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सभी पाठक पाठिकाओं को मेरा प्यार भरा नमस्कार !
आपके इमेल प्राप्त हुए, सभी ने मेरी कहानियों को सराहा, इसके लिए शुक्रिया।
इस बार जो कहानी आपके लिए लाया हूँ, वह एक पाठिका की है जो मेरे द्वारा प्रकाशित करना चाहती है, वह अपना नाम पता को गोपनीय, रखना चाहती है तो नाम एवं पता को परिवर्तित कर दिया है।
रिया छत्तीसगढ़ के एक कसबे में रहती है, 24 वर्षीया रिया गोरी चिट्टी बहुत ही खूबसूरत कद 5’3″ फिगर 34-26-34 है। स्कूल समय में जब उसने जवानी में कदम रखा और शरीर के अंगों का विकास हुआ तो यौवन उसके कपड़ों में से बाहर निकलने को बेकाबू होता प्रतीत होता था। चलते वक्त उसके अगले और पिछले उभारो की उछाल देख कसबे के जवान लड़कों से लेकर अधेड़ मर्द भी आहें भरते थे। कई बार तो उसे देख कटाक्ष भी करते थे लेकिन इन सबसे अन्जान रिया अपनी पढ़ाई पर ध्यान देती थी।
कसबे में रिया के पिता बहुत इज्जतदार व्यक्ति थे तो किसी ने गलत हरकत करने की कोशिश नहीं की।
शहर में उसने गर्ल्स कालेज में आर्ट से स्नातिकी करने के लिए दाखिला लिया। कालेज में रिया की दोस्ती सहपाठी लड़कियों से थी, उनमें कई तो बोल्ड, कुछ चालू भी थी जो सेक्सी पुस्तकें भी पढ़ा करती थी। बॉय फ्रेंड से भी मिलती थी।
रिया ने किसी पर ध्यान नहीं दिया लेकिन इन सबको देख सुन कर उसका यौवन और काया उत्तेजित जरुर होती थी।
आगे रिया की कहानी स्वयं रिया के शब्दों में !
मेरी सहेली रीना जो मेरे ही साथ रहती थी, मुझसे कहती थी- मेरे साथ घूमने चल, एन्जॉय करेंगे मिल कर !
पर मुझे शहर में सब अंजाना सा लगता था तो चाहकर भी कभी नहीं गई। उसकी दोस्ती एक लड़के से थी, उसके साथ घूमती रहती थी, मैंने कभी उसकी हरकतों पर ध्यान नहीं दिया लेकिन मेरे शरीर के भराव और खिंचाव मुझमें बेचैनी सी भर देते थे, आईने के सामने अपने आप को देखकर लजाने लगी थी मैं, नहाते समय चूचियों को मसलने लगी थी, उनको सहलाना बड़ा अच्छा लगता था, योनि के आसपास हाथ फिराना, उसे सहलाना अच्छा लगता था।
ऐसे ही एक दिन रीना घर पर नहीं थी तो उसके द्वारा लाई अश्लील साहित्य वाली किताब को पढ़ने की इच्छा हुई और फिर कहानी पढ़ने लगी, उसके चित्रों को देखकर इतना उत्तेजित हुई कि उंगली से अपनी चूत को रगड़ने लगी और चरम पर पहुँच कर झर गई। पहली बार हस्तमैथुन किया था, इतना अलौकिक आनन्द पहली बार महसूस किया था मैंने !
बाद में लगा कि मैंने कुछ गलत तो नहीं किया?
