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प्रेषक : अर्चना जैन
अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा नमस्कार ! यह मेरी पहली कहानी है, मैं आगे भी अन्तर्वासना के लिए कहानी लिखूंगी। यह एक सच्ची कहानी है, आगे मैं जो भी कहानी लिखूंगी मैं पहले ही बता दूंगी कि कहानी सच्ची है या काल्पनिक !
वैसे मेरा नाम अर्चना जैन है लेकिन मेरे सारे दोस्त मुझे बचपन से ही सुज्जैन बुलाते है क्योंकि मेरी इंग्लिश हमारी एक टीचर सुज्जैन जैसी थी और मुझे भी सुज्जैन नाम अच्छा लगता है। मैं 24 साल की हूँ और एक कंपनी में जॉब करती हूँ। मैं शर्त लगा सकती हूँ अगर कोई मुझे अकेले में देख ले तो मेरी चूत मारे बिना ना छोड़े क्योंकि मैं बहुत ही गोरी हूँ और मेरे चुच्चे भी काफी बड़े हैं, पाठकों को बता दूँ कि मेरा साइज़ 36D है और मेरी फिगर है 36D-26-36, मेरे होंठ भी बिल्कुल लाल लाल सेब की तरह हैं।
यह तब की बात है जब मैं अपनी ग्रेजुएशन कर रही थी। मैं अपने माता पिता की इकलौती संतान हूँ, इसी कारण मुझे अपने माता पिता और पूरे परिवार का भरपूर प्यार दुलार मिला। सभी मुझसे इतना प्यार करते थे, इतना ज्यादा कि इसी कारण मेरा स्वभाव भी कुछ जिद्दी सा हो गया था। मैं काफी घमंडी भी हो गई थी।
मेरे पापा की काफी बड़ी फैक्ट्री है भरपूर आमदनी है। पापा ने मेरी किसी उचित अनुचित मांग को अस्वीकार नहीं किया। वे मुझे दुनिया का हर सुख देना चाहते थे। वैसे पापा बड़े ही सख्त थे और पाबन्दी वाले इंसान थे लेकिन मेरे सामने आते ही बिल्कुल मोम जैसे बन जाते थे। किसी भी बात के लिए मैं जरा सी भी भावुक हुई नहीं कि वो फ़ौरन मेरी बात मान लेते थे। भरपूर लाड़ प्यार ने मुझे इतना घमंडी बना दिया था कि कॉलेज में सभी मुझे रईस बाप की बिगड़ी हुई औलाद कहने लगे थे।
मेरी कई सहेलियों के बॉयफ़्रेंड थे, उनमें बस होड़ लगी रहती थी कि किसके ज्यादा बॉयफ़्रेंड हैं। उनसे होड़ लगाने के लिए मैंने भी कई अमीर और स्मार्ट लड़कों से दोस्ती बना ली मगर मैंने किसी से अतरंग होने की कोशिश नहीं की। उन लड़कों के साथ घूमना और अपनी फ्रेंड्स के सामने प्रदर्शन करना मेरा शौक बन गया था।
कॉलेज के दोस्तों में मेरा एक दोस्त कुछ ज्यादा ही दुस्साहसी किस्म का था। उसका बाप किसी राजनीतिक पार्टी का नेता था। वैसे तो विक्रम दिखने में बहुत स्मार्ट था।
एक दिन विक्रम ने मुझे अपने घर पर निमन्त्रित किया। जब मैं उसके घर पहुँची तो पाया कि घर पर कोई नहीं था। मैं हैरान थी क्योंकि इतने बड़े घर में एक नौकर भी नहीं था।
मुझे विक्रम के इरादे कुछ ठीक नहीं लगे, मगर वो मेरा दोस्त था इसलिए मैंने ज्यादा नहीं सोचा। सबसे पहले विक्रम ने मुझे वाइन ऑफर की जिससे मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ा क्योंकि मैं वैसे भी पार्टीज़ मैं वाइन पीती हूँ। उसके बाद विक्रम अपना कमरा दिखने का बोल कर अपने कमरे में ले गया, हम जैसे ही अंदर पहुंचे, विक्रम ने कमरा बंद कर दिया और मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा मगर मैंने आज तक किसी के साथ सेक्स नहीं किया था इसलिए मुझे यह सब अजीब लगा और मैंने विक्रम के गाल पर 2 चाटें रसीद कर दिए और वहाँ से निकल गई।
इस बात को एक महीना बीत गया, मैं सब कुछ भूल चुकी थी। मेरी और विक्रम की बातचीत फिर शुरू हो गई थी, क्योंकि विक्रम एक नेता का बेटा था इसलिए अपनी सहेलियों में होड़ लगाने के लिए मैंने विकम से फिर से दोस्ती बना ली।
कुछ दिनों के बाद हम सब दोस्तों ने घूमने जाने का प्लान बनाया, मैं विक्रम और उसके दो और दोस्त विक्रम की होंडा सिटी में बैठ गए और बाकी फ्रेंडस पीछे बस में आने लगे।
कुछ दूर आगे आने के बाद मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो मुझे कॉलेज बस दिखाई नहीं दी तो मैंने विक्रम से कार रोकने के लिए कहा मगर विक्रम के दोनों दोस्तों ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। विक्रम ने कार ले जाकर एक फार्म हाउस के अंदर रोक दी।
