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खुली आँखों का सपना-1
पहले भाग में मैंने अपने स्कूल टाइम की बात बताई थी कि कैसे मैंने आशा मिस को चोदा था. उसके बाद भी कई बार उनको चोदा, लेकिन कविता मिस को एक बार भी कुछ नहीं कर पाया. स्कूल से निकलने के बाद भी कविता से बात नहीं हो पाई. सब कुछ सही था.
एक दिन अचानक चार साल बाद कविता मुझे मिली बस में. इत्तेफाक से एक ही सीट पर बैठे हुए थे, बातें शुरू हुई, वो इन 4 सालो में अपने परिवार के साथ अपने गाँव में थी. मैंने उसका फोन नंबर ले लिया उसने मेरा. फिर हमारी फोन पर बातें होने लगी.
एक दिन और बस में थे हम अभी खड़े थे, उसकी गांड मुझे दिखाई दे रही थी, मैंने पहले की तरह ही उसके गांड पर हाथ लगा दिया, उसने घूर के मुझे देखा और मुस्कुरा दी. फिर हम बैठ गए तो उसने कहा- सुधरे नहीं? पहले जैसे ही हो. यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं. मैंने कहा- हाँ वो तो है.
फिर बातों बातों में मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा. वो भी मस्त होने लगी. आधी बस खाली थी मैंने यहाँ वहाँ देखा और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, उसने फिर आना कानी की पर दूसरी बार पकड़ लिया.
आधा खड़ा हुआ था कि स्टॉप आ गया. वहीं पास में पार्क था, दोनों वहीं चल दिए और एक कोने में झाड़ियों के पीछे छुप कर बैठ गए, जाते ही मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और हाथों से उसके चूचे दबाने लगा. उसका सूट ऊपर कर दिया और ब्रा को हटा कर चूचियाँ दबाने लगा और चूसने लगा. इस बार उसने अपने आप ही मेरा लंड पकड़ लिया, पैंट की ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और सहलाने लगी.
लंड पूरा खड़ा हो गया था. मैंने भी उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पेंटी के अंदर हाथ डाल दिया. फिर वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा. कई कपल देख-देख कर जा रहे थे, मैं बस देख कर मुस्कुरा रहा था.
15 मिनट बाद मैं उसके मुँह में ही झर गया और साथ में वो भी.
कुछ दिन बाद हमारी फोन पर भी शरारत भरी बातें भी होने लगी, जैसे क्या पहना है, क्या साइज़ है कितने बड़े है, किस रंग का है, और भी बहुत कुछ! इसमें यह भी मालूम चल गया की गाँव में उसका एक बॉय फ्रेंड भी बन गया था, और एक बार चोद कर छोड़ दिया था. उसकी उम्र अब 30 साल हो गई थी पर शादी नहीं हुई थी. दिखने में पहले से भी मस्त हो गई थी.
सब तय हो गया, उसने मुझे सन्डे को घर पर बुलाया और कहा- अंडरवियर न पहन कर आना.
इस बीच हमने दो बार फोन सेक्स भी किया.
सन्डे आ गया, मैं तैयार होकर उसके घर पहुँच गया. वो तभी नहा कर आई थी, सिर्फ तौलिये में थी और जैसे ही मैं बेड पर बैठा, सीधा कूद के मेरे ऊपर झपट पड़ी और चुम्बनों की बारिश कर दी. उसका तौलिया खुल गया और वो नंगी हो गई.
मैंने भी उसके पटक दिया और उस पर चुम्बनों की बौछार कर दी. एक एक करके उसकी चूचियाँ चूसी, कस कस के दबा रहा था.पहले बार उसे पूरी तरह नंगी देख रहा था. मेरा 4 साल पहले का खुली आँखों से देखा गया सपना आज सच होने जा रहा था.
मैं उसके निप्पल खींच खींच कर चूस रहा था. फिर मैं उसकी चूत पर आ गया और चूत में जीभ डाल कर चूसने लगा, उसकी क्लिट रगड़ने लगा.
फिर उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत चाटी. उसकी चूत एकदम गीली हो गई. अब उसने मुझे लेटा कर मेरे कपड़े उतारे और लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया. उसने कहा- अब डाल दो इसमें और अपनी सालों पुरानी तमन्ना पूरी कर लो.
