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जानू जाओ न प्लीज ! अलग सा चेहरा बनाकर बोली।
मुझे उसका चेहरा देखकर हँसी आ गई, मैं बोला- रोओ मत ! जा रहा हूँ !
मैं कहाँ रो रही हूँ?
ठीक है, चलो चलते हैं !
मैंने उसे चूमा और बाय कहकर चला आया।
सुबह तैयार होकर स्कूल के लिए निकला। लक्ष्मी मेरा इन्तज़ार कर रही थी। वो भी साथ चलने लगी। बोली- जानू, लव यू !
लव यू टू !
फिर हम बातें करते रहे।
बातों ही बातों में उसने कहा- अगर तुम कल मेरे साथ सेक्स करते तो मैं तुमसे कभी बात नहीं करती।
हम जब भी मौका मिलता, आपस में मिलते और घण्टों तक एक दूसरे से लिपटे बातें करते रहते।
मैं बस उसे चूमता और चूचियाँ ही दबाता था।
ऐसे ही एक साल निकल गया। मेरे इम्तिहान हो गये।
बोर्ड परीक्षा में मैं प्रथम आया। इसलिए मुझे बाईक और मोबाईल मिल गया।
मैंने सबसे पहले अपना नम्बर उसे ही दिया।
फिर मैं कालेज में आ गया। कई बार उसे घूमाने भी ले गया।
यों ही दिन गुजरते गये। मैं बहुत खुश था। एक दिन लक्ष्मी का फोन आया, बोली- मुझे तुमसे बात करनी है !
मैं बोला- बोलो !
नहीं फोन पर नहीं !
तो?
तुम रात को 10.30 बजे आ जाना।
मैंने कहा- इतनी देर से क्यों?
हम ज्यादातर 7-8 बजे मिलते थे।
वो बोली- बस तुम्हें आना है।
मुझे बेचैनी सी हो रही थी, इसलिए मैं 10 बजे ही खेत पर उस बैरनी के पेड के नीचे जा बैठा।
मैं घरवालों से अलग सोता था इसलिए रात को निकलने में कोई परेशानी नहीं होती थी।
सर्दियों के दिन थे, मैंने जीन्स की पैन्ट, शर्ट और जैकेट पहन रखे थे, फिर भी ठण्ड महसूस हो रही थी।
मैं वहाँ बैठा उसका इन्तजार कर रहा था। एक एक पल मुझ पर भारी पड़ रहा था।
चाँदनी रात थी पर थोड़ी धुन्ध होने के कारण उसका घर दिखाई नहीं दे रहा था।
बीच में मैं उसके घर तक घूम आया था। सब लोग शायद सो चुके थे।
लगभग 11 बजे लक्ष्मी आ गई। उसे देखकर मैंने चैन की साँस ली।
उसने काले रंग का कमीज़-सलवार और ऊपर शॉल ओढ़ रखी थी।
मैं उसे देखकर मुस्कराया, वो भी मुस्कराई और लव यू जान !
कहकर मेरे आगे पीठ करके बैठ गई।
वो उदास लग रही थी।
मैंने कहा- हाँ बोलो जान ! क्या बात है?
वो बोली- कुछ नहीं ! मिलने का मन कर रहा था।
मैंने कहा- इतनी रात को?
कोई बात तो है ! मैंने कहा।नहीं कुछ नहीं है !
मैंने कहा- ठीक है, नाराज क्यों होती हो?
मैं बोला- मुझे ठण्ड लग रही है !
उसने अपनी शॉल मुझे दे दी।
मैं खेत की मेढ़ पर बैठा था, वो मेरे आगे पीठ करके नीचे बैठी थी।
मैंने शॉल अपने और उसके ऊपर डाल ली।
वो चुप बैठी थी मैं पीछे से बगल में हाथ डालकर उसकी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा और गर्दन पर चूमने लगा।
वो चुप थी !
मैं बोला- बोलो न जानू, क्या बात है ? तुम उदास क्यों हो?
वो बोली- घर वालों से झगडा हो गया आज।
बस इतनी बात पर नाराज हो?
हाँ !
वो जिद्दी थी, मैंने सोचा किसी जिद के कारण झगड़ा हो गया होगा।
मैं बोला- घर वालों की बात का बुरा नहीं मानते !
उसके मुँह को अपनी ओर किया और मैं होटों पर चूमने लगा।
वो बोली- जानू, यहाँ ठण्ड लग रही है, कहीं और चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है !
