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हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम शालिनी है. मेरी उम्र 38 साल है और मेरा फिगर 34-25-43 का है. मैं अयोध्या की रहने वाली हूँ.
मैं काफी गोरी हूँ और मेरी गांड कुछ ज़्यादा ही बड़ी है. जब भी मैं घर से बाहर निकलती हूँ, तो सभी की नज़रें मेरी गांड पर ही टिकी रहती हैं. ये देख कर मुझे अन्दर से ख़ुशी मिलती है. मैं खुद उनकी नजरों को वासना से भर देने के लिए अपनी गांड को और भी ज्यादा ठुमकाते हुए चलने लगती हूँ.
दरअसल मुझे सेक्स करने का बहुत शौक है. इसी वजह से मुझे लगता है कि इन देखने वालों में से किसी न किसी का लंड मेरी चुत में घुस कर मुझे मजा दे.
मेरी सेक्स करने की इतनी अधिक चाहत को सबसे बड़ा सदमा जब लगा था, जब मेरी शादी के चार साल बाद ही मेरे पति का देहांत हो गया था. उस समय मैं सिर्फ तेइस साल की लड़की थी. मेरे मायके में भी किसी ने मेरी दूसरी शादी करने की फ़िक्र नहीं की. मेरे पति से मुझे एक बेटा है.
इधर मेरे मेरे पति का काफी पैसा ब्याज पर चलता था, काफी जायदाद थी. मुझे आर्थिक रूप से किसी बात की कोई कमी नहीं थी. मगर अकेली रह जाने के कारण मैं बेहद मायूस हो गई थी. मेरी बूढ़ी माँ मेरे साथ रहने के लिए आ गई थीं. जिससे मुझ पर कोई गंदी निगाह न डाल सके.
इस सबसे मुझे जीवन जीने में तो किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो रही थी. मगर पति का देहांत हो जाने के बाद से ही मुझे शारीरिक सुख नहीं मिल पा रहा था.
पति के जाने के कुछ दिन तक तो ऐसे ही मैंने दिन निकाल दिए. मगर इसके बाद मेरी कामवासना ने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया और मैंने सेक्स वीडियोज व सेक्स कहानी पढ़ना शुरू कर दी थीं. मैं जवान थी और मेरी आग बुझने का नाम ही नहीं ले रही थी.
पति ने मुझे शराब का चस्का लगा दिया था तो बस मैं अपनी एक कामवाली से शराब मंगा कर रात को नशा करके और अपनी चुत में उंगली करके सो जाती थी. इसी तरह मेरे जीवन के सोलह वर्ष निकल गए. अभी दो वर्ष पहले मेरी माँ भी चल बसीं. अब मैं अपने जवान हो चुके बेटे के साथ घर में तन्हा रह गई थी.
माँ के जाने के बाद मैंने इस बीच शहर से बाहर जाने का अवसर खोज कर कुछ कॉलब्वॉय आदि से अपने जिस्म की आग शांत भी करवाई थी. मगर मेरी आग शांत नहीं हो रही थी. मुझे ऐसा लगता था कि घर में ही कोई ऐसी व्यवस्था हो जाए, जिससे मेरी चुत के लिए लंड मिलता रहे.
एक दिन मैं अन्तर्वासना पर प्रकाशित एक सेक्स कहानी पढ़ रही थी. कुछ कहानी पढ़ने के बाद मुझे एक सेक्स कहानी बहुत पसंद आई, जिसमें एक औरत अपने बेटे के दोस्त से सेक्स करवाती है.
इस कहानी को पढ़ कर मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने इस विषय में सोचना शुरू कर दिया. कुछ देर सोचा, तो पाया कि मेरे बेटे की सभी दोस्त मुझे भी बहुत घूर घूर कर देखते हैं और वो मुझे छूने या बात करने का कोई बहाना नहीं छोड़ते हैं. मैंने सोचा कि क्यों ना मैं भी ये ट्राइ करूं.
इस सोच ने मेरे मन को मजबूती देना शुरू कर दिया था. अगले दिन से मैं और भी खुले और सेक्सी कपड़े पहनने लगी. जिसमें से मेरे शरीर का अंग अंग दिखे.
अब जब भी मेरे बेटे का कोई भी दोस्त घर आता, तो मैं उससे बहुत प्यार से बात करती और उनको अपने चूचे या साड़ी हटाते हुए अपनी सेक्सी नाभि या कभी अपनी 43 इंच की मटकती गांड को दिखा दिखा कर मैं उन सबको खूब तड़पाती.