लेकिन इन्सान का बस तो चलता नहीं इच्छाओं पर तो अब जब तब कभी भी उंगली कर लेती थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेरे स्नातिकी का प्रथम साल था, एक दिन कालेज के लिए घर से निकली तो हलकी बूंदाबांदी हो रही थी, आगे मोड़ पर संजय नाम का लड़का जो अक्सर मुझे पान की दुकान पर खड़े होकर देखता रहता था, वो मेरे ही घर के पास रहता था लेकिन मुझे देखने पान की दुकान पर रोज खड़ा होता था। कभी उसने कोई कमेन्ट या गलत हरकत नहीं की। देखने में अच्छा और स्मार्ट था, मुझे देखकर मुस्कुरा दिया करता था। मैंने कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं की थी।
आज रीना साथ नहीं थी, थोड़ा आगे निकलते ही वह अपनी बाइक लेकर मेरे पास आया, बोला- चलो मैं तुम्हें कालेज छोड़ दूँ, नहीं तो बारिश में भीग जाओगी।
मैं घबरा गई और मना कर दिया।
उसे मेरा नाम मालूम था, बोला- रिया, बैठ जाओ, मुझ पर भरोसा करो।
मैंने सोचा कि यहाँ लोग तमाशा देखेंगे और बारिश भी तेज होने लगी थी, मैं उसके पीछे बैठ गई, उसने मुझे कालेज छोड़ दिया और बाय कहकर चला गया, मुझे थेंक्स कहने का भी ध्यान न रहा।
दूसरे दिन फिर वहीं मिला, मुझे देख मुस्कुरा दिया, मैं भी मुस्कुरा दी। मुझे शायद वह अच्छा लगने लगा था, अगर उसे नहीं देख पाती तो बेचैनी सी होती थी।
एक दिन फिर अकेला पाकर बाइक लेकर मेरे पास आया और मेरे पास आकर रुक गया और मैं स्वयं ही बिना उसके कहे उसके साथ बैठ गई।
बाइक आगे बढ़ाकर संजय ने कहा- मेरे साथ एक कप काफी पियोगी?
मैं कुछ नहीं बोली, उसने एक रेस्टोरेंट पर बाइक रोकी, मैं उसके साथ मंत्रमुग्ध सी अन्दर गई, टेबल पर बैठ गई, मुझे घबराहट सी हो रही थी।
वो बोला- रिया, घबराओ मत ! मैं तुम्हें थोड़ी देर बाद कालेज छोड़ दूँगा।
फिर सामान्य सी बातें हुई, परिचय हुआ वो किसी निजी कम्पनी में नौकरी करता था। धीरे धीरे हम दोनों में प्यार हो गया वो मुझे घुमाने ले जाता, मुझे बाजार से खरीदकर कुछ न कुछ देता रहता, पिक्चर दिखाने ले जाता और अन्धेरे में मेरे अंगों को सहलाता तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता था।एक बार तो उसने मेरी चूत में उंगली तक डालने की कोशिश की पर दर्द के कारण मैंने उसे ऐसा नहीं करने दिया।
चूची तो रगड़ रगड़ कर लाल कर देता था। वो मुझसे शादी करने का वादा करता था, मैं भी दिलोजान से प्यार करने लग गई थी
उसके द्वारा मेरे शरीर को छेड़ना-सहलाना मुझे बड़ा अच्छा लगता, ऐसा लगता कि सच्चा सुख तो यही है।
एक दिन रीना अपने घर गई थी। मौका पाकर वो मेरे कमरे पर आ गया, मकान मालिक के घर पर भी ताला लगा था, पूरी निश्चिंतता थी मैंने भी उसको आने से नहीं रोका।
उस दिन हम दोनों आपस में लिपटकर एक दूसरे सहलाते को रहे। संजय ने कहा- रिया, आज मैं तुम्हें पूरी तरह से देखना चाहता हूँ।
मैंने कहा- मतलब?
बोला- तुम्हारे कपड़े उतारकर तुम्हें देखना, तुम्हें चूमना चाहता हूँ।
मेरे मना करने पर भी उसने मेरे कपड़े एक एक करके केले के छिलके की तरह निकाल दिये।
मुझे जाने क्या हो गया था, मैं मना भी नहीं कर पाई।
फिर उसने मेरे स्तन को चूम कर मुझे गर्म कर दिया, कहने लगा- मेरा नहीं देखना चाहोगी?
मेरे मना करने के बाद भी उसने अपना लंड निकालकर मेरे सामने कर दिया, बोला- पकड़ो इसे !
इतना बड़ा और खड़ा लंड देख मैं घबरा गई, लगभग छः इंच का होगा और फिर वह अपनी जीभ से मेरी चूत को सहलाने लगा।
मैं इतना उत्तेजित थी कि एक मिनट में ही झर गई।
होश आने पर अपना भविष्य दिखाई देने लगा, मैंने उसे रोका और कहा- बस संजय, इसके आगे नहीं, बाकी शादी के बाद करेंगे, अभी ये सब ठीक नहीं !
उसने करने की बहुत कोशिश की, बोला- मेरा लंड खड़ा है, सिर्फ एक बार ! फिर शादी के बाद ही करूँगा।
मैंने उसके लंड को पकड़कर अलग करने की कोशिश कर रही थी और वो अपनी इच्छा पूर्ति के प्रयास कर रहा था, मेरी टांगों को फैलाकर बार बार अन्दर डालने की कोशिश में था।
इसी छीना झपटी में वो…
कहानी जारी रहेगी।
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