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कहानी का पिछला भाग: एक दूसरे में समाये-1
उसने मुझे बताया कि वो बचपन से ही मेरे बारे में सिर्फ अच्छा ही सुनती आ रही है और मन ही मन मुझे प्यार करती है…
मैंने उसे गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूम लिया.. मैंने कहा- हम आज ही मिले हैं और आज ही तुमने अपने प्यार का इज़हार कर दिया !
तो उसने कहा- जल्दी करने में ही भलाई है, वरना क्या पता तुम्हें अपने कॉलेज की कोई लड़की पसंद आ जाती तो मैं तो मर ही जाती… अब हम आपस में काफी खुल गए थे.. कुछ देर बातें करने के बाद मैंने उससे कहा- रात बहुत हो गई है और तुम अब सो जाओ..
हम दोनों साथ ही नीचे आये और वो अपने कमरे में जाकर सो गई और मैं अपने कमरे में सो गया…
हम दोनों के कमरे के लिए कॉमन बाथरूम था जिसका दरवाजा दोनों कमरों से ही था।
अगले दिन सुबह वो चाय लेकर मेरे पास आई, मैं उस वक़्त सो रहा था.. उसने अपने होंठों को मेरे कानों के पास लाकर कहा- जान, अब उठ भी जाओ.. देखो न कैसी लग रही हूँ मैं…?
मिश्री सी आवाज सुन कर मैं उठ गया और उसको अपने बिस्तर पर खींच लिया.. आँखें खोली तो मैं उसको देखता ही रह गया.. सुर्ख लाल रंग का कुरता और गहरे नीले रंग की पंजाबी पाजामी… क्या बताऊँ.. बिल्कुल क़यामत लग रही थी..
मैंने उसके माथे को चूम लिया और उसे अपने बाहों में भर लिया.. उसके चेहरे पर लाली छा गई.. उसने कहा- सब लोग उठ चुके हैं और कभी भी ऊपर आ सकते हैं.. मैंने कहा- फिर तो मुझे एक गुड मोर्निंग किस जल्दी से दे दो…
मेरा इतना बोलना ही था कि उसने अपने होंठो को मेरे होंठों से लगा दिया.. मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा। ऐसा लग रहा था कि दुनिया में उसके होंठों से मीठी कोई चीज़ हो ही नहीं सकती है…
तभी माँ की आवाज़ सुन कर मैं होश में आया और वो अपने आप को मुझसे छुड़ा कर भाग गई.. जाते जाते उसने मुझे ऐसे देखा जैसे वो दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की है लेकिन सच बात तो यह है कि उसको पाकर मैं दुनिया का सबसे खुशनसीब लड़का बन गया था.. मैं तैयार हो कर डाईनिंग रूम में नाश्ता करने के लिए आ गया था..उसके मेरे आसपास होने का एहसास मुझे पागल बना रहा था.. मैं उसको अपनी बाहों में भर के उसके ऊपर अपना सार प्यार लुटाना चाह रहा था.. तभी मैंने देखा कि पिताजी कहीं जाने की तैयारी में थे और उन्होंने माँ को भी जल्दी करने को कहा..
मैंने माँ से पूछा तो माँ ने बताया कि हमारे एक पारिवारिक मित्र के यहाँ एक कार्यक्रम है, वही जाना है और वो लोग देर रात लौटेंगे..
यह सुन कर मैं बहुत ही खुश हो गया और इशानी की तरफ देखा.. उसके गालों की लाली ने मुझे उसकी भी ख़ुशी का एहसास करा दिया…माता-पिता जी के जाने के बाद इशानी घर के कामों में लग गई, मैंने एक नौकर को आवाज़ दी और कहा कि सारे काम वो कर ले, हम दोनों को पढ़ाई करनी है और इशानी को ऊपर कमरे में आने को बोल मैं उसके कमरे चला आया और उसकी चीज़ों को निहारने लगा।
तभी मुझे उसके आने की आहट सुनाई दी और मैंने दौड़ कर उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसे उठा कर उसके कमरे में ले आया..
उसके कमरे में आते ही मैंने अपने होंठों को उसके होंठों से लगा दिया, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, उसके निचले होंठों को अपने होंठों में भरकर उनको पीने का जो अहसास था वो मैं शब्दों में नहीं बता सकता..
थोड़ी देर उसके होंठ पीने के बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी, उसने भी स्वागत में अपने जीभ को मेरे जीभ से लगा दिया और हम एक दूसरे को और जोश से चूमने लगे।
हमें अपने चूमने के आवेश का पता तब चला जब हमने अपने मुँह में रक्त का सा स्वाद महसूस किया.. लेकिन फिर भी हम नहीं रुके और हमने अपना चुम्बन जारी रखा..
करीब आधा घंटा एक दूसरे को चूमने के बाद हमने अपने होंठों को अलग किया। उसके होंठ मेरे चुम्बन से सूज़ गए थे जो मुझे और भी ज्यादा आकर्षित कर रहे थे..
