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कहानी का पहला भाग : एक कुंवारे लड़के के साथ-1 कहानी का पाँचवाँ भाग : एक कुंवारे लड़के के साथ-5
कुछ देर बाद हम दोनों ने अपने अपने चेहरे साफ़ किये और दोनों लड़कों के साथ सोफे पर बैठ गईं। रचना ने सब के गिलास भर दिये और पीते पिलाते हम चारों में फिर से चूमा चाटी शुरू हो गई।
चूँकि मैं और मनीष तो पहले भी बहुत बार चुदाई कर चुके थे इसलिए मैं जानती थी कि मनीष को अगला कदम पता है। मनीष उठा और मेरे सामने नीचे कालीन पर बैठ कर उसने मेरी टांगें खोल कर मेरी जांघों को चूमना चाटना शुरू कर दिया। आशीष ने भी वैसे ही रचना की जांघों को चाटना शुरू कर दिया।
अब हम दोनों की सिसकारियाँ निकल रहीं थी। मैंने मनीष का सिर अपनी चूत पर दबाया हुआ था और वो अपनी जीभ से मेरी चूत के होठों को चाट रहा था।
मैंने देखा कि रचना आशीष को चूत चाटना सिखा रही थी,’ हाँ ! आशीष ऐसे ही करो ! बस यहाँ पर चाटो ! अपनी जीभ अंदर तक डाल दो ! अपनी लंबी जीभ से चोद दो मेरी चूत को !’ मैं भी कराह रही थी,’ओह्ह्ह्ह ! आह्हह्ह ! और जोर से चाटो ! हाँ ! मनु चूत के अंदर तक अपनी जीभ डाल दो ! खा जाओ मेरी चूत को !’
मैं झड़ गई और मनीष का चेहरा मेरे पानी से भीग गया। मैंने मनीष को ऊपर की ओर खींचा और चाट चाट कर उसका चेहरा साफ़ करने लगी। हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में चिपक कर बैठे थे और आशीष को रचना की चूत चाटते हुए देख रहे थे।
मैंने मनीष को कहा कि अगर वो चाहे तो रचना की चूत चाटने में आशीष की मदद कर सकता है। तब मनीष भी आशीष के साथ मिल कर रचना की चूत चाटने लगा। थोड़ी देर के बाद रचना भी झड़ गई।
मैंने मनीष को नीचे कालीन पर लिटाया और उसके शरीर को चूमने चाटने लगी। उसके चेहरे से चूम चूम कर नीचे आते हुए उसके लंड तो सहलाते हुए चूसने लगी। कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो कर फुँफ़कारने लगा और मैं मनीष के ऊपर लेट गई। हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे चाट रहे थे। हम दोनों की कराहने की आवाजें आ रहीं थीं।
मैंने देखा कि आशीष का लंड भी खड़ा हो चुका था। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसके लंड को पकड़ने की कोशिश की तो आशीष मेरे पास आ गया। मैंने उसके लंड को पकड़ कर जोर से आगे पीछे किया और उसके सिरे को चाटने लगी।
मुझे ऐसा करते देख रचना भी आ गई और आशीष के लंड को पकड़ कर चूसने लगी। मैंने अपना ध्यान दोबारा मनीष की ओर कर लिया। हम दोनों से पलटा खाया और अब मनीष मेरे ऊपर था। मनीष मेरे मोम्मों को जोर जोर से दबा रहा था और काट रहा था। ‘ओह्ह्ह्ह ! मनु और जोर से दबाओ ! मसल दो खा जाओ आज मेरे मोम्मों को !’ मैं उसके नीचे दबी हुई कह रही थी।
उधर रचना आशीष के ऊपर चढ़ी हुई थी और उसको चूस चूस कर लाल कर रही थी। मैंने और मनीष ने देखा कि अब आशीष भी अपना सब संकोच छोड़ कर रचना के साथ सैक्स का आनंद ले रहा था।
‘आशू आज रचना को नहीं छोड़ना ! आज इसकी चूत फाड़ देना ! इसकी गांड भी मार दे !’ मैं जोर जोर से कह कर आशीष का जोश बढाती हुई उसे उकसा रही थी।
‘हाँ ! आज तो मैं रचना की चूत पूरी फाड़ दूँगा ! आज तक इसकी चूत में लंड घुसे होंगे आज इसे पता चलेगा कि असली लौड़ा क्या होता है !’ आशीष भी अब उन्माद में बोल रहा था।
तभी आशीष ने रचना को नीचे कर लिया और उसके मोम्मे नोच नोच कर दबाते हुए उसे चूमने लगा। रचना की जोर जोर से कराहने की आवाजें कमरे में गूंज रहीं थीं।
