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लेखक : सनी
मैं अन्तर्वासना का आभारी हूँ कि इसमें अब तक न जाने मेरी कितनी चुदाइयो को प्रकाशित किया है।
और मैं पाठकों का भी आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया है। उम्मीद है यह प्यार बना रहेगा।
अपनी एक और चुदाई लेकर आपके सामने आया हूँ।
मुझे दिल्ली जाना पड़ा, काम ऐसा था कि मैंने अपने कई परम मित्रों को नहीं बताया जो मुझे रोज़ कहते रहते हैं कि सनी दिल्ली आ जा, दिल्ली आ जा !
काम निपटा कर मुझे उसी शाम को हर हालत में वापस पंजाब लौटना था, लोकल में सफ़र करते मुझे एक लौड़ा भी मिल गया था, वैसे एक बात बताना चाहता हूँ कि मुझे मर्दों को उत्तेजित करने में अधिक मजा मिलता है।
भीड़ में उनको समझाना कि मैं गाण्डू हूँ, घिसा-घिसाई करके बहुत बहुत मजा आता है।
लोकल में मैंने एक लौड़ा पटाया, मैं उसके आगे था, थोड़ी देर रुक कर मैंने उसकी तरफ देखा, मुस्कुराया, अपना होंठ चबाया, फिर घूम गया, अपनी गाण्ड को उसकी जींस पर रगड़ने लगा।
वो एकदम बोला- साले, मेरे पास आज वक़्त नहीं है, जगह भी नहीं है, इसलिए आगे बढ़ !
दोस्तो, अरमानों को ख़ाक कर के मैं ठेके पर गया, जूस में एक पाऊआ डलवाया, उसको पीकर स्टेशन पहुँचा।
टाटा मूरी एक्सप्रेस सबसे पहले जाने वाली थी, मैंने जनरल का टिकट लिया, वहाँ खड़ा हो गया जहाँ जनरल डिब्बे के रुकने की आस थी।
तभी कुछ बिहारी लोग मेरे पास आ खड़े हुए- ए चिकने ! टाटा मूरी यहीं आएगी?
“हाँ हैण्डसम !” धीरे से बोला- यहीं आएगी, कहाँ जाना है?
“पंजाब।”
“तुमने?”
“मुझे भी वहीं जाना है।”
दूसरा उससे बोला- बहुत प्यास लगी है, बोतल भर लातें हैं।
“मुझे भी जाना है।”
वो मेरे पीछे था, मैंने अपनी गाण्ड उसके लौड़े पर घिसाई, इतने में बोतल भर गई। मैंने मुड़कर देखा, उसने मुस्कान बिखेरी, मैंने होंठ चबा कर उसका जवाब दिया। बस मैं जब लौटा, वो भी आया, उसने उन सब को कुछ कहा, सभी मुझे देखने लगे।
ट्रेन आते सभी झपट पड़े, वो भी मेरे पीछे थे, मैंने एक सीट पर छलांग लगाई, वो भी हम तीन बैठ सके, दो उसके साथी, एक मैं।
मुझे मालूम था ट्रेन मेरठ से अगले स्टेशन तक काफी खाली होगी।
जो पीछे से आ रहे थे, सब झपकियाँ ले रहे थे, उनमें से एक जो खड़ा रह गया था, मैंने उसके ही लौड़े पर गाण्ड रगड़ी थी, वो पतला सा था, बोला- की तुम तीनों बैठ हो ! क्या मैं तुम तीनों के पीछे लेट जाऊँ? आगे आगे तुम बैठे रहना !
मैं बीच में बैठा था, जब वो लेटा तो उसका लौड़े वाला एरिया मेरी गाण्ड के बिल्कुल सामने आ गया था। मैंने भी लोअर पहना था, ट्रेन में रात के सफर में मैं लोअर पहनता हूँ, उतारने और डालने में परेशानी नहीं होती।
मैंने गाण्ड को पीछे धकेला, उसके लौड़े पर दबाव पड़ा, उसने आगे धकेला। साथ वाले दोनों मुस्कुरा रहे थे, उसने टांग ऊपर रख ली ताकि मैं और उनका दोस्त जो कर रहे थे, वो किसी को दिखे ना !
उसने लुंगी पहनी थी, टांग ऊपर रख उसने मुझे इशारा किया, मैंने देखा, वह लुंगी साइड पे करके कच्छे की साइड से लौड़ा दिखा रहा था।
हाय ! काला लौड़ा देख मेरी गाण्ड में कुछ होने लगा। मैंने गाण्ड और रगड़ी, हाथ पीछे ले जा कर उसके लौड़े को सहलाया और लोअर खिसका उसके लौड़े को चीर में रगड़ा।
बोला- क्या कोमल गाण्ड है तेरी !