उनकी नजरों में मुझे एक जवान लंड की चाहत दिखती जिससे मेरी चुत में आग और भी ज्यादा लग जाती.
कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. मैं उसके किसी दोस्त को अपनी चुत के लिए खोज रही थी. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि कैसे अपनी आग को शांत करूं.
तभी एक वाकिया हुआ.
हमारे शहर में अयोध्या महोत्सव होता है. उस समय मेरा बेटा घर पर था. मैं भी घर पर बहुत बोर हो रही थी. मैंने सोचा वहां जाकर घूम आऊं. मैंने अपने बेटे से चलने को बोला, तो उसने कहा- आप अकेली चली जाओ मम्मी. अभी मेरा दोस्त आ रहा है और मुझे कुछ काम है.
मैंने उसको घर ही पर रहने दिया और मैं तैयार होकर अकेली ही चली गई.
मैंने आज ब्लू साड़ी पहनी थी. उसके साथ मैंने स्लीवलैस ब्लाउज पहना था. इस ब्लाउज का गला काफी गहरा था. जिसमें से मेरे आधे से अधिक दूध अपनी छटा बिखेर रहे थे.
मैं तैयार होकर महोत्सव में आ गयी. यहां पहले से बहुत भीड़ थी. मैं अकेली ही इधर उधर घूमने लगी और दुकानों पर सजा सामान देख रही थी. तभी पीछे से भीड़ का फायदा उठाते हुए एक इक्कीस या बाईस साल के लड़के ने मेरी गांड पीछे से दबा दी.
मैं तुरंत पलटी और उसको ढूँढने लगी, जिसने मेरी गांड पर हमला किया था. मगर मुझे वो दिखा ही नहीं. उसकी गांड मसलने की हरकत ने मेरी कामनाओं को परवान चढ़ा दिया था. मेरे मन में भी थोड़ी शरारत सूझी तो मैंने अपने मन में ऐसा ही कुछ करने की ठान ली.
अब जहां पर ज़्यादा आदमियों की भीड़ होती, उसमें मैं भी घुस जाती और सामान देखने लगती. इसी बहाने कई आदमियों, लड़कों और बुड्डों ने भी मुझे छुआ और कभी मेरे मम्मों को, तो कभी गांड को सहलाया जाता रहा. मैं भी खड़ी रहकर इस सबका मज़ा ले रही थी.
यहां काफ़ी देर मज़ा लेने के बाद मैं स्टेज की तरफ चली गयी. वहां पर प्रोग्राम हो रहा था. मैं भी भीड़ में खड़ी होकर प्रोग्राम देखने लगी.
उधर मेरे पीछे एक धोती वाला बाबा टीका लगाए हुए खड़ा था. वो मुझे हाथ पर टच करने लगा. मैंने भी उसको कुछ नहीं बोला और उसी के आगे शांत खड़ी रही.
इससे उसका हौसला बढ़ गया और वो पहले तो धीरे से … फिर कुछ तेज़ से मेरी गांड को टच करने लगा. मुझे भी मज़ा आने लगा. मेरी किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया न होने पर उसने अपना हाथ मेरी कमर पर रख दिया और मेरी प्रतिक्रिया का इन्तजार करने लगा.
मैंने अब भी कुछ नहीं कहा, तो वो मेरी कमर को दबाने और सहलाने लगा और फिर कमर से हाथ आगे मेरी नाभि पर लाकर उसमें उंगली करने लगा. उसकी इस हरकत ने तो मुझे पागल सा कर दिया. मैं एकदम पीछे हो कर उससे सट गयी और अपनी गांड से उसके लंड को दबाने लगी.
कुछ ही देर बाद उसने एक हाथ से मेरे एक चूचे को पकड़ा और ज़ोर से दबा दिया. मुझे हल्का सा दर्द हुआ, तो मैंने उसको हल्का सा पीछे धकेल दिया.
इससे वो समझ गया कि मुझे लग रही है. कुछ पल बाद उसने फिर से हाथ को मेरे दूध पर रखा और धीरे धीरे से मेरे दूध को मसलने लगा. मैंने ब्लाउज के नीच ब्रा नहीं पहनी थी. मेरा ब्लाउज भी पतले कपड़े का था, जिसमें से मेरे निप्पलों ने कड़क होना शुरू कर दिया था और झीने से ब्लाउज में मेरे चूचुक एकदम तन गए थे.
वो बूढ़ा बाबा अपने दोनों हाथों से मेरे निप्पलों को सहलाने और मींजने लगा. उसका लंड मेरी गांड की दरार में आग लगा रहा था. कुछ देर तक हम दोनों ने वहां पर यूं ही मस्ती मजा किया.
