This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरी चूत की प्यास की कहानी के पहले भाग मेरी चूत की प्यास कैसे बुझी-1 में मैंने आपको बताया था कि मुझे एक अधिक उम्र के आदमी ने हचक कर चोद दिया था. जब चुद पिट कर मैं कमरे से बाहर निकली तो मेरे बेटे का एक दोस्त बाहर खड़ा था.
अब आगे:
उसने मुझे देख कर नमस्ते किया और बोला- अरे आंटी, आप यहां कैसे? मैंने बोला कि मैं घूमने आई थी. उसने बोला- वो तो मालूम है मुझे … लेकिन घूमने वाली जगह सामने है, आप यहां क्या कर रही हैं. मैंने बात बनाते हुए कहा कि मेरी सहली एक बेटी का भी डांस का प्रोग्राम है, तो मैं उसी को देखने आई थी. वो बोला कि आईए आंटी हम दोनों साथ में घूमते हैं. मैं भी अकेले घूमने में बोर हो रहा था … आपको भी साथ मिल जाएगा.
मैंने हामी भर दी और हम दोनों साथ में घूमने लगे. उसने बोला- चलिए आंटी झूला झूला जाए. मैंने बोला कि नहीं बेटा … आप अकेले झूल लो … मुझे डर लगता है. वो मुझे बहुत फोर्स करने लगा, तो मैं तैयार हो गयी.
अब वो बड़े गोल वाले झूले के दो टिकट ले आया. हम दोनों झूले के पास चले गए. हम दोनों आमने सामने वाली सीट पर बैठे थे. कुछ देर में झूला घूमना शुरू हो गया.
जैसे ही झूला ऊपर गया, तो मुझे तो बहुत डर लगने लगा. मैं एकदम से चिल्लाने लगी. उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- आंटी आप डरो मत. मैं आपके साथ हूँ.
फिर जब झूला नीचे आने लगा, तो जैसे मुझे लगा कि मेरी जान ही निकल जाएगी. मैं जाकर उसकी गोद में बैठ गयी और मैंने उसको कसके पकड़ लिया. उसने भी मेरे पेट पर हाथ रख दिया और मुझे पकड़े रहा. उसका दूसरा हाथ मेरे मम्मों पर आ गया था.
डर के मारे मेरी तो जान ही निकली जा रही थी. मैं चीखती रही और वो मुझे अपनी बांहों में कसे रहा. इसी बीच वो मेरी चूचियों को दबाते हुए मजा लेता रहा. इस समय उसे झूला के मजे के साथ मेरी चूचियां भी मजा दे रही थीं. वो मस्त होकर मुझे भींचे हुए थे.
कुछ देर बाद वो झूला रुका, तो मैं उसके ऊपर से उतरी. उसने हंसते हुए कहा- देखा आंटी कितना मज़ा आया.
मुझे ये बात समझ नहीं आई कि वो झूला झूलने को बोल रहा था या जो मेरे साथ उसने किया उसको लेकर मजा की बात कह रहा था.
मैंने कहा मेरी तो जान ही निकल गई थी और तुम मेरा मजा ले रहे थे. वो बोला- आंटी हां मुझे मुझे दोहरा मजा आ गया. मैंने उसकी आंखों में झांक कर पूछा- दोहरा मजा कैसे आया? वो मेरे इस सवाल से सकपका गया और बोला- मेरा मतलब एक तो झूला का मजा और दूसरा आप चीख रही थीं न … तो मुझे आपकी चीखों से मजा आ रहा था. मैंने कहा- अच्छा तो तुमको मेरी चीखों से मजा आ रहा था और मैं मरी जा रही थी.
हम दोनों की इन दो अर्थी बातों से हम दोनों ही समझ रहे थे कि क्या बात चल रही है.
फिर हम दोनों एक दूसरे के हाथ पकड़ कर इधर उधर घूमा. मैंने कुछ शॉपिंग भी की और खाया भी. हम दोनों ने बहुत मज़ा किया.
फिर जब हम दोनों बाहर निकले. तो उसने बोला- आप किस साधन से आई हो आंटी? मैं बोली कि मैं तो ऑटो से आई थी. उसने बोला- चलो … मैं आपको घर तक छोड़ देता हूँ.