हम खड़े हुए और टयूबवैल के कमरे के पास आ गये। चाबी मैं साथ लाया था।
वहाँ जाकर देखा तो पहले ही कोई सोया था मैं लक्ष्मी को एक तरफ़ करके अन्दर गया और धीरे से रजाई उठाई।
मेरे ताऊ का लडका था, उसे हमारे बारे में पता था।
मैंने उसे जगाया। वो बोला- तुम यहाँ? मैंने लक्ष्मी को अन्दर बुलाया। वो देखकर समझ गया और बिना कुछ बोले उठ कर चला गया।
मैंने अन्दर से दरवाज़ा बन्द किया और रजाई में लेट गया।
लक्ष्मी ने शॉल हटाई तो मैं उसे देखता ही रह गया। गोरे बदन पर काला सूट।
क्या देख रहे हो?
तुम्हें !
क्यों, पहले कभी नहीं देखा?
देखा है ! पर आज तो तुम बहुत सेक्सी लग रही हो।
अच्छा ? तुम्हें आज दिखाती हूँ कि मैं कितनी सेक्सी हूँ।
हम हर तरह की बात करते थे इसलिए अब शर्म का नाम नहीं था।
वो मेरे बगल में आकर लेट गई।
मैं बोला- बताओ, कितनी सेक्सी हो?
वो बोली- पहले यह बताओ कि मुझसे शादी करोगे?
यह सुनकर मैं चुप हो गया। शादी तो मैं उससे कर लेता पर यह हो नहीं सकता था। यह बात वो भी जानती थी।
फिर बोली- चलो छोड़ो ! मैंने तो तुम्हें अपना पति मान ही रखा है।
और मेरे होटों को चूम लिया, बोली- राज, आज तुम कुछ भी कर सकते हो ! मैं तैयार हूँ।
मैं उसके मुँह की तरफ देखने लगा।
वो बोली- क्या तुम मुझे अपनी नहीं मानते?
मानता हूँ। पर अचानक तुम्हें क्या हुआ?
मुझे कुछ नहीं हुआ ! अब पने पर काबू नहीं होता ! बस ! और एक दिन तो यह सब करना ही है तो फिर देर क्यूँ?
वो उदास थी पर मुझे दिखाने के लिए वो हँस रही थी।
मैं बोला- तो तुम ही दिखाओ कि कितनी सेक्सी हो।
वो बोली- ठीक है !
और मेरे होटो को फ़िर चूमने लगी। मैं भी उसका साथ दे रहा था, मेरा एक हाथ उसकी चूचियों को दबा रहा था और दूसरा उसकी कमर के नीचे था।
मेरा एक पैर उसके पैरों के बीच में था जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत पर लगा हुआ था।
वो लगातार चूम रही थी।
मैं अपना हाथ उसकी कमीज़ में डाल कर ब्रा के ऊपर से चूचियों को मसलने लगा।
उसने मुँह अलग किया, बोली- धीरे-धीरे दबाओ ! दर्द होता है !
मैं बोला- कहते हैं कि दर्द में ही मजा है।
हम हँसने लगे।
चूची के अगले भाग को पकड़ कर मसल दिया तो वो सिसिया उठी- आ अ !
मैंने उसके होटों पर होंट रख दिये और बारी बारी से दोनों चूचियों को मसलने लगा।
फिर अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया और रगड़ने लगा। वो पूरी गर्म हो गई।
मैंने रजाई हटाकर उसे बिठा लिया और उसकी कमीज़ उतारने लगा।
उसने रोका- मुझे शर्म आएगी !
मैंने कहा- पति से कैसी शर्म ?
और कमीज़ उतार दिया।
काले रंग की ब्रा में गोरी चूचियों को देखकर मैं पागल हो गया और जल्दी से उसकी ब्रा भी अलग कर दी।
एकदम खड़ी थी उसकी चूचियाँ और मेरे रगड़ने से लाल हो गई थी।
उसने अपना मुँह ढक लिया। मैंने एक चूची को दबाया और दूसरी को मुँह में लेकर चूसने लगा तो वो पागल सी हो गई, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने बारी बारी से दोनों चूचियों को चूसा।आज बड़ा जोश आ रहा है?
मैं बोला- तुमने इतने दिन जो तड़पाया है !
अच्छा तो बदला ले रहे हो?
हाँ !
और उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा।
अगले भाग में समाप्त ! 1631
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