियार रहा हूँ और दिखने में भी हैंडसम हूँ।
बात उस समय की है जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था। पढ़ने में सबसे अच्छा होने और मेरे अच्छे व्यवहार के कारण मैं स्कूल में सभी का प्रिय बना हुआ था। स्कूल की हर लड़की, यहाँ तक कि मोहल्ले की हर लड़की मुझसे दोस्ती करना चाहती थी। इसी चक्कर में कुछ लड़कियाँ मेरे पास पढ़ने के लिये भी आती थी, लेकिन मैं सिर्फ़ रश्मि, जो मेरे बिल्कुल पड़ोस में ही रहती थी, को ही पसन्द करता था। स्कूल में भी मैं उसके पास ही बैठता था और बातें करता रहता था। हम स्कूल आते-जाते भी साथ में ही रहते थे। इस तरह से हम दोनों में काफ़ी गहरी दोस्ती थी।
हमारे परिवारों में भी काफ़ी मित्रता थी। घर पर भी हम दोनों उसके कमरे में साथ बैठकर ही पढ़ते थे। उसके घर में उसके अलावा सिर्फ़ उसकी मम्मी ही रहती थी। उसके पापा आर्मी में थे। जब हम पढ़ते थे तो आंटी या तो टीवी देखती रहती थी या फ़िर दूसरे कमरे में सो जाती थी। हम दोनों देर रात तक पढ़ते रहते थे और अक्सर मैं वहीं पास के बेड पर सो जाता था। इस तरह सब कुछ अच्छा ही चल रहा था। मैं कभी कभी उसके साथ हल्के फ़ुल्के वयस्क मज़ाक करता तो उसे भी यह सब अच्छा लगता था, क्योंकि वो उम्र ही ऐसी थी।
स्कूल में मेरे दोस्त मुझे लड़कियों की चुदाई की कहानियाँ सुनाते थे तो मेरे अन्दर भी हवस की आग सुलगने लगी और ज़वानी की प्यास बुझाने के लिये मुझे भी एक चुत की तलाश थी।
मेरा लक्ष्य रश्मि ही थी पर मुझे सही अवसर नहीं मिल रहा था। आखिर एक दिन मुझे वो मौका मिल ही गया, रश्मि की बुआ डिलीवरी के लिये हमारे शहर के अस्पताल में आई हुईं थी, तो उसकी मम्मी को उनके पास वार्ड में ही रहना पड़ता था।अब पूरे दिन और रात तक उसके घर में सिर्फ़ मैं और रश्मि ही रहते थे।
पहले दिन तो हम पढ़ते रहे और डर के मारे मैंने कुछ भी गलत हरकत नहीं की, पर दूसरे दिन जब हम पढ़ते हुए थक गये तो हम टीवी देखने लगे। तो उस पर कोई संगीत का प्रोग्राम आ रहा था तो हमने सोचा कि क्यों न कोई फ़िल्म ही देख ली जाये।
मेरे पास टाईटेनिक की डीवीडी थी जो मैं अपने दोस्त से मांग कर लाया था। मैं अपने घर जाकर उसे ही उठा लाया और हम फ़िल्म देखने लगे।
उसमें जैसे ही पहला चुम्बन सीन आया तो रश्मि बार बार मेरी तरफ़ देख रही थी, तो मुझे लग गया कि आग उधर भी लगी है। पर जब पेंटिन्ग वाला सीन आया तो फ़िर वो बिल्कुल शान्त हो गई।
तब मैंने कहा- क्या हर लड़की का बदन इतना सुन्दर होता है? तो उसने कहा- क्यों नहीं? मैंने कहा- मुझे तो बिल्कुल विश्वास नहीं है। तो उसने कहा- अगर मैं तुम्हें अपना शरीर दिखाऊँ तो क्या तुम मुझे किस करोगे?