उसके पास कार थी, तो उसने मुझे घर छोड़ा और वो बाहर से ही चला गया.
अब कुछ दिनों तक सब ऐसा ही चलता रहा. एक दिन शाम को मेरा बेटा शादी में गया था, तो देर ज़्यादा होने लगी.
मैं उसका फोन ट्राई करने लगी, तो मिल ही नहीं रहा था. मैंने उसके एक दोस्त को फोन किया, जो मेरे घर के पास ही में रहता था.
मैंने उसको पता लगाने का बोला. तो उसने बोला- ठीक है आंटी मैं देखता हूँ.
कुछ देर बाद मेरे घर की डोरबेल बजी. मैं दरवाजा खोलने गयी, तो देखा कि उसका वही दोस्त बाहर था, जिसको मैंने फोन किया था.
मैंने बोला कि क्या हुआ … कुछ पता चला? उसने बताया कि आंटी उसका एक्सीडेंट हो गया है और वो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में हैं.
ये सुनकर मैं एकदम से घबरा गयी और रोने लगी. उसके दोस्त ने मुझे चुप कराया और मैं उसके साथ उसकी बाइक से हॉस्पिटल आ गयी.
मैंने देखा कि वो बेड पर लेटा हुआ था और उसके पैर में फ्रेक्चर हो गया था. उसे काफी चोट भी आई थी.
फिर कुछ देर के इलाज के बाद डॉक्टर ने बोला कि इसको अभी एड्मिट करना पड़ेगा.
मैंने उसे एक प्राइवेट वार्ड में एड्मिट करवा दिया. गर्मी का मौसम था, तो जनरल वार्ड में इस मौसम में बहुत दिक्कत हो सकती थी.
थोड़ी ही देर में उसके सभी दोस्तों को मालूम चल गया था और सभी दोस्त उसको देखने आए और चले गए.
उसके दो दोस्त वहीं पर रुक गए और मुझसे बोले कि आंटी आप घर चली जाओ … हम दोनों इसका ध्यान रख लेंगे.
मुझे मेरे घर में भी मन ना लगता … मुझे रात भर अपने बेटे की फिक्र होती रहती. तो मैंने यहीं रुकने का फ़ैसला कर लिया.
वो दोनों दोस्त खाना ले आए और हम तीनों ने साथ में खाया. कुछ देर बाद डॉक्टर साब आए और मेरे बेटे का चैकअप किया. डॉक्टर ने उसको एक इंजेक्शन दिया और वो सो गया.
डॉक्टर के जाने के बाद मैं वाशरूम गयी और जब वापस आई, तो देखा कि उसका एक दोस्त वहीं लेफ्ट साइड की बेंच पर ही सो गया था. ये वही दोस्त था, जिसके साथ मैंने झूला का मजा लिया था. मैं जाकर उसके बगल में बैठ गयी.
कुछ देर बाद उसका दूसरा दोस्त भी आ गया और वो मेरी दूसरी साइड बैठ गया. मैं उन दोनों के बीच में थी. कुछ देर बाद मेरी भी आंख लग गयी.
रात में मुझे कुछ महसूस हुआ, तो मैंने थोड़ी सी आंख खोल कर देखा. वो जो पहले सो गया था, वो मेरी जांघ पर अपना हाथ फेर रहा था और शायद उसने कमरे की बड़ी लाइट बंद करके छोटी जला दी थी.
चूंकि मैं अब जाग रही थी, लेकिन आंखें मूंदे हुए थी, तो उसे ये बात नहीं पता थी. कुछ देर तक मेरी जांघ सहलाने के बाद वो अपना हाथ मेरी चुचियों पर ले आया. पहले तो कुछ देर वो अपना हाथ मेरी चूचियों पर बस यूं ही रखे रहा. शायद वो ये देख रहा था कि मैं सो रही हूँ या नहीं. मैंने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं क्या तो वो समझ गया कि मैं गहरी नींद में सो रही हूँ.
वो धीरे से मेरे चूचों को सहलाने लगा … फिर दबाने लगा. एक मिनट बाद वो मेरा हाथ अपने लंड पर रख कर लंड सहलवाने लगा.