इधर वाले ने भी अखबार आगे रख मुझे लौड़े के दर्शन करवाए।
जगाधरी पहुँच ट्रेन काफी खाली हो गई, रात के बारह बजे थे, मैं उठा, “बाथरूम में हूँ दायें वाले में ! पहले दो लोग आ जाओ !”
उसमे इंग्लिश सीट थी, मौका देख दोनों वहाँ आ गए, बोले- साले, पागल कर रखा था तबसे तेरी गाण्ड ने ! इसकी माँ अब चुदेगी साली !
मैंने लोअर उतार रख दिया और ऊपर से भी नंगा हो गया। मेरे लड़की जैसे मम्मे देख उनके मुँह में पानी आ गया। गुलाबी निप्पल थे, एक बाल नहीं छोड़ा था मैंने !
“हाय तू तो लड़की जैसी है साली !”
उसने मेरा मम्मा दबाया और निप्पल चूसने लगा। मैंने दोनों के लौड़े पकड़ लिए, मैं सीट पर बैठ गया, एक पाँव के बल बैठ मेरे निप्पल काट-चूस रहा था, एक का लौड़ा मेरे मुँह में था।
वो बोला- साले, तुझे मजा आता है यह सब करवा कर? तेरा मर्द नहीं जागता?
“माँ चुदाये मर्द ! मैं इस वक़्त लड़की हूँ ! रण्डी ! समझे?”
सीट का ऊपर का ढक्कन भी रख दिया और उसपे कोहनियाँ टिका कर घोड़ी बन गया।
“रुको रुको ! मेरा लोअर देना ज़रा !” मैंने उसमें से उनको कंडोम निकाल कर दिए- लगाओ इसको, महंगा है, ध्यान से !
उसने लगाया और झटका लगाया, लौड़ा चीरता हुआ गाण्ड के अन्दर घुस गया, उसने एक और झटका दिया पूरा उतर गया। उनके लौड़े बहुत बड़े नहीं साधारण से लौड़े थे।
दूसरा बोला- कहे तो तुझे अमृत पिला दूँ? मेरा दिल मुँह में छूटने को है !
“बहनचोद, नहीं !”
जोर जोर से झटके लगने लगे, आठ नौ मिनट में वो निपटा, मैंने दूसरे से कहा- शेरा रेडी है?
अबकी बार सीट पर बैठ टाँगें उठा ली, उसने बीच में आकर टांगें उठाई और घुसा दिया, बोला- हाय रानी, कितनी मस्त गाण्ड है तेरी ! उसने साथ में मेरे मम्मो का कीमा बना दिया, दाँतों के लाल लाल निशान बना दिए।
पहले वाले ने कंडोम फेंका और लौड़ा मुँह में दिया, बोला- साफ़ कर !
मैंने चाट कर साफ़ किया, दूसरे वाले ने मेरी रेल बना दी, जोर जोर से चुदने लगा मैं।
जब उसका निकला, उसने उसी पल निरोध खींचा, गीला लौड़ा मुँह में देकर बोला- चाट दे !
दोनों ने मुझे ठोकने के बाद कहा- रुक, उनको भेजते हैं।
बाकी दोनों भी पांच मिनट में वहाँ आ गए, मुझे नंगी देख पागल हो उठे। मैंने उनको नंगा किया- हाय उनके बहुत बड़े बड़े लौड़े थे।
बोले- तू तो लड़की से भी बड़ा माल है।
मेरे मम्मे चूसने लगे, खींच खींच और कीमा बनाने लगे। मैंने भी उनके लौड़ों को मुँह में डाला और चूसने लगा, कभी एक का, कभी दूसरे का।
उसको सीट पर बिठा दिया उसका लौड़ा खड़ा था टांगें दोनों तरफ कर में उस पर बैठने लगा।
“वाह मेरी रानी, तू महान है !” साथ साथ वो मेरा मम्मा चूस रहा था और दूसरे का मेरे मुँह में था, जब वो झड़ा, दूसरा बोला- मैं घोड़ी बनवाऊँगा।
मैं घोड़ी बन गया और उससे भी डलवा लिया, जोर जोर से चुदने लगा। सभी से चुदकर जब हम सीटों पर बैठे, मुस्कुराने लगे थे सारे !
लुधिआना निकल गया तो डिब्बा बिल्कुल खाली था, हम पांच थे और चार पांच बुजुर्ग ! मैंने चारों के लौड़े वहीं निकाल लिए, चूसने लगा बत्ती बुझा कर।
मैंने लोअर खिसकाया, घोड़ी बन गया- जिसने दुबारा मारनी है, घुसा दो !
अमृतसर तक आते आते में उनसे दो दो बार ठुक चुका था।
मुझे ऐसा सफर कभी नहीं भूलेगा, तभी आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।
उम्मीद है जल्दी अपने सभी नेट फ़्रेंड्स से गाण्ड मरवा कर उनके उलाहने उतार दूँगा।
आपका गाण्डू सनी
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