मेरी दीदी लैला -5

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लैला दीदी – एक सफर – मासूम लड़की से लंड की प्यासी-3

प्यारे अन्तर्वासना पाठको, आपके ढेर सारे मेल मिल रहे हैं जिन्हें पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। हौंसला-अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ! दोस्तो, क्षमाप्रार्थी हूँ कि समय कम होने के कारण सभी का जवाब नहीं दे पाया, तो यहाँ उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने अपना मूल्यवान समय निकाल कर मेरी रचना के लिए मेरी होंसला-अफजाई की।

हालांकि अभी भी कुछ गधे टाइप लोगों के मेल आ रहे हैं जिनकी एक ही गुजारिश होती है कि मुझे चूत दिलवा दो।

खैर यह सब तो चलता ही रहता है।

मैं अन्तर्वासना का शुक्रिया अदा करता हूँ मेरी रचना को प्रकाशित करने के लिए और ई-मेल के माध्यम से समय समय पर मेरा मार्गदर्शन करने के लिए।तो दोस्तो, मैथ की ट्यूशन के बहाने लैला दीदी के विक्की भैया के घर जाने पर क्या क्या हुआ? आपके सामने प्रस्तुत है लैला दीदी के ही शब्दों में !

अगले दिन शाम को ऑटो वाला भैया ठीक 5:45 पर आ गया और मैं ऑटो में बैठ कर विक्की भैया के घर के लिए चल दी।

6 बजे के लगभग मैं विक्की भैया के घर पर पहुँची, ऑटो से उतर कर दरवाजे की घण्टी बजाई, विक्की भैया ने दरवाज़ा खोला और हम घर के अंदर आ गये।अंदर आकर मैंने देखा कि घर में विक्की भैया और मेरे सिवा कोई नहीं था, मैंने विक्की भैया से पूछा- भैया, आंटी और सोनी दीदी (विक्की की बहन) कहाँ हैं?

तो विक्की भैया ने कहा- मम्मी जब बीमार थी तो उन्होंने मन्नत मांगी थी कि ठीक होने पर एक साल तक रोज दुर्ग्याना मंदिर जाया करेंगी, और मम्मी रोज इस समय मंदिर जाती हैं क्यूंकि इस समय उनको घर में कोई काम नहीं करना होता। सोनी भी इसी समय ट्यूशन जाती है।

और विक्की ने कहा- लैला, मैंने जानबूझ कर मम्मी को तुम्हें इस वक्त पढ़ने आने को बोला था क्योंकि 5:30 से 7:30 तक मैं घर पर अकेला होता हूँ।

मैंने मन में सोचा कि विक्की भैया तो कमाल के हैं, फिर मैंने पूछा- तो फिर मैथ पढ़ें भैया?

तो विक्की भैया ने कहा- हाँ हाँ ! आजा बेड पर बैठ कर आराम से पढ़ाता हूँ तुझे ! और ऐसा पढ़ाऊँगा कि सारी उम्र तू यह पढ़ाई भूल नहीं पाएगी।

विक्की भैया ने मेरा हाथ पकड़ा और बैड पर ले गये। बैड पर मुझे खड़ा करके मेरे कपड़े उतारने लगे। विक्की ने मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगी कर दिया और फिर अपने भी कपड़े उतार कर नंगे हो गये।

फिर विक्की ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और लगे मुझको यहाँ वहाँ चूमने ! कभी मेरे गाल चूमते और कभी होंठ ! मुझको चूमते और सहलाते हुये विक्की ने अपने होंठ मेरी गर्दन के पिछले हिस्से पर रख दिए और चाटने लगा। विक्की की इस हरकत से मुझे कुछ होने लगा, मुझे लगा जैसे मुझे चक्कर से आ रहे हों और मेरा दिमाग घूम रहा हो।

फिर विक्की मेरी छाती चूसने लगा, मेरी छाती उस समय काफ़ी उभर गई थी, ऐसा लगता था जैसे किसी ने मेरी छाती पर दो छोटे छोटे संतरे चिपका दिए हों।

मुझे बहुत मज़ा आने लगा और मेरा सारा शरीर इकठ्ठा सा होने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा भार बहुत ही कम हो गया है और मैं आसमान में उड़ रही हूँ।

फिर अचानक विक्की रुक गया। मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो विक्की बोला- लैला, मज़ा आया?

तो मैंने कहा- हाँ, बहुत मज़ा आ रहा था, और आपके रुकने पर अब उतना ही गुस्सा भी आ रहा है।

तो विक्की ने कहा- लैला जो हम कर रहे हैं उसको पता है क्या कहते हैं?

मैंने कहा- हाँ, बंटी ने बताया था ! आप मेरी गाण्ड ले रहे हैं। तो विक्की हँसने लगा।

मैंने पूछा- क्या हुआ? तो विक्की बोला- बंटी को क्या ख़ाक पता है? वो तो खुद गांडू है, गाण्ड देता है लड़कों को !

