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प्रेषक : राजवीर सिँह प्रेम
मैं राजवीर सिँह मध्य प्रदेश का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 साल है। मेरा कद 6’2″ है। मेरा लंड 7″ का है। रंग गोरा है। मैँ बहुत समय से अन्तर्वासना का पाठक हूँ।
बात आज से 2 माह पहले की है। एक दिन मुझे मेरी गर्लफ्रैंड श्रुति का फोन आया, उसने कहा- मुझे तुमसे मिलना है, घर आ जाओ, आज घर में कोई नहीं है।
मैं जल्दी ही उसके घर पहुँच गया। मैं श्रुति के घर के बाहर देख रहा था कि मोहल्ले में कोई है तो नहीं।
तभी श्रुति के घर के अन्दर देखा तो श्रुति ने मुझे अन्दर आने का इशारा किया। मैं अन्दर चला गया।
श्रुति ने मुझे बैठने को कहा लेकिन मैंने उसे बाहों में भर कर चूमना शुरु कर दिया।
श्रुति ने कहा- थोड़ा सबर करो !
फिर श्रुति ने मुझसे चाय के लिए कहा तो मैंने मना करते हुए कहा- तुम अपने हाथों से सिर्फ़ एक गिलास पानी पिला दो ! उसके बाद मैं तुम्हारे लाल-2 होंठों का रस पिऊँगा। क्या पिलाओगी मुझे?
“क्यों नहीं? इसीलिये तो बुलाया है।”
श्रुति पानी ले आई मैंने पानी पी लिया। फिर श्रुति मेरी गोद में बैठ गई, कहने लगी- मुझसे जुदा न होना ! मैं सहन नहीं कर पाऊँगी।
मैंने कहा- श्रुति, मैं सिर्फ़ तुमसे प्यार करता हूँ, तुझे किसने कहा कि मैं तुझसे जुदा हो जाऊँगा?
श्रुति ने कहा- डर लगता है।
“कुछ नहीं होगा, मैं सिर्फ़ तुझसे शादी करूँगा ! अगर तुम्हारी शादी किसी और के साथ हो गई तो मैं मर जाऊँगा।”
श्रुति ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- हम दोनों साथ मरेंगे !
फिर मैंने श्रुति की चूचियों को मसलना शुरु किया तो श्रुति ने भी मेरे होंठों को चूमना शुरु कर दिया, दोनों को काफी मजा आ रहा था।
फिर मैंने श्रुति का कमीज उतार दिया, उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था। अब श्रुति की चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी जो गोल और काफी छोटी थी।
चूचियों के मसलने से श्रुति पर नशा छाने लगा, श्रुति ने मेरी पैंट की ज़िप खोली, मेरे लोले को बाहर निकाल कर हाथ से सहलाने लगी।
मैं श्रुति की चूत को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगा। यह खेल पंद्रह मिनट तक चला।
मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है।
श्रुति ने कहा- निकलने दो।
फिर मेरे लोले से पिचकारी लगी और मेरा माल श्रुति की चूचियों पर जा गिरा, श्रुति हंसने लगी।
मेरा लोला श्रुति जैसी कली के लिये काफी बड़ा था। मैंने श्रुति की चूचियों को तौलिए से साफ किया !
अब श्रुति मुझे चूमने लगी, कहने लगी- आज मेरी चूत मारो, इस पर सिर्फ़ तुम्हारा अधिकार है।
फिर मैंने श्रुति की चूचियों को मसलना शुरु कर दिया, श्रुति मेरे लोले को सहलाने लगी। यह खेल दस मिनट तक चलता रहा।
श्रुति काफी गर्म हो चुकी थी, कह रही थी- जल्दी करो !
मैंने भी देर नहीं की, श्रुति की चूत को देखा, श्रुति की चूत बिल्कुल बन्द थी, मैं उसकी की चूत में उंगली से सहलाने लगा तो श्रुति उछलने लगी।
मैंने देर न करते हुए श्रुति के दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और लोले को चूत पर रगड़ने लगा।
उसने कहा- अब घुसेड़ दो अन्दर !
फिर मैंने जोर से धक्का मार लोले का सुपारा एक ही झटके में अन्दर कर दिया, फिर बिना देरी किये दूसरा धक्का मारा तो आधा लण्ड अन्दर चला गया।
श्रुति दर्द से कराहने लगी, उसकी चूत से खून आने लगा, फिर भी मैं अपने काम में लगा रहा। फिर मैंने तीसरा धक्का मारा और पूरा लण्ड अन्दर !
फिर श्रुति के मुँह से किलकारी निकली, मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और कहा- सब ठीक हो जाएगा।
फिर पांच मिनट रुकने के बाद धक्के लगाने शुरु किये तो श्रुति को भी मजा आने लगा, वह भी मेरा साथ देने लगी। लगभग बीस मिनट बाद मैं और श्रुति दोनों इकट्ठे ही झड़ गये मैं श्रुति की चूत में ही झड़ गया।
इस खेल में हम दोनों को बड़ा मजा आया और श्रुति काफी खुश दिख रही थी ! श्रुति के घर वालों का आने का वक्त हो रहा था तो हमने जल्दी से कपड़े पहने और मैं अपने घर चल दिया।
मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे इमेल करें !
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