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वो बोली- तुम भी तो अपने कपड़े उतारो !
मैं बोला- मैंने तुम्हारे उतारे हैं, तुम भी मेरे उतार दो।
उसने मेरी जैकेट उतारी और मुझे पीछे को धक्का दे दिया। मैं सीधा लेट गया फिर उसने बटन खोल कर मेरी छाती को चूमना शुरु कर दिया। उसकी चूचियाँ मेरी छाती को छूती तो करन्ट सा लगता। मैंने उसका नाड़ा खोल दिया था। अब वो केवल पैन्टी में थी। मेरा लण्ड पैन्ट में दब कर परेशान हो रहा था, मैंने अपनी पैन्ट भी उतार दी लण्ड को कुछ आराम मिला।
मैंने लक्ष्मी को लिटा दिया और पैन्टी उतार दी। उसने दोनों पैर भींच लिए और अपना मुँह ढक लिया। मैंने उसकी जाघों को सहलाया और पैरों को अलग कर दिया। उसकी चूत बिल्कुल गुलाब की कली की तरह लग रही थी जिसकी दोनों पन्खुड़ियाँ चिपकी हुई थी और ऊपर एक घुण्डी निकली थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने पहली बार चूत देखी थी। फिल्मो में तो देख चुका था पर आज मेरे सामने कुँवारी चूत थी, मुझे तो जैसे जन्ऩत मिल गई।
मैंने उसकी चूत को छुआ वो गीली हो चुकी थी।
लक्ष्मी के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी- आ हा ह सी ई ई. .
मैंने उसकी दोनों फाको को अलग किया। बिल्कुल लाल थी। मुझे नीचे एक छोटा सा छेद दिखा मैंने उस पर उंगली रखकर अन्दर की तो लक्ष्मी पागल सी हो गई और अपना सिर इधर-उधर करने लगी, अपने होंट दबाने लगी। मैं उंगली अन्दर-बाहर करने लगा, वो सिसकार रही थी- आहा हा ई ई सी सि इ ई. .
मैंने अपने हाथ की रफ़्तार बढ़ा दी।
उसकी चूत से पानी सा निकलने लगा, बोली- बस !
क्या हुआ?
वो शरमा गई और बोली- मेरा काम हो गया।
मैं बोला- मेरे लण्ड का क्या होगा?
मैंने अपना लण्ड निकाला तो उसने मुँह पर हाथ रखा और बोली- इतना बड़ा ?
मैंने उसका हाथ पकड़ा और लण्ड पर रख दिया। उसने शरमाते हुए पकड़ लिया। उसके कोमल हाथ से छुआ तो लण्ड ने झटका मारा।
वो बोली- यह क्या ?
मैं बोला- तुम्हारे हाथों में करेन्ट है। वो हँसते हुए लण्ड सहलाने लगी, मैं उसे चूमने लगा, चूचियाँ दबाने लगा।
वो फिर गर्म हो गई।
मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था, मैंने उसे लिटाया और पैरों के बीच बैठकर लण्ड चूत पर लगा दिया।
उसने सिसकी ली और बोली- राज, मेरा छेद तो उंगली के बराबर है और तुम्हारा तो बहुत मोटा है, यह कैसे अन्दर जायेगा?
मैं- तुम्हें पता भी नहीं चलेगा।
मैंने उसकी टांग ऊपर की और लण्ड पकड़ कर चूत पर रखा। मेरे सुपारे से उसकी चूत की फाकें अलग अलग हो गई। मैंने थोड़ा जोर लगाया। लेकिन चूत ज्यादा तंग थी।
मैं खड़ा हुआ, लक्ष्मी चुप लेटी थी क्योंकि उसे डर लग रहा था। वो बोली- क्या हुआ?
मैं बोला- तेरी चूत ज्यादा तंग है।
तो?
लण्ड चिकना करना पड़ेगा।
कैसे?
मैंने लण्ड उसके होटों पर लगाया।
यह क्या कर रहे हो?
मैं बोला- इसे मुँह में लेकर गीला करो।
वो मना करने लगी।
मैं बोला- प्लीज लो न ! तुम्हें ही फायदा होगा।
उसने कुछ सोचा और होंठ लण्ड के अग्र-भाग से लगा दिये, फिर थोड़ा अन्दर ले लिया और बोली- बस !
मैं बोला- जान मजा आ रहा है ! थोरि देर मुंह में लो ना !