मैं हैरान होकर विक्की का मुँह देखने लगी तो विक्की ने पूछा- तू ही बता, क्या तुझे बंटी के साथ इतना मज़ा आया था कभी जितना आज मेरे साथ आ रहा है?

मैंने कहा- हाँ विक्की, यह बात तो ठीक है, तुम जितना मज़ा मुझे बंटी के साथ नहीं आया था।

विक्की ने कहा- लैला, अभी तो शुरू हुआ है, आगे आगे देख कितना मज़ा आयेगा तेरे को।

मैं चुप रही तो विक्की ने पूछा- बोल लैला, बहुत सारा मज़ा लेना है या नहीं? तो मैंने कहा- हाँ, लेना तो है।

तो विक्की बोला- फिर जैसा जैसा मैं कहता हूँ, तू करती जा, किसी भी चीज के लिए मना मत करियो। मैंने कहा- ठीक है।

तो विक्की खुद पीठ के बल बेड पर लेट गया और मुझे पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया, मेरा मुँह उनकी टांगों की तरफ था और मेरी टांगें उनके मुँह की तरफ।

विक्की ने अपने हाथ से मेरे चूतड़ थोड़े से खोले और दरार को चौड़ा किया, फिर मेरे छेद पर अपना मुँह लगा दिया और जीभ से मेरी गाण्ड का छेद चाटने लगा। मेरे छेद पर विक्की की जीभ लगते ही मेरी गाण्ड में करंट सा दौड़ने लगा, विक्की के चाटने से मेरा छेद थोड़ा थोड़ा खुलना और बंद होना शुरू हो गया।

फिर धीरे धीरे विक्की की जीभ मुझे मेरे छेद के अंदर घुसती महसूस हुई और मुझे बहुत बहुत मज़ा आने लगा।

फिर विक्की मुझसे बोला- लैला, मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस, जैसे मैं तेरी गाण्ड चूस रहा हूँ।

मैंने कहा- छीः ! कितना गन्दा होता है यह !तो विक्की बोला- गाण्ड क्या कम गन्दी होती है?

और बोला- अगर मैं तेरी गाण्ड चूस कर तेरे को मज़ा दे रहा हूँ तो तेरा फ़र्ज़ नहीं बनता कि तू भी मुझको मज़ा दे?

विक्की बोला- लैला सुन, इसको गाण्ड लेना या देना नहीं कहते, इसको प्यार करना कहते हैं, चुदाई करना कहते हैं। और लैला, प्यार में और चुदाई में गन्दा कुछ भी नहीं होता, तू ही मुझे बता जिस काम या चीज से इतना मज़ा आता हो वो गन्दी कैसे हो सकती है?

मैं कुछ नहीं बोली पर मुझे लगा कि शायद विक्की ठीक कर रहा है, मैं ही गलत हूँ. क्यूंकि जो चीज विक्की मुझे मुँह में लेने को कह रहा है, वहाँ से तो विक्की सिर्फ सुसु ही करता है, जबकि मेरी जिस चीज पर विक्की अपनी जीभ लगा रहा है, वहाँ से तो और भी ज्यादा गन्दी चीज निकलती है।

इतना सोचते ही मेरा दिल विक्की के प्रति एहसानमंद सा हो गया और मैंने विक्की का लंड अपने मुँह में ले लिया, और गपागप उसको चूसने लगी। एक मिनट के लिए तो मुझे लंड से अजीब सी बदबू आती रही फिर धीरे धीरे मुझे लंड चूसने में मजा आने लगा।

उधर विक्की की भी यही हालत थी, वो मेरी गाण्ड के छेद के अंदर तक अपनी जीभ घुसा कर चाट रहा था और मुझसे अपना लंड चुसवाते हुये बार बार अकड़ सा रहा था।

फिर विक्की ने मेरी गाण्ड से अपना मुँह हटा लिया और मेरी गाण्ड के फूलते-पिचकते छेद में अपनी एक उंगली डाल दी।

मैं थोड़ा सा चिहुंकी पर विक्की का लंड चूसती रही। थोड़ी देर तो विक्की रुका रहा फिर अपनी उंगली उसने मेरे छेद के अंदर-बाहर करनी शुरू कर दी, मुझे और मज़ा आने लगा, मैं लंड चूसती रही, विक्की अपनी उंगली से मेरी गाण्ड चोदता रहा। बीच बीच में विक्की मेरी गाण्ड के छेद पर अपना थूक फेंक देता जिससे उसकी उंगली आसानी से अंदर बाहर हो रही थी।

फिर अचानक उसने एक साथ दो उंगलियाँ मेरे अंदर घुसा दी, तब मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ, मैंने कहा- एक उंगली बाहर निकालो !