मैं भी गहरी नींद में सोने का नाटक कर रही थी. कुछ देर बाद उसका लंड पूरा खड़ा हो गया और उसने अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथ से पकड़ा दिया और धीरे धीरे से हिलाने लगा. वो दूसरे हाथ से मेरा पल्लू नीचे करके मेरी चुचियों का मानो नाप ले रहा था … मतलब दबा रहा था.
कुछ देर मज़ा लेने के बाद वो थोड़ा साइड में हुआ और तिरछा होकर बैठ गया. उसने मेरा सर पकड़ कर धीरे से अपनी गोद में यूं ले लिया जैसे वो मुझे सुलाने के लिए झुका रहा हो. ऐसा करके उसने मेरे मुँह को अपने तने हुए लंड पर रख दिया. फिर उसने अपने हाथ से मेरे गाल दबा कर मुँह खोल कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसाने लगा.
मैंने अपने मुँह में उसका लंड ले लिया. वो धीरे धीरे अपने लंड से मेरे मुँह को मानो चोदने लगा. कुछ देर बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गया और फिर उसने मुझे सीधा करके मेरे कपड़े सही कर दिए और मुझे लिटा दिया. मेरे मुँह में उसका वीर्य का खट्टा स्वाद मुझे वासना से भर रहा था.
कुछ देर में मैं फिर से सो गयी.
सुबह जब मेरी आंख खुली, तो देखा कि मेरे बेटे का दोस्त उसको ब्रेड खिला रहा था. कुछ देर मैं भी उसी के पास रही और उसके दोस्त से बोली कि इसका ध्यान रखना … मैं कुछ देर के लिए घर से होकर आती हूँ.
जैसे ही मैं निकलने लगी, तो उसका वही दोस्त सामने खड़ा था, जिसने मुझे रात को अपना लंड चुसाया था. उसको तो ये मालूम नहीं था कि मुझे भी मालूम है कि रात को क्या हुआ था.
उसने पूछा कि आंटी आप कहां जा रही हैं? मैंने बोला कि घर जा रही हूँ. उसने कहा कि चलो मैं आपको छोड़ देता हूँ. मैं उसके साथ घर आ गयी. वो बाहर ही खड़ा रहने का कहते हुए बोला कि आप जल्दी से काम खत्म करके आ जाओ, मैं बाहर खड़ा हूँ. मैंने बोला- अरे बाहर क्यों हो … आओ अन्दर आ जाओ.
मेरे कहने से वो अन्दर आ गया. मैंने उससे कहा कि बेटा मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ.
मैं किचन में गयी और चाय चढ़ा कर कमरे में आ गई. मैंने कपड़े बदल लिए. मैं घर में हमेशा नाईटी ही पहनती हूँ. आज मैंने जानबूझ कर एकदम सेक्सी वाली नाइटी को पहन लिया. इसमें मेरे चौंतीस इंच के चूचे एकदम बाहर थे. मैंने ब्रा जानबूझ कर नहीं पहनी थी.
कुछ देर बाद में उसके लिए नाश्ता और चाय बना कर ले आई. मैंने जानबूझ कर उसके सामने झुक कर टेबल पर ट्रे को रखा. जैसे ही उसकी निगाह मुझ पर पड़ी, तो वो बस मेरे मम्मों को देखता ही रह गया. मैं वहीं बैठ गई और हम दोनों ने चाय पी.
मैं- क्या अब तुम घर जाओगे? वो- नहीं मैं घर नहीं जा सकता. मेरा घर दूर है … मैं हॉस्पिटल में जाकर नहा लूँगा. मैं- अरे नहाना ही है, तो यहीं पर नहा लो. मेरे बेटे के कपड़े पहन लेना. वो- हां, ये ठीक है आंटी.
मैंने उसको तौलिया दे दिया और उसको बाहर वाला बाथरूम इस्तेमाल करने को बोल दिया. वो एक ही मिनट बाद बाथरूम में से बाहर निकल कर आ गया और बोला कि आंटी इसमें तो पानी ही नहीं आ रहा है.
तभी मुझे भी याद आया कि इसका नल खराब है. मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं, तुम मेरे बेटे के कमरे वाले बाथरूम में बाथरूम में चले जाओ. तब तक मैं तुम्हारे लिए कपड़े निकाल देती हूँ.
