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मैं परवीना, कद 5’4″, बदन 38-34-40, उम्र 33 साल, पति ज़्यादातर बाहर रहते हैं, पर मेरे घर का हट्टाकट्टा नौकर मनोहर मेरे घर में ही रहता है, तो मैं अपने नौकर मनोहर से चुदवाकर मस्त रहती हूँ।
आजकल भी पति बाहर गये हुए हैं पर इसी समय इस हरामखोर मनोहर को भी गाँव जाना था, सो मनोहर गाँव चला गया और मैं घर में अकेली पड़ गई। सो मैं नाइटी पहनकर अपने कमरे में पड़ी इस दोपहरी में अकेले अपनी चूत में उंगली कर रही थी और मन ही मन मनोहर को गालियाँ भी दे रही थी कि इसी समय इस हरामखोर को भी गाँव जाना था वरना साला इस समय इसी बिस्तर पर मेरे साथ मजे कर रहा होता।
तभी नीचे से सब्जी वाले की आवाज़ सुनी, सो मैंने सब्जी लेने के लिए उसे ऊपर ही बुला लिया। मैंने देखा, सब्जी वाला 50-52 साल का पर बड़ा हट्टाकट्टा अधेड़ था और चोरी-चोरी मेरे सीने के उभारों को घूर रहा था। मेरी नाइटी के दो बटन खुले हुए थे जिससे उसे अंदर की ब्रा दिख रही थी।
तभी मैंने नाइटी ठीक की जिससे वो जान गया कि मैं समझ गई तो उसने नजरें हटा लीं और जब वो जाने के लिए उठा तो मैंने देखा की उसका लण्ड खड़ा हो चुका था।
वो चला गया पर रात भर मुझे यही ख्याल आता रहा कि मैं मौका चूक गई।
दूसरे दिन दोपहर में वो फिर सब्जी नीचे बेच रहा था, मैंने फिर उसे ऊपर बुलाया पर आज मेरी नियत ठीक नही थी और आज मैं मौका नहीं चूकना चाहती थी तो मैंने जानबूझ कर साड़ी पहनी, फिर जब वो मुझे देख रहा था, मैंने पल्लू नीचे गिरा दिया अब उसकी आँखों के सामने मेरे दोनों बड़े बड़े खरबूजे आधे से ज्यादा ब्लाउज से फ़टे पड़ रहे थे।
मैंने लापरवाही से साड़ी एक खरबूजा ढकते हुए एक साइड में बाँध ली जिससे एक तो छिप गया पर दूसरा दिख रहा था। अब मैंने काफ़ी ज्यादा सब्जी खरीद ली और बोली- चाचा, जरा इसे किचन में रख दो, मुझसे उठेगा नहीं।
वो अंदर आया तो दरवाजा बन्द करते हुए मैं भी अंदर आ गई मैंने उसे बैठाया और पानी दिया। तभी मैं झूठमूठ गिर पड़ी तो जल्दी से मुझे उठाकर वो बेडरूम में ले आया। मैं बोली- चाचा कमर में बड़ा दर्द हो रहा है क्या बाम लगा दोगे?
वो मेरी बगल में बैठ के मेरी कमर में बाम मलने लगा। मैंने कनखियों से देखा, उसका लण्ड धोती में खड़ा हो तम्बू बना रहा था, मैंने अपना हाथ नीचे करने के बहाने तम्बू पर रख दिया और चौंकने की एक्टिंग करते हुए पूछा- अरे चाचा, ये क्या डण्डा छिपा रखा है?
सब्जीवाला- बेटी यह मेरा लण्ड है। तेरे खूबसूरत बदन को छूने से इसका यह हाल हो गया है। “क्यों झूठ बोलते हो चाचा?” कहते हुए मैंने उसकी धोती खींच ली और अब उसका नौ इंच लम्बा लण्ड मेरे सामने था।
मैं चौंकने की एक्टिंग के साथ खुशी से चीख पड़ी- उई माँ, यह तो सच में चाचा! इतना मोटा और लम्बा लण्ड! हाय रे! चाची का क्या हाल होता होगा? फ़िर उसे सहलाते हुए बोली- कितना सूखापन है। ऐसा कहते हुए मैंने ढेर सारी क्रीम उसके लण्ड पर लगाई और सहलाने लगी। वो मेरे ब्लाउज में हाथ डाल कर मेरे दोनों बड़े बड़े चूचों को सहलाते हुए बोला- आह यह क्या कर रही है बेटी? मैंने कहा- हाय चाचा, इतना बड़ा लण्ड कभी नही देखा। एक बार दे दे ना!
उसने मेरी साड़ी खींच दी और पेटीकोट उलट दिया फ़िर मेरी चड्डी उतार कर मेरी चुदास के मारे बुरी तरह से पनियाई चूत पर हाथ फ़ेरा और बोला- अरे बेटी तू तो मारे चुदास के परेशान हो रही है?