‘मनीष, जब आशीष अपना लंड रचना की चूत में डालेगा अगर उस समय रचना के मुँह से चीख निकली तो जल्दी से उसके मुँह पर हाथ रख कर उसका मुँह बंद कर देना नहीं तो इसकी चीख की आवाज़ बाहर तक जा सकती है और हम सब के लिये समस्या हो जायेगी’ मैं मनीष के कान में फुसफुसाई।
‘हाँ ठीक है।’ कहते हुए मनीष ने आशीष को कहा,’ आशीष, अब तू रचना की चूत में लंड डाल भी दे फिर मैं भी तुझे देख कर शालिनी की चूत में अपना लंड डालूँगा।’ ‘रचना, मेरे लौड़े को अपनी चूत की गुफा का मुँह दिखा दो, बहुत देर से भटक रहा है।’ आशीष उठ कर अपना लंड रचना की चूत पर रगड़ते हुए बोला।
‘आ जाओ आशू ! मैं कब से तड़प रही हूँ तुम्हारे लौड़े के लिये !’ रचना ने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया।आशीष ने धक्का मारा और उसके लंड का सिरा रचना की चिकनी चूत में घुस गया। ‘आह्हह्ह ! आशीष धीरे धीरे डालो दर्द हो रहा है।’ रचना बोली। ‘आशीष, धीरे धीरे रुक रुक कर लंड अंदर घुसा दो।’ मैंने आशीष को कहा।
जैसे ही आशीष का लंड थोड़ा और अंदर गया, मैंने फिर आशीष को कहा,’ रचना के ऊपर लेट कर उसके होंठ अपने होठों में दबा कर चोदो, इसे भी बहुत मज़ा आयेगा और ज़्यादा दर्द भी नहीं होगा।’
आशीष ने वैसा ही किया। रचना ने अपनी दोनों टांगें आशीष की कमर पर लपेट लीं।
‘अब तू चाहे तो जोर जोर से धक्के मार ले’ मनीष बोला। ‘नहीं, धीरे धीरे ही करना ताकि एक बार रचना की चूत तुम्हारे लंड के आकार की अभ्यस्त हो जाए उसके बाद भले ही इसकी चूत फाड़ देना’ मैं आशीष को सिखाती हुई बोली। ‘हाँ हूँ’ की आवाजें करते हुए आशीष धीरे धीरे रचना को चोदने लगा।
‘मनीष, बहुत ज्ञान बाँट लिया अब तुम भी मेरी चूत में अपना लंड डाल दो।’ मैंने मनीष को चूमते हुए कहा।
मनीष ने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख कर एक हल्का सा धक्का मारा और फिर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होठों को अपने होठों में दबाते हुए दूसरे धक्के में उसने अपना पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में घुसा दिया और मुझे चोदने लगा। मैंने कुछ देर के बाद मनीष को पलटने को कहा और अब उसके ऊपर आकर जोर जोर से अपनी चूत उसके लंड पर मारने लगी। मैं एक बार झड़ चुकी थी।
थोड़ी देर बाद मनीष ने कहा कि वो झड़ने वाला है और उसके लंड ने वीर्य का फव्वारा मेरी चूत में छोड़ दिया। मनीष का वीर्य मेरी चूत से बाहर बह कर उसकी कमर पर जमा हो रहा था और मैं अभी भी उसके लंड के ऊपर अपनी चूत मार रही थी। उधर आशीष ने रचना की दोनों टांगे अपने कंधों पर रखी हुई थीं और अपने पूरे जोर से रचना को पेल रहा था।
रचना की सीत्कारें निकल रहीं थीं,’ और जोर से करो आशू ! और जोर से चोदो मुझे ! अपने मोटे लौड़े से आज मेरी चूत पूरी फाड़ दो !’ और आशीष उन अश्लील बातों का मज़ा लेते हुए किसी भूखे शेर की तरह रचना को चोद रहा था। मैं और मनीष उठे और बाथरूम होकर आये और सोफे पर बैठ गए।
रचना आशीष को कहने लगी कि वो ऊपर आना चाहती है इसलिए आशीष अपना लंड बाहर निकाल ले।
आशीष ने अपना लंड रचना की चूत से बाहर निकाला और उसके साथ में लेट गया। फिर रचना आशीष के दोनों ओर एक एक टांग करके उसके लंड पर बैठ गई और उछल उछल कर आशीष को चोदने लगी। मैंने रचना को चूमा और धीरे से उसके कान में पूछा,’ तेरी चूत से पानी निकला या नहीं?’