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक धक्के में आधा लंड उसकी चूत में गया. उसकी आह निकल गई पर पूरी न निकल सकी तभी मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसे चूसने लगा. फिर थोड़ी देर वैसे ही अन्दर-बाहर किया और उसे फिर एक जोरदार धक्का दिया और पूरा लंड उसकी चूत में, उसकी आवाज घुट कर रह गई.
फिर उसे आराम मिला तो वो अपनी गांड उठाने लगी और मैं भी धक्के लगाने लगा. अब मैं पूरा लण्ड बाहर निकाल निकाल कर उसे चोद रहा था. वो कहने लगी- इतने दिनों बाद किया, थोड़ा आराम से नहीं डाल सकते थे? मैंने कहा- कोई नहीं मिस, पीछे से डालूँगा तो आराम से डालूँगा. आशा मिस ने तो नहीं दी थी पीछे से. तो वो कहने लगी- उस रंडी का नाम मत लो, कई लोगों के साथ कर चुकी है मेरे घर ही. अब मुझे अच्छे से चोदो, मैं तुम्हारी सारी इच्छा पूरी करुँगी.
फिर मैं उसे तेज तेज चोदने लगा और उसकी चूचियाँ चूसने लगा और 20 मिनट तक चोदते चोदते उसकी चूचियों को मुँह से नहीं निकाला और वो कुछ देर पहले झर गई, मैं कुछ देर बाद. कुछ देर हम लेटे रहे, फिर हमने एक दूसरे को साफ़ किया और वो कुछ खाने को ले आई.
उसने पहले से ही पिज़्ज़ा, चोकलेट और आइसक्रीम मंगा रखी थी. उसने मेरी छाती और लंड में आइस क्रीम और चोकलेट लगा दिया और छाती से शुरुआत करते हुए चाटना शुरू किया. फिर लंड को भी ऐसे भी चाट कर साफ़ किया.
मैंने भी ऐसे ही उसके बूब्स से लेकर चूत तक दोनों चीजें लगा कर अच्छे से उसकी चूचियाँ साफ़ की. इस खेल में हम दोनों चिपचिपे हो गए थे तो जाकर नहाये और फिर 69 में हो गए.
वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत, साथ में उंगली में तेल लगा कर उसकी गांड में उंगली कर रहा था क्योंकि अब गाण्ड मारनी थी. उसने कहा- मैं ही ऊपर से बैठ कर डलवाऊँगी!मैंने कहा- चलो, ठीक है. वो ऊपर बैठी और गांड के छेद पर लंड रखा और नीचे बैठने लगी.
अभी 1-2 इंच ही गया था कि उसने बाहर निकाल दिया और बोली- तुम ही करो. मैंने कहा- अगर दर्द हो रहा है तो रहने दो. उसने कहा- नहीं, इतने सालों तक मैं तुम्हें याद करती रही, तुम हो ही इतने स्वीट! तुम्हारी इच्छा के लिए इतना दर्द तो सह लूँगी और दर्द तो थोड़ी देर ही होगा फिर तो मजा आएगा न.
यह सुन कर मैंने उसे किस किया और उसे घोड़ी बना कर गांड में अच्छे से तेल लगाया, लंड पर अच्छे से मला और गांड पर टिका कर धक्का दिया, एक-एक इंच करके आधा लण्ड घुस गया तो वो कहने लगी- बस अभी इतना ही आगे पीछे करो, थोड़ी देर बाद बाकी डाल देना.
मैंने हाथों को आगे ले जाकर उसकी चूचियाँ पकड़ ली और उतना ही लंड अन्दर-बाहर करने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि अब कविता को आराम है तो मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी गांड में डाल दिया और वो बेड पर लेट गई, साथ में मैं भी उसके ऊपर गिर गया.
उसकी चीख सी निकल गई, कहने लगी- बता के नहीं डाल सकते थे. मेरी जान निकाल दी.
फिर मैंने उसकी पीठ पर किस्सियाँ की और गांड मारने लगा, 15 मिनट बाद उसकी गांड में ही माल गिरा दिया, वो भी झर गई.
फिर हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, वो कहने लगी- वीर, तुम्हारे साथ बहुत मजा आया, उतना मुझे पहले नहीं आया था, पता नहीं कोई और दे भी पायेगा कि नहीं.
फिर हमने कपड़े पहने और मैं निकल गया.
तो दोस्तो, कैसे लगी आपको मेरी यह कहानी? जरूर बताइयेगा. [email protected] [email protected]
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