हम एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे.. मैंने उठ कर कमरे का दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया, उसके पास आकर बैठ गया और मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें बिना कपड़ों के देखना चाहता हूँ..
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, उसने कहा, “तुम बहुत ही शैतान हो..”
मैंने दुबारा उससे अनुरोध किया तो उसने कहा- तुम्हें भी अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे ! सिर्फ मैं ही क्यों उतारूँ कपड़े?
मैं तो इसके लिए तैयार ही बैठा था.. मैंने तुरंत ही अपनी टीशर्ट उतार दी और उससे कहा- देखो मैं तो तैयार बैठा हूँ इसके लिए..
तभी उसने अपनी पीठ मेरी तरफ कर ली और उसने अपनी कमीज़ उतार दी अब मुझे उसकी नंगी पीठ पर गुलाबी रंग की ब्रा दिख रही थी..
इधर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और सिर्फ अंडरवियर में था। उसने अपनी पजामी भी उतार दी और अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को ढक कर मेरी तरफ मुड़ गई.. आज तक मैंने कभी किसी लड़की को इतने नज़दीक से इस हालत में नहीं देखा था..
उसे इस रूप में देख कर मैं पागल हो रहा था और मेरा लिंग मेरे अंडरवियर के अंदर ही अपने विकराल रूप में आ चुका था..
इशानी की नज़रें मेरे लिंग पर ही थी.. उसके चेहरे पर कौतूहल साफ़ झलक रहा था..
मैंने उसे ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके बगल में लेट गया और उसके होंठों से अपने होंठों को लगा दिया.. अब मेरे हाथ उसके पूरे शरीर पर घूम रहे थे और ब्रा के ऊपर से ही मैं उसके स्तनों को सहला रहा था.. मेरी पीठ पर इशानी के मचलते हुए हाथ मुझे उसकी बेचैनी का एहसास करा रहे थे.. वो लगातार मुझे अपनी ओर खींच रही थी..
कुछ ही समय में मैं इशानी के ऊपर था और अब भी उसे चूम रहा था… धीरे धीरे मैंने उसके गर्दन को चूमना शुरू किया तो उसके मुख से उत्तेजक आहें निकलने लगी.. मैंने अपने हाथों को उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी ब्रा को खोल दिया और उसको स्तनों को आजाद कर दिया..
इतने सुन्दर उरोज मैंने आज तक कभी किसी तस्वीर में भी नहीं देखे थे.. मैंने दोनों हाथों से उसके उरोजों को थाम लिया और अपने चेहरे को उनके बीच में दबा दिया..
उसके शरीर की सुगंध मुझे बेकरार किये जा रही थी और उसकी मादक आवाजों से मेरे रोम रोम में उत्तेजना भर रही थी…
जैसे ही मैंने उसके एक स्तन को अपने मुँह में लिया, उसके मुँह से एक सिसकारी सी निकल गई.. मैं उसके स्तानाग्रों पर अपनी जीभ चला रहा था और वो भी मेरी जीभ से कम नहीं मचल रही थी..
मैं उसके स्तनों को चूमते हुए और नीचे आ गया और उसके पेट से होते हुए उसकी नाभि पर अपना प्यार न्यौछावर करने लगा..
इशानी उत्तेजना में पागल हो रही थी.. ऐसा लग रहा था कि वो मुझे अपने शरीर में समाना चाह रही थी.. मैं उसकी नाभि और कमर को चूमते हुए उसकी पैंटी उतारने लगा..
वो शर्म से दोहरी हो रही थी..
उसकी पैंटी उतारते ही मैं बिना देखे ही उसकी योनि चूमने लगा.. जैसे ही मैंने उसकी योनि पर मुँह लगाया, एक अजीब सी मादक और उत्तेजक गंध मेरे नथुनों में भर गई.. उसकी योनि किसी लिसलिसे से द्रव से गीली हो रही थी..
मैंने उसके पैरों को अलग किया और उसकी योनि को देखने लगा.. प्यारी सी गीली योनि पर रेशमी रोयों का श्रृंगार योनि की खूबसूरती में चार चाँद लगा रहे थे.. मैंने अनायास ही उसकी योनि के लबों को अपने मुँह में भर लिया..
सेक्स का ज्ञान न तो मुझे ही था और न ही इशानी को.. यह सब उत्तेजना में अपने आप ही होता जा रहा था.. उसकी योनि को मुँह में भरते ही इशानी के मुँह से चीख निकल गई और उसने मेरे सर के ऊपर अपने दोनों हाथों को रखा और अपनी योनि पर दबाने लगी..
मैं उसकी योनि को चूसे जा रहा था कि अचानक उसने अपनी कमर को ऊपर उठा लिया और जोर जोर से आहें भरते हुए मेरे सर को अपनी योनि पर दबा दिया..
मैंने अपने मुँह में लिसलिसे से द्रव का प्रवाह महसूस किया और अनायास ही उसको पीता चला गया.. अब इशानी थोड़ी शांत हो गई थी।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
कहानी का अगला भाग : एक दूसरे में समाये-3
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