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जवाहर जैन
मैं अलका को चोदना चाहता था पर स्नेहा को नाराज करके नहीं, मैंने अलका को कहा- अभी तुम मुझसे एक बार और चुदवाने के लिए स्नेहा को पटा लो फिर मैं आगे के लिए जमा लूँगा।
अलका बोली- अगर वो नहीं मानी तो तुम मुझे नहीं चोदोगे? मैं बोला- अरे अभी कल के लिए तो तुम जुगाड़ लगाओ, फिर उसके आगे का मैं जमाता हूँ।
मेरी ऐसी ही बातों से अलका कल एक दिन और मेरे साथ चुदाई का मौका देने के लिए स्नेहा को मनाने को राजी हुई। इसके बाद हम लोग फिर चुदाई में लगे। अलका ने इस रात मुझसे चार बार चुदाई की। वहाँ लेटे-लेटे ही मैंने घड़ी देखी तो सुबह के तीन बज रहे थे। मैंने अलका से कहा- अब मैं अपने घर जाकर सोता हूँ, नहीं तो अब नींद आ गई तो मुश्किल हो जाएगी।
अलका एक बार फिर मुझे ऊपर से नीचे तक चूमी-चाटी व कल फिर मिलने की बात कहकर हट गई।
अब मैं भी खड़ा हुआ और अपने कपड़े लेकर झटपट पहने वो बाहर गेट तक मुझे विदा करने आई।
मैं बाहर निकलकर मैसीजी का गेट बंदकर अपने गेट से अपने घर में घुसा। मेरे घर का मुख्य दरवाजा बाहर से खुला था। अंदर आकर मैंने दरवाजा भीतर से बंद किया।
तब तक स्नेहा भी आ गई, उसे देखते ही मैंने कहा- अरे तुम अभी तक जाग रही हो?
स्नेहा बोली- आपके सामने मैंने जैसी स्थिति बना दी उसके बाद मैं कहाँ सो सकती थी।
मुझे उस पर बहुत दया आई और उसे चिपकाकर कहा- ऐसा नहीं है स्नेहा। अपने अच्छे मन से तुम्हें जो लगा वो तुमने किया, कोई भी अच्छी औरत अपनी सहेली का दुख दूर करने ऐसा ही करती।
स्नेहा बोली- तो कैसी लगी आपको अलका की चूत? मैं बोला- बिस्तर पर तो चलो या यहीं सब पूछोगी। स्नेहा अब मुझे लेकर कमरे की ओर बढ़ी। मैं उसे बिस्तर पर ले आया।
बिस्तर पर आकर स्नेहा ने मुझसे फिर पूछा- हाँ, अब बताइए?
मैंने कहा- अलका तुम्हारी सहेली है, वो कैसी है इसका पता क्या तुम्हें नहीं है? स्नेहा बोली- मैं वैसे नहीं, सैक्स में कैसी है, यह पूछ रही हूँ। मैं बोला- अलका सैक्स के मामले में तो ठीक लगी, पर वो तुम्हारे आगे बहुत फीकी है।
स्नेहा मुस्कुराती हुई बोली- अच्छा? ऐसा क्या देखा आपने? मैंने कहा- वो मेरे साथ सैक्स कर रही थी, यह कहना गलत होगा। ‘तो सही क्या होगा?’ स्नेहा ने पूछा।
मैं बोला- सही यह कहना होगा कि मैसी साहब के ना चोदने के कारण वह सैक्स में बहुत अतृप्त थी, लिहाजा उसने अपनी सैक्स की क्षुधा को शांत करने मेरा उपयोग किया बस।
स्नेहा बोली- यानि आपको अलका अच्छी नहीं लगी? मैंने कहा- ऐसा मैंने कब कहा?
मैं बोला- तुमने अलका के सामने अपने पति यानि मुझे करके ठीक किया। मेरी जगह किसी दूसरे से वो चुदवाती तो वो उनकी चूत-गांड मारता वो तो एक तरफ़, उनका उपयोग पूरी जिंदगी भर अपने फायदे के लिए करता, यह तय था।
स्नेहा बोली- यानि अलका जैसा बोल रही थी कि वो बाहर के किसी आदमी से चुदवाकर अपनी सैक्स की जरूरतों को पूरा करती तो वह गलत हो जाता ना।
‘बिल्कुल !’ मैंने कहा- वो उनकी इज्ज्त भी लेता और ब्लैकमेल भी करता ! स्नेहा बोली- चलिए, अपने मन पर पत्थर रखकर मैंने अलका को चोदने आपको भेजा, यह ठीक हुआ ना। मैं बोला- एकदम और यही बात तुम अलका को बोलकर उनकी निगाह में और ऊँची हो जाओगी। स्नेहा बोली- उह, वो सब बाद की बात है, आपसे चुदते समय अलका ने कैसे क्या किया यह बताइए।
मैं बोला- मैम, कल मुझे ड्यूटी भी जाना है, वहाँ भी आराम नहीं कर पाया। जब सब निपटा, तब मैसीजी आ जाएँगे यह सोचकर वहाँ से निकलकर तुम्हारे पास आ गया, ताकि अपने घर में निश्चिंत होकर सो सकूँ और यहाँ तुम भी सोने नहीं दे रही हो।
‘ओफ…सारी…सारी, चलिए सो जाईए, बस एक जवाब दे दीजिए।’ मैं बोला- चलो पूछो जल्दी ! स्नेहा बोली- अलका को आपने कितनी बार चोदा? मैं बोला- चार बार !