वो मुस्कराई और लण्ड पकर कर मुँह में ले लिया। फिर वो लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मुझे मजा आने लगा, मैंने उसका सिर पकड़ा और आगे-पीछे करने लगा। 5 मिनट तक वो मेरा लण्ड चूसती रही। मैंने लण्ड निकाला और चारपाई से नीचे खड़ा हो गया। उसे बीच में आड़ा लिटाया। फिर उसकी टागों को फैलाया, चूत पर हाथ लगाया, वो गीली थी। फिर भी मैंने उसकी फांकों को फैलाकर थूक डाल दिया और लण्ड चूत पर रगड़ने लगा। मैं उसे तड़पाने के लिए ऐसा कर रहा था।
वो सिसकारियाँ ले रही थी। थोड़ी देर बाद बोली- राज डाल दो अन्दर ! क्यों तड़पा रहे हो?
मैं बोला- तुमने भी तो मुझे तड़पाया है।
बदला ले रहे हो?
हाँ !
तो लो ! टांगें फैलाते हुए बोली।
मैं बोला- तैयार हो?
हाँ ! जरा धीरे करना, तुम्हारा ज्यादा मोटा है।
मैं बोला- चिन्ता मत करो।
मैंने लण्ड उसकी चूत के छेद पर लगाया और झुक कर दोनों बाजुओं को पकड़ लिया।
उसे पता था कि दर्द होगा इसलिए वो साँस रोक कर चुप लेटी थी।
मैंने इशारे से पूछा। उसने भी सिर हिला कर हाँ कर दी। मैंने उसके होटों पर चूमा और एक झटका मारा। मेरा 2-3 इन्च लण्ड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया।
एक बार तो लक्ष्मी की साँस सी रुक गई, एक दम चीखी- ऊई मैयाँ मर गई ई ई इ. . .
चीखने का कोई डर ही नहीं था क्योंकि वहाँ दूर-दूर तक कोई नहीं था।
मैं रुका नहीं एक और झटका मारा। अब मेरा आधे से ज्यादा लण्ड अन्दर घुस गया और तीसरे झटके में पूरा लण्ड अन्दर घुस गया।
वो अब भी चिल्ला रही थी- मर गई आह आ अ राज बहुत दर्द हो रहा है नि…निकालो इसे।
और छुटने की कोशिश करने लगी। पर मेरी पकड़ के कारण वो बस थोड़ा ही हिल पा रही थी, बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी, उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
मैं बोला- जानू, बस हो गया।
उसके ऊपर लेट गया और होटों को चूमते हुए और चूचियाँ दबाते हुए लण्ड धीरे-धीरे थोड़ा आगे-पीछे करने लगा।
उसकी चीख सिसकियों में बदलने लगी, मैं समझ गया कि उसे मजा आने लगा है और मैंने झटकों की स्पीड बढ़ा दी। वो अब आहें भर रही थी- आ आ अ इ इ ओ ! हाँ राज मारो ! ओ और तेज आ चोदो चोद तेज तेज ज !
मैंने उसके कन्धों को पकड़ा और तेज-तेज धक्के मारने लगा। वो भी चूतड़ उछाल उछाल के मेरा साथ देने लगी।
पता नहीं क्या बड़बड़ा रही थी- फाड दो मेरी चूत ! आह आ बहुत खुजली होती थी इसे चुदने की ! फाड़ दो ! और तेज जा जानू तेज ! आह म मजा आ रहा है !
उसकी चूत से खून निकल रहा था जिससे लण्ड आसानी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं पूरी जान लगाकर लगातार धक्के मार रहा था। वो भी पूरा साथ दे रही थी।
अचानक उसने मुझे बाहों में पकड़ लिया और बोली- राज तेज ! बस मेरा काम होने वाला है !
मैं बोला- मेरा भी !
वो बोली- हो गया !
और मुझे कस कर पकड़ लिया। मेरा भी निकलने वाला था, मैं बोला- लक्ष्मी अन्दर छोड़ूं?
उसने कहा- हाँ !
मैंने उसे अलग किया, कन्धें पकड़ कर तेज धक्के मारने लगा। अब उससे सहन नहीं हो रहा था। मैंने 8-10 झटके मारे और लक्ष्मी के ऊपर लेट गया। मेरा वीर्य उसकी चूत में भर गया।
थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे।
मैं बोला- लव यू जान !
झूठ बोलते हो। मुझे कितना दर्द हो रहा था। प्यार करते तो रुकते, बस पेले ही जा रहे थे। धीरे-धीरे भी तो डाल सकते थे।
मैं बोला- जानू, दर्द तो होना ही था ! तुम्हारी चूत कसी ही इतनी थी ! और धीरे करता तो अन्दर ही नहीं जाता। रही दर्द की तो वो धीरे में भी होता तो मैंने सोचा एक साथ ही दर्द दे दूँ ! खैर छोड़ो, मजा तो आया न?