तो पहले तो मैं सन्न रह गया पर फ़िर मैंने कहा- पहले तुम दिखाओ तो सही! मैं तुम्हें किस भी करूँगा और तुम्हारी पेंटिंग भी बनाऊँगा।
तभी उसने एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिये और मेरी तरफ़ देख कर हँसने लगी। मैंने उससे पहले किसी भी लड़की को इस तरह नहीं देखा था, क्या तराशा हुआ बदन था, बिल्कुल गोल और फ़ूले हुए उभार और साफ़ और चिकनी गुलाबी चुत और सुन्दर गोल गोल चुतड़ देख कर मेरा शरीर पसीने से तरबतर हो गया।
मैंने आव न देखा ताव, और मैं तुरन्त उसके बिल्कुल पास चला गया और दोनों हाथों को मेरे हाथों में लेकर हम एक दूसरे की सांसों को एक साथ महसूस करने लगे, और उसी समय उसने अपनी आँखें बन्द कर ली, तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिये और उसे फ़िल्म के तरीके से किस करने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके उभारों को मसल रहा था, वो जोर जोर से आहें भर रही थी। बीच -बीच में उसकी जाँघों और पीठ को भी सहलाने से उसकी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थी।
काफ़ी देर तक ऐसा करने से वो गर्म हो चुकी थी, उसने कहा- तुम भी कपड़े उतार दो।
तो मैंने अपने सारे कपड़े उतार फ़ेंके और फ़िर से उसके ऊपर आ गया और उसके पूरे बदन को बेतहाशा चूमने लगा और फ़िर देर न करते हुए उसकी चुत में अपनी जीभ लगा दी। ऐसा करने से उसे बहुत मज़ा आ रहा था और वो जोर जोर से आह आह किये जा रही थी और मेरे सर को पकड़ के अपनी टांगों के बीच दबा रही थी।
थोड़ी ही देर बाद वो झड़ गई और में उसका सारा चुत रस पी गया।
अब उसकी बारी थी, उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया कहा- हाय रे! इतना लम्बा और मोटा लंड!
और मसलते हुए चूसने लगी, लोलीपोप की तरह बार बार अपने मुँह के अन्दर-बाहर कर रही थी जिससे मैं जल्दी ही झड़ गया और वो मेरा सारा वीर्य चाट गई।
अब हम दोनों टीवी की तरफ़ देखने लगे तो उसमें गाड़ी के अन्दर चुदाई वाला सीन चल रहा था, तो मैंने भी रश्मि की दोनों टाँगें ऊपर करके अपनी उँगलियों से उसके दाने को मसलना चालू किया और दूसरे हाथ को कभी उसकी चूची पर तो कभी मुँह में डालने से वो फ़िर से सीत्कारें भरने लगी थी। तब तक उधर मेरा लंड भी तैयार हो चुका था, मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी कुँवारी टाईट चुत के मुहाने पर टिकाया और जोर से एक झटका दिया तो चुत से खून और उसके मुँह से चीख और दर्द से कराहने की आवाज़ गूँज उठी क्योंकि उसकी सील अब टूट चुकी थी।
वो बोली- यार मार डालेगा क्या? आराम से डाल!
तो मैंने थोड़ा सा नवरत्न ठण्डा तेल उसकी चुत पर लगा दिया, तो अचानक वो बोली- यह क्या किया? इस तेल से तो खुजली और ठण्डक बढ़ गई है मेरी चुत में!
फ़िर मैंने धीरे धीरे लंड को अन्दर-बाहर करना चालू किया और वो भी उचक उचक के चुदवाने लगी। तब जाकर उसे खुजली से राहत मिली और फ़िर मैंने स्पीड बढ़ा दी और अन्त में हम दोनों एक साथ झड़ गये।
उसके चेहरे पर सन्तुष्टि का भाव साफ़ झलक रहा था। फ़िर बाथरूम में हम दोनों ने एक साथ शावर लिया वहाँ फ़िर मैंने उसे चोदा और इस तरह से मेरे लंड महाराज को पहली चुत का आनन्द मिला।
उसके बाद उसके पापा का ट्रान्सफ़र हमारे शहर में ही हो गया तो फ़िर कोई मौका ही नहीं मिला। अब मेरे लंड को पैसे कमाने का शौक लग गया है और कई रईस और प्यासी लड़कियों और औरतों की चुत की आग को बुझाने जैसा समाज सेवा का काम कर रहा हूँ।
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