मैंने उसके लण्ड के सुपाड़े पर क्रीम लगा कर सहलाते हुए कहा- हाँ चाचा, तेरा लण्ड भी तो चुदासा है बस अब जल्दी से चोद दे ना अपनी भतीजी को!
अब उसने मेरी पावरोटी सी चूत के मुहाने पर ढेर सारी क्रीम लगा कर मेरी चूत के मुहाने पर अपना सुपाड़ा लगाकर दो तीन बार ठोका चुदासी चूत की पुत्तियों ने मुँह खोल दिया।
चूत के मुहाने पर अपना सुपाड़ा लगाये लगाये ही उसने मेरा ब्लाऊज खोला और दोनो हाथों से मेरे दोनों बड़े बड़े उरोजों को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए बारी बारी से निप्पल चूसने लगा। मेरी चुदासी चूत को पहली बार इतना तगड़ा लण्ड मिला था सो चूत की पुत्तियाँ मुँह खोल के लण्ड निगलती जा रही थीं और लण्ड अपने आप चूत में घुसता जा रहा था।
मारे आनन्द के मेरी आँखें बन्द थी। लण्ड घुसना रुक गया पर सब्जी वाले चाचा ने लण्ड आगे पीछे कर के चुदाई शुरू नहीं की और चूचियाँ दबाते हुए ज़ोर ज़ोर से निप्पल चूसना जारी रखा तो मैंने आँखें खोली।
मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, अभी भी करीब डेढ़ इन्च लण्ड बाकी था जबकि मेरी चूत लण्ड से ठसाठस भरी थी।तभी शायद सब्जी वाले को भी महसूस हो गया कि लण्ड चूत में आगे जाना रुक गया सो उसने धक्का मार कर लण्ड आगे ठेला और मेरे मुँह से निकला- ऊई आऊऊ ओह आंह आआ आहह!
एक पल को मुझे ऐसा लगा जैसे मैं पहली बार चुदवा रही हूँ, मेरी कराह सुन कर अनुभवी सब्जी वाले चाचा लण्ड रोक कर और ज़ोर ज़ोर से चूचियाँ दबाते हुए निप्पल चूसने लगा।
थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ा और पूरा लण्ड बर्दाश्त कर फ़िर से मस्त हो गई। मैंने कमर आगे पीछे हिला कर सब्जी वाले चाचा के लण्ड को चुदाई का सिग्नल दिया और बस फ़िर क्या था, चाचा ने लण्ड आगे पीछे कर के मेरी चूत की वो धुनाई की कि मजा आ गया।
वो ज़ोर ज़ोर से मेरी पावरोटी सी चूत में अपना सौटे सा लण्ड ठोक रहा था और पूरा कमरा चुदाई से गूँज रहा था। ‘धप्प-धप धाप धप धाप…’ जैसी आवाज़ हो रही थी और मैं मजे से ज़ोर ज़ोर से किलकारियाँ भर रही थी और तरह तरह की आवाजें कर रही थी।
मेरी आवाज़ से उसकी चोदने में तेजी आ रही थी और वो पूछ रहा था- बेटी कैसी लग रही है चुदाई? मैं बोली- बहुत अच्छी! और चोदो चाचा! इतना बड़ा लण्ड पहली बार मिल रहा है, और चोदो अहह! वो बोला- साहब नहीं चोदते क्या? मैं बोली- साहब को गोली मारो, रहता ही नहीं तो क्या चोदेगा? तू चोद, रोज आ के चोद जाया कर मेरी चूत! वो बोला- हाँ, क्यों नहीं बेटी, ज़रूर, मैं तेरा पूरा ख्याल रखूँगा। आखिर बड़े होते ही छोटों का ख्याल रखने के लिए हैं। ले पूरा ले और ज़ोर से इस्स्स आः हहह।
और इस तरह चुदाते हुए मैं झड़ने लग़ी- अहह चाचा! लो मेरी झड़ गई, यह आज तक इतनी गीली कभी नहीं हुई चाचा! लो लो!” और अब वो अपनी स्पीड बढ़ा कर बोला- शाबाश बेटी झड़! खूब जम के झड़! मेरा भी अब झड़ने वाला है, कई दिनों का जमा है ले ले पूरा अंदर! अहह हाहोह!
उसका ढेर सारा माल मेरी चूत में झड़ गया और ऐसा लगा जैसे प्यासे को पानी मिल गया और माल मेरी चूत के अंदर जाते ही मैं बोली- उफ्फ़ ओउउ ऊऊओह! और इस तरह सब्जी वाले चाचा ने मेरी प्यास बुझा दी। कहानी जारी रहेगी। कहानी का अगला भाग: सब्जी वाले से सेक्स-2
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