रचना धीरे से बोली,’चार बार !!’
मनीष ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगाया तो मैं उसे सहला कर मसलने लगी। मेरे सहलाने से मनीष का लंड एक बार फिर से कड़क होने लगा तो मैंने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी। फिर मनीष ने मुझे सोफे के ऊपर घोड़ी की तरह बनाया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल कर चोदने लगा।
आशीष ने जब हमें देखा तो रचना को कहने लगा,’ रचना, तुम भी घोड़ी बन जाओ, मैं भी तुम्हें ऐसे चोदना चाहता हूँ।’
रचना बोली,’ अभी बन जाती हूँ। तुम्हारे लिये तो मैं कुछ भी बन जाने के लिये तैयार हूँ। बस थोड़ी देर और तुम्हारे लंड पर बैठने का मज़ा लेने दो।’
और फिर रचना अपनी पूरी शक्ति से आशीष के लंड पर उछलने लगी। ‘आह्हह्ह ! आह्हह्ह ! ओह्ह्ह्ह ! हाँ !’ कहते हुए रचना आशीष के सीने को नोचते हुए झड़ने लगी। जब उसका झड़ना शांत हुआ तो वो भी मेरे साथ आ कर सोफे पर घोड़ी बन गई और आशीष को कहने लगी,’आ जाओ आशू अपनी घोड़ी को चोद लो।’
फिर उसने आशीष का लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और उसे धक्का मारने को कहा। आशीष ने एक ही धक्के में अपना लंड रचना की चूत में घुसेड़ दिया और दनादन चोदने लगा। मैंने और रचना दोनों ने सोफे के पिछले हिस्से को पकड़ा हुआ था और धक्कों का मज़ा ले रही थीं। तभी मनीष ने अपना लंड बाहर निकाला और अंदर बेडरूम से तकिये लाकर हम दोनों के चेहरे के सामने लगा दिये ताकि हमारा चेहरा सोफे से ना टकराए।
फिर मनीष दोबारा मुझे चोदने में जुट गया। मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो आशीष किसी अनुभवी लड़के की तरह रचना की कमर पकड़ कर उसे चोद रहा था। मनीष मेरे दोनों मोम्मे दबाते हुए मुझे चोद रहा था और फिर आशीष को कहने लगा,’ आशीष, रचना की कमर को छोड़ और इसके मोम्मे दबा कर देख कितना मज़ा आता है।’
अब आशीष के हाथ भी रचना के मोम्मों पर थे और जैसे ही उसने जोर से रचना के मोम्मे दबाए रचना के मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकली। मैंने रचना की ओर अपना चेहरा करके अपने होठों को थोड़ा सा आगे किया तो उसने मेरे होठों को चूम लिया।
‘मनीष और जोर से चोदो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! आशीष तुम भी रचना को जोर जोर से चोदो ! मैं उन दोनों को उकसाने लगी।
अब उन दोनों और जोर से चोदना शुरू कर दिया। कमरे में थप थप की आवाजें आ रहीं थीं।
मैंने रचना को कहा,’ रचना, अगर यह सोफा दीवार के साथ ना लगा होता तो शायद इन दोनों के धक्कों के कारण अभी तक नीचे गिर गया होता।’
तभी मैंने महसूस किया कि मनीष का एक हाथ मेरी चूत के नीचे सहलाने लगा था। ‘ओह्ह्ह्ह ! मनीष नहीं प्लीज़ नहीं !’ मैंने उसका हाथ हटाने की कोशिश की। ‘क्या हुआ?’ रचना और आशीष दोनों ने एक साथ पूछा। ‘अपने एक हाथ से रचना की चूत को नीचे से सहला, फिर देख क्या होता है’ मनीष दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ते हुए बोला। आशीष भी अपना एक हाथ नीचे ले गया और रचना की चूत को सहलाने लगा। ‘ओह्ह्ह्ह !’ रचना भी चिंहुकी।