वो चला गया और नहाने लगा. मैं भी अपना काम खत्म कर चुकी थी, इसलिए अपने रूम में आ गयी. मुझे इस समय ये बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि मेरा बाथरूम कोई इस्तेमाल कर रहा है. मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपने पूरे शरीर पर तेल लगाने लगी.
उसी समय एकदम से बाथरूम का दरवाज़ा खुला और वो मेरे सामने तौलिया में खड़ा था. मैं उसके सामने पूरी नंगी थी. उसको देखते ही मैं तुरंत खड़ी हुई और अपने एक हाथ से बूब्स को, तो दूसरे हाथ से अपनी चूत को छुपाने लगी.
वो मुझे नंगा देख कर मेरे पास आया और उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया. मैंने उससे अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा- ये क्या कर रहे हो तुम? तुम तो बेटे के कमरे वाले बाथरूम में नहाने गए थे!
उसने बोला- मुझे आपके कमरे वाले बाथरूम में ही नहाना था. प्लीज़ आंटी एक बार कर लेने दो … बहुत दिन से आपको पटाने की कोशिश कर रहा हूँ … आज मौका मिला है. मैंने उससे बोला- नहीं … ये सब ग़लत है. उसने बोला- कुछ ग़लत नहीं है.
इतना बोलते हुए वो मुझे किस करने लगा. अब मर्ज़ी तो मेरी भी थी, लेकिन मैं तुरंत तो उससे नहीं चुदवा सकती थी … तो पहले मैंने थोड़ा नाटक किया. लेकिन उसने मेरी एक ना सुनी और मुझे बेड पर लिटा कर मेरी चूत चाटने लगा.
मैंने भी खुद को उसके हाथों में छोड़ दिया और आंख बंद करके मज़ा लेने लगी. तकरीबन दो मिनट तक उसने मेरी चूत चाटी और अपनी तौलिया खोल कर मुझे लंड चुसवाने लगा. मुझे भी उसका लंड एक बार चूस कर बहुत मज़ा आया था. अब दुबारा से मैं खुद ही बड़े प्यार से उसका लंड चूसने लगी.
कुछ देर की लंड चुसाई के बाद वो खड़ा हो गया. उसने मुझे भी दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. मेरी एक टांग उठा कर उसने मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और मुझे धकापेल चोदने लगा.
कुछ देर मेरी बुर चोदने के बाद उसने मुझे उल्टा करके बेड पर लिटा दिया. मेरे पैर को ज़मीन पर ही रखकर अपनी एक टांग ऊपर कर दी. फिर उसने मेरी गांड के छेद पर अपना लंड सैट किया और एक झटके में पूरा अन्दर डाल दिया. मेरी दर्द भरी कराह निकल गई.
वो बड़ी बेदर्दी से मेरी गांड चोदने लगा और कुछ देर बाद मुझे भी गांड मराने में मजा आने लगा.
कोई बीस मिनट तक हम दोनों ने ये चुदाई का खेल खेला. फिर उसने अपना सारा माल मेरी चुचियों पर ही छोड़ दिया और मेरी बगल आकर लेट गया.
वो बोला- आंटी आपको चोद कर मज़ा आ गया. मैंने भी उसे चूम लिया.
कुछ देर बाद हम वहां से हॉस्पिटल चले आए. अगले दो दिन तक मेरा बेटा वहां पर भर्ती रहा. उसके उसी दोस्त ने बारी बारी अपने सभी दोस्तों को मुझे चोदने के लिए बताया, तो उन सभी ने मुझे कभी हॉस्पिटल में, तो कभी मेरे घर में मुझे कुतिया बना कर चोदा. अब वो सब मेरे चोदू यार बन गए हैं.
अब उनमें से कोई भी दोस्त जब भी मेरे घर आता, मुझे कुतिया बना कर चोद कर चला जाता. इससे मेरी चुत के लिए कई लंड उपलब्ध हो गए थे और मुझे चुत की आग के साथ अपनी गांड मरवाने का सुख भी मिलने लगा था.
मेरी चूत की प्यास की कहानी पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया. मुझे मेल जरूर करें. [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000