उसने शरमा कर नजर झुका ली।
मैं बोला- अब भी शरमा रही हो?
हाँ !
जानू बहुत मजा आया ! वो हँसते हुए बोली और मेरे गाल पर चूम लिया।
मैंने भी उसे चूमा और अलग हो गया। लण्ड खुद चूत से बाहर आ गया। उसकी चूत से वीर्य निकल रहा था जो उसके खून से लाल हो गया था।
मैंने एक कपड़ा लिया और अपने लण्ड को पौंछा फिर चारपाई से नीचे बैठ गया। लक्ष्मी वैसे ही लेटी हुई थी, मैंने उसकी टांगों को फैलाकर चूत साफ की। अब उसकी चूत की फांकें कुछ खुली थी और चूत सूजी हुई थी। मैंने उसे खड़ा किया। उसकी चूत में दर्द हो रहा था इसलिए उसे खड़े होने में परेशानी हो रही थी।
फिर उसने पैन्टी और ब्रा पहनी और शॉल ओढ़कर पेशाब करने चली गई।
खून और वीर्य से रजाई खराब हो गई थी। मैंने उसका कवर उतारा।
लक्ष्मी अन्दर आ गई, बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने उसे कवर दिखाया, वो नजरें झुकाकर हँसने लगी, बोली- मैं साफ कर देती हूँ।
और उसे लेकर बाहर चली गई। मैंने अण्डर वीयर पहना और रजाई में बैठ गया। लक्ष्मी आई शॉल हटा कर मेरे बगल में लेट गई। बोली- दर्द हो रहा है !
मैंने एक हाथ उसकी चूचियों पर रखा और दूसरा चूत पर रखकर सहलाने लगा।
वो बोली- जानू, मैं तुम्हारे बिन नहीं जी सकती।
फिर कौन बोल रहा है तुम मेरे बगैर रहो।
वो रोने लगी।
क्या हुआ?
मेरी सगाई हो गई।
यह सुनते ही मेरी हालत खराब हो गई, जैसे किसी ने मेरी जिन्दगी ही छीन ली।
राज, मुझे लेकर भाग चलो।
शादी तो मुमकिन नहीं थी और भाग भी नहीं सकते थे क्योंकि मेरी पढ़ाई चल रही थी और मेरे पास कुछ नहीं था।
वो बोली- ले चलो मुझे ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैं बोला- नहीं तुम्हें मेरी कसम ! तुमने ऐसा कुछ किया तो।
मैंने उसे समझाया। फिर हम काफी देर तक लेटे रहे। वो रोती रही। मेरी आँख भी भर आई पर मैं लक्ष्मी के सामने चुप रहा। सुबह के 2 बज गये थे। मैंने उसे जाने को कहा। उसने कपड़े पहन लिये और मैंने भी।
मैंने पूछा- लक्ष्मी तुम्हें पता था कि तुम्हारी शादी होने वाली है तो आज मेरे साथ यह सब क्यूँ किया?
वो बोली- मैंने तो तुम्हें ही अपना पति माना है।
तो?
‘सुहागरात भी तुम्हारे साथ मना ली’
मुझे हँसी आ गई।
वो बोली- तुम्हें हँसी आ रही है?
मैं बोला- जान, जब हम कुछ नहीं कर सकते तो हमें समय के साथ समझौता कर लेना चाहिए।
हाँ ! उसने कहा और बोली- जानू, मैं तुम्हारी थी, हूँ और रहूँगी। तुम जब चाहो बुला लेना।
हम उसके घर पहुँच गये और एक दूसरे को चूमा और वह बाय कहकर चली गई।
मैं वापिस कमरे में आकर बैठ गया और रोने लगा। फिर सोचा, साला प्यार का चक्कर ही बुरा है, लड़कियों को चोदो और छोड़ो।
20 दिन बाद लक्ष्मी की शादी थी, उससे पहले मैंने उसे 10-11 बार चोदा और वो अपनी सहेली मुझे उपहार में दे कर गई।
अब जब भी आती है, उसे चोदता हूँ। 3 साल हो गये, अब तक मैं कोई 30 लड़कियों को चोद चुका हूँ जिनमें भाभी, मामी भी शामिल है।
लक्ष्मी की सहेली को कैसे चोदा, मैं अगली कहानी में बताऊँगा।
इस कहानी में कुछ ज्यादा लिखा है क्योंकि मैं खुद को रोक ही नहीं पाया।
मेरी लव स्टोरी कैसी लगी- अच्छी या बेकार ? जरूर बताना। 1632
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