‘एक हाथ से कमर पकड़ ले और दूसरे हाथ से चूत सहलाते हुए चोद !’ मनीष अब आशीष को सिखा रहा था।
अब वे दोनों हमारी चूतें सहलाते हुए चोदने लगे। तभी रचना ने जोरदार हुंकार भरी और झड़ गई।
‘आशीष आज तूने मैदान मार लिया ! तूने रचना का पानी निकाल दिया !’ मनीष ने कहा।
कुछ समय बाद मैं भी झड़ गई।
रचना आशीष को बोली,’ आशू, मुझे नीचे लिटा कर चोद लो मेरी टांगों में दर्द हो रहा है।’
‘रचना थोड़ी देर और चोदने दो ! मुझे ऐसे चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है।’ आशीष बोला।तभी मैंने देखा कि आशीष ने चोदने की गति बढ़ा दी तो मैं समझ गई कि वो झड़ने वाला है। कुछ ही देर में आशीष जोर जोर से कराहने लगा,’आह्हह्ह ! ओह्ह्ह्ह ! रचना मैं झड़ गया हूँ !’
उसके धक्कों की गति धीमी पड़ने लगी और वो रचना के ऊपर निढाल सा हो गया।
‘मुबारक हो आशीष आज रचना ने तुम्हारी सील तोड़ दी अब तुम कुँवारे नहीं रहे !’ मैंने कहा।
‘हाँ और आपने मनीष की सील तोड़ दी !’ आशीष ने जवाब दिया।
उधर अभी तक मनीष डटा हुआ था और मुझे चोद रहा था। कुछ समय बाद मनीष ने भी अपना वीर्य मेरी चूत में भर दिया और मेरे ऊपर गिर गया। हम चारों नीचे कालीन पर ही लेट गए और हमारी आँख लग गई। कोई दो घण्टे बाद मेरी आँख खुली और मैं बाथरूम हो कर आई तो मैंने देखा आशीष बिल्कुल तैयार हो कर बैठा हुआ था।
‘तुम कहाँ जा रहे हो आशीष?’ मैंने पैंटी पहनते हुए पूछा। ‘मनीष उठ जाए तो हम लोग अब अपने कमरे पर वापिस जायेंगे।’ आशीष ने कहा।
‘तुम कहीं नहीं जाओगे और रात को यहीं रुकोगे समझे? अभी तो तुम्हें रचना की गांड भी मारनी है ! और फिर मेरी चूत का मज़ा नहीं लोगे क्या?’ मैंने कहा।’मनीष के कहा था रात को वापिस आ जायेंगे !’ आशीष बोला।
‘उसे कुछ नहीं पता। चलो अपने कपड़े उतारो और देखो फ्रिज में बियर है या नहीं। अगर है तो अपने लिये डालो और मुझे भी एक गिलास दो।’ मैं उसके बालों को सहलाते हुए बोली।
आशीष को ना चाहते हुए भी अपने सारे कपड़े उतारने पड़े और अब वो दोबारा सिर्फ अंडरवियर में था। मैंने रचना और मनीष को उठाया और बताया कि आशीष अपने घर जाने की बात कर रहा है।
रचना एकदम बोली,’ आशू, तुम मेरे साथ ही रहो। अभी तो पूरी रात जवान है।’
मैंने फ्रिज में देखा तीन बियर पड़ीं थीं तो मैंने मनीष को कहा कि वो जल्दी से तैयार हो जाए और फिर हम दोनों जाकर बियर और रात का खाना भी लेकर आते हैं।
मनीष और मैं तैयार हो कर बाज़ार के लिये निकल पड़े। करीब एक घण्टे बाद हम वापिस आए तो देखा कि आशीष कालीन पर चित लेटा हुआ हाँफ रहा था और रचना की चूत से वीर्य की एक धार बाहर निकल कर बह रही थी।
हम दोनों को देख कर रचना आँख मार कर मुस्कुराने लगी। आधे घण्टे के बाद जब रचना और आशीष उठ कर नहा कर आये तो मैंने खाना लगा दिया और फिर हम चारों ने खाना खाया और बेडरूम में बैठ कर बातें करते हुए टेलिविज़न देखने लगे।
एक घण्टे बाद आशीष बोला कि वो और मनीष बाहर बैठक में कालीन पर सो जायेंगे और रचना तथा मैं अंदर बेडरूम में सो जाएँ।
रचना आशीष के साथ सोना चाहती थी इसलिए कहने लगी कि वो और आशीष बाहर सो जायेंगे। मनीष ने कहा कि वे दोनों अंदर सो जाएं और मनीष के साथ मैं बाहर सो जाते हैं। फिर तय हुआ कि हम चारों ही अंदर सोयेंगे।