मुझे पता लग चुका था कि पिकनिक तो एक बहाना था, विक्रम मुझसे कुछ और चाहता था।
वो तीनों मुझे फार्म हाउस में ले गए और मुझे एक बिस्तर पर पटक दिया चूँकि हम पिकनिक के लिए जा रहे थे इसलिए मैंने एक काले रंग का मोडर्न ड्रेस पहना था। विक्रम ने बाकी दोनों को वहाँ से जाने का इशारा किया।
उनके जाने के बाद विक्रम बोला- अगर तुमने आराम से मेरा साथ दिया तो बाकी दोनों तुम्हारा कुछ नहीं करेंगे।
मैंने सिर्फ विक्रम के साथ सेक्स करना मुनासिब समझा। उसके बाद विक्रम ने उस कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिसमें हम दोनों थे और उसके बाद मुझे उठाकर अपनी बाँहों में कर कर दबा लिया और मेरे होंठो का रसपान करने लगा। जैसा कि मैंने पहले ही बताया है कि मेरे होंठ बिल्कुल लाल लाल सेब की तरह हैं इसलिए विक्रम काफी देर तक मेरे होंठों का रसपान करता रहा।
मेरे विरोध ना करते देख विक्रम मेरे वक्ष पर मेरी ड्रेस के ऊपर से ही हाथ फिराने लगा और चूमते चूमते मेरी गर्दन तक आ गया जिससे मैं मदहोश सी हो गई, जिसके कारण मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरी मदहोशी में होने का फायदा उठाकर ना जाने कब विक्रम ने मेरी ड्रेस खोल दी और मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में आ गई। मैंने उस वक्त काली रंग की ब्रा और पेंटी पहन रखी थी जो चमक रही थी क्योंकि मुझे शाइन करने वाली चीजें बहुत अच्छी लगती हैं। अपने आप को ऐसे देख कर मुझे शर्म आने लगी और मैंने अपने बूब्स अपने हाथों से ढक लिए मैंने देखा कि विक्रम अपने पूरे कपड़े उतार चुका हैं और उसका काले रंग का लंबा सा लंड मुझे ऐसे देख कर एक सांप की तरह फनफना रहा है जिसे देख कर मैं डर गई क्योंकि मेरे बॉयफ़्रेंड तो पहले भी रह चुके हैं मगर मैंने कभी सेक्स नहीं किया था।
उसके बाद विक्रम मेरी तरफ बढ़ा और मुझे खींच कर दीवार से भिड़ा दिया और मुझे उल्टा करके मेरी ब्रा खोल दी और मुझे ऊपर से नंगा कर दिया। फिर उसने मुझे सीधा किया और अपने हाथों से मेरे बूब्स मसल दिए जिससे मैं मचल उठी।
इतने में विक्रम ने नीचे होकर मेरी पेंटी भी उतार फेंकी और मुझे उठा कर बिस्तर पर ले गया अपना लंड मेरे मुंह की तरफ करके बोला- आजा मेरी रानी, इस लंड का स्वाद तो चख ले !
मैंने भी वासना के वशीभूत हो उसका लंड अपने मुंह में ले लिया और एक लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।
उसके बाद हम 69 की पोजीशन में आ गए और विक्रम मेरी चूत और मैं विक्रम का लंड चूसने लगी। अब मेरा पूरा डर निकल चुका था
इसलिए मैं एक रंडी की तरह उसका लंड चूस रही थी।
काफी देर तक चूसने के वजह से मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और मैं मदहोश होकर बिस्तर पर लेट गई। तभी विक्रम मेरे ऊपर फिर से आ गया और धीरे से मेरी चूत में अपने लंड से एक शोट मार दिया, मेरी चुत कुंवारी होने की वजह से मैं चिल्ला उठी मगर विक्रम ने मेरी चीखों की तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने शोटों की गति बढ़ा दी।
मैं पागलों की तरह चिल्लाने लगी मगर कुछ ही देर में मुझे मजा आने लगा और मैं “फक्क मी ! फक्क मी !” चिल्लाने लगी विक्रम ने अपने शोटो की गति और बढ़ा दी और पूरा कमरा फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाजों से गूंजने लगा। बीस मिनट तक मुझे चोदने के बाद विक्रम ने अपना लंड निकाल दिया और मेरे मुँह के अंदर घुसा दिया।
मेरे मुंह में लाते ही विक्रम के लंड ने भी पानी छोड़ दिया और मैं उसका पूरा पानी पी गई।
उसके बाद हम उठे और बाथरूम में जाकर एक-दूसरे को साफ़ करने लगे।
उसके बाद हम अपने अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गए। मैंने देखा कि विक्रम के दोनों दोस्त जा चुके हैं, उसके बाद विक्रम ने मुझे मेरे घर छोड़ दिया।
इसके बाद मेरी जिंदगी के सफर में कैसे-कैसे मोड़ आये, यह जानने के लिए अगला भाग जरूर पढ़िए।
और अगर आपको इस पर कुछ कहना हो तो मुझे मेल भी कर सकते हैं।
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