यह बोल कर मैंने करवट बदल कर अपने सोने का संकेत दिया, लिहाजा वह भी शांत होकर सोने की कोशिश करने लगी, पर मैं जानता था कि यदि मैंने कल ड्यूटी में जाने का कहकर सोने को नहीं कहा होता तो इसके सवाल अभी थमने वाले नहीं थे।
दूसरे दिन ठीक रहा, ड्यूटी के लिए निकल रहा था, स्नेहा मुझे गेट तक छोड़ने आई, तभी अलका अपने घर से निकली और उसकी ओर मुस्कुराते हुए देख स्नेहा से बोली- मेरी इतनी प्यारी बहन के कारण ही आज मैं सालों बाद चैन की नींद सो पाई हूँ।
स्नेहा बोली- वाह जस्सूजी के रहते तुम सो गई? यह बड़ी बात है। इन्हें आज ड्यूटी नहीं जाना रहता तो ये अब तक तुम्हारी आँखों में नींद नहीं आने देते।
अलका बोली- चल अभी तो इन्हें ड्यूटी जाने दे, मुझे तुझसे बहुत सी बातें करनी हैं।
मैं ड्यूटी के लिए निकल गया, थोड़ा आगे जाने के बाद पीछे घूमकर देखा तो अलका व स्नेहा अब बात करने में मस्त हो गई थी।
ड्यूटी करके मैं रात को 10 बजे लौटा तो अलका व स्नेहा मुझे गेट पर ही मिली।
आते ही मैंने कहा- मुझे गिनीज़ बुक वालों को बताना पड़ेगा कि आप दोनों की बातें हमारे ड्यूटी टाइम से भी ज्यादा देर तक चल रहीं है। अच्छा, आप लोगों की बातों के बीच लंच टाइम हुआ था या नहीं?
अलका मुस्कुराती हुई अपने घर में भीतर की ओर चल दी, जबकि स्नेहा मेरी गाड़ी से बैग निकालते हुए बताने लगी- अभी मैसीजी
ड्यूटी गए हैं ना ! अलका उन्हें ही गेट पर छोड़ने आई थी। हम लोग खड़े ही थे तब तक आप आ गए।
मैं बोला- पर आप दोनों में क्या बातें हुई? स्नेहा बोली- अलका से बात के बाद मुझे लगा कि वो तो आपकी फैन हो गई है। मैं बोला- वो कैसे?
स्नेहा बोली- एक तो आपका लंड मैसीजी के लौड़े से ज्यादा तगड़ा है, और आपका गिरा भी देरी से।
स्नेहा ने बताया- मैंने मिलते ही अलका से पूछा कि आपकी रात ठीक रही ना, तो अलका बोली कि अपनी पूरी जिंदगी की सबसे अच्छी रात मैंने तुम्हारे कारण ही बिताई है। बदले में मैं कर्जदार हो गई हूँ तुम्हारी। फिर मैंने उनसे सेक्स के बारे में पूछा तो वो लंबे समय तक आपका ही गुणगान करती रही।
मुझे अलका पर गुस्सा आ रहा था कि इतनी ज्यादा तारीफ करने के बाद स्नेहा मुझे अब उसके पास घंटा जाने देगी, फिर मैंने सोचा जाने दो, मैं क्यूँ टेंशन लूँ इसका, कल चुदाई के समय ही मैंने अलका को बोल दिया था कि आज की चुदाई के लिए स्नेहा को राजी करना तुम्हारा काम रहेगा, अब जब वो स्नेहा को राजी नहीं कर पाएगी, तो मैं क्या करूँगा।
मैंने कहा- चलो, वो सब बात बाद में, मैं नहाकर आता हूँ, तब तक तुम खाने की तैयारी करो।
यह बोलकर मैं बाथरूम की ओर बढ़ा, इधर स्नेहा रसोई में गई।
नहाकर आने के बाद हम दोनों ने खाना खाया। खाते समय भी स्नेहा अलका की ही बात करती रही।
मैंने सोचा कि अब स्नेहा के सामने अलका की बात करना यानि मेरा उस पर इंट्रेस्ट रखना साबित हो जाएगा, सो मैं स्नेहा को बोला- चलो छोड़ो वो सब बातें यार, चलो अब सोते हैं।
इतना कहकर मैंने स्नेहा को खींचा और अपने से चिपकाकर सोने का प्रयास करने लगा। अब स्नेहा बोली- जस्सूजी, मुझे आपसे एक काम है। मैं बोला- काम है? यह बोलने की क्या जरूरत हैं डार्लिंग, सीधे काम बोलो ना। स्नेहा बोली- यह इसलिए पूछ रही हूं कि कहीं आप नाराज न हो जाओ।
‘नहीं होऊँगा, बोलो?’ मैंने एसा कह तो दिया पर बहुत डर रहा था कि अब अलका को नहीं चोदने का फरमान बस स्नेहा के मुँह से निकलने ही वाला है।
स्नेहा बोली- आप आज भी अलका को चोद दो ना?