तो विक्की ने कहा- लैला, डर मत और लंड चूसती रह, कुछ नहीं होगा।

और मैं फिर से लंड चूसने में मस्त हो गई, मुझे पता ही नहीं चला कि कब विक्की ने अपनी दो उंगलियाँ मेरी गाण्ड में चलानी शुरू कर दी।मैंने लंड चूसते हुये विक्की से कहा- क्या आप उंगलियां डाल रहे हो, बंटी तो लुल्ली डालता है।

तो विक्की बोला- बंटी की लुल्ली है, इसीलिए इतनी जल्दी डाल देता है और मेरी लुल्ली नहीं है, लंड है। अगर यह लंड शुरू में ही बंटी की तरह मैं तेरे अंदर डाल देता तो तेरी गाण्ड फट जाती, फट क्या जाती तेरी गाण्ड के चीथड़े उड़ जाते।

मैं चुप करके लंड चूसती रही और विक्की अपना काम करता रहा।

फिर थोड़ी देर बाद जब विक्की को लगा कि अब मेरी गाण्ड इतनी खुल चुकी है कि उसका लंड आसानी से गटक जायेगी तो उसने अपने दोनों हाथों के अंगूठों से मेरी गाण्ड खोल दी और मुझसे बोला- लैला, अब लंड चूसना बंद कर दे और अपने दोनों हाथ बेड पर रख कर अपने घुटनों पर हो जा, मैं ऐसे ही तेरी गाण्ड खोले हुये तेरे नीचे से निकलने लगा हूँ, तू हिलना मत।

मैंने वैसा ही किया जैसा विक्की ने कहा था, मतलब थी तो मैं अब भी विक्की के ऊपर पर अब मेरा भार उनके ऊपर नहीं था और मैं चोपाया बनी हुई थी। विक्की मेरे नीचे से निकला और अपने घुटनों के बल मेरे पीछे आ गया और अपना लंड मेरी गाण्ड के छेद पर लगा कर मेरे अंदर डाल दिया और अपने अंगूठे निकाल लिए।

पाठको आपको विश्वास नहीं होगा कि इस उम्र में मेरी गाण्ड विक्की का लंड ज़रा से भी दर्द के बिना सारा का सारा निगल गई। फिर लगा विक्की मेरी गाण्ड के अंदर धक्के लगाने, पहले धीरे धीरे फिर तेजी से !

विक्की के हर धक्के से मैं हिल उठती और मेरी आहें निकल रही थी। फिर धीरे धीरे विक्की के धक्के तेज, और तेज, और तेज होते गये। जैसे जैसे विक्की की स्पीड बढ़ती गई, मैं थकने लगी. मारे आनन्द के मैं पागल हुई जा रही थी।

फिर अचानक मुझे ऐसे लगा जैसे कोई गर्म-गर्म चीज मेरी गाण्ड के अंदर गिर रही है जिससे मेरी गाण्ड में एक अलग ही तरह की मस्ती भरने लगी।

मैंने पूछा- विक्की, यह क्या हो रहा है?

तो विक्की बोला- जो हो रहा है उसका मज़ा ले।

फिर मैं चुप हो गई. कुछ पलों के बाद विक्की का लंड छोटा होकर अपने आप मेरी गाण्ड से बाहर निकल आया और हम दोनों बैड पर लेट गये।

विक्की मुझे लेकर बाथरूम में गया, उसने अपना लंड अच्छे से धोया और मुझे भी गाण्ड साफ़ करने के लिए कहा।

फिर साफ़ सफाई करने के बाद हम कमरे में आ गये, हमने अपने अपने कपड़े पहने और बैड पर लेट गये।

भैया ने मेरी मैथबुक और मेरी कॉपी खोल कर बैड पर रख दी और कहा- लैला, थक गई होगी थोड़ा आराम कर ले।

मैं बैड पर आँखें बंद करके लेट गई विक्की के साथ।

थोड़ी देर बाद दरवाज़े की घंटी बजी, विक्की देखने गया कि कौन आया है। फिर भैया ने आकर बताया कि तुम्हारा ऑटो वाला आया है।

मैंने अपनी कॉपी और किताब उठाई और विक्की को बाय बोल कर बाहर आई और ऑटो में बैठ के अपने घर को चल दी।

यह था मेरे लंड की प्यासी लड़की बनने की तरफ मेरा तीसरा कदम !

इस सफ़र पर पड़ने वाला मेरा हर एक कदम धीरे धीरे मुझ में कामुकता बढ़ा रहा था !

पर कहानी अभी बाकी है… मेरी राह के राही बने रहिएगा…

लैला अरोड़ा

तो दोस्तो, यह था मेरी लैला दीदी के लंड की प्यासी बनने के सफ़र का अगला पड़ाव !

आपकी मेल्स का इंतज़ार रहेगा।

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