मैंने लाइट बंद की और सिर्फ रात के लिये छोटी लाइट जला दी। थोड़ी देर में ही रचना और आशीष की चूमा-चाटी की आवाजें आनी शुरू हो गईं तो मैंने और मनीष ने भी अपने होंठ आपस में चिपका लिये। आशीष रचना के ऊपर चढ़ कर उसके मोम्मे दबाता हुआ उसे चूम रहा था।
मैं और मनीष साथ साथ लेटे हुए थे इसलिए मैंने अपनी एक टांग उठाई और मनीष के लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और उसकी गांड को दबा कर उसे धक्का मारने का इशारा किया। मनीष ने धक्का मारा और अपना लंड मेरी चूत में डाल कर धक्के मारने लगा।
आशीष ने जब हमें देखा तो उसने भी मनीष की तरह रचना के साथ में आकर उसकी की टांग उठाई और उसे चोदने लगा। मनीष और आशीष दोनों की गांड आपस में टकरा रहीं थीं और दोनों हमें चोदने में व्यस्त थे।
फिर मैं और रचना उन दोनों के ऊपर आ गईं और उन्हें चोदने लगीं। हम दोनों एक लय में चुद रहीं थीं और बीच बीच में एक दूसरे को सहला भी रहीं थीं।
इस बार पहले रचना झड़ी और फिर मैं। तब हम दोनों लड़कों के ऊपर से उतर कर फिर साथ में लेट गईं। मैंने सुना, आशीष मनीष को पूछ रहा था,’ मनीष, क्या तू शालिनी की गांड अभी मारेगा या कल?’ ‘अभी मारूंगा और उसकी गांड में अपना लंड खाली कर दूँगा !’ मनीष ने जवाब दिया।
रचना ने कहा,’ आशीष, अगर तुम सोना चाहते हो तो कोई बात नहीं दोनों सो जाते हैं।’ ‘नहीं सोना नहीं है मैं सिर्फ पूछ रहा था।’ आशीष बोला।
कुछ देर बाद मैंने मनीष को कहा,’ मनीष, बाथरूम से तेल की बोतल ले आओ। फिर अपनी उँगलियों में बहुत सा तेल लगा कर एक उंगली गांड में डालो और धीरे धीरे अंदर बाहर करो। थोड़ी देर के बाद दूसरी उंगली भी अंदर डालो और अंदर बाहर करते रहो। ऐसा करने से गांड का छेद अंदर तक तेल से चिकना हो जाएगा और उँगलियों की मोटाई का अभ्यस्त हो जाएगा। फिर तुम अपने लंड पर तेल लगा कर उसे बहुत ही चिकना करो और गांड के छेद पर अपना लंड लगा कर एक हल्का सा धक्का मारो ताकि लंड का सिरा अंदर घुस जाए। कुछ देर रुक कर दूसरा धक्का मारो और फिर रुक जाओ। अब गांड तुम्हारे लंड की मोटाई की अभ्यस्त हो जायेगी। थोड़ी देर बाद और दो तीन धक्कों में अपना लंड गांड में पूरा डाल दो और फिर गांड मारने का मज़ा लो।’
‘शालू बाहर सोफे पर चलें?’ मनीष ने पूछा। ‘सोफे पर क्यों? यहीं बिस्तर पर आराम से चोदो’ रचना बोली। ‘जैसे पिछली बार चोदा था उसमें ज़्यादा मज़ा आया था’ मनीष की जीभ फिसली। ‘पिछली बार? क्या तूने पहले भी इनकी गांड मारी है?’ आशीष चौंका।
‘नहीं अभी पहले जब इन दोनों को सोफे पर घोड़ी बनाया था।’ मनीष ने बात संभाली। ‘हाँ ! मैं भी मनीष से सहमत हूँ। सोफे पर घोड़ी बना कर चोदने का मज़ा अलग ही है।’ आशीष ने मनीष का समर्थन किया। ‘ठीक है, हम दोनों को अपनी गोद में उठाओ और बाहर ले जाकर जैसे चाहो चोदो !’ रचना ने अंतिम स्वीकृति दी।
अब वे दोनों हम दोनों को अपनी गोद में उठा कर बाहर ले गए और कालीन पर उतार कर खड़ा कर दिया। आशीष तेल की बोतल लेकर आया और अपने हाथ में तेल लगा कर रचना को बोला,’ रचना, अब मेरा लंड तुम्हारी चूत की तरह तुम्हारी गांड भी फाड़ने के लिये तैयार है !’