मैं बहुत जोर से चौंका और सोचने लगा कि यह चमत्कार कैसे हो गया। पर स्नेहा पर मेरी खुशी जाहिर ना हो इसलिए मैंने कहा- ओह्ह्हो, फिर से? पर क्यूँ?
स्नेहा समझी कि मैं नाराज हो रहा हूँ तो वह जल्दी से बोली- अच्छा कोई बात नहीं, चलिए सो जाते हैं।
मेरा दिल खुशी से उछलने लग गया, पर अपनी भावनाओं को कंट्रोल में रखते हुए मैं बोला- मुझे फिर से उनके पास जाना है, यह बात तुम दोनों में कब हो गई और यह मुझे पहले क्यों नहीं बताया?
स्नेहा बोली- अलका को चोदने के बाद मैं आपके मुँह से उनकी तारीफ सुनना चाहती थी, मैं सोच रही थी कि जैसे ही आप उनकी
प्रशंसा करते मैं उनकी रिक्वेस्ट आपके सामने रख देती, पर आप तो उन्हें चोदकर खुश नहीं हुए ना, तो मैं नहीं बोल पाई। अब जब आप सोने जा रहे हैं तो मैं अपने पर इस बात का भार क्यूँ रखूँ यह सोचकर आपको यह बोल दी।
‘बोल दी, वह ठीक है पर अलका को फिर से चोदने की बात कहाँ से आई?’ मैं बोला।
स्नेहा बोली- आपके ड्यूटी जाने के बाद अलका कल का अपना अनुभव बताते हुए खुशी के कारण रोने लगी, उसने कहा कि मैं सोच भी नहीं सकती थी कि आदमी औरत के बीच सैक्स ऐसा भी हो सकता है। मुझे एसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ। और बोली कि स्नेहा अब मुझे स्वर्ग में रखो या नर्क में यह तुम पर हैं। तब मैं बोली कि अलका आपको स्वर्ग में रखने के फेर में मेरी जिंदगी तो नर्क में रह जाएगी ना? तब अलका बोली कि ‘अच्छा सिर्फ़ आज भर के लिए मुझे अपनी जिंदगी जी लेने दे स्नेहा, फिर मैं जवाहर जी से दूर हो जाऊँगी, सही में तुम्हारे बीच नहीं आऊँगी।
स्नेहा मुझे बता रही थी कि यह बोलते समय तक उनकी आँखों से आंसू बह रहे थे, मेरे आगे उन्होंने हाथ जोड़े और बोली कि सिर्फ एक बार और स्नेहा ! फिर मैं तुम्हें नहीं कहूंगी। इसलिए मैंने आपसे कहा, अब आप पर है आप चाहो तो मना कर दीजिए, मैं बता दूँगी कि अब आप नहीं मान रहे हैं।
अलका को चोदने के लिए तो मेरा भी मन उछल रहा था, पर सही बोलूँ तो आज मेरे शरीर में भी थकान थी। इसलिए मैंने स्नेहा के
सामने भाव देते हुए कहा- देखो स्नेहा, उनका दुख-दर्द अपनी जगह है और सही है पर यदि आज फिर उन्हें चोदने के लिए मैं रात भर जागा, तो मुझे तुम्हें चोद ना पाने का दुख है ही, नींद पूरी ना हो पाने के कारण सिर दर्द भी हो जाएगा। तुम एक काम करो डियर, अलका के पास जाओ और उससे कहो कि मैं उन्हें चोदने को तैयार हूँ पर आज नहीं कल। इसलिए वे आज की रात गुजार लें कल की
रात मैं उनकी सेवा में हाजिर रहूँगा।
अब स्नेहा का फेस इंप्रेशन देखने लायक था। मैंने उसकी आशा के अनुसार उसे डांटा नहीं था, तथा अलका को चोदने की उसकी बात मान लिया था यह बात, व आज मैं अलका के पास नहीं उसी के पास सोऊँगा, इस बात की दोहरी खुशी ने उसे गदगद कर दिया था। स्नेहा जल्दी से उठी व अलका से मिलने बाहर की ओर बढ़ ली। थोड़ी ही देर में वह लौटी और बोली- पता है जस्सूजी, अलका ने कल तुम उसे चोदोगे, इसके लिए मुझसे कसम ले ली है।
मैं बोला- वो कैसे?