फिर उस धोती वाले आदमी ने मुझे कान में धीमे स्वर में अपने पीछे आने को बोला. तो मैंने भी हां कर दी. वो एक तरफ को जाने लगा, तो मैं भी उसके पीछे चलने लगी. स्टेज से थोड़ी दूर पर ही कुछ कमरे बने थे, जहां पर सब प्रतिभागी तैयार हो रहे थे. मैं उधर आ गयी. वो बाबा मुझे तीसरे फ्लोर पर ले गया. वहां से चढ़ कर ऊपर गए तो सीढ़ी से साथ के ही सामने पहले एक कमरा था.
वो मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर ले गया. उस कमरे के अन्दर एक और कमरा था. वहां ज़मीन पर गद्दा बिछा था. मैं उसके साथ अन्दर चली गयी और एक तरफ खड़ी हो गई. उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा दिया. मैं भी मुस्कुरा दी. मेरी मुस्कान देखते ही वो मुझ पर टूट पड़ा.
मुझे पूरे शरीर पर हर जगह उसने चूमा और चाटा. मेरा पल्लू हटा दिया और मेरा ब्लाउज उतार कर साइड में रख दिया. अब मेरी चौंतीस इंच की बड़ी बड़ी चुचियां उसके सामने नंगी थीं. जिसको देख कर वो खुद को ना रोक सका और मेरी चूचियों को चूसने लगा. मुझे भी अपने मम्मे चुसवाने में मजा आने लगा. उसने मेरी चूचियों को चूस चूस कर लाल कर दिया.
मैंने उसके लंड पर हाथ लगा दिया. ये देख कर वो अपनी धोती उठा कर ज़मीन पर सीधा लेट गया और मुझे अपना लंड चूसने को बोला.
मैं बैठ गई और उसका आठ इंच का लंड पकड़ कर सहलाने लगी. उसने लंड चूसने का कहा, तो मैंने उसके मोटे लंड को अपने होंठों से लगा लिया और उसके लंड का मज़ा लेने लगी.
मैंने पांच मिनट तक उसके लंड को बड़े प्यार से चूसा. वो एकदम खौल गया था. उसने अपनी कमीज की जेब से एक दारू का अद्धा निकाला और नीट ही हलक से नीचे उतारने लगा. मैंने उसके हाथ में दारू देखी, तो मैंने भी उससे अद्धी लेकर दो घूंट खींच लिए. साली बहुत तेज दारू थी, अन्दर आग की लकीर सी खींचती चली गई.
मैं मुँह का स्वाद सही करने के लिए उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. कुछ ही देर में नशा हावी होने लगा और उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने ऊपर बैठा लिया.
अब वो मेरी गरमागरम चूत में अपना लंड डालने लगा. मैंने भी उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी प्यासी चुत में सैट कर लिया. उसका लंड सरसराता हुआ मेरी गीली हो चुकी चुत में घुस गया. मेरी एक मस्त आह निकल गई.
वो लंड अन्दर करते ही मुझे चोदने लगा. उसका लंड मेरी बच्चेदानी तक चोट कर रहा था. मुझे भी चुदने में मज़ा आ रहा था. मैं अपने कंठ से कामुकता भारी आवाजें निकाल कर और अपनी गांड उठा उठा कर उससे चुदवाने लगी.
कुछ देर तक मुझे चोदने के बाद वो खड़ा हुआ और अपना लंड मेरे मुँह में डाल कर ज़ोर ज़ोर से धक्का देने लगा. कुछ देर में वो मेरे मुँह में ही झड़ गया.
उसका पानी मेरे गले की प्यास बुझाने लगा. अब मेरी चुत और मेरे गले की प्यास उसके लंड ने बुझा दी थी. हमारी चुदाई को करीब आधा घंटा हो गया था.
अब मैं वहां से उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी और बाहर निकल आई. जैसे ही मैं बाहर आई, तो मैंने देखा कि मेरे बेटे का एक दोस्त सामने खड़ा था. उसे देख कर मैं एकदम से चौंक गई और अपने मुँह को ढकने लगी.
इस सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको आगे बताऊंगी कि बेटे के दोस्त ने मेरी चुदाई कैसे की.
आपके मेल मुझे उत्तेजित और उत्साहित करते हैं. प्लीज़ जरूर लिखिएगा. [email protected]
कहानी का अगला भाग: मेरी चूत की प्यास कैसे बुझी-2
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