‘आशीष अगर लड़की के साथ हमेशा मज़ा करना है तो अपना लंड धीरे धीरे उसकी गांड में डालना क्योंकि हो सकता है तुम्हें पौरुषता लगे कि तुमने लड़की की गांड फाड़ दी परंतु उसके बाद तुम कभी भी उस लड़की के साथ सैक्स का मज़ा नहीं ले पाओगे। यही बात मैंने मनीष को भी समझाई है और अगर मनीष मान लेगा तो जब चाहे यहाँ आकर हमारे साथ सैक्स का मज़ा ले सकता है।’ मैंने आशीष को समझाते हुए कहा और रचना तथा मनीष भी मेरे साथ सहमत थे।
‘नहीं मैं एक बार में लंड नहीं डालूँगा वो तो मैं बस ऐसे ही जोश में कह रहा था।’ आशीष जल्दी से बोला।
‘अब दोनों जल्दी से हमारी गांड मारो !’ रचना घोड़ी बनते हुए बोली।
फिर उन दोनों ने मेरे कहे अनुसार अपनी उँगलियों में तेल लगा कर हमारी गांड में डालीं और कुछ देर के बाद अपने अपने लंड हमारी गांड में घुसेड़ दिये और दनादन हमारी गांड मारने लगे। रचना और मेरी कामुक सीत्कारें निकल रहीं थीं। एक बार फिर मनीष आशीष को सिखाने लगा,’ आशीष, अपनी एक उंगली रचना की चूत में डाल दे। लंड गांड मारेगा और उंगली चूत चोदेगी !’ और उन दोनों ने अपनी एक एक उंगली हमारी चूत में डाल कर अंदर बाहर करनी शुरू कर दी। मनीष तो मेरी गांड पर थप थप हाथ मार मार कर उसे लाल कर रहा था,’ शालू, मेरी जान आज तो मज़ा आ गया ! तुम्हारी बड़ी गांड कितनी सुन्दर है ! दिल कर रहा है रात भर तुम्हारी गांड मारता रहूँ !’
‘मना किसने किया है ! रात भर मेरी गांड मारो मेरी जान ! अब इस पर सिर्फ तुम्हारा ही नाम लिखा है !’ मैं भी उसकी भाषा में उसे जवाब दे रही थी।
करीब पंद्रह मिनट के बाद मनीष मेरी गांड में झड़ गया और मेरे ऊपर गिर पड़ा। थोड़ी देर बाद आशीष भी रचना की गांड में झड़ गया और रचना के ऊपर निढाल हो गया। हम चारों जोर जोर से साँसे ले रहे थे।
फिर थोड़ी देर के बाद हम उठे और अपने आप को साफ़ करके अंदर बेडरूम में जाकर सो गए। अगले दिन सुबह हमने लड़कों को बढ़िया नाश्ता करवाया और रचना दोनों को कहने लगी,’ जब भी तुम दोनों चाहो यहाँ आ सकते हो और सैक्स का मज़ा ले सकते हो !’
थोड़ी देर के बाद मैं आशीष को बेडरूम में ले कर चली गई और उससे कहने लगी,’ ओह्ह आशीष आई लव यू ! मम्म्म ! मम्म्म ! मेरे आशू ! मेरी जान ! पुच्च पुच्च ! मुझे प्यार करो आशू !’ और बाहर रचना मनीष पर टूट पड़ी।
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