स्नेहा ने बताया- अलका आज नहा कर तुमसे चुदने को तैयार बैठी थी, मैंने जब उनका दरवाजा खटकाया तो वो समझी कि आप ही आए हो, वो खुशी-खुशी आई पर मुझे देखकर रूक गई और पूछने लगी कि क्या हुआ? तब मैंने उसे बताया कि आप थक गए हैं इसलिए कल आएँगे। अलकाजी बोली कि स्नेहा, मैंने तुमसे केवल आज भर के लिए यह सुख और दिलाने कही थी, पर मैं आज फिर वैसे ही रह गई, अब तुम कसम खाओ कि कल जवाहरजी जरूर मुझको चोदेंगे। तब मुझे कसम खानी पड़ी।
ऐसे ही कुछ बातों के बाद हम सो गए।
अगले दिन मैंने डटकर आराम किया। रात को ड्यूटी से आने के बाद मैंने देखा कि आज भी स्नेहा और अलका दोनों ही गेट पर खड़ी मेरा इंतजार कर रही हैं। स्नेहा के साथ मैं भीतर आया और नहाने के बाद हम खाना खाने बैठे।
मैंने स्नेहा से कहा- क्या बात है, आज बहुत गुमसुम हो?
स्नेहा बोली- आज मेरा भी मन चुदवाने का हो रहा है।
मैं बोला- देखो डियर, मुझे अलका को चोदने तुम भेज रही हो और आज मुझे अलका को चोदने की कसम भी तुमने ही ली है इसलिए मेरी स्टेमिना को समझकर अपने मन को कल तक के लिए समझा लो।
स्नेहा बोली- वाह, अलका का पति उसे नहीं चोदता, इसलिए मेरा पति उसे चोदने जा रहा हैं। मजा तो अलकाजी और तुम्हारे ही हैं। अटकी तो मैं ना।
मुझे कल तक अलका को चोदना जितना आसान लग रहा था, अब यह उतना ही मुश्किल महसूस हो रहा था। मैंने स्नेहा से कहा- सोचकर जल्दी बताओ, कि मुझे किसको चोदना है।
स्नेहा के चेहरे से सैक्सी भाव झलकने लगा था। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ जमाकर लंबी पप्पी ली, अब मैंने अपना मुँह उससे थोड़ा दूर किया और कहा- पर स्नेहा मुझे यह समझ नहीं आया कि तुम अचानक इतनी गरम कैसे हो गई।
वह बोली- आपसे एक बात सच्ची बोलूँ?
मैं बोला- हाँ बोलो ना।
स्नेहा बोली- आज शाम को अलकाजी आईं थी, तब हम दोनों ने अपना कंम्प्यूटर चालू किया और इसमें अन्तर्वासना की साईट खोलकर उसमें ‘मेरी बेबाक बीवी’- बेकरार बीवी’ सहित दूसरी कहानियाँ पढ़ी। इन्हें पढ़कर मैं गर्म हो गई हूँ। अब मुझे आपसे चुदना है।
मैं बोला- ठीक है, मैं तुम्हें चोदूं, इससे पहले तुम अलकाजी से बोलकर आ जाओ। ताकि वे फिर से मैसीजी से गांड मराने का इंतजार कर सकें।
अब हमारा खाना हो चुका था तो मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गया, तभी स्नेहा मेरे ऊपर आकर पसर गई, बोली- जस्सूजी, मैं एक बात बोल रही हूँ, आप मानोगे क्या?
मैं बोला- अब क्या बात मानूँ डियर ताकि तुम खुश रहो, बोलो? स्नेहा बोली- आज आप अलकाजी के घर नहीं जाएंगे, यहीं अपने ही घर में रहेंगे।
मन ही मन मैं पहले ही यह तय कर चुका था कि आज स्नेहा चुदने के मूड में है यानि आज मुझे भी अलका चोदने नहीं मिलेगी, मैं
बोला- चलो फिर दरवाजा बंद करके आओ, तब अपन चुदाई में लगें।
कहानी जारी रहेगी। [email protected] 2974
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